Saturday, July 26, 2014

इंश्योरेंस पॉलिसी से हर साल रिन्यूअल की टेंशन खत्म होगी

जल्द ही आपके लिए ऐसी पॉलिसी आ सकती है जिससे हर साल इंश्योरेंस कवर लेने की दिक्कत दूर हो जाएगी। इंश्योरेंस रेग्युलेटर इरडा इंश्योरेंस कंपनियों के लिए एक बार में पांच साल का कवर देने वाली पॉलिसी ऑफर करने के प्रपोजल पर विचार कर रहा है। रेग्युलेटर जल्द ऐसे लॉन्ग टर्म प्रॉडक्ट्स पर नए गाइडलाइंस जारी कर सकता है। ये पॉलिसी सस्ती भी होंगी।
इरडा के एक अधिकारी ने बताया, 'कुछ इंश्योरेंस कंपनियों ने ऐसे प्रस्ताव सौंपे हैं और हम उनकी समीक्षा कर रहे हैं। हम सबसे पहले दोपहिया गाड़ी सेगमेंट के लिए ऐसी पॉलिसी से शुरुआत कर सकते हैं।' उन्होंने कहा कि अब तक के अनुभव को देखते हुए लगता है कि कमर्शल गाड़ियों के लिए भी ऐसे प्रॉडक्ट्स लॉन्च किए जा सकते हैं। रेग्युलेटर का मकसद ऐसी लॉन्ग टर्म पॉलिसी से खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में इंश्योरेंस को बढ़ावा देना है। इरडा के अधिकारियों ने बताया, 'कई कंपनियों ने कहा है कि इंश्योरेंस रिन्यू नहीं हो रहे हैं। इसलिए हमें लॉन्ग टर्म प्रॉडक्ट्स लाना चाहिए। इससे इंश्योरेंस कल्चर को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।'
देश में इंश्योरेंस की पहुंच 2009-10 के 5.2 पर्सेंट से घटकर 2012-13 में 3.96 पर्सेंट रह गई। देश में जनरल इंश्योरेंस की पहुंच सिर्फ 0.78 पर्सेंट है। मोटर सेगमेंट का प्रीमियम कलेक्शन 2012-13 में 29,777 करोड़ रुपये था। यह कदम तब उठाया जा रहा है, जब सरकार इंश्योरेंस सेक्टर को खोलने और इसमें 49 पर्सेंट एफडीआई को इजाजत देने के बारे में सोच रही है। इंडिया में 17 प्राइवेट और 4 पीएसयू जनरल इंश्योरेंस कंपनियां हैं।
केपीएमजी की रिपोर्ट के मुताबिक, इंश्योरेंस की पहुंच इतनी कम होने की वजह इसको लेकर जागरूकता और जनरल इंश्योरेंस प्रॉडक्ट्स की समझ नहीं होना है। लोगों को लगता है कि इससे उनको कम बेनेफिट मिलता है। ये इंश्योरेंस फाइनैंसर के दबाव और कानूनी तौर पर जरूरी होने की वजह से खरीदे जाते हैं। जनरल इंश्योरेंस कंपनियों को भी लगता है कि ऐसे प्रॉडक्ट से रिन्युअल बिजनेस को बढ़ावा मिलेगा, जो ग्रामीण इलाकों में बहुत कम है।

एक हजार करोड़ का रेवेन्यु, वाणिज्यिक कर विभाग के पास भवन नहीं

कोटा। वाणिज्यिक कर विभाग के नए भवन के लिए इस बार के बजट में लीज राशि मंजूर नहीं हुई। जबकि यह विभाग सालाना एक हजार करोड़ का राजस्व देता है। पिछले बजट में जो राशि मंजूर हुई तो वह पीडब्ल्यूडी द्वारा यूआईटी में लीज जमा नहीं होने से लैप्स हो गई।
 विभाग के संभाग स्तर के कार्यालय को तीन साल पहले यूआईटी से कर भवन बनाने के लिए रावतभाटा रोड पर टैगोर नगर में 2594 वर्गमीटर भूमि मुफ्त में मिली थी। दो साल हो गए बजट नहीं मिलने से इसकी रजिस्ट्री नहीं हो पाई। पिछली सरकार के वक्त वर्ष 2013-14 में यूआईटी में लीज जमा कराने के लिए 12.74 करोड़ रुपए पीडब्ल्यूडी को मिले थे। लेकिन, समय पर यूआईटी में लीज जमा नहीं होने से राशि लैप्स हो गई। अधिकारियों ने फिर से इसके लिए राज्य सरकार को लिखा है।
 यह महकमा एबी सर्किल, स्पेशल, वर्क्स   टैक्स और एंटी इवेजिन शाखाओं में बंटा है। दो मंजिला पुराने जीर्ण-शीर्ण भवन में पूरे जोन का कार्यालय संचालित किया जा रहा है। जिसमें कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़ जिले और रामगंजमंडी तक का एरिया शामिल है। अकेले कोटा कार्यालय में ही 125 से अधिक कर्मचारियों का स्टाफ है। कंप्यूटर के युग में सीलन और बदबूदार कमरों में न तो कोई कर्मचारी बैठना पसंद करता है और न करदाता डीलर।
 डीलर्स का काम पड़ता है तो वह एक सर्किल से दूसरे सर्किल की भूल भुलैया बिल्डिंग में ही भटकता रहता है। स्टाफ का भी मानना है कि पूरा विभाग अब ऑनलाइन हो चुका है, लेकिन अभी भी जर्जर भवन में ही ऑफिस चला रखा है। कमरे इतने छोटे हैं कि पुराने दस्तावेज संभालने के लिए भी जगह कम पड़ती है।
लीज के लिए राशि नहीं मिली
कर भवन की भूमि की लीज जमा कराने के लिए इस बार के बजट में कोई राशि नहीं मिली। इसके लिए कमिश्नर को लिखा है। -एनके गुप्ता, डिप्टी कमिश्नर, वाणिज्यिक कर विभाग

Thursday, July 17, 2014

10 कीबोर्ड शॉर्टकट्स: बिना माउस के काम करें

अगर आप कीबोर्ड पर काम करते वक्त बार-बार माउस पर हाथ ले जाना पसंद नहीं करते, तो हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसे कीबोर्ड शॉर्टकट्स, जो आपका काम आसान कर देंगे। कभी माउस के न होने (खराब होने) पर भी यह जानकारी आपके बहुत काम आएगी। आगे क्लिक करते जाइए और जानिए
1. टैब को खोलना और बंद करना
अगर आप गूगल क्रोम या मोज़िला फॉयरफॉक्स जैसे ब्राउज़र के किसी टैब को बंद करना चाहते, तो Ctrl+W दबाएं। Ctrl+Shift+w दबाने से पूरी विंडो बंद हो जाएगी। अगर आपने गलती से कोई टैब बंद कर दिया है, तो परेशान न हों। केवल Ctrl+Shift+T दबाएं।
2. माइक्रोसॉफ्ट वर्ड में फॉन्ट साइज घटाना या बढ़ाना
माइक्रोसॉफ्ट वर्ड में काम कर रहे हैं, तो फॉन्ट घटाने-बढ़ाने के लिए माउस या टचपैड पर हाथ ले जाने की जरूरत नहीं है। फॉन्च साइज बढ़ाने के Ctrl+] और फॉन्ट साइज घटाने के लिए Ctrl+[ दबाएं।
3. विंडो का साइज घटाना-बढ़ाना (ज़ूम आउट - ज़ूम इन करना)
अगर आपने ब्राउज़र खोला हुआ है और विंडो को ज़ूम आउट या ज़ूम इन करने की जरूरत है, तो Ctrl के साथ + साइन दबाकर ज़ूम इन और Ctrl के साथ - साइन दबाकर ज़ूम इन कर सकते हैं। अगर आप लैपटॉप इस्तेमाल कर रहे हैं या कीबोर्ड पर अल्फाबेट्स के ऊपर मौजूद बटन्स का इस्तेमाल कर रहे हैं तो आपको कंट्रोल के साथ शिफ्ट भी दबाना होगा।
4. विंडोज़ या ऐप्लिकेशन के बीच एक-दूसरे पर जाना
कई बार हम कई विंडो या ऐप्लिकेशन खोलकर काम करते हैं। हर बार दूसरे ऐप्लिकेशन या विंडो में जाने के लिए माउस पकड़ना परेशानी वाला काम लगता है। इसके लिए आप Alt+Tab का इस्तेमाल कर सकते हैं। विंडोज़ 7 और विंडोज़ 8 में आपको विंडोज़ बटन के साथ टैब बटन दबाना पड़ेगा।
5. फाइल्स डिलीट करना
जब आप फाइल्स डिलीट करते हैं, तो वह रीसाइकल बिन में जाती है और वहां से भी आपको डिलीट करना पड़ता है। अगर आप Shift+Delte का इस्तेमाल करेंगे, तो फाइल रीसाइकल बिन में नहीं जाएगी और वह पूरी तरह डिलीट हो जाएगी।
6. स्क्रीनशॉट लेना

