Tuesday, January 31, 2017

PF से पैसा निकालने के नियम हुए सख्त

अगर आप अपने प्रॉविडेंट फंड यानी PF अकाउंट से पैसा निकालने की सोच रहे हैं तो आपको जान लेना चाहिए कि सरकार ने इससे संबंधित कुछ नियमों में फेरबदल कर दी है। अगर आप EPFO (कर्मचारी भविष्‍य निधि संगठन) के सदस्य हैं तो पैसा निकालने के लिए अब से आपको विदड्रॉल का फॉर्म के साथ-साथ पर्सनल जानकारी
से जुड़े कुछ डॉक्युमेंट्स की फोटोकॉपी भी जमा करानी अनिवार्य है। अगर आप इन डॉक्युमेंट्स की फोटोकॉपी नहीं दे पाते तो अब आप अपने ही PF अकाउंट से पैसे नहीं निकाल पाएंगे। जानिए क्या-क्या बदल गया है..
आधार कार्ड:
PF के विदड्रॉल फॉर्म के साथ अब से आपको अपने आधार कार्ड की फोटो कॉपी देना अनिवार्य कर दिया गया है। सिर्फ आधार नंबर बताने से भी काम नहीं चलेगा आपको हर हालत में फोटोकॉपी देनी होग और शक होने पर सत्यापन के लिए आपका ओरिजिनल डॉक्युमेंट भी मांगा जा सकता है। हाल में कर्मचारी भविष्‍य निधि संगठन ईपीएफओ ने पीएफ और पेंशन से जुड़े बेनेफिट लेने के लिए आधार मैंडेटरी कर दिया है। 
यूनीवर्सल अकाउंट नंबर (UAN)
अब से आपको PF अकाउंट से पैसे निकालने के लिए विदड्रॉल फार्म के साथ यूनीवर्सल अकाउंट नंबर यानी यूएएन की फोटो कॉपी भी जमा करानी अनिवार्य हो गयी है। अब सिर्फ यूएएन नंबर देने से काम नहीं चलेगा।
PAN कार्ड
पीएफ विद्ड्रॉल के लिए अब से परमानेंट अकाउंट नंबर यानी पैन कार्ड की फोटोकॉपी भी देना अनिवार्य है। पहले विद्ड्रॉल फार्म में पैन नंबर भरने से ही आपका काम खत्‍म हो जाता था लेकिन अब आपको पैन कार्ड की फोटोकॉपी भी देनी होगी। इसके बिना आपको पैसा नहीं मिलेगा। 
कंपनी के संपर्क में रहना ज़रूरी
पीएफ विद्ड्रॉल फार्म जमा करने से पहले आपको अपनी वर्तमान या पुरानी कंपनी के एचआर से इसे वेरीफाई कराना होगा। फार्म सबमिट करने के बाद कंपनी के एचआर के संपर्क में रहें। कई बार कोई डिटेल छूट जाने के कारण आपको फार्म ईपीएफओ ऑफिस में वापस आ जाता है।
ऐेसे में अगर आप एचआर के संपर्क में हैं तो आपके लिए इस प्रॉसेस को कंप्‍लीट करने में आसानी होगी। बता दें कि अब पीएफ विद्ड्रॉल में पहले की तुलना में कम समय लगता है। आम तौर पर अब पीएफ विद्ड्रॉल फार्म जमा करने के 15 दिन के अंदर पैसा आपके अकाउंट में आ जाता है।
 

Sunday, January 22, 2017

10 लाख रुपये से अधिक की जमा की सूचना इनकम टैक्स को

आयकर विभाग ने बैंकों से किसी खाते में एक साल में दस लाख रुपये से अधिक की जमा तथा क्रेडिट कार्ड के बिलों के लिए
एक लाख रुपये या अधिक के नकद भुगतान की जानकारी उसे उपलब्ध कराने को कहा है।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की अधिसूचना में कर अधिकारियों को सूचित किए जाने वाले नकद लेनदेने का अधिसूचित किया गया है। इसके लिए ई-प्लेटफार्म स्थापित किया गया है।

इसके अलावा सीबीडीटी ने अपनी नवंबर, 2016 के निर्देश को दोहराया है जिसमें बैंकों से 9 नवंबर से 30 दिसंबर, 2016 के दौरान एक व्यक्ति के एक या अधिक खातों में ढाई लाख रुपये या अधिक की जमा की सूचना देने को कहा था। 500 और 1,000 का नोट बंद करने के बाद सरकार ने पुराने नोटों को जमा कराने के लिए 50 दिन का समय दिया था।
उस समय आयकर विभाग ने 9 नवंबर से 30 दिसंबर के दौरान एक व्यक्ति के एक या अधिक चालू खातों में 12.50 लाख रुपये या अधिक की जमा या अन्य खातों में ढाई लाख रुपये या अधिक की जमा की जानकारी देने को कहा था। अधिसूचना में कहा गया है कि एक वित्त वर्ष में किसी व्यक्ति से 10 लाख रुपये से अधिक की शेयर पुनर्खरीद की सूचना सूचीबद्ध कंपनी को देनी होगी। इसके अलावा 10 लाख रुपये की विदेशी मुद्रा ट्रैवलर्स चेक या फॉरक्स कार्ड सहित की जानकारी भी कर अधिकारियों को देनी होगी। संपत्ति पंजीयक को किसी व्यक्ति द्वारा 30 लाख रुपये की से अधिक की अचल संपत्ति की खरीद-फरोख्त की जानकारी कर अधिकारियों को देनी होगी।

Saturday, January 21, 2017

30,000 से ज्यादा नगद लेनदेन पर पैनकार्ड अनिवार्य होगा

डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए सरकार पैन कार्ड के जरिये नगदी के जमा, हस्तांतरण, निकासी और भुगतान की सीमा में कटौती करने की तैयारी में है। आगामी बजट में बैंक में जमा, होटल बिल के भुगतान और शेयरों की खरीद करने समेत अन्य में 30 हजार रुपये से अधिक नगदी के इस्तेमाल पर पैनकार्ड देना अनिवार्य किया जा सकता है। मौजूदा समय इन सुविधाओं में 50 हजार रुपये से ऊपर मुद्रा के प्रयोग पर पैनकार्ड देना होता है।
केंद्र सरकार ने 500 और हजार रुपये के नोट बंद करने के बाद नगदी निकासी पर पाबंदी लगाई और फिर नगदी रहित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में जुट गई। सूत्रों की माने तो इस क्रम में सरकार अब फरवरी में पेश होने वाले बजट में यह घोषणा कर सकती है कि 30 हजार रुपये से ज्यादा की खरीद, हस्तांतरण, जमा या लेनदेन पर पैनकार्ड देना जरूरी होगा। ताकि ज्यादा से ज्यादा लेनदेन औपचारिक अर्थव्यवस्था के तहत आ सकें और आयकर विभाग आसानी से तय राशि से ज्यादा के लेनदेन की निगरानी कर सके। सूत्र बताते हैं कि सरकार के इस कदम का मकसद नगदी के जरिये होने वाली खरीद-फरोख्त और लेनदेन में टैक्स की चोरी रोकना है। साथ ही यह भी माना जा रहा है कि इस कदम को उठाए जाने के बाद बड़े लेनदेन करने वाले डिजिटल ट्रांजैक्शन करेंगे, क्योंकि नगदी के इस्तेमाल पर उन्हें पैनकार्ड देने की जहमत उठानी पड़ेगी।
नगदी हतोत्साहित करने के कदम
डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के मद्देनजर सूत्रों का कहना है कि पैनकार्ड की अनिवार्यता के अलावा सरकार तय सीमा से ऊपर नगदी के भुगतान पर भी शुल्क लगाने की घोषणा कर सकती है। इस कदम से सीधे तौर पर नगदी का प्रयोग करने वाले हतोत्साहित होंगे। सूत्रों की माने तो सरकार हर हाल में नगदी के प्रयोग को डिजिटल लेनदेन की ओर स्थानांतरित करना चाहती है जिसके मद्देनजर डिजिटल भुगतान पर छूट और इनाम जैसी योजनाएं सरकार पहले ही ला चुकी है। बकायदे डिजिधन मेले में लोगों को डिजिटल लेनदेन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अभी तक 27 शहरों में यह मेला लगाया जा चुका है और यह कार्यक्रम 100 शहरों के लिए नीति आयोग द्वारा तैयार किया गया है। सूत्र बताते हैं कि वित्त मंत्रालय ने डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए अलग से बजट तय करने का भी निर्णय लिया है जिसकी घोषणा भी बजट में की जा सकती है।
केवाईसी हो सकता है सख्त
सरकार के सूत्रों की माने तो बजट में बैंक खाता खुलवाने के दौरान 'ग्राहक को जानो' (केवाईसी) के नियमों को और सख्त किया जा सकता है। सभी बैंकों को इनका अनिवार्य तौर पर पालन नहीं करने की सूरत में जुर्माने का प्रावधान किया जा सकता है। आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर तक देश में 5 लाख से भी ज्यादा खाते ऐसे थे जिनमें केवाईसी का अनुपालन नहीं किया गया। जब आयकर विभाग सख्त हुआ तब बैंकों ने ग्राहकों से केवाईसी की शर्तों को पूरा करना शुरू किया। सूत्रों की माने तो नए नियमों में आधार और मोबाइल नंबर भी देना जरूरी किया जा सकता है। हालांकि आधार देना सिर्फ उन लोगों के लिए जरूरी होगा जो विभिन्न स्तरों पर सरकारी छूट का लाभ लेते हैं। ऐसे में प्लास्टिक मनी के प्रयोग में छूट मुहैया कराने के आधार पर ज्यादातर लोगों को आधार देना होगा।

गूगल एंड्रॉयड ऐप में ऑफलाइन सर्च की सुविधा

कम स्‍पीड के डेटा नेटवर्क में कई बार कुछ मोबाइल ऐप्‍स काम नहीं करते हैं। इसी प्रकार की स्थिति में कमजोर नेटवर्क या डेटा कनेक्टिविटी वाले इलाकों के लिए गूगल ने एक नया फीचर शुरू किया है। यह फीचर है ऑफलाइन सर्च का।
ऐसे काम करेगा यह फीचर
जब यूजर ऑफलाइन है तो गूगल ऐप सर्च कीवर्ड को स्टोर कर लेगा और दोबारा कनेक्शन मिलने पर आपको रिजल्‍ट दिखाई देगा। दरअसल, यह फीचर तुरंत रिजल्‍ट नहीं देगा, बल्कि कनेक्टिविटी मिलने का इंतजार करेगा और डेटा स्‍पीड मिलते ही आपको रिजल्‍ट मिलने का नोटिफिकेशन प्राप्‍त होगा।गूगल ऐप में नया मैनेज सर्च टैब दिया गया है। यहां यूजर अपने ऑफलाइन सर्च कीवर्ड को मैनेज कर पाएंगे। गूगल का दावा है कि नए सर्च पैटर्न से डेटा खपत पर कोई असर नहीं पड़ेगा। यह फीचर गूगल ऐप के लेटेस्ट 6.9.37 वज्रन में उपलब्ध है।

