कोटा। शब्दों के पासवर्ड का दौर खत्म होने वाला है। आने वाले समय में परिचितों के चेहरे पासवर्ड की जगह ले सकते हैं। दशकों के मनोवैज्ञानिक शोध से पता चला है कि इंसान तस्वीरों की विस्तृत श्रृंखला में अपने परिचित चेहरों को पहचान सकता है। वह तस्वीर की गुणवत्ता खराब होने पर भी ऐसा कर सकता है। इसके विपरीत अनजान चेहरों को पहचानने में अक्सर कठिनाई होती है। फेसलॉक नामक नई प्रणाली में इसी मनोवैज्ञानिक प्रभाव का इस्तेमाल कर पासवर्ड सत्यापन प्रणाली का नया प्रकार तैयार किया गया है।
इसका विस्तृत विवरण पीरजे जर्नल में प्रकाशित किया गया है। इस प्रणाली में उपयोगकर्ताओं ने चेहरों के एक समूह को नामित किया जो उनके लिए तो भली प्रकार परिचित थे लेकिन दूसरों के लिए अनजान थे। शोधकर्ताओं ने पाया कि इस प्रकार से चेहरों को बनाना आश्चर्यजनक रूप से आसान था। प्रमुख लेखक और यूनिवर्सिटी ऑफ यॉर्क के डॉ. रॉब जेनकिंस ने कहा कि यह एकमात्र प्रणाली है जो विश्वसनीय ढंग से परिचित मानव चेहरों को पहचान सकती है।
इसका विस्तृत विवरण पीरजे जर्नल में प्रकाशित किया गया है। इस प्रणाली में उपयोगकर्ताओं ने चेहरों के एक समूह को नामित किया जो उनके लिए तो भली प्रकार परिचित थे लेकिन दूसरों के लिए अनजान थे। शोधकर्ताओं ने पाया कि इस प्रकार से चेहरों को बनाना आश्चर्यजनक रूप से आसान था। प्रमुख लेखक और यूनिवर्सिटी ऑफ यॉर्क के डॉ. रॉब जेनकिंस ने कहा कि यह एकमात्र प्रणाली है जो विश्वसनीय ढंग से परिचित मानव चेहरों को पहचान सकती है।
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