Saturday, August 9, 2014

मोदी सरकार ने खोजा नया तरीका, खुद कीजिए एलपीजी सब्सिडी से तौबा

कोटा।  देश पर सब्सिडी के बोझ को कम करने के लिए मोदी सरकार ने एक नया तरीका खोजा है। सरकारी तेल कंपनियां आम जनता से यह अपील कर रही हैं कि वे राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए खुद ही सब्सिडी वाले सिलेंडर वापस कर दे। सरकार को उम्मीद है कि उसकी अपील से कम से कम एक करोड़ लोग सब्सिडी वाले सिलेंडर छोड़कर एलपीजी की पूरी कीमत देना शुरू कर देंगे। इससे सब्सिडी बिल में 3,500 करोड़ रुपये की सालाना बचत हो सकेगी।
देश की दिग्गज पेट्रोलियम मार्केटिंग कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन [आइओसी] ने तो फैसला किया है कि सब्सिडी वाले कनेक्शन लौटाने वालों का नाम वेबसाइट पर डालकर उनका सम्मान करेगी। कंपनी का कहना है कि अभी तक 1470 ग्राहकों ने सब्सिडी वाले सिलेंडर लौटाए हैं। ये ग्राहक उनकेस्थान पर एलपीजी सिलेंडर की पूरी कीमत चुकाने को तैयार हो गए हैं। इससे 88.20 लाख रुपये की सालाना बचत हो रही है। आइओसी अपना अभियान राष्ट्र निर्माण से जोड़ कर चला रही है। इस बारे में ग्राहकों को जो एसएमएस भेजा जा रहा है उसमें यह पूछा जा रहा है, 'क्या आप राष्ट्र निर्माण में भागीदार होना चाहते हैं। यह बहुत आसान है। अपने सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर को वापस कीजिए।'
तेल कंपनियों ने पहले यह अभियान सिर्फ अपने कर्मचारियों के लिए शुरू किया था, लेकिन अब इसमें आम जनता को भी शामिल कर लिया गया है। दिल्ली में सब्सिडी और बगैर सब्सिडी वाले सिलेंडर की कीमत में 450 रुपये का अंतर है। ऐसे में जो भी ग्राहक तेल कंपनियों की अपील को स्वीकार करेगा, उस पर सालाना 5,400 रुपये का बोझ पड़ेगा। लेकिन पेट्रोलियम मंत्रालय और तेल कंपनियों को भरोसा है कि देश में करोड़ो ग्राहक ऐसे हैं जो रसोई गैस की पूरी कीमत देने में सक्षम है। यह वर्ग राष्ट्र हित में सब्सिडी वाले सिलेंडर लौटा सकता है। कंपनियों का कहना है कि सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर की वापसी से जो राशि बचेगी उसका इस्तेमाल ग्रामीण क्षेत्र में एलपीजी के विस्तार पर खर्च किया जाएगा।
इसके पहले संप्रग के कार्यकाल में भी एलपीजी सब्सिडी बचाने के लिए कई अभियान चलाए गए थे। एक ही पते पर एक से ज्यादा रसोई गैस कनेक्शन को काटने का अभियान चलाया गया था। साथ ही हर परिवार को साल में सब्सिडी वाले सिर्फ नौ सिलेंडर देने का फैसला किया गया था।

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