Monday, October 12, 2015

आधार दर में कटौती नहीं करने वाले बैंकों पर आरबीआई की नजर

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) इस तथ्य को जानकर सहज नहीं है कि वाणिज्यिक बैंक अपने नए ग्राहकों को आधार दर में कटौती का पूरा लाभ नहींं दे रहे हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए आरबीआई कर्जदाताओं से पूछताछ कर सकता है। उदाहरण के लिए, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अपनी आधार दर में 40 और आईसीआईसीआई बैंक ने 35 आधार अंकों की कटौती की है। लेकिन आवास कर्ज के नए ग्राहकों के लिए ब्याज दर में महज 20 से 25 आधार अंकों की कटौती की गई जबकि पुराने ग्राहकों को आधार दर में कटौती का पूरा लाभ मिलेगा। आरबीआई को इस बात पर आपत्ति है कि समान जोखिम प्रोफाइल वाले ग्राहकों से बैंक अलग-अलग ब्याज दरें क्यों वसूल रहे हैं। केंद्रीय बैंक के एक शीर्ष सूत्र ने कहा, 'यह बिना भेदभावपूर्ण मूल्य निर्धारण नीति के खिलाफ है। अक्सर हम ग्राहकों के साथ निष्पक्ष व्यवहार पर जोर देते हैं।' उन्होंने कहा, 'यदि वे किसी एक खंड (वाहन या आवास कर्ज) के लिए मार्जिन में बदलाव करते हैं तो वह इस आधार पर उचित हो सकता है कि उस खंड में जोखिम को लेकर बैंक की धारणा बदल गई है। लेकिन समान जोखिम प्रोफाइल वाले ग्राहकों को अलग-अलग दरों पर भुगतान नहीं करना चाहिए।'
बैंकिंग नियामक इस बाबत बैंकों से विस्तृत पूछताछ करने की योजना बना रहा है। साथ ही आरबीआई इस मुद्दे पर बैंकों को अपनी राय से भी अवगत करएगा। पिछले सप्ताह रिजर्व बैंक द्वारा प्रमुख नीतिगत दर में 50 आधार अंकों की कटौती किए जाने के बाद कई बैंकों ने आधार दर में कटौती करने की घोषणा की। एसबीआई ने सबसे अधिक आधार दर में कटौती की। लेकिन एसबीआई और आईसीआईसीआई बैंक ने अपना मार्जिन बढ़ाने के लिए नए ग्राहकों को इसका पूरा लाभ नहीं दिया। पिछले तीन साल के दौरान कमजोर ऋण वृद्धि और डूबते कर्ज में इजाफे से बैंकों की ब्याज आय में उल्लेखनीय कमी आई है। इससे उनके शुद्ध ब्याज मार्जिन पर असर पड़ा है।ऋण के मूल्य निर्धारण के लिए केंद्रीय बैंक ने आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर आनंद सिन्हा के नेतृत्व में एक समिति गठित की थी। समिति ने अपने सुझाव में कहा था कि हरेक बैंक को अपनी नीतियों के लिए निदेशक मंडल से मंजूरी लेनी चाहिए। इंडिया रेटिंग्स की एक रिपोर्ट में कहा गया था, 'पिछले 10 साल के अध्ययन से पता चलता है कि नीतिगत दरों में कटौती के अधिकांश मामलों में जमा दरों में तेजी से कटौती की गई और उधारी दरों के मुकाबले उसकी रफ्तार आधिक रही।'

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