कई बार आपको काम करते हुए स्क्रीनशॉट लेने की जरूरत महसूस होती है। डेस्कटॉप में प्रिंट स्क्रीन और लैपटॉप में Fn+Print Screen दबाएं और पेंट या फोटोशॉप में नई फाइल खोलकर पेस्ट कर दें।
7. वर्ड काउंट करना
माइक्रोसॉफ्ट वर्ड में हम कई बार जानना चाहते हैं कि मैटर कितने शब्दों का है। इसके लिए एक टूल होता है वर्ड काउंट। लेकिन हम अक्सर भूल जाते हैं कि वर्ड काउंड कहां है। तो टेक्स्ट सिलेक्ट करिए और Alt+T दबाने के बाद W दबाइए।
8. सीधे होम स्क्रीन देखना
अगर आपने कई विंडो या ऐप खोले हैं और आपको अपनी स्क्रीन देखनी है, तो एक-एक करके सबको मिनिमाइज़ करने की जरूरत नहीं है। बस विंडोज़ बटन के साथ D दबाएं।
9. कंप्यूटर लॉक करना
अगर आप काम करने के बीच थोड़ी देर के लिए कहीं जा रहे हैं, खासतौर से ऑफिस में, तो अपना कंप्यूटर लॉक करके ही जाएं। इसके लिए विंडोज़ बटन के साथ L दबाएं।
10. सभी विंडोज़/ऐप्लिकेशन मिनिमाइज़ और मैक्सिमाइज़ करना
सभी विंडोज़/ऐप्लिकेशन को मिनिमाइज़ करने के लिए विंडोज़ बटन के साथ M दबाएं। सभी विंडोज़/ऐप्लिकेशन को मैक्सिमाइज़ करने के लिए विंडोज़ बटन के साथ शिफ्ट और M दबाएं।

Wednesday, July 16, 2014

बजट के चलते प्राइवेट सेक्टर की रिटायरमेंट सेविंग्स पर टैक्स की मार!

कोटा।  रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स की चपेट में सिर्फ वोडाफोन पीएलसी जैसी कंपनियां ही नहीं आई हैं। पिछले पांच साल से नैशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) में पैसा डाल रहे प्राइवेट सेक्टर के सब्सक्राइबर्स का कंट्रिब्यूशन भी कुछ मामलों में टैक्सेबल हो गया है। इसकी वजह पब्लिक और प्राइवेट एम्पलॉयी के बीच एक फर्क को खत्म करने के लिए बजट में किया गया एक प्रावधान है।
एनपीएस का मकसद 1 जनवरी 2004 या उसके बाद सर्विस जॉइन करने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए रिटायरमेंट फंड तैयार करना था। इसमें जमा होने वाला एम्प्लॉयर और एम्प्लॉयी का कॉन्ट्रिब्यूशन टैक्स फ्री रखा गया था। हालांकि इनकम टैक्स ऐक्ट के सेक्शन 80 सीसीडी की वर्डिंग्स चेंज नहीं की गई, जब 1 मई 2009 से प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों को अपने एम्प्लॉयीज को स्कीम में शामिल कराने की इजाजत दी गई। इस तरह टैक्स छूट 2004 से इस स्कीम का हिस्सा बने सरकारी कर्मचारियों तक ही सीमित रही। आईटी ऐक्ट के सेक्शन 80 सीसीडी में एनपीएस पर टैक्स छूट दी गई है।
इस गलती को दुरुस्त करने के लिए नए फाइनैंस बिल में एक क्लॉज जोड़ा गया है। इसके मुताबिक, प्राइवेट सेक्टर के एनपीए सब्सक्राइबर्स इस स्कीम में कॉन्ट्रिब्यूट कर सकते हैं और टैक्स में छूट ले सकते हैं। इसमें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि उन्होंने कब नौकरी जॉइन की थी। हालांकि इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स और एनपीएस जॉइन करने वाली कंपनियों के फाइनैंस हेड्स के मुताबिक, इसकी वर्डिंग्स के हिसाब से पुराना कॉन्ट्रिब्यूशन टैक्सेबल हो जाएगा।मिनिस्ट्री की तरफ से शुक्रवार को जारी स्टेटमेंट के मुताबिक, 'फाइनैंस बिल 2014 में प्राइवेट सेक्टर के एम्प्लॉयीज (जिनकी जॉइनिंग डेट कोई भी हो सकती है) को एनपीएस जॉइन करने की इजाजत देने और 1 अप्रैल 2015 और असेसमेंट ईयर 2015-16 के लिए सेंट्रल गवर्नमेंट के कर्मचारियों जैसे बेनेफिट देने के लिए सेक्शन 80 सीसीडी में संशोधन किया गया है।'
2009 में कर्मचारियों को एनपीएस का ऑप्शन देने वाली तीन कंपनियों के फाइनैंस हेड्स के मुताबिक, असेसमेंट ईयर 2015-16, जो 1 अप्रैल 2014 से शुरू फिस्कल ईयर के बराबर है, के संदर्भ की वजह से अनिश्चतता का माहौल बना है। इन कंपनियों में एक दिग्गज सॉफ्टवेयर कंपनी भी है।
इंडिया लाइफ कैपिटल के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट अमित गोपाल ने कहा, 'यह गड़बड़ी मौजूदा फिस्कल ईयर में दूर की गई है, इसलिए पीपीएफ और ईपीएफ की तरह एनपीएस में भी एक लाख रुपये तक की टैक्स फ्री लिमिट के दायरे में किए गए कॉन्ट्रिब्यूशन पर डिडक्शन क्लेम गलत माना जा सकता है। इसलिए अगर किसी कर्मचारी ने 2014 से पहले नौकरी शुरू की थी, तो एम्प्लॉयर के कॉन्ट्रिब्यूशन पर डिडक्शन को गलत माना जा सकता है।' अमित गोपाल ने कहा कि एनपीएस में एम्प्लॉयर का जो कॉन्ट्रिब्यूशन सैलरी के 10 पर्सेंट तक टैक्स फ्री माना जाता रहा है, 2009 से 2014 के बीच टैक्सेबल हो सकता है। इसमें एम्प्लॉयी की जॉइनिंग डेट से कोई फर्क नहीं पड़ता।

ये हैं बेस्ट सैलरी वाली टॉप 15 जॉब्स

'बिजनस इनसाइडर' ने 15 ऐसी नौकरियों की लिस्ट बनाई है, जो इस वक्त दुनिया की सबसे ज्यादा सैलरी पाने वाली जॉब्स हैं। इन प्रफेशंस में बैचलर्स डिग्री वाले प्रफेशनल्स को मिल रही औसतन सैलरी के आधार पर यह लिस्ट बनाई गई है।
बिजनस इनसाइडर ने स्पष्ट किया है कि औसत सैलरी को ऐन्युअल सैलरी, बोनस, प्रॉफिट शेयरिंग, टिप्स, कमिशंस और अन्य हर तरह की इनकम के आधार पर तय किया गया है। यह औसत सैलरी कम से कम दो साल के एक्सपीरियंस वाले लोगों की है और उन लोगों की सैलरी के आधार पर तय की गई है, जिन्होंने अपनी जानकारियां साझा कीं।
देखिए, क्या आपकी जॉब है दुनिया की टॉप 15 सैलरी वाली जॉब्स में...

ई-टिकट पर भी वेटिंग में हो सकेगा सफर!