यौन संबंधों से इंकार पति पर अत्याचार

बॉम्‍बे हाईकोर्ट की नागपुर एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा है कि अगर पत्‍नी अपने पति को रेगुलर यौन संबंध बनाने से रोकती है तो यह पति पर अत्‍याचार है और उनके बीच तलाक का आधार हो सकता है। अदालत ने बात अकोला फैमिली कोर्ट के उस फैसले को सही ठहराते हुए कही जिसमें यौन संबंध नहीं बनाने देने पर पति द्वारा तलाक की मांग मंजूर कर ली गई थी।हाईकोर्ट के जस्टिस वसंती नाइक और जस्टिस विनय देशपांडे की बेंच ने ने इस फैसले को लेकर कहा कि पत्‍नी की तरफ से पति को यौन संबंध बनाने से इन्‍कार करना उस पर सच में अत्‍याचार करने जैसा है।
रिकॉर्ड में कई सबूत हैं जिससे यह साबित होता है कि पत्‍नी के यौन संबंधों से इन्‍कार के अलावा घर के काम ना करना रेगुलर यौन संबंध ना बनाने के चलते पति को मानसिक प्रताड़ना मिली है।महीनों रहती थी मायके, अमावस और पूनम के बहाने नहीं बनाती थी संबंधएक अंग्रेजी अखबार की खबर के अनुसार तलाक लेने वाले पति की शिकायत थी कि उसकी शादी 2001 में हुई थी और उसकी पत्‍नी लगातार अपने मायके जाती रहती थी। वहां जाकर वो महीने भर रहती थी और तभी लौटती थी जब उसका पति या सास लेने जाती थी।पति ने कहा कि उसकी पत्‍नी घर के काम ना करने के साथ ही उसके साथ यौन संबंध भी नहीं बनाने देती थी। पति जब भी संबंध बनाने जाता वो कभी अमावस तो कभी पूनम होने का बहाना कर इन्‍कार कर देगी। इसके चलते पति तनाव में रहता था और तंग आकर अदालत पहुंच गया।
महिला ने लगाया दहेज प्रताड़ना का आरोप
पति के आरोपों को नकारते हुए महिला ने अपने ससुराल वालों पर ही दहेज प्रताड़ना का आरोप लगा दिया। पति के बयान के आधार पर अकोला कोर्ट ने दोनों के बीच 2011 को तलाक को मंजूरी दे दी। इस फैसले को महिला ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने कहा कि महिला को उसके परिवार के बड़े लोगों ने अपने पति के साथ मुक्‍त होकर यौन संबंध बनाने की सलाह दी थी। अगर महिला पहले से ही पति से रोज फ्री होकर यौन संबंध बनाती तो उसे ऐसी सलाह नहीं देनी पड़ती। वहीं महिला यह साबित करने में नाकाम रही है कि उससे दहेज की मांग की गई। फैमिली कोर्ट ने दोनों पक्षों के सबूतों को सही तरीके से देखा और पाया कि पति पर अत्‍याचार हुआ है।

Friday, January 20, 2017

कर है बचाना तो सही जुगत भिड़ाना

नौकरीपेशा लोगों के लिए अक्सर साल का यह वक्त सबसे ज्यादा परेशान करने वाला होता है। नया साल शुरू होते ही दफ्तर के मानव संसाधन (एचआर) विभाग से टोकाटोकी शुरू हो जाती है और उन सभी निवेश योजनाओं के कागजात मांगे जाते हैं, जिनका जिक्र आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत कर बचाने के लिए वित्त वर्ष के आरंभ में किया गया था। ऐसे में अक्सर कर्मचारी निवेश की किसी उचित योजना के बिना ही आंकड़े दे देते हैं और जो भी कागज हाथ लगते हैं, उन्हें पेश कर दिया जाता है।
 यहां अक्सर दिक्कत होती है क्योंकि उन्होंने वर्ष के आरंभ में बचत और निवेश की जो योजना बताई थी, उसके सभी सबूत दफ्तर में मांगे जाते हैं। जब तक वे निवेश के सबूत पेश नहीं करते हैं तब तक उन्हें वेतन में कमी की मार झेलनी पड़ती है क्योंकि उनका मोटा कर कटता है। कई बार तो वेतन का मामूली हिस्सा ही उन्हें मयस्सर होता है और कुछ का पूरा वेतन ही कट जाता है। यह वाकई में बहुत दिक्कत भरा वक्त होता है क्योंकि आपको कर का गणित पूरा करने के लिए अपने नियोक्ता को रकम देनी भी पड़ सकती है यानी वेतन तो हाथ नहीं आया उलटा अपनी ही जेब से पैसा देना पड़ गया। अगर आप इन परेशानियों से बचे रहना चाहते हैं तो कर का सिरदर्द दूर रखना चाहते हैं तो इन विकल्पों पर विचार कर सकते हैं।
 
80सी का लाभ
 वेतनभोगी कर्मचारियों को धारा 80सी, 80डी, 80जी आदि के तहत कर छूट मिलती है। धारा 80सी भविष्य निधि और अन्य निवेश एवं बीमा पॉलिसी पर 1.50 लाख रुपये की छूट देती है। अन्य धाराएं आवास किराया भत्ता (एचआरए), अवकाश यात्रा भत्ता (एलटीए), वाहन भत्ता, चिकित्सा भत्ता और दूसरे भत्तों पर कर छूट का लाभ देती हैं। विश्लेषकों का कहना है कि कर्मचारी अक्सर 80सी पर विचार करते हैं।  'बड़ी तादाद में वेतनभोगी करदाता धारा 80सी के तहत जब कर छूट का हिसाब लगा रहे होते हैं तो अक्सर वे कर्मचारी भविष्य निधि यानी ईपीएफ को उसमें गिनना भूल जाते हैं। यह भूल बहुत भारी बैठती है। इसके अलावा कई बार वे जल्दबाजी में तमाम निवेश योजनाएं खरीद लेते हैं, जबकि उन्हें पहले बीमा की जरूरतों और आवास ऋण पर छूट के बारे में भी सोचना चाहिए।' यदि आप राष्ट्रीय पेंशन व्यवस्था (एनपीएस) में निवेशक हैं तो आप धारा सीसीडी के तहत 50,000 रुपये की छूट भी ले सकते हैं। 
स्वास्थ्य बीमा लाभ
 यह भी ऐसी श्रेणी है, जिसकी कमी आपको खल सकती है। चिकित्सा प्रतिपूर्ति यानी मेडिकल रीइंबर्समेंट में मिलने वाली 15,000 रुपये तक की राशि करमुक्त होती है। इसके अलावा धारा 80डी के तहत स्वास्थ्य बीमा लाभ भी आप ले सकते हैं। इसके तहत, आप स्वयं, पत्नी, बच्चे और माता-पिता के लिए प्रीमियम पर 25,000 रुपये की कर छूट का दावा कर सकते हैं। यदि माता-पिता 60 साल से अधिक उम्र के हैं तो इसके लिए 35,000 रुपये की अतिरिक्त कर छूट सीमा है। कुल मिलाकर, आप संबद्घ पॉलिसी खरीद कर 60,000 रुपये तक बचा सकते हैं।  
ऋण अदायगी
 इसमें दोहरे लाभ हैं- मूल भुगतान पर धारा 80सी के तहत दावा किया जा सकता है और धारा 24बी के तहत अतिरिक्त दो लाख रुपये का दावा किया जा सकता है। संपत्ति में सामूहिक रूप से मालिकाना (पति-पत्नी दोनों) हक रखने वाले दंपती के लिए ब्याज पर कर लाभ सालाना 5 लाख रुपये तक हो सकता है। यदि आपने शैक्षिक ऋण ले रखा है तो पूरा ब्याज भुगतान धारा 80ई के तहत कर छूट के लिए उपलब्ध है, लेकिन इसमें मूल रकम की अदायगी का लाभ हासिल नहीं है।
 ये ऐसे प्रमुख लाभ हैं जो आप आय-कर विभाग से हासिल कर सकते हैं। एचआर विभाग को उचित दस्तावेज सौंपकर आप काफी रकम बचा सकेंगे। यदि आप इन सभी कर छूटों का लाभ लेने में सक्षम हैं तो आपको 7 लाख रुपये तक मिल सकते हैं। इसमें 2.5 लाख रुपये की मूल छूट सीमा शामिल है। यदि आप आवास किराया भत्ते, एलटीए आदि का सही दस्तावेज दे रहे हैं तो लाभ भी अधिक हासिल हो सकता है।
 
पांच साल तक के लिए
 यदि आपको पांच साल के अंदर पैसे की जरूरत हो तो राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी) या पांच वर्षीय डाककर जमा योजनाएं अच्छा विकल्प हैं। एनएससी मौजूदा समय में सालाना 8 फीसदी का प्रतिफल देते हैं जबकि डाकघर जमा पर 7.8 फीसदी का ब्याज मिलता है। पांच साल की बैंक एफडी भी धारा 80सी के तहत कर छूट प्रदान करती है। चूंकि ये निर्धारित आय निवेश हैं, इसलिए इनमें सिर्फ अतिरिक्त पूंजी वाले व्यक्ति ही कर-बचत संबंधित निवेश के लिए विचार कर सकते हैं।  
10 साल या अधिक
 दीर्घावधि निवेश के लिए, पब्लिक प्रोवीडेंट फंड (पीपीएफ) मौजूदा समय में सालाना 8 फीसदी का प्रतिफल देता है जो एक अच्छा विकल्प है, लेकिन इसमें निवेश 15 साल के लिए लॉक हो जाता है। पीपीएफ का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह ईईई है। लेकिन ब्याज दर हर तिमाही में बदलती है।

