दिनेश माहेश्वरी
कोटा । एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) भोपाल में पिछले नौ माह से कोटा स्टोन उद्योग पर स्लरी से प्रदूषण फैलाने के मामले में चल रहा केस समाप्त हो गया है। परन्तु ट्रिब्यूनल ने उद्यमियों को भविष्य में प्रदूषण नहीं फैलाने के लिए पाबंद किया है।
इस मामले में पाषाण कल्याण समिति, राजस्थान प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड और रीको के सकारात्मक एनजीटी का नतीजा यह रहा कि शहर की करीब 300 स्टोन यूनिट्स बंद होने से बच गई। अगर यह बंद होती तो हजारों कर्मचारियों एवं श्रमिक बेरोजगार होते, साथ ही करोड़ों का निवेश बेकार हो जा जाता। एनजीटी में केस एनजीटी ऑफ होने पर उद्यमियों ने बहुत बड़ी राहत महसूस की है। हालांकि उद्यमियों को बतौर सिक्युरिटी पांच-पांच लाख रुपए एनजीटी के निर्देश पर प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड में जमा कराने पड़े थे। स्टोन उद्योग के खिलाफ नाले में स्लरी डालने के कारण होने वाले प्रदूषण को लेकर एनजीटी में किसी एनजीओ ने रिट लगाई थी। जिस मामले में लगातार नौ महीने तक ट्रिब्यूनल में केस चलता रहा।
क्या-क्या हुए प्रयास
रीको के सीनियर आरएम पीआर मीणा ने बताया कि रीको ने कोटा स्टोन के लिए दो डंपिंग यार्ड चिन्हित कर रखे हैं। जिस डंपिंग यार्ड के पास से स्लरी बहकर नाले में जाती थी, वहां रीको ने दीवार बनवा दी है। इसके अलावा दोनों डंपिंग यार्ड अब 16-16 फीट ऊंचाई के होंगे। इनके विकास के लिए राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय से कंसलटेंसी मांगी है। इसके लिए 4.99 करोड़ का प्रस्ताव बनाकर जयपुर रीको के मुख्यालय भेजा हुआ है।
बनेंगी ईंटें और ब्लाक
पाषाण कल्याण समिति के अध्यक्ष दिनेश भारद्वाज ने बताया कि उन्होंने रीको से डंपिंग यार्ड के पास ही ईंटें औ ब्लॉक बनाने के लिए 10 हजार वर्ग मीटर जमीन मांगी है। ताकि इस प्रोजेक्ट को शुरू किया जा सके। सचिव मुकेश त्यागी ने बताया कि टाइल्स, ईंटें एवं ब्लॉक बनाने का काम ईको फ्रैंडली श्रेणी में आता है। इसलिए इस पर एमएसएमई में प्रोजेक्ट की लागत की 90 प्रतिशत तक सब्सिडी मिलती है। इस प्रोजेक्ट की डीपीआर बनाई जा रही है। उन्होंने बताया कि एनजीटी को भी ईको फ्रेंडली उत्पाद बनाने का वीडियो दिखाया था, जिस पर ट्रिब्युनल ने संतोष जाहिर करते हुए मामला समाप्त कर दिया।
कोटा । एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) भोपाल में पिछले नौ माह से कोटा स्टोन उद्योग पर स्लरी से प्रदूषण फैलाने के मामले में चल रहा केस समाप्त हो गया है। परन्तु ट्रिब्यूनल ने उद्यमियों को भविष्य में प्रदूषण नहीं फैलाने के लिए पाबंद किया है।
इस मामले में पाषाण कल्याण समिति, राजस्थान प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड और रीको के सकारात्मक एनजीटी का नतीजा यह रहा कि शहर की करीब 300 स्टोन यूनिट्स बंद होने से बच गई। अगर यह बंद होती तो हजारों कर्मचारियों एवं श्रमिक बेरोजगार होते, साथ ही करोड़ों का निवेश बेकार हो जा जाता। एनजीटी में केस एनजीटी ऑफ होने पर उद्यमियों ने बहुत बड़ी राहत महसूस की है। हालांकि उद्यमियों को बतौर सिक्युरिटी पांच-पांच लाख रुपए एनजीटी के निर्देश पर प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड में जमा कराने पड़े थे। स्टोन उद्योग के खिलाफ नाले में स्लरी डालने के कारण होने वाले प्रदूषण को लेकर एनजीटी में किसी एनजीओ ने रिट लगाई थी। जिस मामले में लगातार नौ महीने तक ट्रिब्यूनल में केस चलता रहा।
क्या-क्या हुए प्रयास
रीको के सीनियर आरएम पीआर मीणा ने बताया कि रीको ने कोटा स्टोन के लिए दो डंपिंग यार्ड चिन्हित कर रखे हैं। जिस डंपिंग यार्ड के पास से स्लरी बहकर नाले में जाती थी, वहां रीको ने दीवार बनवा दी है। इसके अलावा दोनों डंपिंग यार्ड अब 16-16 फीट ऊंचाई के होंगे। इनके विकास के लिए राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय से कंसलटेंसी मांगी है। इसके लिए 4.99 करोड़ का प्रस्ताव बनाकर जयपुर रीको के मुख्यालय भेजा हुआ है।
बनेंगी ईंटें और ब्लाक
पाषाण कल्याण समिति के अध्यक्ष दिनेश भारद्वाज ने बताया कि उन्होंने रीको से डंपिंग यार्ड के पास ही ईंटें औ ब्लॉक बनाने के लिए 10 हजार वर्ग मीटर जमीन मांगी है। ताकि इस प्रोजेक्ट को शुरू किया जा सके। सचिव मुकेश त्यागी ने बताया कि टाइल्स, ईंटें एवं ब्लॉक बनाने का काम ईको फ्रैंडली श्रेणी में आता है। इसलिए इस पर एमएसएमई में प्रोजेक्ट की लागत की 90 प्रतिशत तक सब्सिडी मिलती है। इस प्रोजेक्ट की डीपीआर बनाई जा रही है। उन्होंने बताया कि एनजीटी को भी ईको फ्रेंडली उत्पाद बनाने का वीडियो दिखाया था, जिस पर ट्रिब्युनल ने संतोष जाहिर करते हुए मामला समाप्त कर दिया।
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