कोटा।  दिल्ली हाई कोर्ट ने रेल मंत्रालय से ई-टिकट और काउन्टर टिकट में वेटिंग का अंतर खत्म करने को कहा है। अभी काउन्टर से टिकट खरीदने वाले प्रतीक्षा सूची के यात्रियों को ट्रेन में चढ़ने की इजाजत दी जाती है जबकि प्रतीक्षा सूची के ई-टिकट धारियों को इसकी इजाजत नहीं दी जाती है। कोर्ट ने रेलवे को सलाह दी है कि जो ई-टिकट यात्री चाहते हैं उन्हें वेटिंग में ट्रेन में चढ़ने के लिए इजाजत दी जाए।
कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि काउन्टर से टिकट खरीदने वाले प्रतीक्षा सूची के यात्रियों को ट्रेन में चढ़ने की इजाजत दी जाती है भले ही उनका टिकट कन्फर्म नहीं हो जबकि प्रतीक्षा सूची का ई-टिकट अपने आप रद्द हो जाता है। अदालत ने कहा, 'हम रेलवे को निर्देश देते हैं कि वह आज से छह महीने के भीतर मामले पर विचार करे और अगर इस तरह की कोई बात है तो इस प्रचलन को रोकने का कोई तरीका निकाले।'
कोर्ट ने कहा कि दलाल व बेईमान तत्व अपने फायदे के लिए फर्जी नाम से आरक्षण कराकर सीटों को ब्लॉक करते हैं और उसके बाद पैसा देने के इच्छुक सही यात्रियों को भौतिक रुप में प्रतीक्षा सूची का टिकट उपलब्ध कराकर ट्रेन पर चढ़ने की इजाजत दिलाते हैं और फर्जी आरक्षण की सीटों को दखल करके रखते हैं। अदालत ने हालांकि दोनों वेटिंग टिकटों के बीच के अंतर को भेदभावपूर्ण नहीं बताया। कोर्ट ने इस समस्या का यह समाधान सुझाया कि मंत्रालय ई-टिकट खरीदने वालों को विकल्प प्रदान करे कि वे चुन सकें कि कन्फर्म नहीं होने की स्थिति में वे अपना टिकट रद्द कराना चाहते हैं या नहीं।

इनकम टैक्स के फर्जी ई-मेल से सावधान

कोटा।  आयकर विभाग ने करदाताओं को फर्जी ई-मेल से सावधान किया है। अगर आपके पास पास जीमेल, याहू या फिर हॉटमेल जैसी प्राईवेट आईडी से आयकर संबंधी ई-मेल आए तो अलर्ट हो जाएं।
ऐसे मेल आपकी जानकारी उड़ाकर गलत हाथों में पहुंचा सकते हैं। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि आयकर विभाग कभी भी जीमेल या याहू जैसी आईडी से मेल नहीं भेजता। करदाता इस तरह के मेल का कतई जवाब न दें। सीबीडीटी की चेतावनी मुताबिक, कई लोगों को incometaxindia.gov.india@gmail.com से फर्जी ई-मेल भेजी जा रही हैं। ऐसे फर्जी मेल से अटैच फाईल को कतई डाउनलोड न करें। क्योंकि इसमें खतरनाक वायरस हो सकता है। इस तरह का ई-मेल मिलने पर www.incometaxindia.gov.in पर जाकर फर्जीवाड़े की शिकायत की जा सकती है।

अब IRCTC पर चुनिए मनपसंद कोच और बर्थ!

कोटा। अब ऑनलाइन रिजर्वेशन कराते वक्त आप अपने मनपसंद कोच और सीट नंबर पर यात्रा कर सकेंगे। आईआरसीटीसी के सूत्र ने संभावना जताई है कि इस साल 15 अगस्त से यात्रियों को यह विकल्प मिलना शुरू हो सकता है। रेल मंत्री सदानंद गौड़ा ने अपने बजटीय भाषण में कहा था, 2014-15 वित्त वर्ष में ऑनलाइन टिकटिंग सुविधाओं का विस्तार होगा। लोग ट्रेन, कोच और सीट ऑनलाइन बुक कर सकेंगे।रेलवे आने वाले दिनों में अनरिजर्व्ड और प्लेटफॉर्म टिकटों की बिक्री भी ऑनलाइन शुरू करने की योजना बना रहा है। आईआरसीटीसी के टिकटिंग प्लेटफॉर्म को अपग्रेड करने के बाद इन सेवाओं पर काम शुरू होने जा रहा है।टिकटिंग प्लेटफॉर्म अपग्रेड होने के बाद आईआरसीटीसी की साइट से प्रति मिनट पहले के 2000 के मुकाबले 7200 टिकट कटने शुरू हो गए हैं।इसके अलावा अब आईआरसीटीसी की साइट पर एक साथ एक लाख 20 हजार यूजर लॉग-इन कर सकते हैं। अब रेलवे का इरादा अपने ऑनलाइन टिकटिंग प्लेटफॉर्म को उस स्तर पर ले जाने का है, जिसके तहत लोगों को कोच और सीट चुनने का विकल्प मिलेगा।कई बार बुजुर्गों और महिलाओं को काफी पीछे या एकदम इंजन के पास के कोचों में सीटें मिलने पर काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।अब तक ऑनलाइन टिकट बुक करने पर केवल लोअर, मिडिल, अपर, साइड लोओर, साइड अपर सीट के विकल्प आते हैं। सीट नंबर चुनने का विकल्प नहीं मिलता।

अब किस्तों में नहीं खरीद पाएंगे सोना

दिनेश माहेश्वरी
कोटा।
यदि आप ज्वैलरी खरीदने के लिए किस्त चुका रहे हैं, तो सतर्क हो जाइए। ज्वैलरी कारोबार करने वाली कंपनियों द्वारा चलाई जा रही ये स्कीमें अवैध है। कानून के मुताबिक ऐसी स्कीम कंपनियां नहीं चला सकती है। स्कीम के खतरे को देखते हुए जांच एजेंसियों ने सरकार को चेतावनी भी दी है। नए कंपनी कानून के तहत ऐसी स्कीम को मान्यता नहीं है। जिसे देखते हुए टाइटन कंपनी (तनिष्क ब्रांड नाम) ने किस्त वाली स्कीम को बंद करने की घोषणा भी कर दी है।
कंपनी अपने 5 लाख से ज्यादा ग्राहकों को किस्त के एवज में ली गई राशि लौटाने जा रही है।कारपोरेट मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार एक अप्रैल 2014 से लागू नए कंपनी कानून के तहत ऐसी स्कीम चलाना अवैध है। इस संबंध में मंत्रालय ने टाटा समूह की कंपनी टाइटन द्वारा मांगे गए स्पष्टीकरण में 23 जून को साफ कर दिया है कि इस तरह की स्कीम नहीं चलाई जा सकती है। अधिकारी के अनुसार ज्वैलरी खरीदने के एवज में किस्त पर चलाई जा रही स्कीम के बारे में जांच एजेंसियों ने भी चेतावनी दी है। ऐसे में अगर कोई कंपनी ऐसी स्कीम चलाती है, तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। ज्वैलरी इंडस्ट्री के सूत्रों के अनुसार अधिकतर कंपनियों ने ऐसी स्कीम को फिलहाल रोक दिया है। इंडस्ट्री के अनुसार कंपनियां नए कानून के तहत किस तरह की स्कीम चलाई जा सकती है, उसका फिलहाल अध्ययन कर रही हैं।टाटा समूह की टाइटन कंपनी लिमिटेड ने गोल्डन हार्वेस्ट और स्वर्ण निधि स्कीम को बंद कर दिया है। कंपनी ने इस संबंध में बाकायदा विज्ञापन भी जारी किया है।
टाइटन के रिटेल एंड मार्केटिंग (ज्वैलरी डिवीजन) के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट संदीप कुलहाली ने बताया कि नए कानून के तहत स्कीम को नहीं चलाया जा सकता है। जिसे देखते हुए कंपनी ने 18 जुलाई से 21 अगस्त तक किस्त चुकाने वाले ग्राहकों को उनकी राशि रिटर्न और दूसरी शर्तों के आधार पर चुकाने का फैसला किया है।
कंपनी देश भर में फैले 167 आउटलेट के जरिए ग्राहकों को यह सुविधा देगी। कुलहाली के अनुसार हमारी कोशिश है कि नए नियमों के तहत हम स्कीम को फिर से लांच करें।ज्वैलरी खरीदने के लिए कंपनियां ग्राहकों को किस्त का ऑफर देती है। जिसमें 11 किस्त चुकाने पर एक किस्त की छूट जैसा विकल्प ग्राहकों को कंपनियां देती है, जो कि नए कंपनी कानून के तहत अवैध है। नए कानून में कंपनियां 12 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न नहीं दे सकती है। साथ ही उनकी कुल जमाएं कंपनी के नेटवर्थ के मुकाबले 25 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकती है।

