दिनेश माहेश्वरी
कोटा। अब आपको डिजिटल हस्ताक्षर लेने के लिए इधर उधर भटकना नहीं होगा। अगले पांच-छह महीनों में डिजिटल हस्ताक्षर आपके स्मार्टफोन पर मोबाइल एप के जरिए उपलब्ध होंगे। आप केवल एक वन टाइम पासवर्ड का इस्तेमाल कर किसी भी आनलाइन दस्तावेज पर अपने डिजिटल हस्ताक्षर कर पाएंगे।1डिजिटल हस्ताक्षरों की सुलभता का सबसे बड़ा फायदा देश में ई-गवर्नेस के सपने को साकार करने में होगा। यही वजह है कि इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय डिजिटल हस्ताक्षर आम जन को सुलभ बनाने की परियोजना पर काम कर रहा है।मंत्रालय ने इस योजना के तहत दो संस्थाओं सी-डेक और साफ्टवेयर टेक्नोलाजी पार्क आफ इंडिया (एसटीपीआइ) को इसकी जिम्मेदारी सौंपी है। सी-डेक ने डिजिटल हस्ताक्षर उपलब्ध कराने के लिए खुद का साफ्टवेयर बनाया है तो एसटीपीआइ इसके लिए पीपीपी आधार पर भागीदार तलाश रहा है।जल्दी ही भागीदार के नाम पर अंतिम मुहर लग जाएगी। उसके बाद अगले चार-पांच महीने में साफ्टवेयर और मोबाइल एप तैयार कर लिया जाएगा। इसके बाद लोगों को डिजिटल हस्ताक्षर की सुविधा सुलभ हो जाएगी। वर्तमान में डिजिटल हस्ताक्षर जारी करने वाली कुछ चुनिंदा एजेंसियां हैं। ये एजेंसियां सालाना फीस लेकर डिजिटल हस्ताक्षर देती हैं। इसमें एक समस्या यह है कि अभी डिजिटल हस्ताक्षर डोंगल में दिए जाते हैं। इसलिए जब भी डिजिटल हस्ताक्षर करने के लिए आपको डोंगल अपने साथ रखना होता है।
डोंगल के गुम होने की स्थिति में आपके डिजिटल हस्ताक्षर के गलत इस्तेमाल की भी आशंका बनी रहती है। लेकिन एसटीपीआइ ने डिजिटल हस्ताक्षर सुलभ कराने की जो योजना तैयार की है उसमें आप मोबाइल एप के जरिए अपने डिजिटल हस्ताक्षर का इस्तेमाल जब और जहां चाहे कर पाएंगे। इसे प्राप्त करना बेहद सस्ता और आसान हो जाएगा। एसटीपीआइ इसकी लाइसेंसिंग अथारिटी होगी और एक एजेंसी के तौर पर डिजिटल हस्ताक्षर उपलब्ध कराएगी। डिजिटल हस्ताक्षर इस्तेमाल करने वाले लोगों के वेरिफिकेशन के लिए आधार संख्या का इस्तेमाल किया जाएगा। यानी आपको डिजिटल हस्ताक्षर करने के लिए अपने आधार नंबर की आवश्यकता होगी1एक बार यह शुरू हो जाने पर ई-गवर्नेस की अवधारणा को जमीन पर लाने की रफ्तार तेज हो सकेगी। डिजिटल हस्ताक्षर के जरिए लोग कहीं भी रहते हुए किसी भी चीज के लिए आनलाइन आवेदन कर सकेंगे। पासपोर्ट से लेकर किसी भी सरकारी दस्तावेज की प्राप्ति के लिए आवेदन करने के लिए स-शरीर उपस्थित रहना जरूरी नहीं होगा। इनकम टैक्स रिटर्न भरने में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा। इससे सरकारी कामकाज में ई-गवर्नेस का समावेश होगा। यह काफी महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है। इससे न केवल डिजिटल हस्ताक्षर का इस्तेमाल आसान हो जाएगा बल्कि सुरक्षित भी होगा। आधार के साथ जुड़े होने की वजह से इसके दुरुपयोग की आशंकाएं भी न्यूनतम हो जाएंगी। साथ ही इसके इस्तेमाल की लागत भी बेहद कम होगी। इसके लिए डिजिटल हस्ताक्षर के इस्तेमाल के हिसाब से मूल्य चुकाना होगा जो राय के मुताबिक बहुत कम होगा।
