Monday, July 11, 2016

पत्रकार की छुट्टी और ड्यूटी टाइम क्या होनी चाहिए

प्रबंधन 9 घंटे ड्यूटी कराता है। क्या करना चाहिए। ऐसे तमाम सवाल पूछे जाते हैं। कुछ के जवाब तुरंत देता हूँ लेकिन कुछ के लिए डॉटा खोजना पड़ता है। दोस्तों आपको बता दें कि वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट का चैप्टर 3 साफ़ कहता है कि दिन में 6 घंटे से ज्यादा ड्यूटी नहीं ली जा सकती और चार घंटे से ज्यादा लगातार काम नहीं कराया जा सकता। दूसरी चीज, चार घंटे के बाद कर्मचारी को 30 मिनट का रेस्ट मिलना चाहिए।
इसी तरह नाइट शिफ्ट में साढ़े पांच घंटे से ज्यादा ड्यूटी टाइम नहीं होनी चाहिए। इसमें साढ़े तीन घंटे बाद 30 मिनट का कर्मचारी को रेस्ट मिलना चाहिए। इसी तरह चैप्टर 3 की धारा 10 कहती है अगर किसी कर्मचारी ने जितने घंटे अतिरिक्त काम किया है, उतने घंटे उसे अतिरिक्त अवकाश दिया जायेगा। वर्किंग जर्नलिस्ट के चैप्टर 3 में धारा 11 कहती है किसी भी कर्मचारी से लगातार एक सप्ताह से ज्यादा नाइट शिफ्ट नहीं कराया जा सकता। अगर ऐसा बहुत आवश्यक हुआ तो सम्बंधित श्रम आयुक्त या सम्बंधित प्राधिकरण से लिखित अनुमति लेनी पड़ती है और इसकी ठोस वजह बतानी पड़ती है।
आपको बता दूं कि देश भर के अधिकाँश समाचार पत्र प्रतिष्ठान इसका पालन नहीं करते और अपने कर्मचारियों से कई कई साल तक नाइट ड्यूटी कराते हैं जो पूरी तरह गलत है। वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट के चैप्टर 4 में धारा 16 में बताया गया है कि अगर किसी कर्मचारी को उसके अवकाश के दिन बुलाया जाता है तो उसे उस दिन का वेतन दिया जाएगा। बहुत से समाचार पत्र के प्रबंधन अवकाश के दिन अपने कर्मचारियों को बुलाते हैं तो उन्हें वेतन की जगह एक दिन अतिरिक्त अवकाश देते हैं, जो पूरी तरह गलत है।
चैप्टर 4 की धारा 15 में यह भी लिखा है कि सभी कर्मचारियों को साल में 10 सार्वजानिक अवकाश मिलना चाहिए। सार्वजनिक अवकाश के दिन अगर कर्मचारी ड्यूटी करता है तो उस दिन का वेतन देने का प्रावधान है। बहुत सी कम्पनियाँ अपने कर्मचारियों को सार्वजानिक अवकाश के दिन ड्यूटी पर बुलाती हैं मगर उन्हें वेतन न देकर बदले में किसी दूसरे दिन अवकाश देती हैं।
वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट के चैप्टर 5 में लिखा है अगर आपका अवकाश रद्द होता है तो उसकी वजह प्रबंधन को लिखित रूप से कर्मचारी को बताना पड़ेगा। चैप्टर 5 की धारा 20 कहती है सार्वजानिक अवकाश के दिन लिए गए अवकाश को दूसरे किसी भी अवकाश में शामिल नहीं किया जा सकता है। अगर बहुत जरूरी हुआ तो इसके लिए सम्बंधित प्राधिकरण से लिखित अनुमति लेनी पड़ती है।
चैप्टर 5 की धारा 34 में ये भी लिखा है कि सभी कर्मचारियों को साल में 15 दिन का कैजुअल लीव (सीएल) मिलना चाहिए और एक साथ 5 दिन से ज्यादा सीएल नहीं लिया जा सकता। इसको अगले साल भी कैरी फारवर्ड नहीं किया जा सकता। ये नियम संपादक, संवाददाता और न्यूज़ फोटोग्राफर पर लागू नहीं होता, ऐसा चैप्टर 3 की धारा 7 में लिखा है।

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