Monday, November 24, 2014

बिना इंटरनेट कनेक्शन के भी जल्द होगी फोन बैंकिंग

दिनेश माहेश्वरी 
कोटा।   बैंकिंग की दुनिया बदलने जा रही है। अब बिना इंटरनेट कनेक्शन के बेसिक हैंडसेट से कस्टमर्स अपने बैंक से सभी लेन-देन जल्द ही कर पाएंगे। टेलीकॉम रेगुलेटर इसके लिए टेलीकॉम कंपनियों को मोबाइल पेमेंट कंपनियों की मदद करने के लिए कहेगा। कई टेलीकॉम कंपनियां कुछ साल से इसका विरोध करती आई हैं।
टेलीकॉम कंपनियां इसमें लोकल और इंटरनेशनल पेमेंट कंपनियों की मदद कर सकती हैं। इनमें वीजा की एसोसिएट कंपनी भी शामिल है जो रेगुलेटर और सरकार से टेलीकॉम कंपनियों के अनस्ट्रक्चर्ड सप्लीमेंटरी सर्विस डेटा (यूएसएसडी) चैनल के इस्तेमाल की मंजूरी मांग रही है। यूएसएसडी सिंपल टेक्स्ट मेसेजिंग सिस्टम है जिसका यूज करके मोबाइल फोन सब्सक्राइबर्स फंड ट्रांसफर, बैंक खाते में पड़ी रकम की जानकारी, बिल पेमेंट, चेक कैंसल, चेकबुक रिक्वेस्ट और एकाउंट स्टेटमेंट हासिल करने जैसे काम कर सकते हैं। यहां तक कि बुक और म्यूजिक की शॉपिंग भी डेबिट या क्रेडिट कार्ड के जरिये की जा सकती है। इस सिस्टम के तहत 2जी या 3जी कनेक्टिविटी या किसी स्मार्टफोन के बगैर कस्टमर्स *67# या टेलीकॉम कंपनियों की ओर से दिए गए किसी खास नंबर को टाइप करके बैंक से 'बात' कर सकते हैं।
पिछले हफ्ते हुई मीटिंग में मोविडा के एग्जिक्यूटिव्स ने टेलीकॉम कंपनियों से यूएसएसडी कोड हासिल करने में टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) की मदद मांगी थी। मोविडा में वीजा और ब्रिटेन की कंपनी मॉनिटाइज की बराबर की हिस्सेदारी है। करीब डेढ़ महीने पहले मोविडा ने यूएसएसडी कोड के लिए ट्राई को लेटर लिखा था। इससे पहले टेलीकॉम कंपनियों ने हील-हुज्जत के बाद सरकारी पेमेंट गेटवे, नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के साथ अपना इंफ्रास्ट्रक्चर साझा करने की सहमति दी थी।
मोदी सरकार के फाइनेंशियल इनक्लूजन प्रोग्राम में एनपीसीआई का अहम रोल है। वीजा और मास्टरकार्ड जैसी कंपनियों का मानना है कि सरकार को पेमेंट कंपनियों को बराबरी का मौका दिलाना चाहिए। उनके मुताबिक, यूएसएसडी कोड सिर्फ एनपीसीआई जैसी एक एंटिटी को नहीं मिलना चाहिए। हालांकि मास्टरकार्ड ने अब तक इस मामले में सरकार से संपर्क नहीं किया है।
इस मामले में बातचीत से वाकिफ एक अन्य सूत्र ने कहा, 'ट्राई ने मोविडा को भरोसा दिलाया है कि वह टेलीकॉम कंपनियों से यूएसएसडी कोड मांगेगा। वह इसके लिए डेडलाइन भी तय करेगा। हालांकि इस तरह की सर्विस के लिए मोबाइल पेमेंट कंपनियों को किसी बैंक से ऑथराइजेशन हासिल करना होगा।'

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