Saturday, July 26, 2014

एक हजार करोड़ का रेवेन्यु, वाणिज्यिक कर विभाग के पास भवन नहीं

कोटा। वाणिज्यिक कर विभाग के नए भवन के लिए इस बार के बजट में लीज राशि मंजूर नहीं हुई। जबकि यह विभाग सालाना एक हजार करोड़ का राजस्व देता है। पिछले बजट में जो राशि मंजूर हुई तो वह पीडब्ल्यूडी द्वारा यूआईटी में लीज जमा नहीं होने से लैप्स हो गई।
 विभाग के संभाग स्तर के कार्यालय को तीन साल पहले यूआईटी से कर भवन बनाने के लिए रावतभाटा रोड पर टैगोर नगर में 2594 वर्गमीटर भूमि मुफ्त में मिली थी। दो साल हो गए बजट नहीं मिलने से इसकी रजिस्ट्री नहीं हो पाई। पिछली सरकार के वक्त वर्ष 2013-14 में यूआईटी में लीज जमा कराने के लिए 12.74 करोड़ रुपए पीडब्ल्यूडी को मिले थे। लेकिन, समय पर यूआईटी में लीज जमा नहीं होने से राशि लैप्स हो गई। अधिकारियों ने फिर से इसके लिए राज्य सरकार को लिखा है।
 यह महकमा एबी सर्किल, स्पेशल, वर्क्स   टैक्स और एंटी इवेजिन शाखाओं में बंटा है। दो मंजिला पुराने जीर्ण-शीर्ण भवन में पूरे जोन का कार्यालय संचालित किया जा रहा है। जिसमें कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़ जिले और रामगंजमंडी तक का एरिया शामिल है। अकेले कोटा कार्यालय में ही 125 से अधिक कर्मचारियों का स्टाफ है। कंप्यूटर के युग में सीलन और बदबूदार कमरों में न तो कोई कर्मचारी बैठना पसंद करता है और न करदाता डीलर।
 डीलर्स का काम पड़ता है तो वह एक सर्किल से दूसरे सर्किल की भूल भुलैया बिल्डिंग में ही भटकता रहता है। स्टाफ का भी मानना है कि पूरा विभाग अब ऑनलाइन हो चुका है, लेकिन अभी भी जर्जर भवन में ही ऑफिस चला रखा है। कमरे इतने छोटे हैं कि पुराने दस्तावेज संभालने के लिए भी जगह कम पड़ती है।
लीज के लिए राशि नहीं मिली
कर भवन की भूमि की लीज जमा कराने के लिए इस बार के बजट में कोई राशि नहीं मिली। इसके लिए कमिश्नर को लिखा है। -एनके गुप्ता, डिप्टी कमिश्नर, वाणिज्यिक कर विभाग

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