Thursday, January 19, 2017

अब आसानी से कन्फर्म होंगे रेल टिकट

रिजर्वेशन क्लास में खत्म होगी दूरी की पाबंदी
रिजर्वेशन क्लास के पैसेंजरों को रेलवे ने राहत दी है। रेलवे ने इस कोटे में दूरी की पाबंदी खत्म कर दी है। इसके बाद पैसेंजरों को कन्फर्म सीट आसानी से मिल पाएगी। इसे लेकर रेलवे बोर्ड में पैसेंजर मार्केटिंग के डायरेक्टर विक्रम सिंह की ओर से जोनल रेलवे के चीफ कमर्शल मैनेजर्स को आदेश जारी कर दिया गया है।

जारी हुआ नया आदेश
जोलन मैनेजर्स को कहा गया है कि यह आदेश किसी निर्धारित रूट की जगह पूरे देश के रेलवे रूट की ट्रेनों के लिए है, ऐसे में डिस्टेंस रिस्ट्रिक्शन को तत्काल प्रभाव से खत्म किया जा रहा है। सिस्टम में मोडिफिकेशन का काम शुरू कर दिया जाए।
कैसे तय होता था कन्फर्मेशन कोटा?
लंबी दूरी की ट्रेनों में रिजर्व कोटा दूरी के मुताबिक तय किया जाता है। उदाहरण के लिए, जैसे नई दिल्ली से चैन्नै सेंट्रल तमिलनाडु एक्सप्रेस (12621/22) में रिजर्व कोटे की डिस्टेंस रिस्ट्रिक्शन 600 किलोमीटर है। इस ट्रेन का नई दिल्ली के बाद रिजर्व कोटा सीधे भोपाल में है। रास्ते में यह ट्रेन आगरा, ग्वालियर और झांसी रेलवे स्टेशन पर रुकती है। ऐसे में इन बीच के स्टेशनों पर वेटिंग टिकट पुल्ड कोटे में जारी की जाती है। पुल्ड कोटे में टिकट जारी होने के बाद वह तभी कन्फर्म हो पाती है, जब इस कोटे में टिकट कैंसल होती है। अन्य कोटे में टिकट कैंसल होने पर वेंटिंग क्लियर नहीं हो पाती।अब आसान होगा कन्फर्मेशन
पूरे इंडियन रेलवे में हजारों ऐसी ट्रेनें हैं जिसमें डिस्टेंस रिस्ट्रिक्शन है। ऐसे में पैसेंजरों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। डिस्टेंस रिस्ट्रिक्शन खत्म हो जाने से पैसेंजरों को जनरल वेटिंग दी जाएगी जिससे वेंटिंग टिकट आसानी से कन्फर्म हो जाएंगी। हालांकि, अभी बिना रिजर्व क्लास के पैसेंजरों को राहत नहीं मिल पाई है।

जनवरी में नकद लेन-देन बढ़ा, कैशलेस भुगतान घटा

इस साल जनवरी में बाजार में नकदी बढ़ने पर डिजिटल भुगतान में गिरावट आने लगी है। पिछले साल नवंबर और दिसंबर में नोटबंदी के दौरान कार्ड भुगतान 80 फीसदी तक पहुंच गया था। पिछले दिनों रिजर्व बैंक ने एटीएम से राशि निकालने की सीमा बढ़ाकर 10 हजार रुपये कर दी है। इससे डिजिटल भुगतान में आगामी दिनों में और गिरावट आने की उम्मीद है।
क्या कहते हैं आकड़े : इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की ई-लेन-देन एकत्रिकरण और वेिषण लेयर (ई-ताल) के ताजा आंकड़ों के मुताबकि नवंबर और दिसंबर के मुकाबले जनवरी में ई-भुगतान में करीब 30 फीसदी की गिरावट आई है। नवंबर और दिसंबर के पहले हफ्ते में ई-लेन की संख्या करीब 29 करोड़ थी जो 18 जनवरी तक घटकर 20 करोड़ रह गई।
नोटबंदी में हालात : इस दौरान बड़े शहरों में कार्ड से भुगतान 80 फीसदी तक पहुंच गया था। कारोबारियों को पीओएस सुविधा देने वाली कंपनियों के मुताबिक इस दौरान छोटे शहरों में 30 फीसदी कार्ड से भुगतान हो रहा था। इस अवधि में कार्ड से भुगतान 30 फीसदी की दर से बढ़ रहा था। 
पहले क्या थी स्थिति : नोटबंदी से पहले बड़े शहरों में 40 फीसदी भुगतान कार्ड या ऑनलाइन होता था। जबकि बाकी 60 फीसदी नकद में होता था। वहीं छोटे शहरों में महज 15 फीसदी भुगतान ही डिजिटल होता था।
जनवरी से नकदी का बोलबाला: रिजर्व बैंक ने इस साल एक जनवरी से एटीएम से निकासी सीमा बढ़ाकर 4,500 रुपये कर दी जो पहले 2,500 रुपये थी। जबकि कुछ दिन पहले आरबीआई ने इसे बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दिया। इससे आने वाले समय में कार्ड से भुगतान और घटने की संभावना है।

अवधि              कुल -भुगतान
9-18 जनवरी    20,1679,74
11-8 जनवरी    23,2742,285
1-8 दिसंबर 2016    29,6401,425
9-17 नवंबर 2016    28,6025,423

छोटे नोट से राह आसान
उद्योग सूत्रों का कहना है कि बाजार में 500 रुपये के नए नोट पयाप्र्त मात्र में आ गए हैं। इससे दो हजार रुपये के नोट का छुट्टा कराना भी आसान हो गया है। जबकि नोटबंदी के दौरान 100 या 200 रुपये का भुगतान भी लोग कार्ड से कर रहे थे।
9.2 लाख करोड़ डाले
नोटबंदी के बाद अब तक सरकार ने 9.2 लाख करोड़ रुपये के नए नोट बाजार में जारी किए हैं। सूत्रों ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर ऊर्जित पटेल संसदीय समिति को यह जानकारी दी।

Wednesday, January 18, 2017

आधार ऐप से भुगतान पर कारोबारी कमा सकेंगे कमीशन

डिजिटल लेनदेन के लिए मोबाइल आधारित आधार ऐप इस्तेमाल करने वाले कारोबारियों को सौदे के मूल्य का 1 फीसदी तक कमीशन मिल सकता है। भारतीय विशिष्टï पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) बैंकों और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) इस दिशा में काम कर रहा है। यूआईडीएआई का मानना कि आधार इनेबल्ड भुगतान प्रणाली (एईपीएस) अगले कुछ महीनों में शुरू हो सकती है, जिसमें लेनदेन के लिए डेबिट कार्ड और ई-वॉलेट का इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे उलट सभी तरह के डिजिटल भुगतान में कारोबारियों को तकनीक के इस्तेमाल के लिए शुल्क या कमीशन का भुगतान करना होता है।
 यूआईडीएआई के मुख्य कार्याधिकारी अजय भूषण पांडे ने कहा, 'आंध्र प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में फिलहाल जनवितरण प्रणाली में आधार आधारित प्रणाली का इस्तेमाल किया जा रहा है। हम हरियाणा सरकार के साथ भी इस पर बात कर रहे हैं। हम बैंकों को भी पंजीकृत कर रहे हैं ताकि वे आधार आधारित भुगतान स्वीकार करना शुरू कर सकें। दो बैंक इस पर पहले ही सहमति जता चुके हैं। कारोबारियों को बैंकों के साथ जोडऩे का काम अगले कुछ हफ्तों में पूरा हो जाएगा।'
अपना आधार नंबर देना होगा 

 इस प्रणाली के लागू होने से पारंपरिक स्वाइप मशीनों के इस्तेमाल से जुड़े सभी तरह के शुल्क खत्म हो जाएंगे। इस प्रणाली के तहत यूआईडीएआई कारोबारियों और कारोबारी कॉरस्पॉन्डेंट को सूचीबद्घ करेगी। उसके बाद कारोबारी लेनदेन के लिए बायोमेट्रिक उपकरण से जुड़े अपने फोन का इस्तेमाल कर सकेंगे। इसके लिए ग्राहक को पासवर्ड के तौर पर अपना आधार नंबर देना होगा और सत्यापन के लिए फोन से जुड़े बायोमेट्रिक रीडर पर उंगली की छाप देनी होगी। इस प्रणाली को व्यापक तौर पर स्वीकार्य बनाने के लिए सरकार सभी बचत बैंक खातों को आधार नंबर से जोडऩे के लिए एक सख्त समयसीमा तय कर सकती है।
 ग्राहक जब भी एईपीएस के माध्यम से लेनदेन करेगा, संबंधित कारोबारी को बैंक के बिजनेस कॉरस्पॉन्डेंट की तरह ही कमीशन प्राप्त होगा। अलग-अलग बैंक अपने बिजनेस कॉरस्पॉन्डेंट को उनके प्रदर्शन के आधार पर प्रोत्साहन देते हैं। उदाहरण के लिए विदर्भ कोंकण ग्रामीण बैंक बिजनेस कॉरस्पॉन्डेंट को हर नया खाता खुलवाने पर 10 रुपये देता है। अगर कोई स्वाइप मशीन के जरिये पैसे जमा कराता है तो कॉरस्पॉन्डेंट को 0.5 फीसदी कमीशन मिलता है। पांडे ने कहा, 'कारोबारी भी अब बिजनेस कॉरस्पॉन्डेंट की तरह काम करेंगे। ऐसे में उन्हें भी प्रोत्साहन का भुगतान किया जाएगा।' उन्होंने कहा कि समय के साथ ऐसे कारोबारियों की संख्या बढऩे पर बैंकिंग कॉरस्पॉन्डेंट की जरूरत कम हो जाएगी।
 नकद लेनदेन की लागत भी कम होगी
यूआईडीएआई के कारोबारी मॉडल का सीधा अर्थ है कि बैंकिंग प्रणाली पर मोबाइल के माध्यम से आधार आधारित भुगतान प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन देने का बोझ बढ़ेगा। हालांकि दूसरी ओर उन्हें अन्य डिजिटल लेनदेन से कमाई होगी। लेकिन पांडे ने कहा कि यूआईडीएआई बैंकों को यह समझा रहे हैं कि यह कमीशन कॉरस्पॉन्डेंट को दिए जाने वाले मौजूदा कमीशन की तरह ही होगा और नकद लेनदेन की लागत भी कम होगी।
 स्वाइप मशीन (पीओएस) के शुल्क ढांचे के तहत कारोबारियों को कार्ड से लेनदेन पर लागत वहन करना होता है। थर्ड पार्टी के पीओएस सेवा प्रदाता से कई तरह के शुल्क जुड़े होते हैं। स्वाइप मशीनों की आमतौर पर बिक्री नहीं होती है बल्कि इसे बैंकों या थर्ड पार्टी वेंडर द्वारा किराये पर दिया जाता है। कुछ बैंक दो वर्षों तक पोर्टेबल पीओएस मशीन के लिए हर महीने 400 रुपये का किराया वसूलते हैं। कुछ बैंक 'कमिटमेंट चार्ज' के रूप में भी शुल्क वसूलते हैं। ये शुल्क उन कारोबारियों के लिए अतिरिक्त बोझ का सबब बन सकते हैं, जिनकी बिक्री कम है। कम बिक्री वाले कारोबारियों को ऊंचा 'कमिटमेंट चार्ज' चुकाना पड़ता है। हालांकि विभिन्न वेंडरों और बैंकों के बीच प्रतिस्पर्धा से यह लागत घटती जा रही है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और अन्य सरकारी बैंक थर्ड पाटी वेंडरों के मुकाबले ज्यादा उदार शर्तों पर मशीनें मुहैया कराते हैं। उदाहरण के लिए एसबीआई का दावा है कि वह किसी भी कारोबारी से एकबारगी लिया जाने वाला इंस्टॉलेशन चार्ज नहीं वसूलता है।
  पीओएस मशीन इस्तेमाल की लागत