फोन गुम होने पर भी आपके पास ही रहेगा उसका डाटा

कोटा। फोन गुम हो जाने पर दुख तो जायज है, फोन तो दोबारा खरीदा भी जा सकता है पर जो डाटा उसमें थे वो हमारे पास लौट कर नहीं आ सकते और इसका मलाल हमेशा रहता है। पर अब एक ऐसा एप है जो आपके पुराने फोन के गुम हो जाने पर भी आपके डाटा को सुरक्षित रखेगा। इस एप का नाम 'पिक अवे' है और यह स्मार्टफोन के सभी कंटेंट को 'द क्लाउड' (इंटरनेट से चलने वाला स्टोरेज सिस्टम है) पर तुरंत अपलोड कर लेता है।
यह नया फीचर वर्किंग ब्राउजर को कैमरा इंटरफेस की जगह दे देता है। एप के को-डेवलपर पेडराम अफशार ले बताया, 'हमने यूजर्स की सुविधा के लिए ऐसा किया है ताकि उनके मन से यह डर दूर हो जाए कि जो तस्वीरें या वीडियो वो ले रहे हैं वो डिलीट हो जाए।' क्लाउड पर तस्वीरें अपलोड करने के बाद इन डाटा के प्रति यूजर निश्चिंत हो जाएंगे, क्योंकि यह नया एप इन्हें हमेशा के लिए संभाल कर रखेगा।

Tuesday, July 15, 2014

रावण ने श्रीराम की मां कौशल्या का भी किया था हरण

त्रेतायुग में कोशल देश में कोशल नाम का एक राजा था। उसकी विवाह योग्य पुत्री थी, नाम था कौशल्या। राजा कोशल ने अपनी पुत्री का विवाह अयोध्या के राजा दशरथ से करने का निर्णय लिया,और राजा दशरथ को विवाह का प्रस्ताव सुनाने के लिए आमंत्रित किया, जिस समय दूत राजा के पास पहुंचा वह जलक्रीड़ा कर रहे थे।
लगभग उसी समय लंकापति रावण ब्रह्मलोक में ब्रह्माजी के सामने आदरपूर्वक पूछ रहा था कि मेरी मृत्यु किसी हाथों होगी। रावण की बात सुनकर ब्रह्माजी ने कहा कि दशरथ की पत्नी कौशल्या से साक्षात् भगवान विष्णु जी का जन्म होगा। वही तुम्हारा विनाश करेंगे।
 

उधर रावण अयोध्या से चलकर कोशल नगरी में जा पहुंचा। वहां भयानक युद्ध करके उसने राजा कोशल को भी जीत लिया। इसके बाद कौशल्या का हरण करके खुश होते हुए आकाशमार्ग से लंका की ओर चल पड़ा। रास्ते में समुद्र में रहने वाली तिमंगिल मछली को देखकर रावण ने सोचा कि सभी देवता मेरे शत्रु हैं, कहीं रूप बदलकर वे ही कौशल्या को लंका से न ले जाएं।इसलिए कौशल्या को इस तिमिंगिल मछली को ही क्यों न सौंप दूं। ऐसा सोचकर उसने कौशल्या को एक संदूक में बंद करके मछली को सौंप दिया, और वह लंका चला गया। मछली संदूक लेकर समुद्र में घूमने लगी। अचानका एक और मछली के आने से वह उसके साथ युद्ध करने लगी और संदूक को समुद्र में छोड़ा दिया। उसी समय राजा भी अपने मंत्री के साथ बहते हुए समुद्र में पहुंचे। वहां उनकी दृष्टि पेटिका पर पडी़। कौशल्या ने अपनी आपबीती सुनाई। राजा भी कौशल्या को देखकर आश्चर्यचकित हो गए। आपस में संवाद करने के बाद वह तीनों पुनः संदूक में बैठ गए। वह इसलिए क्यों कि ज्यादा समय तक समुद्र के अंदर रहना ठीक नहीं था। मछली जब आई तो उसने संदूक को मुंह में रख लिया। तब अहंकारी रावण ने कहा ब्रह्माजी से कहा कि मैनें दशरथ को जल में और कौशल्या को संदूक में छिपा दिया है। तब ब्रह्माजी आकाशवाणी से बोले कि उन दोनों का विवाह हो चुका है। रावण बहुत क्रोधित हुआ। तब ब्रह्माजी ने कहा कि होनी होकर ही रहती है।जब राजा दशरथ अयोध्या पहुंचे तो उनका विवाह विधि-विधान से कोशल्या के साथ हो गया।
ब्रम्हाजी  की बात सुनकर रावण अपनी सेना के साथ अयोध्या की ओर निकल पड़ा वहां पहुंचकर उसने युद्ध किया और राजा दशरथ को पराजित कर दिया। लड़ाई सरयु के निकट हो रही थी और राजा नौका में थे। रावण ने नौका को तहस-नहस कर दिया, तब राजा दशरथ और उनके मंत्री सुमंत नदी में बहते हुए समुद्र में जा पहुंचे।

इस बारिश में पानी से ऐसे बचाएं अपने स्‍मार्टफोन को

बारिश के इस मौसम में कभी-कभी हम इतने खो जाते हैं कि यह भी भूल जाते हैं कि हमारा मोबाइल भी बारिश में भीग रहा है। बारिश में फोन भीग जाए, तो खराब होने की आशंका रहती है। अगर थोड़ी ट्रिक अपनाई जाए, तो हम मोबाइल को खराब होने से बचा सकते हैं। आइए जानें कैसे..?
बैटरी निकाल दें फोन मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां हैंडसेट के भीगने पर कोई वारंटी नहीं देती। अगर आपको लगता है पानी फोन के अंदर चला गया है, तो फिर फोन का बैक कवर खोलें और बैटरी निकाल लें। बैटरी निकालने के बाद हैंडसेट में बैटरी के नीचे एक छोटा-सा स्टीकर चिपका होता है, जो ज्यादातर फोन में व्हाइट कलर का होता है। अगर फोन के अंदर पानी चला गया है, तो यह पिंक या फिर रेड कलर में बदल जाता है या फिर अगर फोन के अंदर थोड़ी नमी है, तो इस स्टीकर का रंग बदल जाएगा।
तुरंत स्विच ऑफ कर दें फोन के भीगने पर उसे ऑन करने की गलती न करें। अगर फोन ऑन है, तो उसे तुरंत स्विच ऑफ कर दें। अगर पानी की एक बूंद भी फोन के अंदर चली गई, तो यह चिप में लगे सर्किंट्स को आपस में जोड़कर उसे खराब कर सकती है। साथ ही, आपके फोन में स्पार्किं ग भी हो सकती है। इसके अलावा, फोन में लगी एक्सेसरीज, जैसे- हैडफोन या चार्जर हटा लें।
कॉटन के कपड़े से करें  साफफोन की बैटरी और एक्सेसरीज निकालने के बाद उसे कॉटन के कपड़े से अच्छी तरह से साफ करें। इससे ऊपर की नमी थोड़ी-बहुत सूख जाती है।हवा से सुखाने की कोशिश करें फोन भीग जाने पर कभी भी फोन को सूखाने के लिए माइक्रोवेव या हेयर ड्रायर का इस्तेमाल न करें। इससे फोन और ज्यादा डैमेज हो सकता है। इसके लिए सबसे अच्छा तरीका है कि फोन को फैन के सामने रखें ताकि थोड़ी-बहुत नमी सूख जाए।
चावल का यूज करें अगर आपकी तमाम कोशिशों के बाद भी फोन के अंदर नमी बनी हुई है, तो एक और तरीका अपनाया जा सकता है। फोन के अंदर का पानी सुखाने के लिए घर में सबसे अच्छा तरीका है चावल। फोन को चावल के कंटेनर के अंदर डालकर उसे धूप में रख दें।दरअसल, चावल धूप से अंदर का तापमान बढ़ा देगा, जो फोन के अंदर के पानी को सुखा देता है। इस तरह से आपको 24 से 48 घंटे में बेहतर रिजल्ट मिल जाएगा। इस तरह के कुछ ट्रिक्स को अपनाकर पानी में भीगे अपने फोन को खराब होने से बचा सकते हैं।

Monday, July 14, 2014

बनें मेमरी कार्ड के एक्सपर्ट

मेमरी कार्ड के इस्तेमाल को लेकर कई बार उलझन की स्थिति का सामना करना पड़ जाता है। इस छोटी-सी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के मायाजाल को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं हम:
फ़्लैश मेमरी कार्ड या सॉलिड स्टेट फ्लैश मेमरी डेटा स्टॉरेज जैसे नामों से जाना जाने वाला मेमरी कार्ड डिजिटल कॉन्टेंट को इकट्ठा करके रखने वाली एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होती है। आज-कल इसका इस्तेमाल मोबाइल फ़ोन्स, डिजिटल कैमरा, म्यूज़िक प्लेयर और विडियो गेम जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में किया जाता है। 

