Sunday, August 17, 2014

मुश्किल घड़ी में ही निकालें पीएफ के पैसे

वैसे तो भविष्य निधि (प्रोविडेंट फंड) में जमा रकम रिटारयरमेंट के बाद इस्तेमाल के लिए होती है, लेकिन इसका कुछ हिस्सा नौकरी में रहते हुए भी निकाला जा सकता है। इसके कुछ नियम-कायदे होते हैं, जिनकी जानकारी जरूरी है। 
नौकरी करने वाले ज्यादातर लोग कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में वेतन का एक निर्धारित हिस्सा जमा कराते हैं। इसे अंशदान कहा जाता है, जो हर माह पीएफ खाते में जमा होती है। जैसा कि नाम से ही जाहिर है, यह भविष्य की जरूरतों के लिए बचत का शानदार माध्यम है। यहां भविष्य का अर्थ नौकरी से सेवानिवृत्त हो जाने के बाद का जीवन है। लिहाजा इसमें जमा रकम ब्याज के साथ रिटायरमेंट के बाद एकमुश्त मिलती है। लेकिन, मौजूदा दौर में अधिकांश आम लोगों की आमदनी और खर्च का अंतर इस कदर कम हो गया है कि बचत न के बराबर हो गई है। ऐसे में कई बार मोटी रकम की जरूरत होने पर बचत की रकम कम पड़ जाती है। बच्चों की पढ़ाई, उनकी शादी, होम लोन चुकाने में परेशानी या किसी तरह की आपात स्थिति में ऐसे मौके आ सकते हैं। ऐसे हालात में पर्सनल लोन लेकर काम चलाया जा सकता है। चूंकि इस तरीके से रकम जुटाने की लागत ज्यादा होती है और सभी को आसानी से ऐसे कर्ज नहीं मिल पाते, लिहाजा पीएफ खाते से आंशिक निकासी मजबूरी बन जाती है।
न्यूनतम 5 साल की सदस्यता जरूरी
पीएफ खाते से आंशिक निकासी तभी की जा सकती है, ईपीएफ की सदस्यता कम-से-कम 5 वर्षों की हो। इससे पहले नौकरी छोड़ने पर ही पीएफ की रकम निकाली जा सकती है। लेकिन, ऐसी स्थिति में खाता बंद हो जाएगा। दरअसल, इपीएफ खाते से निकासी के कुछ नियम और शर्तें हैं।
मकान या आवासीय प्लॉट के लिए
मकान निर्माण, खरीदने या घर बनाने योग्य जमीन लेने के लिए पीएफ खाते से आंशिक निकासी की जा सकती है। ऐसी जरूरतों के लिए 36 माह के मूल वेतन और महंगाई भत्ते या अंशदान (नियोक्ता की तरफ से अंशदान और ब्याज समेत) या निर्माण की लागत या फिर प्लॉट की कीमत में से जो कम हो, कम-से-कम उतनी रकम निकाली जा सकती है। यहां इस बात पर गौर करना मुनासिब होगा कि इस तरह की आंशिक निकासी नौकरी की पूरी अवधि में केवल एक बार की जा सकती है। मेंबरशिप की अवधि कम-से-कम पांच साल।
होम लोन चुकाने के लिए
राज्य सरकार, पंजीकृत सहकारी समिति, राज्य हाउसिंग बोर्ड, राष्ट्रीयकृत बैंक और सरकारी वित्तीय संस्थानों से लिए गए होम लोन चुकाने के लिए पीएफ खाते से आंशिक निकासी की जा सकती है। इस मकसद से निकाली जा सकनेवाली रकम का हिसाब-किताब उसी नियम से किया जाता है, जो मकान बनाने, खरीदने या फिर रिहायशी प्लॉट के लिए है। यह भी कार्यकाल के दौरान केवल एक बार की जा सकनेवाली आंशिक निकासी है। इसके लिए कम-से-कम 10 साल की सदस्यता जरूरी है।
शादी, पढ़ाई संबंधी जरूरतों के लिए