पीओएस मशीन इस्तेमाल करने की अंतिम लागत मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) है। यह वह शुल्क है जो बैंकों द्वारा विक्रेता से मशीन में कार्ड स्वाइप किए जाने के लिए वसूला जाता है। आमतौर पर बैंक उस स्थिति में कम शुल्क वसूल करते हैं, जब उनका ही डेबिट कार्ड उनकी पीओएस मशीनों में इस्तेमाल किया जाता है। 1 जनवरी से पहले ये शुल्क 2,000 रुपये तक के लेनदेन पर इस लेनदेन की कीमत के 0.75 फीसदी थे। वहीं, 2,000 रुपये के लेनदेन से ऊपर विक्रेता से लेनदेन की कीमत का 1 फीसदी शुल्क वसूला जाता था। विदेशी कार्डों पर दोगुना शुल्क वसूला जाता था, जबकि क्रेडिट कार्ड से लेनदेन पर शुल्क 1.5 फीसदी वसूला जाता था। यह शुल्क या तो व्यापारी वहन करता था या इसका बोझ ग्राहक को उठाना पड़ता था।
 नोटबंदी के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 16 दिसंबर 2016 को एक अधिसूचना जारी कर एमडीआर के अतिरिक्त नियम जारी किए थे। इस साल 1 जनवरी से 31 मार्च तक 1,000 रुपये तक के लेनदेन पर एमडीआर 0.25 फीसदी कर दिया गया है। अन्य लेनदेन पर शुल्क की वसूली पूर्ववत होगी। एमडीआर की दर की अधिकतम सीमा 1 फीसदी तय कर दी गई है। यह साफ है कि विभिन्न शुल्कों से कारोबारी पर एक अहम राशि का बोझ बढ़ता है, जिसके पास इसे खुद वहन करने या ग्राहक पर डालने के अलावा और कोई विकल्प नहीं होता है। आरबीआई के अनुसार डेबिट कार्डों के जरिये पीओएस पर होने वाले लेनदेन नवंबर 2016 में 31,600 करोड़ रुपये पर पहुंच गए। 


अब किसी भी बैंक से निकाल सकेंगे रुपये

आने वाले दिनों में सभी बैंकों में एक खाते से काम हो सकेगा। इससे एटीएम की तरह ही खाता किसी भी बैंक में होने पर भी आप अन्य बैंकों से पैसा निकाल और जमा कर सकेंगे। ग्राहकों की सुविधा के लिए केंद्र सरकार इस सुझाव पर विचार  कर रही है। 
नीति आयोग की सलाह
नोटबंदी के दौरान सार्वजनिक बैंकों में एकीकृत बैंकिंग व्यवस्था लागू करने का सुझाव आया था। सूत्रों के मुताबिक, नीति आयोग के एक शीर्ष अधिकारी ने यह सलाह दी, जिस पर वित्त मंत्रालय सहमत है। इस पर रिजर्व बैंक से चर्चा होनी बाकी है।
सरकारी बैंकों में पहले
सूत्र बताते हैं कि मंत्रालय कोर बैंकिंग सॉफ्टवेयर (सीबीएस) जैसे नए प्लेटफार्म के जरिए पहले चरण में इस व्यवस्था को सरकारी बैंकों पर लागू करने पर विचार कर रहा है। इन बैंकों की देश में 72 हजार से ज्यादा शाखाएं हैं।बैंकों को अतिरिक्त आय होगी
मंत्रालय के सूत्रों की मानें तो इससे बैंकों को भी अतिरिक्त आय होने की बात सुझाव में कही गई है। पहले चरण में इस व्यवस्था को लागू करने पर सरकार के बीच रजामंदी है जो तत्कालीन यूपीए-2 सरकार में योजना आयोग द्वारा दिए गए इस तरह के एक सुझाव पर भी बनी थी। लेकिन बाद में इसे प्रयोगात्मक नहीं मानते हुए ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। सूत्र मान रहे हैं कि अगर आरबीआई की रजामंदी मिली तो सरकार इस व्यवस्था को जल्द लागू करेगी। फरवरी में आने वाले बजट में बैंकिंग सुधार से जुड़ी घोषणाओं में इसे भी शामिल किया जा सकता है। 
तीन लेनदेन नि:शुल्क
खाताधारक अपने मूल बैंक से ही नहीं देशभर में किसी भी बैंकों से लेनदेन कर सकेगा। तीन बार लेनदेन को निशुल्क रखे जाने और निकासी की सीमा तय का सुझाव दिया गया है। इससे अधिक बार लेनदेन पर शुल्क की बात है।  
ये बैंक फायदे में रहेंगे
इस व्यवस्था से कम शाखाओं वाले बैंकों को फायदा होगा क्योंकि इनमें कम लोग खाते खुलवाते हैं। सरकार सरकारी बैंकों के बाद निजी, क्षेत्रीय और फिर ग्रामीण बैंकों को भी इससे जोड़ने का प्रयास करेगी।

Tuesday, January 10, 2017

आधार ही बनेगा सरकारी काम का आधार

मोबाइल नंबर के लिए आधार, पासपोर्ट के लिए आधार, पेमेंट के लिए आधार, सब्सिडी के लिए आधार और बैंक अकाउंट के लिए भी आधार....यहां तक कि एग्जाम में बैठने के लिए भी आधार जरूरी है। ऐसे में अगर अब भी आपने आधार नहीं बनवाया तो रोजमर्रा की जिंदगी मुश्किल हो सकती है। आधार के बारे में विस्तार से बता रहे हैं दिनेश माहेश्वरी :
आधार का मतलब
यूनिक आइडेंटिफिकेशन डिवेलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) की ओर से हर नागरिक को जारी किया जाने वाला एक खास नंबर है।
- 12 अंकों का एक यूनिक नंबर हर नागरिक का यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर यानी हर नागरिक के लिए एक नंबर।
- इसके लिए जिंदगी में एक बार आधार रजिस्ट्रेशन करा कर नंबर लेना होता है।
- रजिस्ट्रेशन के दौरान इसके लिए व्यक्ति की डेमोग्राफिक (जनसंख्या संबंधी) और बायोमेट्रिक (उंगलियां, अंगूठा और आंख की पहचान) जानकारी ली जाती हैं।

कौन बनवा सकता है
- देश का कोई भी नागरिक इसे तय डॉक्युमेंट्स पेश करके बनवा सकता है।
- नवजात शिशु का भी आधार कार्ड बन सकता है।
- नवजात के मामले में बायोमेट्रिक्स की जरूरत 5 साल की उम्र के बाद पड़ती है।
- आधार के लिए साल भर में कभी भी आवेदन किया जा सकता है।

फीस
- आधार कार्ड बनवाने की कोई फीस नहीं है।
- कई बार सेंटर पर प्लास्टिक के कार्ड भी बनाए जाते हैं जिसके लिए आधार बनाने के लिए जिम्मेदार एजेंसी UIDAI ने 25 रुपये की अधिकतम फीस निर्धारित की है।

जरूरी डॉक्युमेंट्स
दो तरह के डॉक्युमेंट चाहिए
1. फोटो पहचान पत्र
2. पते का प्रमाण

इनमें से कोई 2 लेकर जाएं:
पासपोर्ट, पैन कार्ड, राशन/ सार्वजनिक वितरण प्रणाली के फोटो कार्ड, वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस, मनरेगा जॉब कार्ड, आर्म्स लाइसेंस, फोटो वाले डेबिट/क्रेडिट कार्ड, पेंशनभोगी फोटो कार्ड, स्वतंत्रता सेनानी फोटो कार्ड, किसान फोटो पासबुक, CGHS / ECHS फोटो कार्ड, गजेटेड ऑफिसर या तहसीलदार द्वारा लेटरहेड पर जारी किए गए फोटो की पहचान वाले प्रमाणपत्र, विकलांगता पहचानपत्र / संबंधित राज्य / संघ शासित सरकारों / प्रशासनों द्वारा जारी किए गए विकलांग चिकित्सा प्रमाण पत्र, बिजली बिल, पानी बिल, टेलिफोन का बिल या संपत्ति कर रसीद, क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट, गैस कनेक्शन बिल (3 महीने से ज्यादा पुराना न हो), रजिस्टर्ड बिक्री / लीज / रेंट के अग्रीमेंट
- आधार बनवाने के लिए सेंटर में पहचान और पते के तौर पर एक-एक प्रूफ ले जाना होगा। पहचान के प्रूफ के तौर पर आप पैन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड या पासपोर्ट ले जा सकते हैं। पते के तौर पर आप वोटर आईडी कार्ड या पासपोर्ट, राशन कार्ड, अपने नाम का बिजली का बिल, पानी या दूसरे किसी सरकारी बिल की फोटो कॉपी ले जा सकते हैं।
- अगर कोई आई कार्ड नहीं है तो एमएलए, गजटेड ऑफिसर, एमपी या मेयर से ऐप्लिकेशन को वेरिफाई कराकर दे सकते हैं।
- अगर ये भी उपलब्ध न हों तो जिसका आधार पहले से बना हुआ है, वह आपके फॉर्म को वेरिफाई कर सकता है। यानी आपके परिवार में अगर किसी एक के पास भी पहचान का सबूत है तो वह अपना आधार कार्ड बनवाकर परिवार के बाकी सदस्यों के फॉर्म को वेरिफाई कर सकता है।
- आधार के लिए फोटो की जरूरत होती है, जो सेंटर पर ही खींचा जाता है।
- रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरने के बाद उसे प्रिव्यू भी कर सकते हैं और जरूरत पड़ने पर ठीक भी कर सकते हैं।
- आखिर में आपको एनरॉलमेंट नंबर दिया जाएगा।

