बिजनेस रिपोर्टर . कोटा
केन्द्र सरकार की इनकम डिसक्लोजर स्कीम (आईडीएस) में घोषित इनकम में से ही 45 प्रतिशत टैक्स पेनल्टी समेत भरना है, न कि अलग से। इस मामले में केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने पिछले सप्ताह ही एक संशोधित नोटिफिकेशन जारी कर स्पष्ट किया है। माना कि कोई व्यक्ति अपनी एक करोड़ रुपए इनकम घोषित करता है, तो उसमें से टैक्स की राशि को अघोषित मानते हुए ही टैक्स चुकाया जाएगा। अगर वह घोषित आय के अलावा अलग से टैक्स देगा तो उस राशि को अघोषित आय में गिना जाएगा।
केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने 14 जुलाई को जारी स्पष्टीकरण में कहा है कि घोषित की गई आय पर टैक्स सरचार्ज एवं पेनल्टी जोड़कर 45 प्रतिशत चुकाना है। इसे इस उदाहरण से समझा जा सकता है। 1 जून 2016 को कोई व्यक्ति अपनी अचल संपत्ति में निवेश किए गए 100 लाख रुपए की उचित बाजार दर अघोषित आय की घोषणा करता है। उस पर 45 लाख रुपए अघोषित आय पेनल्टी, सरचार्ज और टैक्स का भुगतान करता है। यह राशि उसकी घोषणा में शामिल नहीं है। यह राशि जो टैक्स के रूप में जमा कराई गई है ,उसमें राहत (प्रतिरक्षा) नहीं मिलेगी। उसकी यह राशि 145 लाख रुपए अघोषित आय मानते हुए उस पर 45 प्रतिशत टैक्स पेनल्टी और सरचार्ज जोड़कर 65.25 लाख रुपए जमा कराने होंगे। इस मामले में काफी दिनों से करदाताओं के मन में इस स्कीम को लेकर असमंजस की स्थित बनी हुई थी। जब यह बात वित्त मंत्रालय के पास पहुंची तो वित्त मंत्रालय ने इस मामले में स्पष्टीकरण जारी किया।
क्या है स्कीम
टैक्स एक्सपर्ट अनिल काला का कहना है कि स्कीम 1 जून से 30 सितंबर 16 तक जारी रहेगी। स्कीम के मुताबिक जिस व्यक्ति को अपनी आय उजागर करनी है, उसे अपनी संपत्ति की वेल्यु 1 जून 2016 के हिसाब से निकालनी होगी। इसके लिए उसे वेल्युअर की मदद लेनी होगी। जो वेल्यु आएगी, उस पर उसे टैक्स पेनल्टी के साथ जमा कराना होगा।
इस स्कीम में आय की घोषणा करने वाला व्यक्ति अपनी आय की सही घोषणा करेगा। हालांकि आय घोषित करने वाला व्यक्ति अपनी घोषणा की अंतिम तिथि 30 सितंबर तक रिवाइज कर सकता है, लेकिन पूर्व में घोषित आय को कम नहीं कर सकता। 45 प्रतिशत में 30 प्रतिशत टैक्स, 7.5 प्रतिशत पेनल्टी और 7.5 प्रतिशत कृषक कल्याण उपकर शामिल है। अपनी आय घोषित करने वाला करदाता तीन किश्तों में टैक्स जमा करा सकता है।
केन्द्र सरकार की इनकम डिसक्लोजर स्कीम (आईडीएस) में घोषित इनकम में से ही 45 प्रतिशत टैक्स पेनल्टी समेत भरना है, न कि अलग से। इस मामले में केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने पिछले सप्ताह ही एक संशोधित नोटिफिकेशन जारी कर स्पष्ट किया है। माना कि कोई व्यक्ति अपनी एक करोड़ रुपए इनकम घोषित करता है, तो उसमें से टैक्स की राशि को अघोषित मानते हुए ही टैक्स चुकाया जाएगा। अगर वह घोषित आय के अलावा अलग से टैक्स देगा तो उस राशि को अघोषित आय में गिना जाएगा।
केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने 14 जुलाई को जारी स्पष्टीकरण में कहा है कि घोषित की गई आय पर टैक्स सरचार्ज एवं पेनल्टी जोड़कर 45 प्रतिशत चुकाना है। इसे इस उदाहरण से समझा जा सकता है। 1 जून 2016 को कोई व्यक्ति अपनी अचल संपत्ति में निवेश किए गए 100 लाख रुपए की उचित बाजार दर अघोषित आय की घोषणा करता है। उस पर 45 लाख रुपए अघोषित आय पेनल्टी, सरचार्ज और टैक्स का भुगतान करता है। यह राशि उसकी घोषणा में शामिल नहीं है। यह राशि जो टैक्स के रूप में जमा कराई गई है ,उसमें राहत (प्रतिरक्षा) नहीं मिलेगी। उसकी यह राशि 145 लाख रुपए अघोषित आय मानते हुए उस पर 45 प्रतिशत टैक्स पेनल्टी और सरचार्ज जोड़कर 65.25 लाख रुपए जमा कराने होंगे। इस मामले में काफी दिनों से करदाताओं के मन में इस स्कीम को लेकर असमंजस की स्थित बनी हुई थी। जब यह बात वित्त मंत्रालय के पास पहुंची तो वित्त मंत्रालय ने इस मामले में स्पष्टीकरण जारी किया।
क्या है स्कीम
टैक्स एक्सपर्ट अनिल काला का कहना है कि स्कीम 1 जून से 30 सितंबर 16 तक जारी रहेगी। स्कीम के मुताबिक जिस व्यक्ति को अपनी आय उजागर करनी है, उसे अपनी संपत्ति की वेल्यु 1 जून 2016 के हिसाब से निकालनी होगी। इसके लिए उसे वेल्युअर की मदद लेनी होगी। जो वेल्यु आएगी, उस पर उसे टैक्स पेनल्टी के साथ जमा कराना होगा।
इस स्कीम में आय की घोषणा करने वाला व्यक्ति अपनी आय की सही घोषणा करेगा। हालांकि आय घोषित करने वाला व्यक्ति अपनी घोषणा की अंतिम तिथि 30 सितंबर तक रिवाइज कर सकता है, लेकिन पूर्व में घोषित आय को कम नहीं कर सकता। 45 प्रतिशत में 30 प्रतिशत टैक्स, 7.5 प्रतिशत पेनल्टी और 7.5 प्रतिशत कृषक कल्याण उपकर शामिल है। अपनी आय घोषित करने वाला करदाता तीन किश्तों में टैक्स जमा करा सकता है।
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