Saturday, June 25, 2016

EPF के पेंशनर्स को मिल सकती है 8.16% ज्यादा रकम

दिनेश माहेश्वरी
कोटा। पेंशन सुविधा वाले ऐसे लोगों को दो वर्षों के लिए उनकी पेंशन के 8.16 पर्सेंट के बराबर अतिरिक्त रकम मिल सकती है, जो 58 साल के बाद अपनी पेंशन विदड्रॉ नहीं करेंगे। उन्हें 60 वर्ष की उम्र पूरी होने तक यह अतिरिक्त राशि मिल सकती है। इस कदम से एंप्लॉयी पेंशन स्कीम के 20 लाख सब्सक्राइबर्स को फायदा हो सकता है। एंप्लॉयी पेंशन स्कीम एंप्लॉयीज प्रॉविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन के तहत आती है। पेंशनर्स के ऐसा करने से सरकार को पेंशन फंड में डेफिसिट घटाने में बड़ी मदद मिलेगी।
रिटायरमेंट फंड बॉडी ईपीएफओ ने हाल में यह अधिसूचना जारी की थी कि 58 वर्ष के बाद पेंशन विदड्रॉल न करने पर हर साल पेंशन में चार पर्सेंट बढ़ोतरी का फायदा दिया जाएगा। हालांकि विदड्रॉल न करने के लिए उम्र की सीमा 60 वर्ष तय कर दी गई है। ईपीएफओ के नोटिफिकेशन को ईटी ने देखा है, जिसमें कहा गया है, 'जो मेंबर्स 59 साल या 60 साल की उम्र तक बगैर योगदान के पेंशन डेफर करेंगे, वे पूरे हुए हर साल के लिए पेंशन की मूल रकम में चार पर्सेंट बढ़ोतरी के हकदार होंगे। अगर इस स्थिति में दो साल पूरे हों तो बढ़ोतरी 8.16 पर्सेंट होगी।' नोटिफिकेशन में कहा गया है कि जो मेंबर्स 60 साल की उम्र तक पेंशन में योगदान करते रहेंगे, वे भी इस फायदे के हकदार होंगे और 58 वर्षों के बाद कंट्रीब्यूटरी सर्विस को पेंशनेबल सर्विस और पेंशन योग्य सैलरी की गणना में शामिल किया जाएगा। नोटिफिकेश के मुताबिक, इस स्कीम के तहत मिलने वाला लाभ 25 अप्रैल 2016 से प्रभावी माना जाएगा और ऐसे सब्सक्राइबर्स को दिया जाएगा, जो पहले से ही ईपीएफओ के पेंशनर न हों और 58 साल की उम्र पूरी होने तक जो कम से कम 10 वर्ष सर्विस में रहे हों।
अनुमान है कि पेंशन विदड्रॉल की एज लिमिट बढ़ाने से पेंशन फंड में डेफिसिट करीब 30,000 करोड़ रुपये तक कम हो सकता है। एंप्लॉयीज प्रॉविडेंट फंड स्कीम 1952 के तहत एंप्लॉयर और एंप्लॉयी 12 पर्सेंट योगदान करते हैं। एंप्लॉयर वाले हिस्से में से 8.33 पर्सेंट रकम हर महीने के पूरा होने के 15 दिनों के भीतर एंप्लॉयीज पेंशन फंड में जाती है। वहीं सेंट्रल गवर्नमेंट इसमें 1.16 पर्सेंट योगदान करती है। सब्सक्राइबर्स इस रकम को 58 साल की उम्र में रिटायर होने पर निकाल सकते हैं।

Monday, June 20, 2016

आवाज देके हमें तुम बुलाओ .............

लता:    आवाज़ देके हमें तुम बुलाओ
मोहब्बत में इतना ना हमको सताओ

अभी तो मेरी ज़िंदगी है परेशां
कहीं मर के हो खाक भी न परेशां
दिये की तरह से न हमको जलाओ
मोहब्बत में इतना ना हमको सताओ


रफ़ी:    मैं सांसों के हर तार में छुप रहा हूँ
मैं धड़कन के हर राग में बस रहा हूँ
ज़रा दिल की जानिब निगाहें झुकाओ
मोहब्बत में इतना ना हमको सताओ


लता:    ना होंगे अगर हम तो रोते रहोगे
सदा दिल का दामन भिगोते रहोगे
जो तुम पर मिटा हो उसे ना मिटाओ
मोहब्बत में इतना ना हमको सताओ


रफ़ी:    आवाज़ देके हमें तुम बुलाओ
मोहब्बत में इतना ना हमको सताओ

गीतकार : हसरत जयपुरी, गायक : लता - रफी, संगीतकार : शंकर जयकिशन, चित्रपट : प्रोफेसर (१९६२) / Lyricist : Hasrat Jaipuri, Singer : Lata Mangeshkar - Mohammad Rafi, Music Director : Shankar Jaikishan, Movie : Professor (1962)