कितने दिन में मिलेगा कार्ड
- सामान्य प्रक्रिया के तहत एनरॉलमेंट होने के 2 से 3 महीनों में कार्ड बन कर घर के पते पर डिलिवर हो जाता है।
स्टेटस ऐसे जानें
- आधार कार्ड पाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराने के बाद 14 डिजिट का एक एनरॉलमेंट नंबर एक स्लिप पर दिया जाता है, जिससे आप अपने आधार कार्ड बनने का स्टेटस जान सकते हैं।
- इसके लिए आपने जो मोबाइल नंबर फॉर्म में दर्ज कराया है, उसके जरिए मेसेज बॉक्स में UID स्पेस status लिखने के बाद स्पेस देकर अपना 14 डिजिट का एनरॉलमेंट नंबर लिखें और 51969 पर भेजें। उदाहरणः UID status < 1234/56789/01234
- अगर आपका आधार कार्ड बन चुका होगा तो उसका नंबर आपको मेसेज बॉक्स में मिल जाएगा। अगर कार्ड बनने में देरी हो रही होगी तो इसकी सूचना भी आपको फौरन मेसेज के जरिए ही मिल जाएगी।
- वेबसाइट uidai.gov.in से भी स्टेटस जान सकते हैं। इस साइट पर राइट साइड में Check Your Aadhaar Status पर क्लिक करें।

आधार कार्ड के लिए मोबाइल नंबर और ई-मेल नंबर दें
- आधार कार्ड का रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरते वक्त मोबाइल नंबर देना चाहिए, क्योंकि इससे आपको मोबाइल पर एसएमएस के जरिए सरकारी सेवाओं की जानकारी मिलती रहती है। इसके अलावा आधार ऐप पर किए जाने वाले ट्रांजैक्शन की जानकारी भी आपको मिलती रहती है।
- इसी तरह ई-मेल आईडी देने से आपको मेल पर सरकारी सेवाओं के बारे में जानकारी लगातार मिलेगी।
- वैसे, मोबाइल और ई-मेल को आप आधार कार्ड बन जाने के बाद भी जुड़वा सकते हैं। इसके लिए आपको मैनुअल या ऑनलाइन एंट्री करानी होगी।

बैंक अकाउंट जोड़ना
आप रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरते वक्त या उसके बाद भी अपने बैंक का अकाउंट आधार से लिंक करा सकते हैं। इसके लिए आपको मैनुअल या ऑनलाइन एंट्री करानी होगी।
कैसे जोड़ें बैंक से आधार
- अपने आधार के बैंक अकाउंट से जोड़ने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि आधार कार्ड की कॉपी के साथ बैंक में उपलब्ध आधार लिंक फॉर्म को भर कर सबमिट कर दें।
- इसके अलावा नेटबैंकिंग के जरिए भी 'लिंक आधार कार्ड डिटेल्स' के ऑप्शन में जाकर भी आधार को बैंक अकाउंट से लिंक करवाया जा सकता है। जैसे ही लिंक होने की प्रक्रिया पूरी होगी आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर इसका मैसेज आ जाएगा।
- आपका आधार नंबर आपके बैंक अकाउंट के साथ जुड़ गया है या नहीं यह पता करने के लिए उपभोक्ता अपने मोबाइल पर *99*99# डायल करें।
- इसके बाद 12 डिजिट का आधार नंबर डालें और ओके करें।
- आधार नंबर सही है यह पुष्टि करने के लिए 1 डायल करें।
- इसके बाद मोबाइल पर आधार कार्ड के बैंक से जुड़े होने की जानकारी मिल जाएगी।

आधार के फायदे
- कोई भी ऐसा काम, जिसमें पहचान की जरूरत होती है, इस कार्ड का इस्तेमाल हो सकता है।
- आपकी पहचान ऑनलाइन हो जाती है।
- इस कार्ड के जरिए वेरिफिकेशन की प्रक्रिया आसान हो जाती है।
- बार-बार आपको आई कार्ड और रेजिडेंस प्रूफ दिखाने की जरूरत नहीं पड़ती।
- प्रॉपर्टी के रजिस्ट्रेशन के लिए भी आधार कार्ड जरूरी कर दिया गया है।
- ईपीएफओ द्वारा संचालित ईपीएफ योजना के तहत फायदा पाने के लिए आधार कार्ड जरूरी है।
- छात्रों को दी जाने वाली स्कॉलरशिप भी आधार कार्ड के जरिए दी जाएगी।
- जेईई (मेन) में शामिल होने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी आधार का होना जरूरी कर दिया गया है। इसके बिना वे एग्जाम नहीं दे सकते।
- लाइसेंस बनवाने, कार के रजिस्ट्रेशन व मोबाइल नंबर के लिए भी यह कार्ड जरूरी होगा।
- आधार कार्ड के जरिए अपना बैंक अकाउंट खुलवा सकते हैं।
- इस कार्ड को कोई और मिसयूज नहीं कर सकता है, जबकि राशन कार्ड या किसी अन्य आईडी प्रूफ के साथ कोई शख्स भी फजीवाड़ा कर सकता है।


अब क्यू आर कोड से होगा डिजिटल पेमेंट

केंद्र सरकार और आरबीआई (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) डिजिटल पेमेंट को आसान बनाने के लिए कई नए तरीके अपना रहे हैं। शॉपिंग के दौरान डिजिटल पेमेंट करते वक्त कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कई बार डेबिट या क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करने के दौरान लंबे प्रॉसेस की वजह लाइन में ही लगे रहना पड़ता है। अब सरकार इसे और भी आसान बनाने जा रही है, जिससे सिर्फ कुछ सेकेंड में डिजिटल पेमेंट किया जा सकता है।
सरकार द्वारा इस प्रयोगों को अमल में लाने की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। देश के कई राज्यों की सरकारे करीब लाखों की संख्या में पीओएस मशीनें खरीदने जा रही है। हालांकि आपको बता दें कि पीओएस की अपेक्षा सरकार डिजिटल पेमेंट के एक और तरीके पर मंथन कर रही है। इस तरीके को हाल ही में आरबीआई ने लागू करने की तैयारियां शुरू की हैं। आइए हम बताते हैं क्या है वो नया तरीका...
कार्ड स्वाइप नहीं, बल्कि सिर्फ क्यूआर कोड
अब बगैर कार्ड स्वाइप किए पेमेंट करना संभव होगा। यह सब कुछ क्यूआर कोड के जरिए होगा। वीजा, मास्टरकार्ड और रूपे के साथ पेमेंट कंपनियां भी जल्द इसके लिए क्विक रिस्पॉन्स (क्यूआर) कोड आधारित एक एप्लिकेशन लॉन्च करने जा रही हैं। इससे मर्चेंट वर्तमान उपयोग किए जा रहे भारी भरकम और महंगे पीओएस मशीन के बिना ही ग्राहक के मोबाइल फोन से पेमेंट ले सकेंगे।
वीजा, मास्टरकार्ड और रुपे कार्ड से मिलेंगे फायदे
रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सभी से ऐसा एक कॉमन क्यूआर कोड विकसित करने के लिए कहा है, ताकि उसके उपयोग में परेशानी नहीं हो। पीओएस मशीन जिस तरह किसी भी कार्ड की पहचान कर लेती है, उसी तरह सेंट्रल बैंक ऐसा क्यूआर कोड चाहता है, जिसका किसी भी सिस्टम पर आसानी से उपयोग किया जा सके। वीजा, मास्टरकार्ड और रुपे के साथ कई बैंक इस काम को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं।
अभी के क्यूआर कोड में क्या है समस्या
वर्तमान क्यूआर व्यवस्था के तहत परेशानी यह है कि सभी वॉलेट इस क्यूआर कोड को नहीं पकड़ पा रहे हैं। इसे देखते हुए बैंक के साथ ही पेमेंट कंपनियां भी मध्य जनवरी तक खुद की क्यूआर आधारित पेमेंट व्यवस्था अपनाने की तैयारी में जुटे हैं। इससे स्मार्टफोन वाले ग्राहकों को डिजिटल पेमेंट करने में मदद मिलेगी।
नया क्यूआर कोड कैसे करेगा काम
जिस क्यूआर कोड का विकास किया जा रहा है, वह सभी वीजा, मास्टरकार्ड और रूपे के ग्राहकों की पहचान करने में सक्षम होगा। यह संबंधित बैंक की मोबाइल बैंकिंग या फिर मोबाइल वॉलेट एप्लिकेशन से जुड़ा होगा। सरकार बैंकरों को खास तौर पर कम मूल्य के ट्रांजेक्शन के लिए डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसीलिए इस सिस्टम को इतना आसान बनाया जा रहा है, ताकि इसका उपयोग हर जगह किया जा सके। इसीलिए आरबीआई ने ऐसा कोड विकसित करने के लिए कहा है जो किसी भी बैंक कस्टमर के फोन पर काम करे।

अब बैंकों में तैनात होंगे रोबोट!