अपनी या बच्चों की शादी के लिए या बच्चों की उधा शिक्षा (10वीं से ऊपर की पढ़ाई) के लिए पीएफ खाते से आंशिक निकासी का विकल्प अपनाया जा सकता है। निकासी की रकम अंशदान और ब्याज की राशि के 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकती। इस तरह की निकासी मुकम्मल सेवाकाल में तीन बार की जा सकती है। पहली निकासी के लिए कम-से-कम इपीएफ की सात साल की मेंबरशिप जरूरी है।
गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए
खुद गंभीर रूप से बीमार हो जाने या फिर परिवार के किसी सदस्य को ऐसी बीमारी (टीबी, कुष्ठ, लकवा, कैंसर, मानसिक रोग, हृदय रोग आदि) होने की स्थिति में इलाज या बड़ी सर्जरी के लिए (रोगी का न्यूनतम एक माह तक अस्पताल में भरती रहना अनिवार्य शर्त) आंशिक निकासी की जा सकती है। अधिकतम 6 माह के मूल वेतन और महंगाई भत्ते या कुल अंशदान व ब्याज (इनमें से जो कम हो) के बराबर रकम मिलेगी। इस मामले में न्यूनतम सेवाकाल की कोई बाध्यता नहीं है। ऐसी निकासी जरूरत पड़ने पर हर बार की जा सकती है।
अक्षमता कम करने के लिए
शारीरिक रूप से विकलांग कर्मचारी अपनी अक्षमता कम करने के वास्ते उपकरण खरीदने के लिए पीएफ खाते से आंशिक निकासी कर सकता है। ऐसी स्थिति में निकासी की रकम अधिकतम 6 माह के मूल वेतन और महंगाई भत्ते या संचित अंशदान व ब्याज या उपकरण की कीमत (इनमें से जो कम हो) के बराबर होगी।
रिटायरमेंट से एक साल पहले
रिटायर होने से एक साल पहले पीएफ खाते की 90 फीसद रकम निकाली जा सकती है। लेकिन, शर्त यह है कि निकासी के समय कर्मचारी की उम्र कम-से-कम 54 वर्ष होनी चाहिए। इसके अलावा देश से बाहर काम पर जाने या बसने और नौकरी छोड़ने की स्थिति में कभी भी पूरी निकासी की जा सकती है।
5 वर्ष से पहले निकासी पर टैक्स
यदि सदस्या की अवधि 5 वर्ष पूरी होने से पहले पीएफ खाते से निकासी की जाती है, तो ऐसी स्थिति में टैक्स देना पड़ता है। कर्मचारी के अंशदान पर आयकर कानून की धारा 80सी के तहत जितनी छूट मिली होती है, उतनी आय निकासी के साल करयोग्य मानी जाएगी।   मूल वेतन के 12 फीसद तक नियोक्ता के अंशदान को वेतन की आय के रूप में करयोग्य माना जाएगा॥  ईपीएफ खाते में ब्याज की रकम पर अन्य स्रोत से आमदनी के रूप में इनकम टैक्स देना होगा।
टैक्स से छूट की शर्तें 
1. कर्मचारी की नौकरी पांच साल से पहले खराब स्वास्थ्य या ऐसे किसी कारण से छूटी हो जिसके लिए वह जिम्मेदार न हो।
2. पुराने ईपीएफ खाते से नए नियोक्त के जरिए खुले ईपीएफ खाते में रकम ट्रांसफर कराई गई हो। * जाहिर है, पांच साल से पहले नौकरी बदलने पर पीएफ खाते से पैसा निकालने के बजाय उसे ट्रांसफर कराना फायदेमंद होता है।
भरपाई की तैयारी 
ऐसेकुल मिलाकर अन्य व्यावहारिक उपाय न होने पर ही नौकरी करते हुए पीएफ खाते से आंशिक निकासी का विकल्प अनाना चाहिए। फिर भी, यदि निकासी करनी पड़े तो इसकी भरपाई की तैयारी भी होनी चाहिए। इसका सबसे अच्छा तरीका है अपनी इच्छा से हर माह कुछ रकम स्वैच्छिक भविष्य निधि (वीपीएफ) में जमा कराना। यह रकम पीएफ के तौर पर काटी जा रही राशि के अतिरिक्त होगी। कुछ वर्षों के बाद आपने जो पैसा पीएफ से निकाला था, वीपीएफ के जरिए जमा हो रही रकम से उसकी भरपाई हो जाएगी।