ईपीएफ ट्रांसफर अब और आसान

ज्योति माहेश्वरी
कोटा।  एक समय ईपीएफ ट्रांसफर करवाना बहुत टेढ़ी खीर थी। ईपीएफओ में एक कंपनी से दूसरी कंपनी में ईपीएफ बैलेंस टांसफर करवाने में बहुत दिक्कत होती थी। लेकिन, अब इसकी प्रक्रिया आसान हो गई है। आप ऑनलाइन भी ईपीएफ ट्रांसफर करवा सकते हैं। आसानी से बैलेंस ट्रांसफर करवाने के लिए आपको किन छोटी-मोटी बातों का ध्यान रखना है इस पर विशेष।
दिनेश  एक प्राइवेट कंपनी में काम करता है। उसने ए कंपनी में 5 साल काम किया। इसके बाद नई कंपनी बी ज्वाइन कर ली। इस कंपनी में वह ज्यादा दिन तक नहीं टिका और इसके बाद उसने एक और नई कंपनी सी ज्वाइन कर ली। दिनेश  कार्यकुशल है, लिहाजा उसके पास नौकरी की कमी नहीं है। नौकरियां बदलने में भी उसको दिक्कत नहीं आती। लेकिन, उसने एक छोटी सी गलती कर दी। उसने अपना ईपीएफ बैलेंस ए कंपनी से बी कंपनी में ट्रांसफर नहीं करवाया। अब उसे उसकी गलती का अहसास हुआ और वह सभी अकाउंट का ईपीएफ बैलेंस सी कंपनी के अकाउंट में करवाना चाहता है। दिनेश  की तरह कई और कर्मचारी अपना पीएफ का बैलेंस एक अकाउंट से दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर करवाना चाहते हैं। वे इसकी आसान प्रक्रिया जानना चाहते हैं। शुक्र है ईपीएफओ ने इसकी प्रक्रिया आसान कर दी है।
यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (यूएएन) और ऑनलाइन पीएफ ट्रांसफर मेथड से कई दिक्कतें दूर हो गई हैं। दूसरी तरफ ईपीएफ की रकम निकालना भी आसान हो गया है। आप यह काम पुरानी कंपनी के पास जाए बगैर भी कर सकते सकते हैं।
ईपीएफ ट्रांसफर के नियम
*आप अपना बैलेंस एक अकाउंट से दूसरे में ट्रांसफर करवा सकते हैं
*ईपीएफ ट्रांसफर करवाने के लिए समय सीमा का कोई बंधन नहीं है
*आप अपना बैलेंस केवल अपने अकाउंट में ट्रांसफर कर पाएंगे
*तीसरे व्यक्ति के अकाउंट में बैलेंस ट्रांसफर करवाना संभव नहीं
*ईपीएफ के साथ कर्मचारी पेंशन स्कीम की रकम भी ट्रांसफर होगी
*आप आधी अधूरी या कम रकम ट्रांसफर नहीं करवा सकते
*ईपीएफ की रकम ट्रांसफर करवाने के लिए सत्यापन जरूरी है
*दोनों अकाउंट में नाम, पिताजी का नाम और जन्म की तारीख एक समान होनी चाहिए।
ईपीएफ ट्रांसफर के तरीके
ईपीएफओ ने ईपीएफ ट्रांसफर का नया तरीका लागू किया है लेकिन पुरानी प्रक्रिया को बंद नहीं किया है। इससे आप इनमें से कोई भी प्रक्रिया चुन सकते हैं। अगर आपको कंप्यूटर का ज्ञान है तो आप टांसफर की ऑनलाइन प्रक्रिया भी अपना सकते हैं। इसके अलावा मौजूदा ऑफलाइन प्रक्रिया तो है ही सही।
ऑफलाइन प्रक्रिया
ऑफलाइन ईपीएफ ट्रांसफर की प्रक्रिया में आपको प्रिंटेड फॉर्म भरना होगा। आपकी मौजूदा कंपनी इस फॉर्म को ईपीएफओ को ट्रांसफर करेगी। इसके बाद ईपीएफओ आपके इस फॉर्म को आपकी पुरानी कंपनी को ट्रांसफर करेगा। पुरानी कंपनी से जानकारी सत्यापित होने पर ईपीएफओ पुरानी कंपनी से पैसाा नई कंपनी में ट्रांसफर कर देगा। इस प्रक्रिया में फॉर्म भौतिक रूप से भेजा जाता है इसलिए इसमें समय ज्यादा लगता है।
आनलाइन प्रक्रिया
ईपीएफ ट्रांसफर के लिए इस प्रक्रिया को अपनाना आसान है। इसमें फॉर्म भौतिक रूप से एक कंपनी से दूसरी कंपनी नहीं भेजा जाता है। ईपीएफ इलेक्ट्रॉनिक तौर पर ट्रांसफर कर दिया जाता है। कंपनी की तरफ से आनलाइन ही सत्यापन कर दिया जाता है। इसमें कम समय लगता है।
ट्रांसफर प्रक्रिया कैसे चुने
ये तो तय है कि आप ईपीएफ ट्रांसफर करने के लिए सबसे आसान प्रक्रिया अपनाएंगे। लेकिन ये आसान प्रक्रिया हर किसी के लिए उपलब्ध नहीं है। आसान प्रक्रिया अपनाने के लिए आपको कुछ शर्तों को पूरा करना पड़ेगा। आप ट्रांसफर करवाने से पहले हर प्रक्रिया की शतोर्ं को पड़ लें। इसके लिए 4 प्रक्रिया हैं।
एक कर्मचारी एक अकाउंट
ये सबसे आसान प्रक्रिया है। इसके लिए ईपीएफओ दिन रात काम करके लोगों के पैसे ट्रांसफर कर रहा है। इसमें आप एक से ज्यादा ट्रांसफर के लिए अर्जी दे सकते हैं। ईपीएफओ के मुताबिक इससे अकाउंट को संगठित किया जा रहा है। ये आनलाइन प्रक्रिया है और इसमें कम कठिनाई आती है।
इनका रखें ध्यान
*आपने अपना आधार नंबर यूएएन नंबर से लिंक कर दिया है।
*आपकी कंपनी ने आधार का सत्यापन कर दिया है।
*आपकी व्यक्तिगत जानकारी का आधार के डेटा से मिलान हो गया है।
*आपने अपना बैंक अकाउंट नंबर और पैन कार्ड ईपीएफओ को दे दिया है।
*आपका नाम, जन्म तारीख और पिताजी का नाम सभी अकाउंट में एक सा है।
*अगर आप इन शर्तों को पूरा करते हैं तो आप अपना बैलेंस आसानी से एक अकाउंट से दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर करवा सकते हैं।
यूएएन के जरिए ऑटोमेटिक बैलेंस ट्रांसफर
इस प्रक्रिया में आपको कोई भी कदम उठाने की जरूरत नहीं है। ईपीएफ का बैलेंस आसानी से दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर हो जाएगा। ऑटोमेटिक ट्रांसफर के लिए आपको इन शर्तों को पूरा करना पड़ेगा।
नई कंपनी ज्वाइन करने से पहले आपके पास यूएएन नंबर है
आपने नई कंपनी को इस नंबर की जानकारी दी है
आपकी निजी जानकारी का पूरी तरह से मिलान हो चुका है
इसके जरिए सिर्फ एक अकाउंट से दूसरे में रकम ट्रांसफर होगी
इस प्रक्रिया के जरिए नए पीएफ अकाउंट में पैसा ट्रांसफर करवाना उपयोगी होता है। सभी मौजूदा ईपीएफ अकाउंट के यूएएन नंबर जारी कर दिए गए हैं। अपनी निजी जानकारी को चेक करें कि वह सही है। साथ ही अपनी कंपनी को यूएएन नंबर न देना भूले।
ऑनलाइन ट्रांसफर क्लेम पोर्टल
यह भी ईपीएफ ट्रांसफर करने की आसान प्रक्रिया है। इसमें आधार और यूएएन नंबर की जरूरत नहीं होती। आप ओटीसीपी पोर्टल का इस्तेमाल करके ऑनलाइन ईपीएफ ट्रांसफर कर सकते हैं। इस पोर्टल पर आपको प्रोविडेंट फंड ट्रांसफर करने की अर्जी देनी होगी। इसके लिए आपको किसी तरह का डॉक्यूमेंट देने की जरूरत नहीं है। हालांकि इसमें आपकी पुरानी कंपनी को सत्यापन करना होगा। सत्यापन ऑनलाइन हो जाएगा। आपको मौजूदा कंपनी को अर्जी का प्रिंटआउट देना होगा।
इन चीजों का रखें ध्यान
*आपकी निजी जानकारी का दोनों कंपनियों में मिलान होना चाहिए
*में किसी तरह की गलती नहीं होनी चाहिए
*अगर आपकी पुरानी कंपनी को कोई दिक्कत नहीं है तो ईपीएफ आसानी से ट्रांसफर हो जाएगा
*ईपीएफ ट्रांसफर का पंरपरागत तरीका
*इस प्रक्रिया के जरिए बैलेंस ट्रांसफर करवाने के लिए आपको फॉर्म 13 भरना होगा। इस फॉर्म को आपको अपनी नई या पुरानी कंपनी में देना होगा। वैरिफिकेशन के बाद आपकी कंपनी इस फॉर्म को ईपीएफओ को ट्रांसफर कर देगी। ईपीएफओ जानकारी को वैरिफाई करेगा और पुरानी कंपनी से जानकारी को सत्यापित करवाएगा। सत्यापन होने के बाद ईपीएफओ ईपीएफ बैलेंस दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर कर देगा।
इनका रखें ध्यान
इस प्रक्रिया में आधार और यूएएन नंबर की जरूरत नहीं है।
आपकी निजी जानकारी में अगर कोई गड़बड़ी है तो भी आप इसके जरिए बैलेंस ट्रांसफर करवा सकते हैं। ऐसे केस में आपको व्यक्तिगत जानकारी ठीक करने का फॉर्म देना होगा।
इस फॉर्म को आपकी पुरानी कंपनी सत्यापित करेगी।इसके लिए वहीं कंपनी होनी चाहिए जिसने ईपीएफ अकाउंट बनाया है और गलत जानकारी भरी है।
ईपीएफ ट्रांसफर का फॉर्म
ईपीएफ ट्रांसफर के लिए फॉर्म 13 का उपयोग होता है। इस फॉर्म में आपको व्यक्तिगत जानकारी भरनी होती है। आपको पुरानी नौकरी की जानकारी देनी होती है। साथ ही ईपीएफ अकाउंट नंबर भी भरना होता है। इसके अलावा नई कंपनी और नौकरी की जानकारी भरने का भी कॉलम इस फॉर्म में होता है। सभी जानकारी सही भरें।
स्टेटस कैसे जाने
ईपीएफ ट्रांसफर एक महीने से भी कम समय में हो जाता है। लेकिन अगर जरूरत पड़े तो आप स्टेटस भी चेक कर सकते हैं। अगर आपने ऑनलाइन ट्रांसफर की अर्जी दी है तो आप शुरुआत से स्टेटस देख सकते हैं। भौतिक रूप से अगर आपने अर्जी दी है तो आपकी अर्जी रीजनल ईपीएफ ऑफिस पहुंचने के बाद ही आप स्टेटस चेक कर पाएंगे। पीएफ ट्रांसफर का स्टेटस चेक करने के लिए  आप ऑनलाइन ट्रांसफर क्लेम पोर्टल पर जा सकते हैं। आप अलग से भी ईपीएफ क्लेम स्टेटस में जाकर अपने सभी क्लेम की जानकारी देख सकते हैं। अगर आपको इस प्रक्रिया से स्टेटस नहीं पता चलता है तो आप ग्रीवेंस पोर्टल पर जाकर क्लेम स्टेटस की जानकारी ले सकते हैं। अगर फिर भी पता नहीं चलता है तो सबसे आखिर में आरटीआई लगाकर अपनी अर्जी की स्थिति पता कर सकते हैं।