एचडीएफसी बैंक अब अपनी शाखाओं में रोबोट तैनात करेगा। यह इंटेलिजेंट रोबोटिक असिस्टेंट  शाखाओं में ग्राहकों की मदद करेगा। एचडीएफसी बैंक में डिजिटल बैंकिंग के कंट्री हेड नितिन चुघ ने कहा कि ग्राह
कों की प्रतिक्रिया के आधार पर अन्य शाखाओं में भी रोबोट लगाए जाएंगे और उनके द्वारा किए जाने वाले काम का दायरा बढ़ाया जाएगा। एचडीएफसी बैंक ने अपनी तकनीकी क्षमता सुधारने के लिए पिछले साल कृत्रिम बौद्धिकता (एआई) परियोजना शुरू की थी और शाखाओं में रोबोट लगाना उसी का एक हिस्सा है।  
अब बैंक कृत्रिम बौद्धिकता का इस्तेमाल अपने ग्राहकों के अनुभव को बेहतर बनाने, ग्राहक सेवा, कर्मचारियों को सहयोग, विपणन, स्वचालन आदि में करने की योजना बना रहा है। बैंक इन आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल ग्रामीण क्षेत्रों में अपने विकास के लिए करने की भी रणनीति बना रहा है। दूरदराज के ग्रामीण इलाकों में कृत्रिम बौद्धिकता के इस्तेमाल के लिए बैंक उन वित्तीय तकनीक (फिनटेक) कंपनियों के साथ साझेदारी के बारे में विचार कर रहा है, जो मुख्य रूप से ग्रामीण इलाकों में कारोबार करती हैं।
 दरअसल, एक अन्य ऋणदाता सिटी यूनियन बैंक ने भी अपनी चेन्नई शाखा में एक ह्यूमनोइड लगाया है। बैंक ने कहा था कि शुरुआत में यह रोबोट ग्राहकों द्वारा पूछे गए बैंकिंग से संबंधित सामान्य सवालों के जवाब देगा लेकिन बाद में इसे बैंकिंग प्रणाली से संबंधित लेनदेन से जोड़ा जाएगा। अन्य बैंक भी अपनी बैंकिंग तकनीक को आगे बढ़ाने के लिए कृत्रिम बौद्धिकता या सॉफ्टवेयर रोबोटिक्स पर बड़ा दांव लगा रहे हैं।
 उदाहरण के लिए आईसीआईसीआई बैंक भी ग्राहक आईडी बनाने, पते एवं मोबाइल नंबर अद्यतन करने, एटीएम से संबंधित सवालों के जवाब देने जैसे कार्यों के लिए कृत्रिम बौद्धिकता का इस्तेमाल कर रहा है। कृत्रिम बौद्धिकता के अलावा बैंक ब्लॉक चेन, वर्चुअल रियलिटी जैसे क्षेत्रों में भी संभावनाएं तलाश रहे हैं। आईसीआईसीआई बैंक, ऐक्सिस बैंक, येस बैंक जैसे कुछ बैंकों ने पहले ही ब्लॉक चेन तकनीक का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। हालांकि एचडीएफसी बैंक ने इस तकनीक का इस्तेमाल अभी शुरू नहीं किया है।
 चुघ ने कहा, 'हम दस्तावेज प्रबंधन, केवाईसी और लेनदेन प्रक्रिया सहित ब्लॉक चेन की सभी उपयोगिताओं का मूल्यांकन कर रहे हैं। हालांकि अभी यह शुरुआती अवस्था मेंं है और भारत में हमें ऐसे परिपक्व मॉडल नहीं मिलें हैं, जिन्हें लागू किया जा सके।' आने वाले समय में एचडीएफसी समूह की अन्य कंपनियां भी अपने कारोबार में रोबोट के इस्तेमाल के बारे में विचार कर सकती हैं। बैंक के ज्यादातर ग्राहक पहले ही डिजिटल बैंकिंग (मार्च 2016 के अंत में 71 फीसदी) को अपना चुके हैं और इसलिए अब वह डिजिटल प्रक्रियाओं के दूसरे चरण पर ध्यान दे रहा है। 

Monday, January 9, 2017

मनरेगा में काम के लिए अप्रैल से आधार जरुरी

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत काम हासिल करने के लिए अब अप्रैल से आधार कार्ड का होना जरूरी है। मनरेगा के तहत प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को 100 दिन का रोजगार अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराया जाता है।
मंत्रिमंडल सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि योजना के तहत जो लोग पंजीकरण कराते हैं, उन्हें आधार की प्रति देनी होगी या उन्हें 31 मार्च 2017 तक पंजीकरण प्रक्रिया से गुजरना होगा। उन्‍होंने कहा कि जब तक संबंधित व्यक्ति के पास आधार नहीं आ जाता, तब तक राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, मतदाता पहचान पत्र, तस्वीर के साथ किसान पासबुक, मनरेगा के तहत जारी रोजगार कार्ड और राजपत्रित या तहसीलदार द्वारा जारी प्रमाणपत्र पहचान के रूप में स्वीकार होगा। जिन लोगों ने आधार के लिए आवेदन किया है, वे पंजीकरण का पर्चा या आवेदन की प्रति संबंधित अधिकारियों को दे सकते हैं।
अधिकारी ने कहा, 'केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर और कुछ अन्य राज्यों के लिए आधार के पंजीकरण को अनिवार्य किये जाने के लिये जरूरी आदेश जारी कर रहा है। लोगों को आधार संख्या हासिल करने में किसी प्रकार की कठिनाई नहीं हो, इसके लिए पर्याप्त कदम उठाये जा रहे हैं।' सरकार ने इसके लिये आधार (वित्तीय एवं अन्य सब्सिडी, लाभ एवं सेवाओं की लक्षित डिलिवरी) कानून 2016 की धारा सात का उपयोग किया है। इस धारा के तहत यह अनिवार्य है कि जहां सरकार भारत की संचित निधि से सब्सिडी, लाभ या सेवा देती है, वहां संबंधित व्यक्ति से सत्यापन या आधार संख्या होने के बारे में साक्ष्य मांगे जा सकते हैं।

फोन से पैसे भेजने का सस्ता विकल्प यूएसएसडी

स्मार्टफोन और मोबाइल एप के जरिये किसी को राशि भेजना या लेन-देन करना ज्यादा आसान हो गया है। लेकिन नोटबंदी के बाद पिछले साल नवंबर और दिसंबर में यूएसएसडी के जरिये राशि भेजने में फीचर फोन ने मोबाइल बैंकिंग के सभी माध्यमों को पीछे छोड़ दिया है। साथ ही यह सस्ता विकल्प भी है।
क्या है यूएसएसडी
अनस्ट्रक्चर्ड सप्लीमेंट्री सर्विस डाटा (यूएसएसडी) राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) की ओर से दी जानी वाली मोबाइल बैंकिंग सुविधा है जिसे नेशनल यूनिफाइड यूएसएसडी प्लेटफॉर्म (एनयूयूपी) भी कहते हैं। इसके जरिये आप राशि की लेन-देन, संक्षिप्त विवरण और खाते में राशि जानने जैसी बैंकिंग सुविधा का फायदा उठा सकते हैं। इसमें इंटरनेट कनेक्शन की भी जरूरत नहीं है और इसका इस्तेमाल आप फीचर फोन से भी आसानी से कर सकते हैं।
कैसे करें इस्तेमाल
इसके लिए आपको आईडी, पासवर्ड और कोड याद रखने की जरूरत नहीं है। आपका मोबाइल नंबर बैंक में रजिस्टर्ड जरूर होना चाहिए। आपका खाता किसी भी बैंक का हो या मोबाइल नेटवर्क किसी भी कंपनी का हो सबके लिए *99 पर डॉयल करने इस सुविधा का लाभ ले सकते हैं। इस नंबर पर डायल करने के बाद बैंक का नाम चुनना होता है। इसके बाद मोबाइल स्क्रीन पर उपलब्ध बैंकिंग सुविधाओं की सूची आ जाएगी और उनके सामने अंक भी लिखे होंगे। जैसे एसबीआई के लिए आप 1 चुनकर सेंड का विकल्प दबाएंगे तो आपको खाते का विवरण मिल जाएगा। किसी को राशि भेजनी है तो उसका मोबाइल मनी आइडेंटीफायर (एमएमआईडी) आपको पता होना चाहिए या फिर उसका खाता संख्या और बैंक का आईएफएससी कोड मालूम होना चाहिए। आप इसका फायदा किसी भी दिन किसी भी समय उठा सकते हैं। यह सेवा 24 घंटे उपलब्ध रहती है। इसके जरिये एक दिन में अधिकम पांच हजार रुपये की लेन-देन कर सकते हैं।
कितना शुल्क लगेगा
रिजर्व बैंक ने यूएसएसडी से एक हजार रुपये तक की राशि भेजने पर 31 मार्च तक बैंकों को किसी भी तरह का शुल्क नहीं लेने का निर्देश दिया है। वहीं दूरसंचार नियामक ट्राई ने यूएसएसडी के इस्तेमाल पर मोबाइल कंपनियों द्वारा वसूले जा रहे प्रति लेन-देन शुल्क को 1.50 रुपये से घटाकर 50 पैसा कर दिया है।
लेन-देन 1,300 गुना बढ़ा
यूएसएसडी से बीते नवंबर और दिसंबर के बीच लेन-देन राशि और संख्या के हिसाब लेन-देन 1,300 गुना बढ़ा से अधिक बढ़ा है। नवंबर में यूएसएसडी से 7,000 लेन-देन हुआ जो दिसंबर में बढ़कर एक लाख दो हजार तक पहुंच गया। इसमें 1,351 फीसदी का इजाफा हुआ।

Sunday, January 8, 2017

 पेंशनधारियों के लिए भी आधार कार्ड जरूरी

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने अपने 50 लाख पेंशनभोगियों तथा करीब चार करोड़ अंशधारकों के लिये इस माह के अंत तक आधार संख्या उपलब्ध कराने को अनिवार्य कर दिया है। जिन अंशधारकों या पेंशनभोगियों के पास आधार नहीं है, उन्हें माह के अंत तक यह सबूत देना होगा कि उन्होंने इसके लिये आवेदन कर दिया है। यह ईपीएफओ की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ उठाने के लिये जरूरी है।
    इस संबंध में श्रम मंत्रालय ने अधिसूचना जारी की है। ईपीएफओ के केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त वी पी जॉय ने कहा, फिलहाल पेंशनभोगियों के साथ-साथ अंशधारकों को आधार या पंजीकरण प्रति 31 जनवरी, 2017 तक उपलब्ध कराना होगा। यह ईपीएफओ द्वारा उपलब्ध सेवाएं हासिल करने के लिये जरूरी है।
जॉय ने कहा, हम माह के अंत में स्थिति की समीक्षा करेंगे और अंशधारकों तथा पेंशनभोगियों को 12 अंकों वाला आधार संख्या देने के लिये कुछ और समय दे सकते हैं। ईपीएफओ ने अपने 120 क्षेत्रीय कायार्लयों से इस बारे में नियोक्ताओं के जरिये अंशधारकों तथा पेंशनभोगियों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिये व्यापक प्रचार-प्रसार करने को कहा है। हर महीने केंद्र सरकार सभी सदस्यों के पेंशन खाते में 1.16 फीसद अंशदान देती है जबकि 8.33 फीसद अंशदान सदस्यों को करना होता है। 