कोटा। अब आपको डिजिटल हस्ताक्षर लेने के लिए इधर उधर भटकना नहीं होगा। अगले पांच-छह महीनों में डिजिटल हस्ताक्षर आपके स्मार्टफोन पर मोबाइल एप के जरिए उपलब्ध होंगे। आप केवल एक वन टाइम पासवर्ड का इस्तेमाल कर किसी भी आनलाइन दस्तावेज पर अपने डिजिटल हस्ताक्षर कर पाएंगे।1डिजिटल हस्ताक्षरों की सुलभता का सबसे बड़ा फायदा देश में ई-गवर्नेस के सपने को साकार करने में होगा। यही वजह है कि इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय डिजिटल हस्ताक्षर आम जन को सुलभ बनाने की परियोजना पर काम कर रहा है।मंत्रालय ने इस योजना के तहत दो संस्थाओं सी-डेक और साफ्टवेयर टेक्नोलाजी पार्क आफ इंडिया (एसटीपीआइ) को इसकी जिम्मेदारी सौंपी है। सी-डेक ने डिजिटल हस्ताक्षर उपलब्ध कराने के लिए खुद का साफ्टवेयर बनाया है तो एसटीपीआइ इसके लिए पीपीपी आधार पर भागीदार तलाश रहा है।जल्दी ही भागीदार के नाम पर अंतिम मुहर लग जाएगी। उसके बाद अगले चार-पांच महीने में साफ्टवेयर और मोबाइल एप तैयार कर लिया जाएगा। इसके बाद लोगों को डिजिटल हस्ताक्षर की सुविधा सुलभ हो जाएगी। वर्तमान में डिजिटल हस्ताक्षर जारी करने वाली कुछ चुनिंदा एजेंसियां हैं। ये एजेंसियां सालाना फीस लेकर डिजिटल हस्ताक्षर देती हैं। इसमें एक समस्या यह है कि अभी डिजिटल हस्ताक्षर डोंगल में दिए जाते हैं। इसलिए जब भी डिजिटल हस्ताक्षर करने के लिए आपको डोंगल अपने साथ रखना होता है।
डोंगल के गुम होने की स्थिति में आपके डिजिटल हस्ताक्षर के गलत इस्तेमाल की भी आशंका बनी रहती है। लेकिन एसटीपीआइ ने डिजिटल हस्ताक्षर सुलभ कराने की जो योजना तैयार की है उसमें आप मोबाइल एप के जरिए अपने डिजिटल हस्ताक्षर का इस्तेमाल जब और जहां चाहे कर पाएंगे। इसे प्राप्त करना बेहद सस्ता और आसान हो जाएगा। एसटीपीआइ इसकी लाइसेंसिंग अथारिटी होगी और एक एजेंसी के तौर पर डिजिटल हस्ताक्षर उपलब्ध कराएगी। डिजिटल हस्ताक्षर इस्तेमाल करने वाले लोगों के वेरिफिकेशन के लिए आधार संख्या का इस्तेमाल किया जाएगा। यानी आपको डिजिटल हस्ताक्षर करने के लिए अपने आधार नंबर की आवश्यकता होगी1एक बार यह शुरू हो जाने पर ई-गवर्नेस की अवधारणा को जमीन पर लाने की रफ्तार तेज हो सकेगी। डिजिटल हस्ताक्षर के जरिए लोग कहीं भी रहते हुए किसी भी चीज के लिए आनलाइन आवेदन कर सकेंगे। पासपोर्ट से लेकर किसी भी सरकारी दस्तावेज की प्राप्ति के लिए आवेदन करने के लिए स-शरीर उपस्थित रहना जरूरी नहीं होगा। इनकम टैक्स रिटर्न भरने में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा। इससे सरकारी कामकाज में ई-गवर्नेस का समावेश होगा। यह काफी महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है। इससे न केवल डिजिटल हस्ताक्षर का इस्तेमाल आसान हो जाएगा बल्कि सुरक्षित भी होगा। आधार के साथ जुड़े होने की वजह से इसके दुरुपयोग की आशंकाएं भी न्यूनतम हो जाएंगी। साथ ही इसके इस्तेमाल की लागत भी बेहद कम होगी। इसके लिए डिजिटल हस्ताक्षर के इस्तेमाल के हिसाब से मूल्य चुकाना होगा जो राय के मुताबिक बहुत कम होगा।
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