वैसे तो भविष्य निधि (प्रोविडेंट फंड) में जमा रकम रिटारयरमेंट के बाद इस्तेमाल के लिए होती है, लेकिन इसका कुछ हिस्सा नौकरी में रहते हुए भी निकाला जा सकता है। इसके कुछ नियम-कायदे होते हैं, जिनकी जानकारी जरूरी है।
नौकरी करने वाले ज्यादातर लोग कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में वेतन का एक निर्धारित हिस्सा जमा कराते हैं। इसे अंशदान कहा जाता है, जो हर माह पीएफ खाते में जमा होती है। जैसा कि नाम से ही जाहिर है, यह भविष्य की जरूरतों के लिए बचत का शानदार माध्यम है। यहां भविष्य का अर्थ नौकरी से सेवानिवृत्त हो जाने के बाद का जीवन है। लिहाजा इसमें जमा रकम ब्याज के साथ रिटायरमेंट के बाद एकमुश्त मिलती है। लेकिन, मौजूदा दौर में अधिकांश आम लोगों की आमदनी और खर्च का अंतर इस कदर कम हो गया है कि बचत न के बराबर हो गई है। ऐसे में कई बार मोटी रकम की जरूरत होने पर बचत की रकम कम पड़ जाती है। बच्चों की पढ़ाई, उनकी शादी, होम लोन चुकाने में परेशानी या किसी तरह की आपात स्थिति में ऐसे मौके आ सकते हैं। ऐसे हालात में पर्सनल लोन लेकर काम चलाया जा सकता है। चूंकि इस तरीके से रकम जुटाने की लागत ज्यादा होती है और सभी को आसानी से ऐसे कर्ज नहीं मिल पाते, लिहाजा पीएफ खाते से आंशिक निकासी मजबूरी बन जाती है।

न्यूनतम 5 साल की सदस्यता जरूरी

पीएफ खाते से आंशिक निकासी तभी की जा सकती है, ईपीएफ की सदस्यता कम-से-कम 5 वर्षों की हो। इससे पहले नौकरी छोड़ने पर ही पीएफ की रकम निकाली जा सकती है। लेकिन, ऐसी स्थिति में खाता बंद हो जाएगा। दरअसल, इपीएफ खाते से निकासी के कुछ नियम और शर्तें हैं।

मकान या आवासीय प्लॉट के लिए

मकान निर्माण, खरीदने या घर बनाने योग्य जमीन लेने के लिए पीएफ खाते से आंशिक निकासी की जा सकती है। ऐसी जरूरतों के लिए 36 माह के मूल वेतन और महंगाई भत्ते या अंशदान (नियोक्ता की तरफ से अंशदान और ब्याज समेत) या निर्माण की लागत या फिर प्लॉट की कीमत में से जो कम हो, कम-से-कम उतनी रकम निकाली जा सकती है। यहां इस बात पर गौर करना मुनासिब होगा कि इस तरह की आंशिक निकासी नौकरी की पूरी अवधि में केवल एक बार की जा सकती है। मेंबरशिप की अवधि कम-से-कम पांच साल।

होम लोन चुकाने के लिए

राज्य सरकार, पंजीकृत सहकारी समिति, राज्य हाउसिंग बोर्ड, राष्ट्रीयकृत बैंक और सरकारी वित्तीय संस्थानों से लिए गए होम लोन चुकाने के लिए पीएफ खाते से आंशिक निकासी की जा सकती है। इस मकसद से निकाली जा सकनेवाली रकम का हिसाब-किताब उसी नियम से किया जाता है, जो मकान बनाने, खरीदने या फिर रिहायशी प्लॉट के लिए है। यह भी कार्यकाल के दौरान केवल एक बार की जा सकनेवाली आंशिक निकासी है। इसके लिए कम-से-कम 10 साल की सदस्यता जरूरी है।

शादी, पढ़ाई संबंधी जरूरतों के लिए

अपनी या बच्चों की शादी के लिए या बच्चों की उधा शिक्षा (10वीं से ऊपर की पढ़ाई) के लिए पीएफ खाते से आंशिक निकासी का विकल्प अपनाया जा सकता है। निकासी की रकम अंशदान और ब्याज की राशि के 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकती। इस तरह की निकासी मुकम्मल सेवाकाल में तीन बार की जा सकती है। पहली निकासी के लिए कम-से-कम इपीएफ की सात साल की मेंबरशिप जरूरी है।

गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए

खुद गंभीर रूप से बीमार हो जाने या फिर परिवार के किसी सदस्य को ऐसी बीमारी (टीबी, कुष्ठ, लकवा, कैंसर, मानसिक रोग, हृदय रोग आदि) होने की स्थिति में इलाज या बड़ी सर्जरी के लिए (रोगी का न्यूनतम एक माह तक अस्पताल में भरती रहना अनिवार्य शर्त) आंशिक निकासी की जा सकती है। अधिकतम 6 माह के मूल वेतन और महंगाई भत्ते या कुल अंशदान व ब्याज (इनमें से जो कम हो) के बराबर रकम मिलेगी। इस मामले में न्यूनतम सेवाकाल की कोई बाध्यता नहीं है। ऐसी निकासी जरूरत पड़ने पर हर बार की जा सकती है।

अक्षमता कम करने के लिए

शारीरिक रूप से विकलांग कर्मचारी अपनी अक्षमता कम करने के वास्ते उपकरण खरीदने के लिए पीएफ खाते से आंशिक निकासी कर सकता है। ऐसी स्थिति में निकासी की रकम अधिकतम 6 माह के मूल वेतन और महंगाई भत्ते या संचित अंशदान व ब्याज या उपकरण की कीमत (इनमें से जो कम हो) के बराबर होगी।

रिटायरमेंट से एक साल पहले

रिटायर होने से एक साल पहले पीएफ खाते की 90 फीसद रकम निकाली जा सकती है। लेकिन, शर्त यह है कि निकासी के समय कर्मचारी की उम्र कम-से-कम 54 वर्ष होनी चाहिए। इसके अलावा देश से बाहर काम पर जाने या बसने और नौकरी छोड़ने की स्थिति में कभी भी पूरी निकासी की जा सकती है।

5 वर्ष से पहले निकासी पर टैक्स

यदि सदस्या की अवधि 5 वर्ष पूरी होने से पहले पीएफ खाते से निकासी की जाती है, तो ऐसी स्थिति में टैक्स देना पड़ता है।

  • कर्मचारी के अंशदान पर आयकर कानून की धारा 80सी के तहत जितनी छूट मिली होती है, उतनी आय निकासी के साल करयोग्य मानी जाएगी।

  • मूल वेतन के 12 फीसद तक नियोक्ता के अंशदान को वेतन की आय के रूप में करयोग्य माना जाएगा॥

  • ईपीएफ खाते में ब्याज की रकम पर अन्य स्रोत से आमदनी के रूप में इनकम टैक्स देना होगा।
टैक्स से छूट की शर्तें
1. कर्मचारी की नौकरी पांच साल से पहले खराब स्वास्थ्य या ऐसे किसी कारण से छूटी हो जिसके लिए वह जिम्मेदार न हो।
2. पुराने ईपीएफ खाते से नए नियोक्त के जरिए खुले ईपीएफ खाते में रकम ट्रांसफर कराई गई हो।
* जाहिर है, पांच साल से पहले नौकरी बदलने पर पीएफ खाते से पैसा निकालने के बजाय उसे ट्रांसफर कराना फायदेमंद होता है।