 बचत खातों के लिए पैनकार्ड जरुरी होगा

कालेधन पर नकेल कसने के लिए केंद्र सरकार ने शनिवार को एक नया नियम लागू किया है। इससे बैंक और डाकघरों में कई साल से चल रहे फर्जी बचत खातों में जमा गैरकानूनी आय पकड़ में आएगी।नए नियम के तहत सरकार ने सभी बचत खाते के लिए पैन नंबर विस्तार देना जरूरी कर दिया है। जिन वास्तविक खाताधारकों ने यह सूचना अब तक बैंक को नहीं दी है, उनके लिए सरकार ने 55 दिन का वक्त दिया है।
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी नियम में बचत खाताधारकों को पैन नंबर विस्तार या फार्म-60 28 फरवरी तक अनिवार्य तौर पर जमा कराने को कहा गया है। दरअसल, 9 नवंबर से लेकर 30 दिसंबर के बीच जिन खातों में ढाई लाख रुपये से अधिक रकम जमा हुई है। उसका ब्योरा बैंकों और डाकघरों को आयकर विभाग को 15 जनवरी तक सौंपना होगा। इस नियम के लागू होने के बाद उन खातों के ग्राहकों को जानो (केवाईसी) की पड़ताल की जाएगी।
मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में बैंकों और डाकघरों से चालू खाते के बारे में भी रिपोर्ट तलब की है। इसमें कहा गया है कि 1 अप्रैल 2016 से लेकर 9 नवंबर के बीच ऐसे खातों की जानकारी दें, जिनमें नोटबंदी के दौरान 12.50 लाख रुपये और एक या उससे ज्यादा बचत खातों में कुल ढाई लाख रुपये से ज्यादा रकम जमा कराई गई।
पचास हजार से अधिक पर पैनकार्ड जरूरी
अधिसूचना के मुताबिक पचास हजार रुपये से ज्यादा के नकद लेनदेन पर बैंकों, डाकघरों, रेस्टोरेंट और होटलों  को रिकार्ड रखने के साथ पैन नंबर या फार्म 60 लेना जरूरी होगा। यह प्रक्रिया अनिवार्य होगी, जिसके बिना लेनदेन नहीं किया जाएगा। मंत्रालय का मानना है कि इस फैसले से नोटबंदी के बाद फर्जी बैंक खातों में जमा गैरकानूनी आय पकड़ में आ जाएगी, इसलिए यह नियम लाया गया है। चालू खातों में आम तौर पर पैनकार्ड विस्तार और केवाईसी की प्रक्रिया पूरी है, लेकिन बड़ी तादाद में बचत खाते हैं, जो कई साल से चल रहे हैं, लेकिन खाताधारकों की ओर से पैनकार्ड संबंधी विस्तार से जुड़ा फार्म-60 नहीं भरा गया है। 28 फरवरी के बाद सरकार ऐसे बैंक खातों के खिलाफ कड़ा कदम उठा सकती है।सात दिनों में रिपोर्ट तलब
वित्त मंत्रालय ने बैंकों तथा डाकघरों से यह पूरी जानकारी 15 जनवरी तक तलब की है। इसके अलावा चालू खाते पर भी रिपोर्ट इसी तारीख तक मांगी गई है। इसमें को-ऑपरेटिव बैंकों में जमा कराई गई राशि भी शामिल है। मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर एक ही व्यक्ति ने विभिन्न खातों में पैसे जमा कराए हैं, और उसका कुल योग निर्धारित सीमा यानी बचत खातों में ढाई लाख से ज्यादा है, तो उसकी भी रिपोर्ट आयकर विभाग को सौंपी जाए।
नोटबंदी से पहले का रिकॉर्ड मांगा
गौरतलब है कि सरकार ने ऐसे खातों का चालू वित्त वर्ष का नोटबंदी से पहले का रिकॉर्ड भी मांगा है। बैंकों से इन खातों के बारे में चार जानकारी मांगी गई है। इनमें खाते में जमा कराई गई कुल राशि, निकाली गई कुल राशि और नोटबंदी के बाद जमा कराई गई राशि का विवरण। सरकार ने इसके लिए आयकर कानून, 1962 की संबंधित धाराओं में जरूरी संशोधनों के लिए शुक्रवार को अधिसूचना जारी की थी।

Wednesday, January 4, 2017

LPG की ऑनलाइन बुकिंग पेमेंट पर 5 रुपये की छूट

पेट्रोल और डीजल के बाद अब एलपीजी सिलिंडर की ऑनलाइन बुकिंग और पेमेंट पर उपभोक्ताओं को 5 रुपये की छूट मिलेगी। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि सरकारी पेट्रोलियम कंपनियां इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) सभी ग्राहकों को ऑनलाइन बुकिंग और पेमेंट के लिए प्रत्येक सिलिंडर पर 5
रुपये की सीधी छूट देंगी।
इससे पहले सरकार ने पेट्रोल पंपों पर नकदी लेन-देन कम की जगह डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए पेट्रोल-डीजल भरवाने पर 0.75% की छूट दिए जाने का निर्देश दिया था। इसी ऑफर का विस्तार कर अब एलपीजी सिलिंडर पर भी लागू कर दिया गया है।
बयान में कहा गया है, 'कस्टमर्स एलपीजी सिलिंडर की वेब बुकिंग के वक्त मौजूदा ऑनाइन मोड्स, मसलन नेट बैंकिंग, क्रेडिट-डेबिट कार्ड्स से पेमेंट कर सकते हैं।' ऑनलाइन बुकिंग के वक्त डिजिटल पेमेंट मोड चुनते ही स्क्रीन पर 5 रुपये की कटौती के साथ कीमत दिखेगी। यहां आपको उतनी ही रकम देनी होगी जो खुदरा बिक्री मूल्य में से 5 रुपये घटाने पर शेष बच जाती है। बयान में कहा गया है, 'एलपीजी सिलिंडर की होम डिलिवरी उपभोक्ता को दिए जाने वाले कैश मेमो में छूट की रकम भी दर्शायी गई होगी।'
गौरतलब है कि अभी 14.2 किलो का सब्सिडी वाला एलपीजी सिलिंडर 434.71 रुपये में दिया जा रहा है जबकि इसी साइज का गैर-सब्सिडी वाला सिलिंडर 585 रुपये का पड़ता है। ध्यान रहे कि 12 सिलिंडर का कोटा खत्म होने के बाद सब्सिडी वाले ग्राहकों को भी बाजार भाव से ही सिलिंडर लेने पड़ते हैं।

भीम ऐप से समस्या बढ़ी, अब नए वर्जन की तैयारी

भारत इंटरफेस फॉर मनी (BHIM) ऐप लॉन्च किया तो लोगों ने इसे हाथों हाथ ले लिया। आंकड़े बताते हैं कि अब तक 30 लाख लोग यह ऐप डाउनलोड कर चुके हैं। इतना ही नहीं, भीम ऐप माइ जियो और वॉट्सऐप जैसे फ्री ऐंड्रॉयड ऐप्स को पछाड़ते हुए गूगल प्ले स्टोर में नंबर वन लेवल पर पहुंच गया। लेकिन, इस ऐप के साथ कई तरह समस्याएं भी आ रही हैं। लोग इनकी शिकायतें भी कर रहे हैं।
कैसी-कैसी शिकायतें?
1. ऐप इंस्टॉल नहीं हो रहा
2. इंस्टॉलेशन के बाद पैसे भेज या प्राप्त नहीं कर पा रहे
3. पैसे भेजने या प्राप्त करने की पुष्टि नहीं हो रही
4. भेजने वाले के अकाउंट से पैसे कट तो गए, लेकिन जिसे भेजा उसे मिल नहीं पाए

NPCI ने क्या कहा?
नैशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के एमडी और सीईओ ए पी होता ने कहा कि उन्हें इन शिकायतों की जानकारी है और इन्हें दूर करने की दिशा में कदम आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये समस्या पैदा करने वाले बग्स से निपटने के लिए जल्द ही भीम ऐप का नया वर्जन सामने आएगा। होता ने कहा, 'हमें अब तक कई सुझाव मिले हैं और हम जल्द ही नया वर्जन लॉन्च करेंगे।' गौरतलब है कि एनपीसीआई ने ही भीम ऐप डिवेलप किया है।

क्यों पड़ी भीम की जरूरत?
यह पूछे जाने पर कि कुछ बैंकों के अपने यूपीआई आधारित ऐप्स हैं, ऐसे में भीम ऐप लाने की क्या जरूरत पड़ी, होता ने कहा- 'इसका मकसद यूपीआई का मिलाजुला अनुभव प्रदान करना है। साथ ही, भीम ऐप से उन बैंकों को भी मदद मिलेगी जिन्होंने अब तक अपना यूपीआई ऐप डिवेलप नहीं किया है।' उन्होंने कहा कि यह वैसे ग्राहकों के लिए काफी उपयोगी है जो अलग-अलग बैंकों में खुले अपने अकाउंट्स के लिए अलग-अलग ऐप इस्तेमाल नहीं करना चाहते।


Tuesday, January 3, 2017

30 दिसंबर तक देश के बाहर रहने वाले ही करा सकेंगे  नोट एक्सचेंज

30 दिसंबर तक पुराने नोट न जमा करा पाने वालों के लिए एक जरूरी सूचना है। जिन लोगों को लगता है कि वे निर्धारित सीमा तक नोट न जमा करा पाने की वजह बताकर आरबीआई से 31 मार्च तक पुराने नोट एक्सचेंज करा सकते हैं, वे यह जान लें कि यह छूट सिर्फ कुछ खास लोगों के लिए तय की गई थी। दरअसल, यह छूट सिर्फ उनके लिए है, जो 10 नवंबर से 30 दिसंबर के बीच देश में थे ही नहीं।
सोमवार को कई शहरों में लोग आरबीआई के दफ्तरों पर पुराने नोट एक्सचेंज करवाने के लिए जमा हुए, लेकिन उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा। रिजर्व बैंक के एक अधिकारी ने बताया कि लोगों को साफ तौर पर यह बताया जा रहा है कि 31 मार्च तक का ग्रेस पीरियड सिर्फ उन लोगों के लिए था, जो निर्धारित अवधि के दौरान देश में थे ही नहीं।
वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया  कि अध्यादेश के मुताबिक, 30 दिसंबर के बाद सिर्फ उनके ही पुराने नोट बदले जाएंगे, जो निर्धारित 50 दिनों के समय में देश से बाहर थे और साथ ही, उन्हें आरबीआई को उनकी अनुपस्थिति का पुख्ता कारण भी बताना होगा। हालांकि, यह 8 नवंबर को जारी हुई रिजर्व बैंक की प्रेस रिलीज के बिल्कुल विपरीत है, जिसमें कहा गया था कि निर्धारित 50 दिनों के समय में पुराने नोट जमा न करा पाने वाले आरबीआई के कुछ दफ्तरों पर पुराने नोट एक्सचेंज करा सकेंगे।

