Wednesday, November 26, 2014

डिजिटल प्रमाण देगा जिन्दा होने का सबूत

दिनेश माहेश्वरी 
कोटा।  पेंशनभोगियों को अब हर साल नवंबर में सरकारी दफ्तर में हाजिर होकर खुद के जिंदा होने का सुबूत देने की जरूरत नहीं होगी। सरकार ने "आधार" पर आधारित डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट "जीवन प्रमाण" की सुविधा शुरू की है, जिसके जरिये पेंशनभोगी अपने घर बैठे ही यह प्रमाण दे सकेगा।
डिजिटल प्रमाणन से खत्म होगी परेशानी
"जीवन प्रमाण" की सुविधा शुरू करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वतः-प्रमाणन का रास्ता साफ करने के बाद यह डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट एक और सक्षम एवं कारगर व्यवस्था है, जिससे आम आदमी लाभान्वित होगा। प्रस्तावित डिजिटल प्रमाणन से पेंशनभोगियों के लिए वह अनिवार्यता खत्म हो जाएगी जिसके तहत उन्हें हर वर्ष नवंबर में खुद जाकर लाइफ सर्टिफिकेट पेश करना पड़ता है, ताकि उनके खाते में पेंशन राशि आती रहे।
ऐसे होगा जिंदा होने का सत्यापन
"जीवन प्रमाण" के लिए सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन का विकास इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी विभाग ने किया है। इस सॉफ्टवेयर में एक बॉयोमीट्रिक रीडिंग डिवाइस लगाई जाएगी और फिर इसकी मदद से पेंशनभोगी के "आधार" नंबर एवं बॉयोमीट्रिक ब्योरे को उसके मोबाइल अथवा कंप्यूटर से दर्ज किया जा सकेगा।पेंशनभोगियों से जुड़े महत्वपूर्ण विवरण को वास्तविक समय में एक केंद्रीय डाटाबेस पर अपलोड किया जाएगा, जिसमें तारीख, समय और बॉयोमीट्रिक सूचनाएं शामिल होंगी। इस व्यवस्था से पेंशन वितरण करने वाली एजेंसी के लिए डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट हासिल करना संभव हो जाएगा। इस प्रक्रिया से इस बात की पुष्टि हो जाएगी कि सत्यापन के समय पेंशनभोगी जिंदा था।
पहले खुद होना पड़ता था पेश
इससे पहले पेंशनभोगियों को अनिवार्य रूप से व्यक्तिगत रूप में पेंशन वितरण करने वाली एजेंसी के समक्ष खुद पेश होना पड़ता था या केंद्रीय पेंशन लेखांकन कार्यालय (सीपीएओ) से निर्दिष्ट किए गए प्राधिकरणों की ओर से जारी लाइफ सर्टिफिकेट पेश करना पड़ता था।
स्मार्ट फोन से भी एप्लीकेशन प्रणाली का संचालन संभव
सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन प्रणाली पेंशनभोगियों एवं अन्य पक्षों को बड़े पैमाने पर किसी अतिरिक्त खर्च के बगैर ही उपलब्ध कराई जाएगी। सस्ती बायोमीट्रिक रीडिंग डिवाइस के साथ इसका संचालन पर्सनल कंप्यूटर अथवा स्मार्टफोन पर किया जा सकता है। राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना के तहत संचालित किए जा रहे कॉमन सर्विस सेंटर पर भी यह सुविधा सुलभ कराई जाएगी, ताकि दूर-दराज के क्षेत्रों में रहने वाले पेंशनभोगी इससे लाभान्वित हो सकें।

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