कोटा। रिटायरमेंट फंड मैनेज करने वाली संस्था ईपीएफओ ने उस प्रविज़न में रियायत दी है, जिसमें पीएफ विदड्रॉल जैसे सेटलमेंट क्लेम्स के लिए यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (यूएएन) देना जरूरी था। यह प्रावधान ऐसे सभी सब्सक्राइबर्स के लिए था, जिन्होंने 1 जनवरी 2014 के बाद मेंबरशिप छोड़ी है।
एंप्लॉयीज प्रॉविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन (ईपीएफओ) ने क्लेम ऐप्लिकेशन फॉर्म्स पर यूएएन देना पिछले साल दिसंबर से अनिवार्य बना दिया था। एक अधिकारी ने बताया, 'इस शर्त में रियायत देने का फैसला ऐसे मेंबर्स की मुश्किलों को देखते हुए किया गया है, जिन्हें यूएएन अलॉट नहीं किया गया था। यूएएन को शुरुआत में ऐसे सभी मेंबर्स को अलॉट किया गया था, जो जनवरी से जून 2014 के दौरान सब्सक्राइबर्स थे। यह फैसला ऐसे मेंबर्स को राहत देने के लिए किया गया है, जिन्होंने 1 जनवरी 2014 से पहले नौकरी छोड़ दी थी।'
यह फैसला किया गया है कि क्लेम फॉर्म बिना यूएएन के भी स्वीकार किया जा सकता है अगर मेंबर के छोड़ने की तारीख 1 जनवरी 2014 से पहले की है। इसके अलावा, कुछ मामलों में ऑफिसर इंचार्ज अपनी समझ से बिना यूएएन के क्लेम फॉर्म जमा करने की इजाजत दे सकता है। यूएएन को क्लेम फॉर्म पर कोट करना इस मकसद के साथ अनिवार्य बनाया गया था कि इससे गलतियों की आशंका कम होगी। चूंकि यूएएन आधार, बैंक अकाउंट और अन्य चीजों से जुड़ा रहता है, ऐसे में यह क्लेम दाखिल करने वालों को बिना किसी दिक्कत के अपना बकाया हासिल करने में मदद देता है। ईपीएफओ ने जुलाई 2015 में यूएएन नंबर देना शुरू किया था। वह मेंबर्स को अब तक चार करोड़ यूएएन अलॉट कर चुका है। मेंबर्स अपना यूएएन खुद भी ऐक्टिवेट कर सकते हैं और इसे किसी अन्य ऑनलाइन बैंक अकाउंट की तरह मैनेज कर सकते हैं।
एंप्लॉयीज प्रॉविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन (ईपीएफओ) ने क्लेम ऐप्लिकेशन फॉर्म्स पर यूएएन देना पिछले साल दिसंबर से अनिवार्य बना दिया था। एक अधिकारी ने बताया, 'इस शर्त में रियायत देने का फैसला ऐसे मेंबर्स की मुश्किलों को देखते हुए किया गया है, जिन्हें यूएएन अलॉट नहीं किया गया था। यूएएन को शुरुआत में ऐसे सभी मेंबर्स को अलॉट किया गया था, जो जनवरी से जून 2014 के दौरान सब्सक्राइबर्स थे। यह फैसला ऐसे मेंबर्स को राहत देने के लिए किया गया है, जिन्होंने 1 जनवरी 2014 से पहले नौकरी छोड़ दी थी।'
यह फैसला किया गया है कि क्लेम फॉर्म बिना यूएएन के भी स्वीकार किया जा सकता है अगर मेंबर के छोड़ने की तारीख 1 जनवरी 2014 से पहले की है। इसके अलावा, कुछ मामलों में ऑफिसर इंचार्ज अपनी समझ से बिना यूएएन के क्लेम फॉर्म जमा करने की इजाजत दे सकता है। यूएएन को क्लेम फॉर्म पर कोट करना इस मकसद के साथ अनिवार्य बनाया गया था कि इससे गलतियों की आशंका कम होगी। चूंकि यूएएन आधार, बैंक अकाउंट और अन्य चीजों से जुड़ा रहता है, ऐसे में यह क्लेम दाखिल करने वालों को बिना किसी दिक्कत के अपना बकाया हासिल करने में मदद देता है। ईपीएफओ ने जुलाई 2015 में यूएएन नंबर देना शुरू किया था। वह मेंबर्स को अब तक चार करोड़ यूएएन अलॉट कर चुका है। मेंबर्स अपना यूएएन खुद भी ऐक्टिवेट कर सकते हैं और इसे किसी अन्य ऑनलाइन बैंक अकाउंट की तरह मैनेज कर सकते हैं।
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