Saturday, June 18, 2016

लैंड बैंक में उद्योगों के लिए शाहाबाद व रामगंजमंडी में भूखंड

बिजनेस रिपोर्टर . कोटा
 राज्य सरकार के लैंड बैंक राज धरा में संभाग के बूंदी, बारां एवं कोटा जिले में उद्योगों के लिए भूखंड उपलब्ध हैं, लेकिन कोटा शहर के निकट में रीको के पास कहीं कोई जगह नहीं है। राज धरा में तीन तरह से भूखंडों का विवरण दिया गया है। जिसमें रा लैंड, अपकमिंग इंडस्ट्रियल एरिया एवं एक्साइटिंग इंडस्ट्रियल एरिया के कॉलम हैं। इसमें कौन से जिले में उद्योगों के लिए कितनी भूमि एवं चिन्हित भूखंड एवं आवंटित भूखंड के अलावा खाली भूखंडों की भी जानकारी है।
 उद्यमियों का कहना है कि उनकी ज्यादातर रुचि शहर के निकट जहां ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा हो वहां उद्योग लगाने की होती है। रीको के पास पिछले पांच-छह साल से शहर में एवं उसके आसपास कोई भूखंड नहीं है। सिर्फ कुबेर एक्सटेंशन इंडस्ट्रियल एरिया को छोड़कर कहीं जगह नहीं है। पिछले पांच साल से यह जगह एनवायरमेंट क्लियरेंस में अटकी है। पिछले दिनों इसकी एनवायरमेंट मिनिस्ट्री की एक्सपर्ट कमेटी के सामने रीको की ओर से नियुक्त कंसलटेंट कंपनी ने अपना पक्ष रखा था। अभी इस बारे में कोई फैसला नहीं हुआ है।
 इंजीनियर पार्क समेत 70 से अधिक उद्योग इंतजार में
 रानपुर कुबेर एक्सटेंशन इंडस्ट्रियल एरिया के लिए सिंगल विंडो में करीब चार साल पहले 10 प्रोजेक्ट की फाइल लगी थी। इनके आवेदन जिला उद्योग केन्द्र ने जमीन के अभाव में लौटा दिए थे।इसके अलावा इंडस्ट्रियल डीलर्स एसोसिएशन के महासचिव अनिल न्याती ने इंजीनियरिंग पार्क के लिए 30 भूखंड मांगे थे। इसके अलावा युवा उद्यमिता प्रोत्साहन योजना में करीब 30 आवेदन करने वाले सलेक्ट होने के बाद भी रीको से भूखंड नहीं मिलने से उद्योग नहीं लगा पाए। इस योजना में अब राजस्थान वित्त निगम भी उनके ही आवेदन स्वीकार करता है। जिनके पास पहले से भूखंड हैं।
 कहां कितनी भूमि
 राज धरा के नाम से लैंड बैंक की वेबसाइट पर रीको के अधीन बारां जिले में शाहाबाद में 137.21 हैक्टेयर भूमि है। इसमें तीन भूखंड चिंहित हैं। इनमें से एक डिसलरी (स्प्रिट) प्लांट के लिए आवंटित हुआ है। दो खाली हैं। कोटा जिले में रामगंजमंडी के फतेहपुर एरिया में 157.64 हैक्टेयर भूमि है। जिसमें 364 भूखंड चिन्हित किए गए हैं।
 रा लैंड - बूंदी जिले में डरोली में 45.42 हैक्टेयर औैर तालाब गांव में 26.07 हैक्टेयर भूमि है। यहां भूखंड चिंहित नहीं हैं।

वित्त निगम ने रियल एस्टेट में फाइनेंस से हाथ खींचा

बिजनेस रिपोर्टर . कोटा
 राजस्थान वित्त निगम ने रियल एस्टेट में मंदी को देखते हुए चालू वित्त वर्ष में इस सेक्टर में फाइनेंस से हाथ खींच लिए हैं। अब निगम की पहली प्राथमिकता माइक्रो स्माल एवं मीडियम एंटरप्राइजेज सेक्टर में ही फाइनेंस की है। निगम भूखंड खरीदने के लिए भी कीमत का 75 प्रतिशत तक फाइनेंस करता है।
 वित्त निगम के नियमों के मुताबिक यदि कोई उद्यमी नगर विकास न्यास से भूमि खरीदता है, तो निगम उसे आवंटित भूमि का 25 प्रतिशत जमा करा देता है तो उस पर 75 प्रतिशत निगम लोन दे देगा। लोन की सीधे यह राशि न्यास के खाते में जमा हो जाएगी। अगर किसी के पास कन्वर्टेड भूमि है तो उद्यमी उस पर भी लोन ले सकता है।  वित्त निगम नगर विकास न्यास एवं रीको से खरीदी गई जमीन पर प्रमुखता से फाइनेंस करता है। स्थानीय शाखा प्रबंधक आनंद बरड़वा ने बताया कि रीको की भूमि पर 12 प्रतिशत की दर से कर्ज दिया जाता है। राजस्थान वित्त निगम पांच साल के लिए कर्ज देती है। चाहे व्यक्ति उद्योग लगाए या नहीं। इसकी वसूली चालू हो जाती है। उन्होंने बताया कि वित्त निगम अधिकतम 20 करोड़ रुपए तक का फाइनेंस करती है। उन्होंने बताया कि उद्योग या रियल एस्टेट में भूमि खरीदने के लिए बैंक लोन नहीं देता। सिर्फ वित्त निगम ही इसमें लोन देता है। इसलिए रियल एस्टेट में फाइनेंस के लिए सबसे ज्यादा निगम के पास ही आते हैं।
 सबसे ज्यादा कर्ज रियल एस्टेट में
 राजस्थान वित्त निगम के शाखा प्रबंधक के अनुसार शहर में अभी तक सबसे ज्यादा फाइनेंस 1500 करोड़ रुपए का रियल एस्टेट में किया गया है। जबकि इंडस्ट्री में 3600 करोड़ का फाइनेंस किया हुआ है। समाप्त हुए वित्त वर्ष 2015-16 में निगम ने उद्योग एवं रियल एस्टेट 37.50 करोड़ का फाइनेंस किया है। अभी तक 55 करोड़ का फाइनेंस हो चुका है।
 राजस्थान में कोटा अव्वल
 राजस्थान  वित्त निगम की कोटा शाखा वसूली एवं लोन वितरण में इस बार अव्वल रही है। स्थानीय शाखा ने 151 प्रतिशत टारगेट हासिल किया है। जबकि जयपुर शाखा 110 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर है।
  

Thursday, June 16, 2016

एनसीडीईएक्स में जिंस डिलिवरी के समय गुणवत्ता की परख

मुंबई । नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) पर किसानों की भागीदारी बढ़ रही है। इसे देखते हुए एक्सचेंज ने गोदामों से जिंसों की डिलिवरी के समय उनके नमूनों एवं परीक्षण को अनिवार्य किया है। इसकी शुरुआत सरसों के सभी अनुबंधों के साथ की गई है। एक्सचेंज ने आज इसकी घोषणा की। एक्सचेंज ने परीक्षण के तौर पर अगले आदेश तक सरसों के सभी अनुबंधों में अनिवार्य नमूनों एवं परीक्षण का फैसला किया है। 
 भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के नियमों के मुताबिक अच्छी डिलिवरी सुनिश्चित करना एक्सचेंज की जिम्मेदारी है। अगर खरीदार या लिवाल एक्सचेंज के प्लेटफॉर्म पर दिए जाने वाले माल की गुणवत्ता से संतुष्ट नहीं है तो नियमों के मुताबिक यह एक्सचेंज की जिम्मेदारी है। इसे लागू करने के लिए एक्सचेंज ने आज एक परिपत्र जारी किया। कुछ कारोबारियों का कहना है कि यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि एक्सचेंज से मान्यता प्राप्त गोदामों में भंडारित सरसों में ज्यादा नमी होने की शिकायतें आई थीं। 
 एक्सचेंज ने परिपत्र में कहा गया है, 'जब हम किसी जिंस की डिलिवरी से पहले अनिवार्य रूप से नमूने लेने एवं परीक्षण की अधिसूचना जारी करते हैं तो यह काम एक्सचेंज द्वारा नियुक्त स्वतंत्र गुणवत्ता परीक्षणकर्ता से कराया जाएगा। डिलिवरी से पहले अनिवार्य रूप से नमूने लेने और जांच करने की लागत का खर्च लिवाल को वहन नहीं करना पड़ेगा। अगर जिंस की गुणवत्ता डिलिवरी के समय उसे जमा कराए जाने जैसी नहीं रहती है तो गोदाम सेवा प्रदाता को लिवाल के साथ यह विवाद सुलझाना होगा।'