Monday, January 2, 2017

जनधन खातों से 15 दिन में निकले 3,285 करोड़ रुपये

जनधन खातों से बीते 15 दिनों में पूरे देश में 3,285 करोड़ रुपये निकाले गए हैं। इससे पहले नोटबंदी के बाद नवंबर में इन खातों में बड़े पैमाने पर राशि भी जमा कराई गई थी। केंद्र सरकार ने नोटबंदी के बाद इन खातों में ब्लैक मनी खपाए जाने की भी आशंका जताई थी। वित्त मंत्रालय के डेटा के मुताबिक 7 दिसंबर को समाप्त हुए सप्ताह में जनधन खातों में कुल जमा राशि 74,610 करोड़ रुपये के आंकड़े पर पहुंच गई थी। यह राशि अब तक जनधन खातों में अब तक जमा कराई गई रकम में सबसे अधिक थी। हालांकि 28 दिसंबर को यह आंकड़ा 71,037 करोड़ रुपये का हो गया।
आंकड़ों के मुताबिक 15 दिनों के अंदर जनधन खातों में जमा राशि में 3,285 करोड़ रुपये की गिरावट आ गई। यह आंकड़ा तब है जबकि जनधन खातों से 30 नवंबर के बाद प्रति माह अधिकतम निकासी सीमा 10,000 रुपये ही तय कर दी गई है। इसके अलावा जनधन खातों में अधिकतम जमा की सीमा भी 50,000 रुपये तय की गई है।
नोटबंदी के ऐलान के अगले दिन 9 नवंबर को 25.5 करोड़ जनधन खातों में 45,636.61 करोड़ रुपये जमा थे। इस तरह नोटबंदी के बाद एक महीने के भीतर जनधन खातों में जमा राशि 28,973 करोड़ रुपये बढ़ गई। दिलचस्प बात यह है कि जीरो बैलेंस वाले जनधन खाते अब भी 24.13 पर्सेंट हैं।
गरीब तबके के लोगों को भी बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ने के लिए केंद्र सरकार ने अगस्त, 2014 में जनधन योजना की शुरुआत की थी। जनधन खातों में सबसे अधिक राशि जमा होने के मामले में उत्तर प्रदेश टॉप पर है, जबकि पश्चिम बंगाल और राजस्थान क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।

आमदनी कम और डिपॉज़िट ज्यादा का जवाब मांगेगा आई टी डिपार्टमेंट

नोटबंदी पर 8 नवंबर के सरकारी ऐलान के बाद जिन लोगों ने बैंकों में बहुत ज्यादा कैश जमा किया होगा या बेहद महंगी चीजों की खरीदारी की होगी, वे दिक्कत में पड़ सकते हैं। सरकारी अधिकारी पिछले दो महीनों में जुटाए गए डेटा की पड़ताल कर रहे हैं और जिन लोगों की फाइनेंशियल डीलिंग्स उनके टैक्स रिटर्न में घोषित आमदनी के मुताबिक नहीं होगी, उनसे सवाल पूछे जा सकते हैंअधिकारी इस संबंध में डेटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल भी कर रहे हैं। वे यह पता लगाने में जुटे हैं कि शक के घेरे में आने से बचने के लिए लोगों ने टुकड़ों में ट्रांजैक्शंस करने की कोशिश की है या नहीं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट संदिग्ध लोगों के नाम अपनी वेबसाइट पर जल्द रख सकता है और ऐसे लोगों से इस तरह के ट्रांजैक्शंस पर जवाब मांग सकता है।
नोटबंदी के बाद डिपॉजिट्स और खरीदारी के बारे में जुटाई गई सूचनाओं से लैस टैक्स डिपार्टमेंट इस संबंध में बहुत तेजी से काम कर रहा है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज के एक सीनियर अधिकारी  ने बताया, 'हम एक नए ऑनलाइन मैकेनिज्म पर काम कर रहे हैं। इसमें जिन लोगों के डिपॉजिट्स या ट्रांजैक्शंस उनकी घोषित आमदनी की तर्ज से हटकर होंगे, उनके नाम वेबसाइट पर डाले जाएंगे और संबंधित व्यक्ति के परमानेंट एकाउंट नंबर (PAN) के जरिए सूचना हासिल की जाएगी।'
2.50 लाख रुपये से कम के डिपॉजिट भी जांच के घेरे में आ सकते हैं। डेटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल विभिन्न पहलुओं को खंगालने में किया जा रहा है। मसलन, कॉमन ऐड्रेस या फोन नंबर्स तलाशे जा रहे हैं और यह भी देखा जा रहा है कि कहीं एक ही परिवार के सदस्यों के नाम पर ये दर्ज तो नहीं हैं।
जिनके नाम वेबसाइट पर आएंगे, उन्हें सवाल का जवाब देने के लिए PAN के जरिए अपने इनकम टैक्स एकाउंट में लॉग-इन करना पड़ सकता है या एक एकाउंट बनाना पड़ सकता है। अधिकारी ने कहा, 'फाइनैंशल इंटेलिजेंस यूनिट सहित विभिन्न स्रोतों से हमारे पास सूचनाएं आ रही हैं। हम हर मामले की तह तक जाएंगे।'
विभिन्न स्रोतों से मिली सूचनाओं को इनवेस्टिगेशन और इंटेलिजेंस इकाइयों के अलावा फील्ड ऑफिसों के पास भी भेजा जा रहा है। इन अधिकारियों ने इस साल के लिए असेसमेंट का काम पूरा कर लिया है और अब वे नोटबंदी के बाद के डेटा पर फोकस कर रहे हैं।
इनकम टैक्स विभाग ने 9 नवंबर और 29 दिसंबर के बीच 556 सर्वे और 245 सर्च ऑपरेशंस चलाए हैं। इनमें 467 करोड़ रुपये की करेंसी जब्त की गई है। इसमें 105 करोड़ रुपये से ज्यादा के नए नोट थे। वेरिफिकेशन के लिए अब तक 5000 से ज्यादा नोटिस भेजे गए हैं और करीब 228 मामले सीबीआई के हवाले किए गए हैं।



ATM की जगह दिखेगा आईटीएम

छह महीने के भीतर आप एटीएम की तरह दिखने वाली इंटरेक्टिव टेलर मशीन (आईटीएम) का प्रयोग बैंक के रूप में कर सकेंगे। आईटीएम के जरिए आप 90 फीसदी से अधिक बैंकिंग सेवाओं का लाभ ले सकेंगे। फिलहाल गुड़गांव के इंडसइंड बैंक में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर ऐसी एक आईटीएम लगाई गई है।
आईटीएम टेली सर्विस ब्रांच टांजेक्शन तकनीक पर काम करती है। इसके तहत कॉल सेंटर में बैठा बैंकर आपको सभी तरह की बैंकिंग सेवाएं आईटीएम के जरिए मुहैया कराता है। आईटीएम में फोन का एक हैंडल लगा रहता है।जब आप लेन-देन करते हैं तो स्क्रीन पर वीडियो कॉलिंग के जरिए कॉल सेंटर में बैठा बैंकर आपको निर्देश देगा। ऐसे आप आईटीएम से सभी तरह की सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं।
कर्मचारियों पर होने वाला खर्च घटेगा: इस मशीन को लगाने के बाद बैंक का कर्मचारियों और शाखा पर होने वाला खर्च काफी कम हो जाएगा। मशीन बनाने वाली कंपनी के एनसीआर के प्रवक्ता ने बताया कि रिजर्व बैंक से इस तकनीक को स्वीकृति मिल चुकी है। छह महीने में देश की कई जगहों पर आईटीएम देखी जा सकेंगी।

भूमि एवं भवन की रजिस्ट्री के लिए अब ऑनलाइन आवेदन

कोटा। अबकोटा में घर बैठे रजिस्ट्री के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। बस पहले से दिए गए समय पर पंजीयन कार्यालय पहुंचना होगा। इसके अलावा डीएलसी दरें भी ऑनलाइन देखी जा सकेंगी। पंजीयन कार्यालय में ये सुविधा  शुरू हो चुकी है 
। इसमें पंजीयन कार्यालय की वेबसाइट पर रजिस्ट्री के लिए आवेदन किया जा सकेगा। आवेदक को पूरे दस्तावेज स्कैन करके फॉर्म के साथ अटैच करना हाेगा। इसके बाद अपनी सुविधानुसार अप्वाइटमेंट लेकर उसी समय पंजीयन कार्यालय पहुंच जाएं। उसी समय रजिस्ट्री का काम होगा।
पंजीयन अधिकारी कृष्णकांत के अनुसार नंबर आने पर आवेदक अधिकारी के सामने प्रस्तुत होगा। यहां उनकी तस्वीर, बायोमैट्रिक और डिजिटल हस्ताक्षर लिए जाएंगे। ई-स्टांप और अन्य दस्तावेज की जांच के बाद आधे घंटे में रजिस्ट्री हो जाएगी। आवेदक को रजिस्ट्री पेपर की मूल प्रति जारी कर दी जाएगी। इसे तहसील कार्यालय से भी लिंक किया जा रहा है, जिससे पूरे जिले की डीएलसी दर देखी जा सकेगी। इससे शुल्क पता कर ऑनलाइन पेमेंट भी कर सकेंगे।
पंजीयन संबंधी सभी आवेदन ऑनलाइन
पंजीयनके काम आने वाले सभी दस्तावेजों के लिए भी ऑनलाइन आवेदन होगा। इसमें लीज डीड, रहन नामा, किरायानामा, सेल डीड सहित अन्य दस्तावेज शामिल हैं।

फर्जीवाड़ारुकेगा: ई-पंजीयनके बाद फर्जीवाड़ा रुकेगा। आवेदकों को आधार कार्ड और अन्य पहचान पत्र लेकर पेश होना पड़ेगा। उसकी तस्वीर दस्तावेज में प्रकाशित होगी। इससे फर्जी रजिस्ट्री रुकेगी। भविष्य में फर्जी नामांतरण भी नहीं हो सकेगा।