Saturday, July 26, 2014

इंश्योरेंस पॉलिसी से हर साल रिन्यूअल की टेंशन खत्म होगी

जल्द ही आपके लिए ऐसी पॉलिसी आ सकती है जिससे हर साल इंश्योरेंस कवर लेने की दिक्कत दूर हो जाएगी। इंश्योरेंस रेग्युलेटर इरडा इंश्योरेंस कंपनियों के लिए एक बार में पांच साल का कवर देने वाली पॉलिसी ऑफर करने के प्रपोजल पर विचार कर रहा है। रेग्युलेटर जल्द ऐसे लॉन्ग टर्म प्रॉडक्ट्स पर नए गाइडलाइंस जारी कर सकता है। ये पॉलिसी सस्ती भी होंगी।
इरडा के एक अधिकारी ने बताया, 'कुछ इंश्योरेंस कंपनियों ने ऐसे प्रस्ताव सौंपे हैं और हम उनकी समीक्षा कर रहे हैं। हम सबसे पहले दोपहिया गाड़ी सेगमेंट के लिए ऐसी पॉलिसी से शुरुआत कर सकते हैं।' उन्होंने कहा कि अब तक के अनुभव को देखते हुए लगता है कि कमर्शल गाड़ियों के लिए भी ऐसे प्रॉडक्ट्स लॉन्च किए जा सकते हैं। रेग्युलेटर का मकसद ऐसी लॉन्ग टर्म पॉलिसी से खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में इंश्योरेंस को बढ़ावा देना है। इरडा के अधिकारियों ने बताया, 'कई कंपनियों ने कहा है कि इंश्योरेंस रिन्यू नहीं हो रहे हैं। इसलिए हमें लॉन्ग टर्म प्रॉडक्ट्स लाना चाहिए। इससे इंश्योरेंस कल्चर को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।'
देश में इंश्योरेंस की पहुंच 2009-10 के 5.2 पर्सेंट से घटकर 2012-13 में 3.96 पर्सेंट रह गई। देश में जनरल इंश्योरेंस की पहुंच सिर्फ 0.78 पर्सेंट है। मोटर सेगमेंट का प्रीमियम कलेक्शन 2012-13 में 29,777 करोड़ रुपये था। यह कदम तब उठाया जा रहा है, जब सरकार इंश्योरेंस सेक्टर को खोलने और इसमें 49 पर्सेंट एफडीआई को इजाजत देने के बारे में सोच रही है। इंडिया में 17 प्राइवेट और 4 पीएसयू जनरल इंश्योरेंस कंपनियां हैं।
केपीएमजी की रिपोर्ट के मुताबिक, इंश्योरेंस की पहुंच इतनी कम होने की वजह इसको लेकर जागरूकता और जनरल इंश्योरेंस प्रॉडक्ट्स की समझ नहीं होना है। लोगों को लगता है कि इससे उनको कम बेनेफिट मिलता है। ये इंश्योरेंस फाइनैंसर के दबाव और कानूनी तौर पर जरूरी होने की वजह से खरीदे जाते हैं। जनरल इंश्योरेंस कंपनियों को भी लगता है कि ऐसे प्रॉडक्ट से रिन्युअल बिजनेस को बढ़ावा मिलेगा, जो ग्रामीण इलाकों में बहुत कम है।

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