Sunday, July 13, 2014

IIT में ऐडिमशन पिछले साल से ज्यादा मुश्किल

इस बार आईआईटी के एंट्रेस टेस्ट में 13 लाख 60 हजार स्टूडेंट्स बैठे, जिनमें सिर्फ 27,151 पास हो सके। इससे पता चलता है कि साल दर साल आईटीआई एंट्रेंस टेस्ट पास करना कितना मुश्किल होता जा रहा है।
लीडिंग कोचिंग चेन फिट्जी के मुंबई टेरिटरी हेड मोहित सरदाना ने कहा, 'पिछले साल 360 में 132 स्कोर करने वाले स्टूडेंट्स 10000 की रैंकिंग में आ गए थे, लेकिन इस साल उन्हें पिछले साल जितनी रैंकिंग पाने के लिए 150 नंबर की जरूरत है।' इस साल 9784 सीटें उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा, 'कुल मिलाकर स्थिति यह है कि कॉम्पिटिशन बढ़ गया है।' आईआईटी की सीट हासिल करने के लिए स्टूडेंट्स को दो सबसे कॉम्पिटिटिव एग्जाम देने होते हैं। पहला जेईई (मेन) होता है, जो सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) कराता है। इसमें कामयाब होने वाले 1.5 लाख कैंडिडेट्स जेईई (एडवांस्ड) के लिए क्वॉलिफाई करते हैं, लेकिन इस एग्जाम में बैठने के लिए स्टूडेंट का XII बोर्ड के टॉप 20 पर्सेंटाइल में होना जरूरी है।इस साल हर स्टेज पर कॉम्पिटिशन बढ़ा है। 2014 में 13.56 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स जेईई (मेन) में शामिल हुए, जो पिछले साल के 12.6 लाख स्टूडेंट्स से 7.6 परसेंट ज्यादा है। इस साल जेईई (एडवांस्ड) में 1.26 लाख स्टूडेंट्स रजिस्टर्ड हुए जबकि पिछले साल इनकी संख्या 1.23 लाख थी। इस साल के जेईई (एडवांस्ड) टॉपर कोटा से पढ़ाई करने वाले चित्रांग मुर्डिया हैं, जिन्होंने 360 में 334 नंबर हासिल किए। 

हाल ही  जारी जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम (जेईई) ऐडवांस्ड रिजल्ट में पिछले साल से 6,360 ज्यादा स्टूडेंट्स क्वॉलिफाइड पाए गए, जबकि इस साल सीटें पिछली बार से कुछ कम हैं। इससे कामयाब स्टूडेंट्स के बीच कॉम्पिटीशन बढ़ गया है।ऐडमिशन के लिए उपलब्ध सीटें चार कैटिगरी में बांटी जाती हैं और क्वॉलिफाइड कैंडिडेट्स की संख्या हर कैटिगरी में बढ़ी है। आईआईटी-खड़गपुर जेईई ऑफिस के प्रोफेसर इंचार्ज एम के पाणिग्रही ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया, 'ज्यादा स्टूडेंट्स के क्वॉलिफाई करने से कॉम्पिटिशन मुश्किल हो गया है क्योंकि कट ऑफ पिछले साल जितना ही है।'
फीमेल कैंडिडेट्स में आईआईटी रुड़की जोन से अदिति ऑल इंडिया रैंकिंग में सातवें नंबर पर आईं। टॉप 100 में सिर्फ पांच फीमेल कैंडिडेट्स रहीं। अदिति आईआईटी-दिल्ली से कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग में दाखिला चाहती हैं। 17 साल की अदिति ने कहा, 'मैं आगे चलकर इंजीनियरिंग फील्ड में ही रहना चाहूंगी। नहीं तो, सिविल सर्विसेज की तैयारी करूंगी। मैंने अपने लिए दोनों ऑप्शन खुले रखे हैं।'

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