Wednesday, July 2, 2014

एक किलो देशी घी पर 20 रुपए टैक्स

कोटा।   में कुछ वस्तुओं पर सरकार दो-दो तरह के टैक्स वसूल रही है, जिससे आम जनता को रोजमर्रा में काम आने वाली शक्कर और घी जैसी कई खाद्य वस्तुओं की लागत बढ़ रही है। 300 रुपए लीटर के देशी घी पर 20 रुपए टैक्स वसूला जा रहा है। व्यापारियों का कहना है सरकार खुद मुनाफाखोरी कर रही है। उन्होंने आने वाले राज्य बजट में टैक्स समाप्त करने की मांग की है।
व्यापारी राजेन्द्र कुमार जैन ने बताया कि देशी घी पर पांच प्रतिशत वैट और 1.60 रुपए मंडी शुल्क लगता है। यदि एक किलो देशी घी ग्राहक खरीदता है तो उस पर 20 रुपए सरकार टैक्स ले लेती है। सरकार को जनता को राहत देने के लिए मंडी शुल्क समाप्त करना चाहिए। उनका कहना है कि राजस्थान को छोड़कर किसी राज्य में देशी घी पर मंडी शुल्क नहीं है। शहर में हर महीने कम से कम 20 टन देशी घी की खपत होती है। इस हिसाब से सरकार को हर महीने चार लाख रुपए टैक्स मिलता है। देशी घी कोई कृषि उत्पादन नहीं है, जिस पर मंडी शुल्क वसूला जाए। इसी तरह गुड़ पर भी दो तरह के टैक्स हैं।
शक्कर के थोक विक्रेता वासु जेठवानी ने बताया कि शक्कर पर 0.25 एंट्री टैक्स और 1.60 रुपए मंडी शुल्क लगता है। राजस्थान को छोड़कर शक्कर पर मंडी शुल्क कहीं नहीं लगता है। इससे झालावाड़ जिले के व्यापारी मध्यप्रदेश से शक्कर मंगाते हैं। एक क्विंटल शक्कर पर कम से कम 75 से 100 रुपए का फर्क पड़ता है। यहां के उपभोक्ताओं को एक रुपए किलो चीनी महंगी खरीदनी पड़ती है। सरकार यदि बजट मेंं मंडी शुल्क समाप्त कर दे तो उपभोक्ताओं की शक्कर सस्ती मिलेगी।

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