 इसमें दर्ज़ हुई डिजिटल जानकारियां मिटाई जा सकती हैं, दोबारा डाली जा सकती हैं और उनमें जरूरी बदलाव किए जा सकते हैं। कंप्यूटर, लैपटॉप से कनेक्ट हो सकने वाली पेन ड्राइव से यह मेमरी कार्ड आकार, प्रकार में अलग होता है और जिन डिवाइस में इसका इस्तेमाल होता है, उनमें इसके लिए एक स्थान निश्चित होता है। तकनीक की दुनिया में इसे Non-volatile SD Card कहा जाता है। SD का मतलब है Secure Digital और Non-volatile का मतलब है कि इसे अपनी याददाश्त के लिए किसी बाहरी ऊर्जा स्रोत की ज़रूरत नहीं है।
तीन तरह के कार्ड
मेमरी कार्ड तीन तरह के होते हैं। ये हैं: SD, SDHC और SDXC
SD
- इसे मेमरी कार्ड की पहली पीढ़ी माना जाता है। इस कार्ड की मोटाई आमतौर पर 2.1 मिलीमीटर होती है और इसकी अधिकतम क्षमता होती है 2 GB।
- इस तरह के मेमरी कार्ड तीन आकारों में आते हैं। पहला है मूल SD, जो सीधे अपने लिए बने खांचे में फिट हो जाता है। बाकी दो अपेक्षाकृत छोटे आकार के आते हैं, जिन्हें miniSD, microSD कहते हैं। इन्हें एक अडॉप्टर की मदद से संबंधित खांचे में लगाया जा सकता है।
- आमतौर पर SD कार्ड्स का इस्तेमाल पर्सनल कम्प्यूटर्स, विडियो कैमरा, डिजिटल कैमरा और ऐसे ही बड़े आकार के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में किया जाता है, जबकि miniSD, microSD को मोबाइल, टैबलट जैसे छोटे डिवाइस में इस्तेमाल किया जाता है।
SDHC
दूसरी जेनरेशन के मेमरी कार्ड 2006 में आए, जिन्हें SDHC कहा गया। SDHC कार्ड का मतलब है Secure Digital High Capacity कार्ड। आकार में तो यह SD कार्ड जैसे ही होते हैं, लेकिन इनकी क्षमता 4GB से 32GB तक होती है। इनमें भी अपेक्षाकृत छोटे आकार के कार्ड miniSD, microSD कहलाते हैं।
SDXC
मेमरी कार्ड की तीसरी जेनरेशन 2009 में आई, जिसे SDXC कहा गया। SDXC का मतलब Secure Digital extended Capacity है। इनकी क्षमता 48GB से 2TB तक होती है। (व्यावहारिक तौर पर अभी केवल 128GB की क्षमता ही आम लोगों के लिए उपलब्ध है। इसका छोटा आकार केवल microSD ही है। वैसे अब इनके UHS (Ultra High Speed bus) और SDIO (Secure Digital Input Output) प्रारूप भी आ गए हैं। UHS 1 और UHS 3 फॉर्मैट वाले मेमरी कार्ड भी आ गए हैं, जो ज्यादातर व्यावसायिक उपकरणों में यूज होते हैं।
मेमरी कार्ड की स्पीड
मेमरी कार्ड की स्पीड एक अहम फीचर है। इसे इस बात से नापा जाता है कि मेमरी कार्ड में कितनी स्पीड से एक फोटो जैसी डिजिटल जानकारी सहेजी जा सकती है या निकाली जा सकती है। कई बार आपने देखा होगा कि कैमरा, किसी फोटो को सहेजते हुए कुछ ज़्यादा ही समय ले लेता है, बिज़ी का संकेत देता रहता है या किसी विडियो को देखते हुए बार-बार रुकावट आती है। दरअसल, मेमरी कार्ड वाला हर डिवाइस एक खास स्पीड वाले कार्ड के लिए बना होता है। उससे कम स्पीड वाला मेमरी कार्ड लगा हो तो वह अपेक्षित परिणाम नहीं दे पाएगा। हममें से ज़्यादातर लोग इस पर कोई खास ध्यान नहीं देते। अक्सर लोग जो डिवाइस 16GB तक की मेमरी कार्ड के लिए बना है, उसमें 8GB/16GB का कार्ड डलवा लेते हैं, लेकिन कार्ड की स्पीड पर ध्यान नहीं देते। तो अगली बार अगर आपको लगे कि आपका कैमरा फोटो लेने के बाद उसे स्टोर करने में ज्यादा समय ले रहा है या कैमकॉर्डर किसी विडियो को लेते समय ठीक से काम नहीं कर रहा है, तो बेहतर होगा कि पहले यह देख लें कि मेमरी कार्ड की स्पीड, डिवाइस के हिसाब से ठीक है या नहीं। मेमरी कार्ड में Class 2 सबसे धीमी और Class 10 सबसे तेज़ स्पीड होती है। अब अगर आपके कैमरे की क्षमता Class 4 वाले मेमरी कार्ड की है तो Class 4 मेमरी कार्ड का इस्तेमाल करना ही समझदारी है। इससे ज्यादा स्पीड वाले कार्ड का इस्तेमाल कोई मायने नहीं रखता, क्योंकि कैमरा ज्यादा स्पीड वाले कार्ड की क्षमता का सदुपयोग कर ही नहीं पाएगा। ध्यान देने की बात यह है कि एक ही स्टॉरेज कपैसिटी (जैसे 16GB) वाले कार्ड की स्पीड जितनी बढ़ती जाएगी, उसकी कीमत भी उतनी ही बढ़ती जाएगी।
कैसे जानें कार्ड की स्पीड
हो सकता है कि कार्ड पर एमबी/सेकंड में स्पीड लिखी हो। अगर ऐसा नहीं है, तो आप कार्ड की गति की पहचान कार्ड पर बने चिह्नों से कर सकते हैं। कार्ड पर एक अधूरे गोले में 2 लिखे होने का मतलब है क्लास 2, जिससे कम से कम 2 एमबी/सेकंड की स्पीड मिलेगी। इसी तरह 4, 6, 10 का मतलब क्लास 4, क्लास 6 और क्लास 10 है, जिनसे कम से कम 4, 6 और 10 एमबी/सेकंड की स्पीड मिलेगी। U जैसे चिह्न के भीतर 1 या 3 लिखे होने से कम से कम 10 और 30 एमबी/सेकंड की उम्मीद मिलेगी।

मेमरी कार्ड की सुरक्षा
- कई बार हम गलती से अचानक ही मेमरी कार्ड से गाने, फोटो या कोई डेटा मिटा डालते हैं। जब तक गलती का अहसास हो, तब तक बात बिगड़ चुकी होती है या फिर मेमरी कार्ड के डेटा से कोई छेड़छाड़ ना हो जाए, ऐसा भी ख्याल आता है।

- इस गड़बड़ी से बचने के लिए कई आधुनिक सॉफ्टवेयर हैं, जो किसी कोड या पासवर्ड द्वारा मेमरी कार्ड के डेटा तक अवांछित पहुंच को रोकते हैं। कुछ कमांड भी इस काम को बखूबी कर देते हैं।
- किसी तरह की अनजानी भूल से बचने का एक आसान रास्ता है। मेमरी कार्ड के किनारे सरकने वाला एक छोटा-सा टुकड़ा रहता है, जिसे Lock स्थिति की ओर खिसका दिया जाए, तो उस कार्ड में न कोई डेटा डाला जा सकेगा, ना ही कुछ निकाला जा सकेगा। Unlock करने के लिए  वापस सामान्य स्थिति पर रखा जा सकता है।
कुछ और बातें
- मेमरी कार्ड कभी गड़बड़ा जाए तो समस्या होती है कि उसे कैसे ठीक करें। इसके लिए SD Card Recovery Tool जैसे कई सॉफ्टवेयर हैं। - मेमरी कार्ड से कभी कोई डेटा मिट जाए तो उसे वापस लाने के Undelete 360, Recuva जैसे ढेरों सॉफ्टवेयर हैं। - विभिन्न प्रयोगों/ट्रिक के लिए Memory Cards Tools, Memory Card Manager का इस्तेमाल किया जा सकता है।