Wednesday, June 15, 2016

अब उद्योगों का रजिस्ट्रेशन जिला उद्योग केन्द्र में नहीं होगा

बिजनेस रिपोर्टर . कोटा
 अब उद्योगों का जिला उद्योग केन्द्रों में पंजीयन नहीं होगा। बल्कि उद्यमियों को सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम मंत्रालय की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। जहां पर उनका उद्योग आधार के नाम से रजिस्ट्रेशन होगा। मई माह से जिला उद्योग केन्द्रों पर नए उद्योगों के लिए रजिस्ट्रेशन बंद कर दिया गया है।
 मात्र एक पेज का फार्म भर कर उद्यमी उद्योग आधार रजिस्‍ट्रेशन नंबर हासिल कर सकते हैं। केंद्र सरकार ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों की पंजीयन की व्यवस्था को आधार कार्ड से जोड़ दिया है। इसके लिए केंद्र ने 'उद्योग आधार' योजना  शुरू की है। इस योजना के शुरू हो जाने से उद्यमियों को उद्योगों के लिए पंजीयन के लिए सरकारी विभागों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। ऑनलाइन ही रजिस्ट्रेशन हो जाएगा।  जिन इकाइयों को सरकार की अनेक लाभप्रद स्कीम का फायदा लेना है वे अब एक पेज के सरलीकृत फॉर्मेट में वांछित जानकारी स्वघोषणा के साथ ऑनलाइन भेज कर कभी भी पंजीकरण करा सकते है। 
 उद्यमियों के अनुसार अभी तक उद्योग स्थापना के लिए ईएम पार्ट 1 के पंजीकरण के लिए 5 पेज का फॉर्मेट भरना पड़ता था तथा उसमें 18 तरह की सूचनाएं तथा 6 संलग्न प्रपत्र प्रस्तुत करने पड़ते थे। इकाई द्वारा उत्पादन शुरू करने के बाद ईएम पार्ट 2 के पंजीकरण के लिए 6 पेज का फॉर्मेट भरना पड़ता था तथा उसमें 21 तरह की सूचनाएं तथा 6 संलग्न प्रपत्र प्रस्तुत करने पड़ते थे। अब उद्यमियों को रजिस्ट्रेशन के सभी झंझट से मुक्ति मिल जाएगी।
 ऑनलाइन स्वयं कर सकते हैं
 जिनके पास घर या ऑफिस में इंटरनेट की सुविधा है। वह एमएसएमई की वेबसाइट पर स्वयं आधार रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। इसके लिए स्वयं का आधार नंबर जरूरी है। फार्म में प्रमुख रूप से आधार नंबर, संस्थान का नाम, उद्योग का रजिस्ट्रेशन नंबर यदि हो तो, बैंक खाता नंबर व आईएफ एससी कोड, मेल आईडी, निवेश व पेन कार्ड नंबर आदि की प्रमुख जानकारी भरनी है। इसके बाद तुरंत आपके उद्योग का ई -आधार जनरेट हो जाएगा।
 आधार को ही मान्यता
 उद्योग का आधार नंबर ही उद्योग का पंजीयन माना जाएगा। उद्योग कार्ड उद्योगों के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे बैंक ऋण, जमीन आवंटन, बिजली कनेक्शन एवं सब्सिडी आदि मिलेगी।
 राज्य में 48823 उद्योग को आधार जारी
 माइक्रो स्माल एवं मीडियम एंटरप्राइजेज के अनुसार अभी तक राजस्थान में 48 हजार 823 उद्योगों को आधार जारी हो चुके हैं। जिसमें से 41510 माइक्रो, 6835 स्माल एवं 278 मीडियम श्रेणी के उद्योग शामिल हैं।
  

जुलाई से एक ही एप से भर सकेंगे सारे बिल

दिनेश महेश्वरी
कोटा। आपके लिए स्कूल फीस, पानी का बिल, टेलीफोन बिल, मोबाइल बिल, बीमा की किस्त, क्रेडिट कार्ड बिल आदि का पेमेंट करना बहुत आसान होने वाला है। अगले महीने से आप इस तरह के सभी बिलों का भुगतान एक ही एप के जरिये कर सकेंगे।
भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम सुरक्षित ऑनलाइन भुगतान के लिए भारत बिल पेमेंट (बीबीपी) एप और पोर्टल लांच कर रहा है। इसके लिए बीपीपी पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना होगा। इससे कस्टमर आईडी मिलेगी। इसके लिए आपको ई-मेल आईडी, मोबाइल नंबर और एक पर्सनल आईडी की जानकारी देनी होगी।
इसके बाद सभी तरह के बिल का पेमेंट देश के किसी भी हिस्से से बीबीपी आउटलेट और वेबसाइट पर कर सकेंगे। ऑनलाइन सुविधा से नहीं जुड़ने वाले लोगों के लिए भोपाल, दिल्ली सहित सभी राज्यों की राजधानी में निगम पेमेंट आउटलेट खोलेगा। वे एटीएम कार्ड से पेमेंट कर सकेंगे।
इस एप और पोर्टल को फिलहाल भारत बिल पेमेंट (बीबीपी) नाम देने की तैयारी है। निगम के मुताबिक, देश की छोटी-बड़ी करीब 38 बैंकों के अलावा 7 अन्य बड़ी कंपनियों आरबीआई की अनुमति के बाद आउटलेट लिए शामिल किया गया है। देश के किसी भी हिस्से से कहीं भी निगम के अधिकारी के मुताबिक, एप और पोर्टल डिजाइन किए जा रहे हैं। इसकी मदद से आप देश के किसी भी हिस्से से कहीं का और कैसा भी बिल ऑनलाइन पेमेंट कर सकेंगे। इस एप और पोर्टल को फिलहाल भारत बिल पेमेंट (बीबीपी) नाम देने की तैयारी है। निगम के मुताबिक, देश की छोटी-बड़ी करीब 38 बैंकों के अलावा 7 अन्य बड़ी कंपनियों आरबीआई की अनुमति के बाद आउटलेट लिए शामिल किया गया है।

