दुनिया भर में कंप्यूटर नेटवर्क की खामियों का फायदा उठाकर हैकर्स उसे निशाना बनाते हैं। अब हनीपॉट नामक एक ई-खबरी मौजूद है, जो हैकर्स के बारे में सारी जानकारियां जुटाकर आपकी मदद कर सकता है।
किसी कंपनी, सरकारी अथवा गैर सरकारी संस्थान या फिर निजी उपयोग से जुड़े दस्तावेज काफी अहम होते हैं। लंबे समय तक इस तरह के दस्तावेजों को गत्ते की फाइलों में पैक कर स्टील की अलमारियों में लॉक करके रखा जाता था। बड़ी कंपनियों में तो कैबिनेट या लॉकर में रखकर इन फाइलों को आग, पानी और चोरों से सुरक्षित रखने की कोशिश की जाती रही है। पहले आपने वॉचमन, सीसीटीवी, फायर प्रूफ कैबिनेट और अलग कमरे की व्यवस्था करके अपने डाटा को सुरक्षित रखा।
लेकिन जिंदगी में लगातार बढ़ते तकनीक के दखल के बाद कागज की फाइलों और लॉकर्स की जगह कंप्यूटर्स ले चुके हैं। मतलब आपका तमाम डाटा डिजिटल या वर्चुअल फॉर्मेट में कंप्यूटर्स में कैद है। आप सोचते हैं कि फाइलें कंप्यूटर में बंद हैं, तो भला किसी को कैसे दिखेंगी? लेकिन आपको क्या मालूम कि उस कंप्यूटर में कौन सा चोर प्रोग्राम आ छिपा है, जो फाइलों को कॉपी करके अपने कंट्रोल सेंटर को भेज रहा है।
आपकी इस लापरवाही का फायदा उठाकर आपके कंप्यूटर नेटवर्क पर बाहर से कोई हैकर हमला कर सकता है और आपके कंप्यूटर में कोई चोर प्रोग्राम डाल सकता है। हैकर्स की इन करतूतों पर नजर रखने के लिए आपको चाहिए एक ′ई-खबरी′, जो आपको सतर्क करे और यह बता सके कि किस तरह के हमले आपके कंप्यूटर नेटवर्क पर हो रहे हैं।
इंटरनेट पर यह काम करने के लिए अब ′हनीपॉट′ नामक एक ऐसा टूल मौजूद है, जो हैकर्स को झांसा देकर उन्हें हमला करने के लिए उकसाता है। ′हनीपॉट′ के जाल में फंसने के बाद यह सिस्टम हैकर्स से जुड़ी कई तरह की जानकारियां आपको दे सकता है। इससे आपको पता चल सकता है कि हैकर्स दुनिया के कौन से हिस्से में बैठा है और वो आपके कंप्यूटर को हैक करने के लिए किस तरह की सॉफ्टवेयर, वायरस या मालवेयर और तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है। इस तरह की जानकारी मिलने के बाद आप अपने कंप्यूटर को सुरक्षित रखने के लिए मजबूत रणनीति बना सकते हैं और ऐसे हैकर्स के हमले को विफल कर सकते हैं।
′हनीपॉट′ को लिनक्स सिस्टम पर स्थापित किया जाता है, इसका कोई लाइसेंस का खर्च नहीं है और न ही कोई भारी भरकम सर्वर की जरूरत। भारत में ′इंडियन हनीपॉट प्रोजेक्ट′ के वलंटियर्स इस काम में निशुल्क मदद करते हैं। इन वलंटियर्स ने कुछ शहरों में ′हनीपॉट′ लगा रखे हैं, जिससे साइबर हमलावरों के हमलों से जुड़ी तमाम जानकारियां मुहैया कराते हैं। यह जानकारी देश की साइबर सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
यह एक बहुत ही सस्ता उपकरण है, जिसे अब तक ज्यादा पहचान नहीं मिली है। इसकी जानकारी कॉलेजों के कंप्यूटर लैब, कंप्यूटर हैकर या तकनीकी जानकार लोगों के पास मिलेगी। आपको भी यह सस्ता ई-खबरी अपने नेटवर्क में बैठा लेना चाहिए। अगर आप कॉलेज में छात्र हैं या अध्यापक, तो अपने कंप्यूटर लैब में एक ′हनीपॉट′ की स्थापना कर उसकी गतिविधियों का अध्ययन करें। इससे साइबर सुरक्षा से जुड़ी बहुत सी बातें आपको पता चल जाएंगी।
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