घड़ी बताएगी बच्चों की लोकेशन

यदि आपको हर समय अपने बच्चे की चिंता लगी रहती है कि वो कहां है, कैसा है या कब घर आएगा तो आपकी इस चिंता को दूर करने में एलजी इलेक्ट्रानिक्स आपकी मदद करने जा रहा है। कंपनी जल्द ही एक ऐसा डिवाइस लांच करने जा रही है जो आपको आपके बच्चा की लोकेशन बताएगा।विश्व प्रसिद्ध इलेक्ट्रानिक्स कंपनी एलजी ने एक खास तरह की घड़ी को लांच करने की घोषणा की है।
 'किड्ज ऑन' नाम की इस आधुनिक घड़ी की मदद से माता-पिता अपने बच्चे की लोकेशन को आसानी से अपने मोबाइल पर ट्रैक कर पाएंगे।कंपनी के मुताबिक यह डिवाइस 10 जुलाई को कोरिया में लांच कर दिया जाएगा और फिर कुछ समय बाद यूरोप व उत्तरी अमेरिका में भी लांच किया जाएगा। फिलहाल एलजी ने इस आधुनिक घड़ी के दाम का खुलासा नहीं किया है लेकिन कंपनी जल्द ही स्थानीय स्तर पर कीमत की घोषणा कर देगी।इस रिस्टबैंड यानि कि कलाई पर बांधने वाली घड़ी को चलाने के लिए जीपीएस व वाइ-फाइ की जरुरत पड़ती है। डिवाइस में 'लोकेशन रिमाइंडर' व 'वन स्टैप कॉल' फीचर है जो माता-पिता को बच्चों को संपर्क करने में मदद करेगा। इस घड़ी पर आप एक नंबर को 'सेव' भी कर सकते हैं जिसके जरिए बच्चे आपातकालीन स्थिति में आपको संपर्क कर सकें। यह नंबर किसी भी स्मार्टफोन या टैबलेट को डिवाइस से कनेक्ट करने पर समय-समय पर बदला जा सकता है।
यदि किसी वजह से आपका बच्चा 10 सेकेंड से पहले आपका कॉल नहीं उठाता है तो यह डिवाइस ऑटोमैटिक तरीके से कॉल कनेक्ट कर देगा और आप लाउडस्पीकर के जरिए अपने बच्चे की आवाज सुन पाएंगे।आप को बता दें कि एलजी किज़ ऑन रिस्टबैंड को आप किसी भी एंड्रायड 4.1 या इससे ज्यादा वाले वर्जन के एंड्रायड डिवाइस से कनेक्ट कर सकते हैं। यह डिवाइस 2जी व 3जी दोनों नेटवर्क को सपोर्ट करता है। इसमें 64 एमबी रैम व 125 एमबी इंटरनल मेमोरी है। इसकी 400 एमएएच की बैट्री 36 घंटे तक बिना रुके चल सकती है और यदि बैट्री पॉवर 25 प्रतिशत से नीचे गया तो पेरेंट्स के डिवाइस पर एक अलर्ट मैसेज चला जाएगा।बच्चों को ध्यान में रखते हुए एलजी ने इस डिवाइस को बनाते समय पर्यावरण के अनुकूल रहने वाली चीजें इस्तेमाल की हैं। यह डिवाइस आपको नीले, गुलाबी व हरे रंग में मिलेगा।

Sunday, July 13, 2014

IIT में ऐडिमशन पिछले साल से ज्यादा मुश्किल

इस बार आईआईटी के एंट्रेस टेस्ट में 13 लाख 60 हजार स्टूडेंट्स बैठे, जिनमें सिर्फ 27,151 पास हो सके। इससे पता चलता है कि साल दर साल आईटीआई एंट्रेंस टेस्ट पास करना कितना मुश्किल होता जा रहा है।
लीडिंग कोचिंग चेन फिट्जी के मुंबई टेरिटरी हेड मोहित सरदाना ने कहा, 'पिछले साल 360 में 132 स्कोर करने वाले स्टूडेंट्स 10000 की रैंकिंग में आ गए थे, लेकिन इस साल उन्हें पिछले साल जितनी रैंकिंग पाने के लिए 150 नंबर की जरूरत है।' इस साल 9784 सीटें उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा, 'कुल मिलाकर स्थिति यह है कि कॉम्पिटिशन बढ़ गया है।' आईआईटी की सीट हासिल करने के लिए स्टूडेंट्स को दो सबसे कॉम्पिटिटिव एग्जाम देने होते हैं। पहला जेईई (मेन) होता है, जो सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) कराता है। इसमें कामयाब होने वाले 1.5 लाख कैंडिडेट्स जेईई (एडवांस्ड) के लिए क्वॉलिफाई करते हैं, लेकिन इस एग्जाम में बैठने के लिए स्टूडेंट का XII बोर्ड के टॉप 20 पर्सेंटाइल में होना जरूरी है।इस साल हर स्टेज पर कॉम्पिटिशन बढ़ा है। 2014 में 13.56 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स जेईई (मेन) में शामिल हुए, जो पिछले साल के 12.6 लाख स्टूडेंट्स से 7.6 परसेंट ज्यादा है। इस साल जेईई (एडवांस्ड) में 1.26 लाख स्टूडेंट्स रजिस्टर्ड हुए जबकि पिछले साल इनकी संख्या 1.23 लाख थी। इस साल के जेईई (एडवांस्ड) टॉपर कोटा से पढ़ाई करने वाले चित्रांग मुर्डिया हैं, जिन्होंने 360 में 334 नंबर हासिल किए। 

हाल ही  जारी जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम (जेईई) ऐडवांस्ड रिजल्ट में पिछले साल से 6,360 ज्यादा स्टूडेंट्स क्वॉलिफाइड पाए गए, जबकि इस साल सीटें पिछली बार से कुछ कम हैं। इससे कामयाब स्टूडेंट्स के बीच कॉम्पिटीशन बढ़ गया है।ऐडमिशन के लिए उपलब्ध सीटें चार कैटिगरी में बांटी जाती हैं और क्वॉलिफाइड कैंडिडेट्स की संख्या हर कैटिगरी में बढ़ी है। आईआईटी-खड़गपुर जेईई ऑफिस के प्रोफेसर इंचार्ज एम के पाणिग्रही ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया, 'ज्यादा स्टूडेंट्स के क्वॉलिफाई करने से कॉम्पिटिशन मुश्किल हो गया है क्योंकि कट ऑफ पिछले साल जितना ही है।'
फीमेल कैंडिडेट्स में आईआईटी रुड़की जोन से अदिति ऑल इंडिया रैंकिंग में सातवें नंबर पर आईं। टॉप 100 में सिर्फ पांच फीमेल कैंडिडेट्स रहीं। अदिति आईआईटी-दिल्ली से कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग में दाखिला चाहती हैं। 17 साल की अदिति ने कहा, 'मैं आगे चलकर इंजीनियरिंग फील्ड में ही रहना चाहूंगी। नहीं तो, सिविल सर्विसेज की तैयारी करूंगी। मैंने अपने लिए दोनों ऑप्शन खुले रखे हैं।'

Friday, July 11, 2014

कौन ज्यादा खूबसूरत, कारें या सवारी?

दुनिया भर के कार निर्माताओं के लिए ऑटो एक्सपो का मंच सजकर तैयार हो गया है। एक्सपो में करीब 69 मॉडलों के वाहन लांच होंगे। प्रियंका की द‌िलकश अदाएं और जैगुआर कार की चमक कुछ ऐसी थी, इसके अलावा लोग कहीं जा ही नहीं रहे थे। 