Saturday, June 11, 2016

इंडस्ट्री के सेंसर से ऑनलाइन होगी पॉल्युशन की मोनेटरिंग

दिनेश माहेश्वरी 
कोटा। कौन सी इंडस्ट्री कितना पॉल्युशन फैला रही है, इस पर निगरानी रखने के लिए संभाग में 22 यूनिट में राजस्थान प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने सेंसर लगवा दिए हैं। इससे राजस्थान में प्रदूषण फैला रही इंडस्ट्री अब कानून के दायरे से नहीं बच पाएंगी।
 पिछले दिनों बोर्ड ने मोबाइल ऐप ‘दृष्टि’ लॉन्च किया है। जो सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाली इंडस्ट्री पर मॉनिटरिंग करेगा। ये ऐप राजस्थान स्टेट पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड ने पॉल्यूशन का स्तर मॉनिटर करने के लिए बनाया है। बोर्ड ने वेस्ट वाटर डिस्चार्ज प्वाइंट पर सेंसर लगवाए हैं। ये सेंसर और सर्वर लगाने का खर्च करीब 25 लाख से 1 करोड़ रुपए तक आया है। ये ऐप बोर्ड को तुरंत अलर्ट देगा, जब कोई इंडस्ट्री तय लिमिट से ज्यादा प्रदूषण फैलाएंगी। उस इंडस्ट्री को तुरंत पॉल्यूशन कम करने के लिए सही कदम उठाने होंगे। ये ऐप इस तरीके से डिजाइन किया गया है जिससे एमिशन और इफ्यूलेंट का पूरा ब्योरा बोर्ड को मिलेगा। ये डाटा बोर्ड को ग्राफिकल चार्ट में मिलेगा। इससे इंडस्ट्री की पूरे दिन की गतिविधि बोर्ड को मिलेगी। ये सेंसर सीमेंट प्लांट, जिंक प्लांट, केमिकल और फर्टिलाइजर समेत 17 प्रकार की इंडस्ट्री  पर लगाए गए हैं। संभाग में पावर प्लांट, केमिकल प्लांट एवं फर्टिलाइजर्स प्लांट समेत 22 यूनिट पर सेंसर लगाए गए हैं।
 ऐसे होगी मोनेटरिंग
 राजस्थान प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी अमित शर्मा ने बताया कि मॉनिटरिंग का काम पूरी तरह ऑनलाइन है। दिल्ली में केन्द्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड एवं जयपुर में राजस्थान कंट्रोल बोर्ड का सर्वर 17 प्रकार की इंडस्ट्रीज के सेंसर से जुड़ा हुआ है। जैसे ही किसी इंडस्ट्री से तय मात्रा से ज्यादा प्रदूषण होगा तुरंत इंडस्ट्री के मैनेजमेंट के पास एसएमएस पहुंचेगा। जिसमें लिखा होगा की इंडस्ट्रीज से निर्धारित मात्रा से ज्यादा प्रदूषण हो रहा है, उसे कंट्रोल करें। स्थानीय स्तर पर भी एक कनिष्ठ वैज्ञानिक को बोर्ड की ओर से मोनेटरिंग की जिम्मेदारी दी गई है। जिन इंडस्ट्रीज में सेंसर लगाए गए हैं, वहां से निकलने वाले पानी और गैस की क्वालिटी पर निगरानी रहेगी। उन्होंने बताया कि फिलहाल ट्रायल के तौर पर बड़ी इंडस्ट्री को ही इसमें शामिल किया गया है।
  
  
  
  
  
  
  
  

आर्थिक पिछड़ों को गैस कनेक्शन के लिए भी लोन देगी सरकार

बिजनेस रिपोर्टर . कोटा
 प्रधानमंत्री उज्जवला योजना का लाभ अब आर्थिक रूप से पिछड़े, एपीएल, बीपीएल परिवारों को मिलेगा। जिनके पास अभी तक रसोई गैस का कनेक्शन नहीं है। यह कनेक्शन परिवार की महिला मुखिया के नाम होगा। वर्ष 2011 की आर्थिक एवं सामाजिक जनगणना में चिन्हित वहीं परिवार उज्जवला योजना के पात्र होंगे। इस योजना का लाभ लेने के लिए आधार कार्ड होना जरूरी है।
 प्रधानमंत्री उज्जवला योजना का राजस्थान में 23 मई को लांच हुई थी। अब जिला स्तर पर यह रविवार को सांसद ओम बिरला के आवास पर लॉन्च की जाएगी। इस योजना में 1600 रुपए सरकार वहन करेगी। जिसमें सिलेंडर की सिक्यूरिटी 1250 रुपए, रेगुलेटर 150, सुरक्षा नली 100 रुपए, 25 रुपए गैस डायरी, 75 रुपए इंस्टालेशन चार्ज उपभोक्ता को नहीं देने पड़ेंगे। इसके अलावा 1535 रुपए उपभोक्ता को देने होंगे। अगर उपभोक्ता देने में सक्षम है तो ठीक है अन्यथा इस राशि का उसे लोन मिल जाएगा। इस राशि में 990 रुपए का चूल्हा और 545 रुपए सिलेंडर का रिफिलिंग चार्ज शामिल है।
 लोन नहीं चुकाया तो नहीं मिलेगी सब्सिडी
 इंडेन कंपनी के डिप्टी सेल्स ऑफिसर धीरज चौऋषिया ने बताया कि उपभोक्ता को दोनों ऑप्शन मिलेंगे। वह चाहे तो नकद जमा करा दे। अन्यथा 1535 रुपए का लोन मिल जाएगा। जब तक उपभोक्ता का लोन पूरा नहीं होगा तब तक उपभोक्ता के बैंक खाते में सब्सिडी नहीं जाएगी। जैसे ही लोन पूरा होगा उसे सब्सिडी मिलने लग जाएगी।
 45 हजार परिवारों को मिलेंगी गैस
 उन्होंने बताया कि इस योजना में अभी 350 आवेदन आ चुके हैं। जिले में छह लाख परिवार हैं। जिसमें से आर्थिक एवं सामाजिक जनगणना के आधार पर कमजोर तबके 92 हजार परिवारों में से 50 प्रतिशत के पास गैस कनेक्शन हैं। बाकी 46 हजार परिवारों को गैस कनेक्शन देने हैं। 
  

Friday, June 10, 2016

टी सी एस में पेन नहीं तो फॉर्म 60 भरना जरूरी

बिजनेस रिपोर्टर . कोटा 

 टीसीएस यानी टैक्स कलेक्शन एट सोर्स के तहत दो लाख से अधिक की नकदी खरीदारी पर पैन कार्ड देना जरूरी है। कोई भी व्यक्ति जिसके पास पैन नहीं है, अगर कोई ऐसा सौदा करता है, जिसमें पैन नंबर बताना जरूरी है, तो उसे फार्म संख्या 60 भरना पड़ेगा।इसमें गलत जानकारी देने पर अधिकतम सात साल के सश्रम कारावास के साथ जुर्माना देना पड़ सकता है। 
जून 2016 से लागू टीसीएस के नियमों में यह भी जरूरी किया गया है।  टैक्स कंसलटेंट अनिल काला ने बताया कि टीसीएस के प्रावधानों में विक्रेता क्रेता से फार्म 60 उस स्थिति में लेगा, जब उसके पास पैन (स्थायी खाता संख्या) कार्ड नहीं होगा। इसके बाद विक्रेता पैन नहीं देने वालों की जानकारी अर्द्धवार्षिक रिटर्न के साथ फार्म 61 में आयकर विभाग को देगा। अर्द्धवार्षिक रिटर्न 31 मार्च एवं 31 अक्टूबर को देनी होती है। उन्होंने बताया कि एक पृष्ठ के फार्म 60 में सौदा करने वाले व्यक्ति को व्यक्तिगत ब्योरे के साथ आधार तथा मतदाता पहचान पत्र जैसे पहचान एवं पते का वैध सबूत भी देना होगा। व्यक्तिगत पहचान के लिए यदि आधार नहीं है तो बैंक या डाकघर की पासबुक, राशनकार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट, पेंशन कार्ड, नरेगा जोब कार्ड एवं आर्म लाइसेंस आदि में से कोई एक देना होगा। पते एवं पहचान के लिए दिए गए सभी दस्तावेज सेल्फ अटेस्टेड  होंगे। फार्म 60 में भुगतान नकद, चेक, ड्राफ्ट, डेबिट एवं क्रेडिट कार्ड, ऑनलाइन किया है तो उसका उल्लेख भी करना होगा। इसके अलावा आपकी आय एग्रीकल्चर से है या नोन एग्रीकल्चर से यह भी भरना होगा।
 आयकर विभाग के अनुसार ‘ऐसे लोग हैं जिनके पास पैन नहीं हो और अभी भी बड़े सौदे कर रहे हैं जिसमें पैन जरूरी है। ऐसे मामलों में लोगों को फार्म 60 भरना होगा और इसमें गलत जानकारी देने पर अधिकतम सात साल के सश्रम कारावास के साथ जुर्माना देना पड़ सकता है। आयकर कानून के तहत इसमें न्यूनतम सजा तीन महीने की जेल एवं जुर्माना है।’ विभाग को ऐसे व्यक्ति के खिलाफ आयकर कानून की धारा 277 के तहत अभियोजन मामला दायर करने का अधिकार है। नए कानून के तहत फार्म 60 में गलत जानकारी के जरिये अगर कर चोरी 25 लाख रुपये से अधिक हुई है तो छह महीने से सात साल तक सश्रम कारावास एवं जुर्माना देना होगा। अगर कर चोरी का मामला कम राशि का है तो सश्रम कारावास तीन महीने से दो साल के बीच हो सकता है।






  