भरपाई की तैयारी ऐसे

कुल मिलाकर अन्य व्यावहारिक उपाय न होने पर ही नौकरी करते हुए पीएफ खाते से आंशिक निकासी का विकल्प अनाना चाहिए। फिर भी, यदि निकासी करनी पड़े तो इसकी भरपाई की तैयारी भी होनी चाहिए। इसका सबसे अच्छा तरीका है अपनी इच्छा से हर माह कुछ रकम स्वैच्छिक भविष्य निधि (वीपीएफ) में जमा कराना। यह रकम पीएफ के तौर पर काटी जा रही राशि के अतिरिक्त होगी। कुछ वर्षों के बाद आपने जो पैसा पीएफ से निकाला था, वीपीएफ के जरिए जमा हो रही रकम से उसकी भरपाई हो जाएगी।
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वैसे तो भविष्य निधि (प्रोविडेंट फंड) में जमा रकम रिटारयरमेंट के बाद इस्तेमाल के लिए होती है, लेकिन इसका कुछ हिस्सा नौकरी में रहते हुए भी निकाला जा सकता है। इसके कुछ नियम-कायदे होते हैं, जिनकी जानकारी जरूरी है।
नौकरी करने वाले ज्यादातर लोग कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में वेतन का एक निर्धारित हिस्सा जमा कराते हैं। इसे अंशदान कहा जाता है, जो हर माह पीएफ खाते में जमा होती है। जैसा कि नाम से ही जाहिर है, यह भविष्य की जरूरतों के लिए बचत का शानदार माध्यम है। यहां भविष्य का अर्थ नौकरी से सेवानिवृत्त हो जाने के बाद का जीवन है। लिहाजा इसमें जमा रकम ब्याज के साथ रिटायरमेंट के बाद एकमुश्त मिलती है। लेकिन, मौजूदा दौर में अधिकांश आम लोगों की आमदनी और खर्च का अंतर इस कदर कम हो गया है कि बचत न के बराबर हो गई है। ऐसे में कई बार मोटी रकम की जरूरत होने पर बचत की रकम कम पड़ जाती है। बच्चों की पढ़ाई, उनकी शादी, होम लोन चुकाने में परेशानी या किसी तरह की आपात स्थिति में ऐसे मौके आ सकते हैं। ऐसे हालात में पर्सनल लोन लेकर काम चलाया जा सकता है। चूंकि इस तरीके से रकम जुटाने की लागत ज्यादा होती है और सभी को आसानी से ऐसे कर्ज नहीं मिल पाते, लिहाजा पीएफ खाते से आंशिक निकासी मजबूरी बन जाती है।

न्यूनतम 5 साल की सदस्यता जरूरी

पीएफ खाते से आंशिक निकासी तभी की जा सकती है, ईपीएफ की सदस्यता कम-से-कम 5 वर्षों की हो। इससे पहले नौकरी छोड़ने पर ही पीएफ की रकम निकाली जा सकती है। लेकिन, ऐसी स्थिति में खाता बंद हो जाएगा। दरअसल, इपीएफ खाते से निकासी के कुछ नियम और शर्तें हैं।

मकान या आवासीय प्लॉट के लिए

मकान निर्माण, खरीदने या घर बनाने योग्य जमीन लेने के लिए पीएफ खाते से आंशिक निकासी की जा सकती है। ऐसी जरूरतों के लिए 36 माह के मूल वेतन और महंगाई भत्ते या अंशदान (नियोक्ता की तरफ से अंशदान और ब्याज समेत) या निर्माण की लागत या फिर प्लॉट की कीमत में से जो कम हो, कम-से-कम उतनी रकम निकाली जा सकती है। यहां इस बात पर गौर करना मुनासिब होगा कि इस तरह की आंशिक निकासी नौकरी की पूरी अवधि में केवल एक बार की जा सकती है। मेंबरशिप की अवधि कम-से-कम पांच साल।

होम लोन चुकाने के लिए

राज्य सरकार, पंजीकृत सहकारी समिति, राज्य हाउसिंग बोर्ड, राष्ट्रीयकृत बैंक और सरकारी वित्तीय संस्थानों से लिए गए होम लोन चुकाने के लिए पीएफ खाते से आंशिक निकासी की जा सकती है। इस मकसद से निकाली जा सकनेवाली रकम का हिसाब-किताब उसी नियम से किया जाता है, जो मकान बनाने, खरीदने या फिर रिहायशी प्लॉट के लिए है। यह भी कार्यकाल के दौरान केवल एक बार की जा सकनेवाली आंशिक निकासी है। इसके लिए कम-से-कम 10 साल की सदस्यता जरूरी है।

शादी, पढ़ाई संबंधी जरूरतों के लिए

अपनी या बच्चों की शादी के लिए या बच्चों की उधा शिक्षा (10वीं से ऊपर की पढ़ाई) के लिए पीएफ खाते से आंशिक निकासी का विकल्प अपनाया जा सकता है। निकासी की रकम अंशदान और ब्याज की राशि के 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकती। इस तरह की निकासी मुकम्मल सेवाकाल में तीन बार की जा सकती है। पहली निकासी के लिए कम-से-कम इपीएफ की सात साल की मेंबरशिप जरूरी है।

गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए

खुद गंभीर रूप से बीमार हो जाने या फिर परिवार के किसी सदस्य को ऐसी बीमारी (टीबी, कुष्ठ, लकवा, कैंसर, मानसिक रोग, हृदय रोग आदि) होने की स्थिति में इलाज या बड़ी सर्जरी के लिए (रोगी का न्यूनतम एक माह तक अस्पताल में भरती रहना अनिवार्य शर्त) आंशिक निकासी की जा सकती है। अधिकतम 6 माह के मूल वेतन और महंगाई भत्ते या कुल अंशदान व ब्याज (इनमें से जो कम हो) के बराबर रकम मिलेगी। इस मामले में न्यूनतम सेवाकाल की कोई बाध्यता नहीं है। ऐसी निकासी जरूरत पड़ने पर हर बार की जा सकती है।

अक्षमता कम करने के लिए

शारीरिक रूप से विकलांग कर्मचारी अपनी अक्षमता कम करने के वास्ते उपकरण खरीदने के लिए पीएफ खाते से आंशिक निकासी कर सकता है। ऐसी स्थिति में निकासी की रकम अधिकतम 6 माह के मूल वेतन और महंगाई भत्ते या संचित अंशदान व ब्याज या उपकरण की कीमत (इनमें से जो कम हो) के बराबर होगी।

रिटायरमेंट से एक साल पहले

रिटायर होने से एक साल पहले पीएफ खाते की 90 फीसद रकम निकाली जा सकती है। लेकिन, शर्त यह है कि निकासी के समय कर्मचारी की उम्र कम-से-कम 54 वर्ष होनी चाहिए। इसके अलावा देश से बाहर काम पर जाने या बसने और नौकरी छोड़ने की स्थिति में कभी भी पूरी निकासी की जा सकती है।

5 वर्ष से पहले निकासी पर टैक्स

यदि सदस्या की अवधि 5 वर्ष पूरी होने से पहले पीएफ खाते से निकासी की जाती है, तो ऐसी स्थिति में टैक्स देना पड़ता है।

  • कर्मचारी के अंशदान पर आयकर कानून की धारा 80सी के तहत जितनी छूट मिली होती है, उतनी आय निकासी के साल करयोग्य मानी जाएगी।

  • मूल वेतन के 12 फीसद तक नियोक्ता के अंशदान को वेतन की आय के रूप में करयोग्य माना जाएगा॥

  • ईपीएफ खाते में ब्याज की रकम पर अन्य स्रोत से आमदनी के रूप में इनकम टैक्स देना होगा।
टैक्स से छूट की शर्तें
1. कर्मचारी की नौकरी पांच साल से पहले खराब स्वास्थ्य या ऐसे किसी कारण से छूटी हो जिसके लिए वह जिम्मेदार न हो।
2. पुराने ईपीएफ खाते से नए नियोक्त के जरिए खुले ईपीएफ खाते में रकम ट्रांसफर कराई गई हो।
* जाहिर है, पांच साल से पहले नौकरी बदलने पर पीएफ खाते से पैसा निकालने के बजाय उसे ट्रांसफर कराना फायदेमंद होता है।

भरपाई की तैयारी ऐसे

कुल मिलाकर अन्य व्यावहारिक उपाय न होने पर ही नौकरी करते हुए पीएफ खाते से आंशिक निकासी का विकल्प अनाना चाहिए। फिर भी, यदि निकासी करनी पड़े तो इसकी भरपाई की तैयारी भी होनी चाहिए। इसका सबसे अच्छा तरीका है अपनी इच्छा से हर माह कुछ रकम स्वैच्छिक भविष्य निधि (वीपीएफ) में जमा कराना। यह रकम पीएफ के तौर पर काटी जा रही राशि के अतिरिक्त होगी। कुछ वर्षों के बाद आपने जो पैसा पीएफ से निकाला था, वीपीएफ के जरिए जमा हो रही रकम से उसकी भरपाई हो जाएगी।
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