चेहरे से मनोभाव पढ़ लेगा नया सॉफ्टवेयर

 एक अमेरिकी कंपनी ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर विकसित किया है, जो किसी व्‍यक्ति के चेहरे के भावों को पढ़कर बता सकेगा कि वह कैसा महसूस कर रहा है। इतना ही नहीं, सॉफ्टवेयर यह भी बता सकेगा कि कोई व्यक्ति झूठी हंसी तो नहीं हंस रहा है। 
'फेसेट" नामक इस सॉफ्टवेयर में हंसी, दुख, गुस्से, भय जैसे सातों तरह के मनोभावों का पता लगाने के लिए एक सामान्य डिजिटल कैमरे का इस्तेमाल किया गया है। कैलिफोर्निया स्थित कंपनी इमोशंट के सह-संस्थापक व प्रमुख शोधकर्ता मरियान बार्टलेट ने बताया कि आमतौर पर लोगों के कहने, करने और सोचने में काफी अंतर होता है। वे कहते कुछ हैं, सोचते कुछ हैं और करते कुछ हैं।
यह सॉफ्टवेयर महज एक तस्वीर के जरिए व्यक्ति के चेहरे पर उभरे भावों को पढ़कर इस अंतर को काफी हद तक कम कर सकता है। किसी वीडियो के दौरान 'फेसेट" का इस्तेमाल ज्यादा सटीक नतीजे दे सकता है। वीडियो के दौरान सॉफ्टवेयर के लिए सूक्ष्म मनोभावों को पकड़ना भी आसान हो जाता है। यहां तक की चेहरे पर कोई भाव नहीं होने की स्थिति में भी सूक्ष्म मनोभाव उभरते रहते हैं। इन्हें आंखों से पहचानना संभव नहीं है, लेकिन सॉफ्टवेयर की मदद से इनका अध्ययन किया जा सकता है। बार्टलेट ने कहा कि 'फेसेट" झूठी हंसी को भी पकड़ लेगा। लोग जब वास्तव में हंसते हैं, तो ओरबिक्युलरीज् ओकुलीना की एक मांसपेशी सिकुड़ती है, जिससे चेहरे पर झुर्रियां पैदा होती हैं। यह सॉफ्टवेयर चेहरे पर पड़ी झुर्रियों के आधार पर बता सकता है कि हंसी झूठी है या सच्ची।

दोस्त का चेहरा हो सकता है नया पासवर्ड!

कोटा।  शब्दों के पासवर्ड का दौर खत्म होने वाला है। आने वाले समय में परिचितों के चेहरे पासवर्ड की जगह ले सकते हैं। दशकों के मनोवैज्ञानिक शोध से पता चला है कि इंसान तस्वीरों की विस्तृत श्रृंखला में अपने परिचित चेहरों को पहचान सकता है। वह तस्वीर की गुणवत्ता खराब होने पर भी ऐसा कर सकता है। इसके विपरीत अनजान चेहरों को पहचानने में अक्सर कठिनाई होती है। फेसलॉक नामक नई प्रणाली में इसी मनोवैज्ञानिक प्रभाव का इस्तेमाल कर पासवर्ड सत्यापन प्रणाली का नया प्रकार तैयार किया गया है।
इसका विस्तृत विवरण पीरजे जर्नल में प्रकाशित किया गया है। इस प्रणाली में उपयोगकर्ताओं ने चेहरों के एक समूह को नामित किया जो उनके लिए तो भली प्रकार परिचित थे लेकिन दूसरों के लिए अनजान थे। शोधकर्ताओं ने पाया कि इस प्रकार से चेहरों को बनाना आश्चर्यजनक रूप से आसान था। प्रमुख लेखक और यूनिवर्सिटी ऑफ यॉर्क के डॉ. रॉब जेनकिंस ने कहा कि यह एकमात्र प्रणाली है जो विश्वसनीय ढंग से परिचित मानव चेहरों को पहचान सकती है।

Thursday, July 10, 2014

विडियो कॉलिंग के साथ स्मार्टवाच

 स्पाइस ने पहला ऐसा स्मार्टवाच लांच किया जो सिम स्लॉट के साथ आया है। वियरेबल डिवाइस के अंतर्गत आने वाला यह स्मार्ट पल्स एम 9010 स्मार्टवाच विडियोकॉलिंग की सुविधा भी देगा। डुअल सिम सपोर्ट के साथ आने वाले फैशनेबल स्मार्टपल्स को फोन की तरह भी उपयोग में लाया जा सकता है। 
4 सेमी टचस्क्रीन वाला यह डिवाइस ब्लूटूथ हेडफोन के साथ है जिसके सहारे इसका उपयोग फोन के तौर पर आसानी से किया जा सकता है। इसपर आप इंटरनेट के उपयोग के साथ टेक्सट मैसेज को पढ़ भी सकते हैं और लिख भी सकते हैं।होम शॉप 18 पर 3,999 रुपये की कीमत पर मिलने वाला या स्मार्टवाच भारत में 11 जुलाई से उपलब्ध हो जाएगा। खास बात यह है कि आप अपने पसंद से इसके रिस्ट बैंड्स को बदल सकते हैं।इस स्मार्टवाच को ब्लूटूथ के सहारे किसी भी एंड्रॉयड स्मार्टफोन के साथ जोड़ा जा सकता है और इसके बाद आप उन तमाम फीचर्स का इस्तेमाल कर सकते हैं जो एक एंड्रॉयड स्मार्टफोन पर इस्तेमाल किए जाते हैं जैसे कैमरे के फंक्शन को कंट्रोल करना, गाने सुनना, नोटिफिकेशन देखना और सोशल मीडिया से जुड़े एप डाउनलोड करना। इसमें 3जी नेटवर्क सपोर्ट नहीं है, यह केवल 2जी नेटवर्क पर ही काम करता है इसके अलावा इसमें ई-मेल की सुविधा नहीं है।

Wednesday, July 9, 2014

अब एसएमएस और ईमेल से मिलेगी इनकम टैक्स रिटर्न की अपडेट

दिनेश माहेश्वरी
कोटा ।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट जल्दी ही टैक्सपेयर्स को इनकम टैक्स रिफंड की जानकारी एसएमएस और ईमेल के माध्यम से देना शुरू करेगा। इसके अलावा अगर टैक्स रिटर्न की फाइलिंग से संबंधित कोई समस्या होगी, तो उसकी जानकारी भी इसी माध्यम से दी जाएगी।
विभाग के सिस्टम्स विंग ने एक सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर प्लेटफॉर्म स्थापित किया है। इलेक्ट्रॉनिक या मैनुअल आधार पर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने वालों के व्यक्तिगत मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी के संग्रह और देखरेख की जिम्मेदारी अब इसी प्लेटफॉर्म के पास होगी।
 ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर देना अनिवार्य
गौरतलब है कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) ने इस साल (यानि आकलन वर्ष 2014-15) से टैक्स रिटर्न भरने वालों के लिए अपना पर्सनल ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर देना अनिवार्य कर दिया है। साथ ही रिटर्न भरते समय ही यह जांच कर ली जाएगी कि आवेदक ने अपना मोबाइल नंबर सही भरा है या नहीं।
 खाली नहीं छोड़ सकते कॉलम
विभाग ने साफ किया है कि आयकर रिटर्न के लिए आवेदन करते समय ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर का कालम खाली नहीं छोड़ा जा सकता। यदि किसी के पास अपना खुद का मोबाइल नंबर नहीं है तो वह अपने निकट संबंधी या विश्वसनीय व्यक्ति का मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी भी दे सकता है। एक ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर अधिकतम 10 अलग-अलग आवेदकों की प्राथमिक आईडी और मोबाइल नंबर के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।
 ओटीपी से होगी वैधता की जांच
दिए गए मोबाइल नंबर पर आवेदक को विभाग की ओर से भेजी जाने वाली सूचनाएं मिल रही हैं या नहीं, इसकी जांच के लिए विभाग उस नंबर पर एक वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) भेजेगा, जिसके बिना ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन पत्र स्वीकार नहीं किए जाएंगे।
विभाग ने बताया है कि सभी आवेदकों की ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर का एक डाटाबेस तैयार किया जा रहा है जिससे करदाताओं को रियल टाइम सूचनाएं दी जा सकेंगी।  यह वैसा ही होगा जैसे एटीएम से पैसे निकालते ही आपके पास इसकी सूचना आ जाती है।
 दे सकते हैं दूसरा नंबर भी
एक बार पंजीकृत मोबाइल नंबर को बाद में बदला भी जा सकता है। आवेदक ज्यादा सुरक्षा के लिए प्राथमिक के अलावा दूसरा मोबाइल नंबर भी पंजीकृत करवा सकता है। दूसरे नंबर के तौर पर किसी नंबर को जितने आवेदक चाहें पंजीकृत करा सकते हैं।
यह भी बताया गया है कि दूसरे नंबर पर भी सभी सूचनाएं भेजी जाएंगी। इसका लाभ यह भी होगा कि एक फोन खो जाने या खराब हो जाने पर भी दूसरे नंबर पर सूचनाएं और ओटीपी प्राप्त किया जा सकेगा। नए प्रावधानों के तहत आवेदक को लॉग-इन पासवर्ड बदलने के लिए भी ओटीपी डालकर अपनी वैधता साबित करनी होगी। 
 