Thursday, June 9, 2016

एडवांस टैक्स अब चार किश्तों में देना होगा

बिजनेस रिपोर्टर . कोटा
 एडवांस टैक्स अब तीन की जगह चार किश्तों में जमा कराना होगा। केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने हाल ही में एक नोटिफिकेशन जारी कर एडवांस टैक्स किश्तों की तारीख तय की है। सीनियर सिटीजन को इसमें छूट है, बशर्ते उसका कोई बिजनेस नहीं हो। अभी तक एडवांस टैक्स की चार किश्तों का नियम सिर्फ कंपनियों पर ही लागू था, अब सभी पर 1 अप्रैल 16 से लागू हो गया है।
 एडवांस टैक्स में उन करदाताओं की भी छूट है, जिनका टैक्स दस हजार रुपए से कम है। इससे अधिक है तो पहली किश्तें 15 जून को जमा करानी होगी। जो टैक्स बनता है, उसका 15 प्रतिशत पहली बार में जमा कराना है। दूसरी किश्त 15 सितंबर को जमा होगी। इसमें यदि टैक्स का 15 प्रतिशत पहले से जमा करा दिया है तो 30 प्रतिशत अन्यथा 45 प्रतिशत जमा होगा। तीसरी किश्त 15 दिसंबर को जमा करानी है। जिसमें करदाता को टैक्स का 30 प्रतिशत जमा कराना है यदि पहले 45 प्रतिशत जमा करा दिया है। अन्यथा 75 प्रतिशत जमा होगा। टैक्स एडवाइजर अनिल काला ने बताया कि अंंतिम किश्त 15 मार्च को जमा होगी। जिसमें यदि 75 प्रतिशत टैक्स जमा करा दिया है तो बाकी 25 प्रतिशत ही जमा कराना है। यदि नहीं तो 100 प्रतिशत हर हालत में जमा होगा। एडवांस टैक्स की किश्त एक दिन भी लेट होती है तो एक प्रतिशत मासिक की दर से तीन माह का ब्याज लगता है।
 उन्होंने बताया कि अभी तक करदाता इसी भरोसे में हैं कि उन्हें एडवांस टैक्स 15 सितंबर को जमा कराना है। किंतु अब सभी करदाताओं का जिनका एडवांस टैक्स 10 हजार रुपए से अधिक बनता है, उन्हें चार किश्तों में जमा कराना होगा। एडवांस टैक्स जमा कराने की अंतिम तिथि 15 जून में अभी एक सप्ताह बाकी है।

Sunday, June 5, 2016

माहेश्वरी वंशोत्पत्ति एवं इतिहास


खंडेलपुर (इसे खंडेलानगर और खंडिल्ल के नाम से भी उल्लेखित किया जाता है) नामक राज्य में सूर्यवंशी क्षत्रिय राजा खड्गसेन राज्य करता था। इसके राज्य में सारी प्रजा सुख और शांति से  रहती थी। राजा धर्मावतार और प्रजाप्रेमी था, परन्तु राजा का कोई पुत्र नहीं था। खड्गसेन इस बात को लेकर चिंतित रहता था कि पुत्र नहीं होने पर उत्तराधिकारी कौन होगा। खड्गसेन की चिंता को जानकर मत्स्यराज ने परामर्श दिया कि आप पुत्रेष्ठि यज्ञ करवाएं, इससे पुत्र की प्राप्ति होगी। राजा खड्गसेन ने मंत्रियों से मंत्रणा कर के धोसीगिरी से ऋषियों को ससम्मान आमंत्रित कर पुत्रेस्ठी यज्ञ कराया। पुत्रेष्टि यज्ञ के विधिपूर्वक पूर्ण होने पर यज्ञ से प्राप्त हवि को राजा  खड्गसेन और महारानी को प्रसादस्वरूप में भक्षण करने के लिए देते हुए ऋषियों ने आशीर्वाद  दिया और साथ-साथ यह भी कहा की तुम्हारा पुत्र बहुत पराक्रमी और चक्रवर्ती होगा पर उसे 16 साल की उम्र तक उत्तर दिशा की ओर न जाने देना, अन्यथा आपकी अकाल मृत्यु होगी। कुछ समयोपरांत महारानी ने एक पुत्र को जन्म दिया। राजा ने पुत्र जन्म उत्सव बहुत ही हर्ष उल्लास से मनाया, उसका नाम सुजानसेन रखा। यथासमय उसकी शिक्षा प्रारम्भ की गई। थोड़े ही समय में वह राजकाज विद्या और शस्त्र विद्या में आगे बढ़ने लगा। तथासमय सुजानसेन का विवाह चन्द्रावती के साथ हुवा। दैवयोग से एक जैन मुनि खंडेलपुर आए। कुवर सुजान उनसे बहुत प्रभावित हुवा। उसने अनेको जैन मंदिर बनवाएं और जैन धर्म का प्रचार-प्रसार शुरू कर दिया। जैनमत के प्रचार-प्रसार की धुन में वह भगवान विष्णु, भगवान शिव और देवी भगवती को माननेवाले, इनकी आराधना-उपासना करनेवाले आम प्रजाजनों को ही नहीं बल्कि ऋषि-मुनियों को भी प्रताड़ित करने लगा, उनपर अत्याचार करने लगा।
ऋषियों द्वारा कही बात के कारन सुजानसेन को उत्तर दिशा में जाने नहीं दिया जाता था लेकिन एक दिन राजकुवर सुजानसेन 72 उमरावो को लेकर हठपूर्वक जंगल में उत्तर दिशा की और ही गया । उत्तर दिशामें सूर्य कुंड के पास जाकर देखा की वहाँ महर्षि पराशर की अगुवाई में सारस्‍वत, ग्‍वाला, गौतम, श्रृंगी और दाधीच ऋषि यज्ञ कर रहे है, वेद ध्वनि बोल रहे है, यह देख वह आगबबुला हो गया और क्रोधित होकर बोला इस दिशा में ऋषि-मुनि शिव की भक्ति करते है, यज्ञ करते है इसलिए पिताजी मुझे इधर आने से रोकते थे । उसने क्रोध में आकर उमरावों को आदेश दिया की इसी समय यज्ञ का विध्वंस कर दो, यज्ञ सामग्री नष्ट कर दो और ऋषि-मुनियों के आश्रम नष्ट कर दो । राजकुमार की आज्ञा पालन के लिए आगे बढे उमरावों को देखकर ऋषि भी क्रोध में आ गए और उन्होंने श्राप दिया की सब निष्प्राण बन जाओ । श्राप देते ही राजकुवर सहित 72 उमराव निष्प्राण, पत्थरवत बन गए । जब यह समाचार राजा खड्गलसेन ने सुना तो अपने प्राण तज दिए ।  राजा के साथ उनकी 8 रानिया सती हुई । 
राजकुवर की कुवरानी चन्द्रावती 72 उमरावों की पत्नियों के सहित रुदन करती हुई उन्ही ऋषियो की शरण में गई जिन्होंने इनके पतियों को श्राप दिया था ।  ये उन ऋषियो के चरणों में गिर पड़ी और और क्षमायाचना करते हुए श्राप वापस लेने की विनती की तब ऋषियो ने उषाप दिया की- जब देवी पार्वती के कहने पर भगवान महेश्वर इनमें प्राणशक्ति प्रवाहित करेंगे तब ये पुनः जीवित व शुद्ध बुद्धि हो जायेंगे ।  महेश-पार्वती के शीघ्र प्रसन्नता का उपाय पूछने पर ऋषियों ने कहा की- यहाँ निकट ही एक गुफा है, वहाँ जाकर भगवान महेश का अष्टाक्षर मंत्र "ॐ नमो महेश्वराय" का जाप करो । राजकुवरानी सारी स्त्रियों सहित गुफा में गई और मंत्र तपस्या में लीन हो गई । उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान महेशजी देवी पार्वती के साथ वहा आये ।  पार्वती ने इन जडत्व मूर्तियों को देखा और अपनी अंतर्दृष्टि से इसके बारे में जान लिया । महेश-पार्वती ने मंत्रजाप में लीन राजकुवरानी एवं सभी उमराओं की स्त्रियों के सम्मुख आकर कहा की- तुम्हारी तपस्या देखकर हम अति प्रसन्न है और तुम्हें वरदान देने के लिए आयें हैं, वर मांगो। इस पर राजकुवरानी ने देवी पार्वती से वर मांगा की- हम सभी के पति ऋषियों के श्राप से निष्प्राण हो गए है अतः आप भगवान महेशजी कहकर इनका श्रापमोचन करवायें । पार्वती ने 'तथास्तु' कहा और भगवान महेशजी से प्रार्थना की और फिर भगवान महेशजी ने सुजानसेन और सभी 72 उमरावों में प्राणशक्ति प्रवाहित करके उन्हें चेतन (जीवित) कर दिया । 
चेतन अवस्था में आते ही सभीने महेश-पार्वती का वंदन किया और अपने अपराध पर क्षमा याचना की ।  इसपर भगवान महेश ने कहा की- अपने क्षत्रियत्व के मद में तुमने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया है । तुमसे यज्ञ में बाधा डालने का पाप हुवा है, इसके प्रायश्चित के लिए अपने-अपने हथियारों को लेकर सूर्यकुंड में स्नान करो । ऐसा करते ही उन सभी के हथियार पानी में गल गए ।  स्नान करने के उपरान्त सभी भगवान महेश-पार्वती की जयजयकार करने लगे । फिर भगवान महेशजी ने कहा की- सूर्यकुंड में स्नान करने से तुम्हारे सभी पापों का प्रायश्चित हो गया है तथा तुम्हारा क्षत्रितत्व एवं पूर्व कर्म भी नष्ट हो गये है ।  यह तुम्हारा नया जीवन है इसलिए अब तुम्हारा नया वंश चलेगा । तुम्हारे वंशपर हमारी छाप रहेगी ।  देवी माहेश्वरी (पार्वती) के द्वारा तुम्हारी पत्नियों को दिए वरदान के कारन तुम्हे नया जीवन मिला है इसलिए तुम्हे 'माहेश्वरी' के नाम से जाना जायेगा । तुम हमारी (महेश-पार्वती) संतान की तरह माने जाओगे ।  तुम दिव्य गुणों को धारण करनेवाले होंगे ।  द्यूत, मद्यपान और परस्त्रीगमन इन त्रिदोषों से मुक्त होंगे । अब तुम्हारे लिए युद्धकर्म (जीवनयापन/उदरनिर्वाह के लिए योद्धा/सैनिक का कार्य करना) निषिद्ध (वर्जित) है । अब तुम अपने परिवार के जीवनयापन/उदरनिर्वाह के लिए वाणिज्य कर्म करोगे, तुम इसमें खूब फुलोगे-फलोगे।  जगत में धन-सम्पदा के धनि के रूप में तुम्हारी पहचान होगी । धनि और दानी के नाम से तुम्हारी ख्याति होगी। श्रेष्ठ कहलावोगे (*आगे चलकर श्रेष्ठ शब्द का अपभ्रंश होकर 'सेठ' कहा जाने लगा) । तुम जो धन-अन्न-धान्य दान करेंगे उसे माताभाग (माता का भाग) कहा जायेगा, इससे तुम्हे बरकत रहेगी । अब राजकुवर और उमरावों में स्त्रियों (पत्नियोंको) को स्वीकार करने को लेकर असमंजस दिखाई दिया । उन्होंने कहा की- हमारा नया जन्म हुवा है, हम तो “माहेश्वरी’’ बन गए है पर ये अभी क्षत्रानिया है l हम इन्हें कैसे स्वीकार करे ।  तब माता पार्वती ने कहा तुम सभी स्त्री-पुरुष हमारी (महेश-पार्वती) चार बार परिक्रमा करो, जो जिसकी पत्नी है अपने आप गठबंधन हो जायेगा l इसपर राजकुवरानी ने पार्वती से कहा की- माते, पहले तो हमारे पति क्षत्रिय थे, हथियारबन्द थे तो हमारी और हमारे मान की रक्षा करते थे अब हमारी और हमारे मान की रक्षा ये कैसे करेंगे तब पार्वती ने सभी को दिव्य कट्यार (कटार) दी और कहाँ की अब तुम्हारा कर्म युद्ध करना नहीं बल्कि वाणिज्य कार्य (व्यापार-उद्यम) करना है लेकिन अपने स्त्रियों की और मान की रक्षा के लिए सदैव 'कट्यार' (कटार) को धारण करेंगे l मै शक्ति स्वयं इसमे बिराजमान रहूंगी ।  तब सब ने महेश-पार्वति की चार बार परिक्रमा की तो जो जिसकी पत्नी है उनका अपनेआप गठबंधन हो गया  । 

कोटा स्टोन उद्योग की 300 यूनिट बंद होने से बची

दिनेश माहेश्वरी
कोटा ।   एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) भोपाल में पिछले नौ माह से कोटा स्टोन उद्योग पर स्लरी से प्रदूषण फैलाने के मामले में चल रहा केस समाप्त हो गया है। परन्तु ट्रिब्यूनल ने उद्यमियों को भविष्य में प्रदूषण नहीं फैलाने के लिए पाबंद किया है।
 इस मामले में पाषाण कल्याण समिति, राजस्थान प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड और रीको के सकारात्मक एनजीटी का नतीजा यह रहा कि शहर की करीब 300 स्टोन यूनिट्स बंद होने से बच गई। अगर यह बंद होती तो हजारों कर्मचारियों एवं श्रमिक बेरोजगार होते, साथ ही करोड़ों का निवेश बेकार हो जा जाता। एनजीटी में केस एनजीटी ऑफ होने पर उद्यमियों ने बहुत बड़ी राहत महसूस की है। हालांकि उद्यमियों को बतौर सिक्युरिटी पांच-पांच लाख रुपए एनजीटी के निर्देश पर प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड में जमा कराने पड़े थे। स्टोन उद्योग के खिलाफ नाले में स्लरी डालने के कारण होने वाले प्रदूषण को लेकर एनजीटी में किसी एनजीओ ने रिट लगाई थी। जिस मामले में लगातार नौ महीने तक ट्रिब्यूनल में केस चलता रहा।
 क्या-क्या हुए प्रयास
 रीको के सीनियर आरएम पीआर मीणा ने बताया कि रीको ने कोटा स्टोन के लिए दो डंपिंग यार्ड चिन्हित कर रखे हैं। जिस डंपिंग यार्ड के पास से स्लरी बहकर नाले में जाती थी, वहां रीको ने दीवार बनवा दी है। इसके अलावा दोनों डंपिंग यार्ड अब 16-16 फीट ऊंचाई के होंगे। इनके विकास के लिए राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय से कंसलटेंसी मांगी है। इसके लिए 4.99 करोड़ का प्रस्ताव बनाकर जयपुर रीको के मुख्यालय भेजा हुआ है।
 बनेंगी ईंटें और ब्लाक
 पाषाण कल्याण समिति के अध्यक्ष दिनेश भारद्वाज ने बताया कि उन्होंने रीको से डंपिंग यार्ड के पास ही ईंटें औ ब्लॉक बनाने के लिए 10 हजार वर्ग मीटर जमीन मांगी है। ताकि इस प्रोजेक्ट को शुरू किया जा सके। सचिव मुकेश त्यागी ने बताया कि टाइल्स, ईंटें एवं ब्लॉक बनाने का काम ईको फ्रैंडली श्रेणी में आता है। इसलिए इस पर एमएसएमई में प्रोजेक्ट की लागत की 90 प्रतिशत तक सब्सिडी मिलती है। इस प्रोजेक्ट की डीपीआर बनाई जा रही है। उन्होंने बताया कि एनजीटी को भी ईको फ्रेंडली उत्पाद बनाने का वीडियो दिखाया था, जिस पर ट्रिब्युनल ने संतोष जाहिर करते हुए मामला समाप्त कर दिया।