Wednesday, July 2, 2014

रावतभाटा परमाणु बिजलीघर ने बनाया रिकॉर्ड, 19 साल पुराना कनाडा का कीर्तिमान तोड़ा

दिनेश माहेश्वरी
कोटा।
राजस्थान परमाणु बिजलीघर की 220 मेगावाट की 5वीं इकाई ने मंगलवार दोपहर डेढ़ बजे लगातार बिजली उत्पादन के 697 दिन पूरे कर लिए। इसके साथ ही 5वीं इकाई ने कनाडा के 19 साल पुराने वल्र्ड रिकॉर्ड को तोड़ दिया। 31 विकसित और विकासशील देशों में बिजली उत्पादन कर रहे 436 परमाणु बिजली घरों के 60 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है। इस इतिहास के अलावा हम सबसे ज्यादा दिन बिजली उत्पादन करने वाले देश अमेरिका और कनाडा के समूह में भी शामिल हो गए। इसके पहले कनाडा के ब्रूस परमाणु बिजली घर की 8वीं इकाई ने 1993 से 1995 तक लगातार बिजली उत्पादन का 697 दिन का विश्व रिकॉर्ड बनाया था। हमारी इकाई ने एशिया के देशों में सर्वाधिक दिन उत्पादन करने वाली इकाई का रिकॉर्ड पहले ही तोड़ दिया था।

लागत से ज्यादा बनाई बिजली 
बिजलीघर की 5वीं इकाई ने कुल 1255 करोड़ की बिजली बनाई है। इकाई की लागत लगभग 1200 करोड़ रुपए थी। इकाई ने लागत से ज्यादा बिजली का उत्पादन किया है। 
प्रतिदिन 1.8 करोड़ की बिजली  
इकाई की विद्युत उत्पादन क्षमता 220 मेगावाट है। इससे रोज 1.8 करोड़ की बिजली पैदा होती है। एक बार ट्रिप होने पर 3 दिन में इकाई को फिर शुरू किया जा सकता है। 
> लगातार 697 दिन किया बिजली का उत्पादन
> 1255 करोड़ की बिजली बनाई है 2 अगस्त, 2012 से मंगलवार तक।
> 1200 करोड़ रुपए लागत है इस इकाई की।
> 436 परमाणु बिजलीघर हैं दुनिया के 31 विकसित और विकासशील देशों में।
 ...तो टूट जाएगा अमेरिका का रिकॉर्ड

राजस्थान परमाणु बिजली घर की 5 वीं इकाई से एईआरबी ने 31 जुलाई तक उत्पादन की अनुमति दे रखी है, तब तक 727 दिन हो जाएंगे। उसके बाद कुछ और दिन उत्पादन किया तो अमेरिका का रिकॉर्ड टूट जाएगा। अमेरिका के लाइट वाटर रिएक्टर लासाले का रिकॉर्ड 739 दिन का है। जबकि भारी पानी आधारित विश्व के सभी परमाणु बिजली घरों के रिकॉर्ड अपनी 5वीं इकाई तोड़ चुकी है। निदेशक विनोद कुमार के अनुसार 31 अगस्त तक बिजली उत्पादन की अनुमति मिली तो हम अमेरिका से आगे हो जाएंगे।

एक किलो देशी घी पर 20 रुपए टैक्स

कोटा।   में कुछ वस्तुओं पर सरकार दो-दो तरह के टैक्स वसूल रही है, जिससे आम जनता को रोजमर्रा में काम आने वाली शक्कर और घी जैसी कई खाद्य वस्तुओं की लागत बढ़ रही है। 300 रुपए लीटर के देशी घी पर 20 रुपए टैक्स वसूला जा रहा है। व्यापारियों का कहना है सरकार खुद मुनाफाखोरी कर रही है। उन्होंने आने वाले राज्य बजट में टैक्स समाप्त करने की मांग की है।
व्यापारी राजेन्द्र कुमार जैन ने बताया कि देशी घी पर पांच प्रतिशत वैट और 1.60 रुपए मंडी शुल्क लगता है। यदि एक किलो देशी घी ग्राहक खरीदता है तो उस पर 20 रुपए सरकार टैक्स ले लेती है। सरकार को जनता को राहत देने के लिए मंडी शुल्क समाप्त करना चाहिए। उनका कहना है कि राजस्थान को छोड़कर किसी राज्य में देशी घी पर मंडी शुल्क नहीं है। शहर में हर महीने कम से कम 20 टन देशी घी की खपत होती है। इस हिसाब से सरकार को हर महीने चार लाख रुपए टैक्स मिलता है। देशी घी कोई कृषि उत्पादन नहीं है, जिस पर मंडी शुल्क वसूला जाए। इसी तरह गुड़ पर भी दो तरह के टैक्स हैं।
शक्कर के थोक विक्रेता वासु जेठवानी ने बताया कि शक्कर पर 0.25 एंट्री टैक्स और 1.60 रुपए मंडी शुल्क लगता है। राजस्थान को छोड़कर शक्कर पर मंडी शुल्क कहीं नहीं लगता है। इससे झालावाड़ जिले के व्यापारी मध्यप्रदेश से शक्कर मंगाते हैं। एक क्विंटल शक्कर पर कम से कम 75 से 100 रुपए का फर्क पड़ता है। यहां के उपभोक्ताओं को एक रुपए किलो चीनी महंगी खरीदनी पड़ती है। सरकार यदि बजट मेंं मंडी शुल्क समाप्त कर दे तो उपभोक्ताओं की शक्कर सस्ती मिलेगी।

14 जुलाई से नहीं चलेंगे नॉन सीटीएस चेक

दिनेश माहेश्वरी
कोटा
| नॉन सीटीएस चेक अब नहीं चलेंगे। इसके लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 30 जून 14 अंतिम तारीख तय की थी, जो समाप्त हो चुकी है। पहली जुलाई से बैंकों को इसे लागू करना था। अभी भी कुछ बैंक इसे लागू नहीं कर पाए हैं, इसलिए डेड लाइन 14 जुलाई कर दी है। नए सिस्टम में अब क्लियरिंग हाउस में चेक की जगह उसकी इमेज की फाइल भेजी जाएगी। बैंकों को अपने यहां सीटीएस (Cheque Truncation System) चेक के लिए एक नया सॉफ्टवेयर डाउनलोड करना है।नॉन सीटीएस चेक क्लियर नहीं होंगे। माइकर चेक बुक भी यूजलेस हो जाएगी। कहीं ग्राहक ने लोन के बदले किसी को पुराने चेक दे रखे हों तो वह वापस ले लें। माइकर चेक क्लियरिंग हाउस का कहना है कि अभी भी करीब 20 बैंक ऐसे हैं, जिन्होंने अपने यहां सीटीएस चेक के लिए कंप्यूटर में सॉफ्टेवयर डाउनलोड नहीं किया है। 

12 हजार की जगह 5 हजार चेक ही : 
माइकर क्लियरिंग हाउस सेंटर के अधिकारियों का कहना है कि पहले शहर में माइकर चेक सिस्टम लागू हुआ था, तब इसकी शुरुआत हुई थी। अब सीटीएस आने के बाद माइकर सेंटर की उपयोगिता नहीं रहेगी। माइकर सेंटर के पास 38 बैंकों के पहले रोजाना 10 से 12 हजार चेक आते थे, अब मात्र 4000 से 5000 ही रह गए हैं। क्योंकि अब क्लियरिंग हाउस के पास चेक नहीं बल्कि चेकों की इमेज की फाइल भेजी जाएगी। वहीं से चेक क्लियर होकर संबंधित बैंकों के पास उनकी इमेज वापस अपलोड होगी। सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया के चीफ मैनेजर आरसी बिरला ने बताया कि उनकी गोरधनपुरा सर्किल ब्रांच में दो दिन पहले ही सीटीएस चेक क्लियरिंग के लिए नया सॉफ्टेवयर डाला जा चुका है। एसबीबीजे की एरोड्रम सर्किल शाखा के चीफ मैनेजर आरके जैन ने बताया कि उनकी ब्रांच में भी सॉफ्टेवयर डाउनलोड हो चुका है।
20 बैंक अभी भी बाकी
॥सीटीएस चेक के संबंध में बैंकों के लिए रिजर्व बैंक की गाइड लाइन 30 जून थी, जो अब बढ़ाकर 14 जुलाई कर दी गई है। इसी बीच बैंकों को अपने यहां सीटीएस चेक के लिए कंप्यूटर में सॉफ्टवेयर डाउनलोड करना होगा। अधिकांश बैंकों ने अंतिम तिथि तक यह काम कर लिया। फिर भी करीब 20 बैंक ऐसे हैं, जिन्होंने यह काम नहीं किया।
-केसी मीणा, इंचार्ज माइकर चेक क्लियरिंग हाउस