Saturday, June 4, 2016

सोलर वाटर पंप एवं घरेलू लाइटिंग पर सब्सिडी

 दिनेश माहेश्वरी। कोटा 
 सरकार की ओर से खेती में सिंचाई के लिए सोलर वाटर पंप लगाने एवं घरेलू सोलर लाइटिंग के लिए सब्सिडी की स्कीम दी जा रही है। स्वरोजगार की दिशा में यदि कोई डेयरी लगाना चाहे तो इस पर भी सरकार की ओर से सब्सिडी मिलती है। यह जानकारी शुक्रवार को एक होटल में आयोजित कार्यशाला में जयपुर से नाबार्ड के सहायक महाप्रबंधक एसके वर्मा ने दी। उन्होंने बताया कि सोलर वाटर पंप पर दो से 10 हॉर्स पावर तक 44 हजार से 1.94 लाख रुपए की सब्सिडी है। गांवों में जहां बिजली की समस्या है, वहां पर सोलर वाटर पंप का उपयोग कर खेतों एवं बगीचों में सिंचाई की जा सकती है। इसी तरह सरकार की ओर से घरों में सौर उर्जा प्लांट या लाइटिंग लगाने पर सब्सिडी है। 40 वाट तक 160 रुपए प्रति वाट और 40 से 300 वाट तक 100 रुपए प्रति वाट की सब्सिडी का प्रावधान है। इसमें भी सौर उर्जा से एलईडी बल्ब पर सब्सिडी है। सोलर पावर के लिए राजस्थान के लिए 50 लाख का बजट है।
 वर्मा ने बताया कि विश्व में दूध उत्पादन के मामले में भारत दूसरे स्थान पर है। कृषि के बाद देश में सबसे ज्यादा रोजगार डेयरी व्यवसाय में है। कोई क्लीन मिल्क का प्लांट लगाना चाहे तो उसे जनरल केटेगरी में 25 प्रतिशत और एसटी एससी में 33 प्रतिशत तक सब्सिडी का प्रावधान है। दूध के वेल्यु एडेड उत्पाद तैयार कर कोई भी अच्छा मुनाफा कमा सकता है। दूध 40 रुपए लीटर है जबकि इसी घी बनाकर बेचें तो 400 रुपए लीटर मिलेंगे। चीज 600 रुपए किलो बिकता है। इसलिए डेयरी व्यवसाय मुनाफे का सौदा है। इसमें एक परिवार से एक व्यक्ति को ही सब्सिडी का प्रावधान है।
 एग्री बिजनेस के बारे में नोडल अधिकारी विक्रम सिंह ने बताया कि कृषि स्नातकों को इसमें स्वरोजगार के अनेक अवसर हैं। कृषि स्नातकों के लिए इसमें कोई आयु सीमा नहीं है वे प्रशिक्षण प्राप्त कर स्वरोजगार अपना सकते हैं। कार्यक्रम के पहले भू विज्ञान विभाग के सीनियर हाइड्रो जियो लोजिस्ट वीएम भावे ने भू जल संरक्षण एवं एवं पुनर्भरण के बारे में जानकारी दी। नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक राजीव दायमा ने बैंकर्स से सरकारी योजनाओं को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने की अपील की। कार्यशाला में बैंकर्स, किसान एवं एनजीओ के प्रतिनिधि मौजूद थे।

Wednesday, June 1, 2016

लाइसेंस प्‍लेट जो आपकी कार को टक्‍कर से बचाएगी

एक ऐसी लाइसेंस प्लेट आ गई है जिससे गाड़ी पार्क करना बिल्‍कुल आसान हो जाएगा। ये स्‍मार्ट प्‍लेट 10 फीट की दूरी पर ही बता देगी कि कोई चीज पीछे है जिससे आपकी गाड़ी टकरा सकती है। जानें क्‍या है इस लाइसेंस प्लेट खासियत।
ब्‍लूटूथ से होगा कनेक्‍ट
इस लाइसेंस प्‍लेट का नाम FenSens Fender Defender है जो आप अपनी गाड़ी में लगवा सकते हैं। इस स्‍मार्ट प्‍लेट को यूज करने के लिए आपको इसका एक ऐप अपने स्‍मार्टफोन में डाउनलोड करना होगा।
ये ऐप गाड़ी के रीयर लाइसेंस प्‍लेट को ड्राइवर के स्‍मार्टफोन से कनेक्‍ट कर देगा है और आने वाली सभी बाधाओं के बारे में सचेत करेगा। इस लाइसेंस प्‍लेट के आसपास चार अल्‍ट्रासॉनिक सेंसर होते है जो ड्राइवर को 10 फीट की दूरी पर ही बता देगा कि कोई चीज पीछे है जिससे गाड़ी टकरा सकती है।ये ऐप ब्‍लूटूथ के जरीए लाइसेंस प्‍लेट से कनेक्‍ट होगा। ये रिंग या वाइब्रेशन के जरीए आपको आने वाली बाधाओं से सावधान करेगा। 
बैटरी लगी है लाइसेंस प्‍लेट में
ये ऐप यूजर को स्‍मार्टफोन पर भी दिखाता रहेगा की कौन सा ऑब्‍जेक्‍ट उसकी गाड़ी के कितने पीछे है और कहां पर है। ये ऐप बहुत ही स्‍मार्टली काम करेगा। बता दें की FenSens लाइसेंस प्‍लेट पूरी तरह से वाटरप्रूफ और डस्‍टप्रूफ है। इसमें एक बैटरी भी लगी हुई है जिसको हर पांच महीने में रिचार्ज करना होगा।

-

5 लाख तक की गोल्ड ज्वैलरी की नकद खरीद पर नहीं देना होगा

दिनेश महेश्वरी 
कोटा। सरकार ने 2 लाख रुपये और इससे ज्यादा की गोल्ड ज्वैलरी की नकद खरीदारी पर एक पर्सेंट टीसीएस (टैक्स कलेक्शन ऐट सोर्स) लगाने का आम बजट में किया गया निर्णय वापस ले लिया है। इसके साथ सरकार ने 5 लाख रुपये तक की गोल्ड ज्वैलरी की नकद खरीद पर टीसीएस न लेने की पिछली स्थिति पहली जून से बहाल करने का फैसला किया है। इससे गोल्ड ज्वैलरी की डिमांड बढ़ सकती है।
ज्वैलर्स को 42 दिनों तक चली अपनी हड़ताल के दौरान की इनवेंटरी निकालने में दिक्कत हो रही है। उन्होंने गोल्ड और डायमंड ज्वैलरी पर एक पर्सेंट एक्साइज ड्यूटी लगाए जाने के विरोध में हड़ताल की थी।
ऑल इंडिया जेम एंड ज्वैलरी ट्रेड फेडरेशन के डायरेक्टर बछराज बामलवा ने कहा कि टीसीएस लागू होने की लिमिट बढ़ाया जाना 'उन लोगों के लिए एक बड़ी राहत है, जो वेडिंग ज्वैलरी खरीदने वाले हैं।' उन्होंने ईटी से कहा, 'वेडिंग ज्वैलरी के लिए 2 लाख रुपये बहुत छोटी रकम थी।'
2016 के पहले क्वॉर्टर में देश में गोल्ड की डिमांड सात वर्षों के निचले स्तर पर चली गई थी। तब सेल्स साल दर साल आधार पर 41 पर्सेंट घटकर 88.4 टन पर आ गई थी। यह पांच वर्षों के क्वॉर्टर्ली ऐवरेज (156.7 टन) से 44 पर्सेंट कम था। भारत में गोल्ड की सालाना खपत 850-900 टन की है।
इस साल के शुरू से गोल्ड के दाम चढ़े हैं। पीएनजी ज्वैलर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर सौरभ गाडगिल ने कहा कि जनवरी से गोल्ड के दाम करीब 20 पर्सेंट चढ़े हैं। गाडगिल ने कहा, 'मार्केट में डिमांड बेहद कम है। हालांकि 5 लाख रुपये की लिमिट से जुड़ी राहत मिलने से कुछ मूवमेंट आने की उम्मीद है क्योंकि जून में शादी के मुहूर्त हैं।'
टीसीएस को टैक्स चोरी रोकने और ब्लैक मनी ट्रांजैक्शंस पर लगाम कसने के मकसद से लागू किया गया था। बिक्री के वक्त सेलर यह टीसीएस बायर से कलेक्ट करता है और यह रकम सरकार के पास जमा की जाती है। जिस व्यक्ति से टीसीएस लिया जाता है, उसे उसके इनकम टैक्स रिटर्न में उतनी ही रकम का क्रेडिट मिल जाता है। साल 2012 में 5 लाख रुपये या इससे ज्यादा की ज्वैलरी की नकद खरीदारी और 2 लाख रुपये या इससे ज्यादा के बुलियन की नकद खरीदारी पर एक पर्सेंट टीसीएस लागू किया गया था।
केंद्र सरकार ने इस साल के बजट में ज्वैलरी पर टीसीएस लगने की सीमा को घटाकर 2 लाख रुपये की नकद खरीदारी पर ला दिया था। लोकल गोल्ड प्राइस में तेज बढ़ोतरी के चलते फरवरी में गोल्ड ज्वैलरी की डिमांड पहले ही कम हो चुकी थी।