नोटबंदी पर 8 नवंबर के सरकारी ऐलान के बाद जिन लोगों ने बैंकों में बहुत ज्यादा कैश जमा किया होगा या बेहद महंगी चीजों की खरीदारी की होगी, वे दिक्कत में पड़ सकते हैं। सरकारी अधिकारी पिछले दो महीनों में जुटाए गए डेटा की पड़ताल कर रहे हैं और जिन लोगों की फाइनेंशियल डीलिंग्स उनके टैक्स रिटर्न में घोषित आमदनी के मुताबिक नहीं होगी, उनसे सवाल पूछे जा सकते हैंअधिकारी इस संबंध में डेटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल भी कर रहे हैं। वे यह पता लगाने में जुटे हैं कि शक के घेरे में आने से बचने के लिए लोगों ने टुकड़ों में ट्रांजैक्शंस करने की कोशिश की है या नहीं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट संदिग्ध लोगों के नाम अपनी वेबसाइट पर जल्द रख सकता है और ऐसे लोगों से इस तरह के ट्रांजैक्शंस पर जवाब मांग सकता है।
नोटबंदी के बाद डिपॉजिट्स और खरीदारी के बारे में जुटाई गई सूचनाओं से लैस टैक्स डिपार्टमेंट इस संबंध में बहुत तेजी से काम कर रहा है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज के एक सीनियर अधिकारी ने बताया, 'हम एक नए ऑनलाइन मैकेनिज्म पर काम कर रहे हैं। इसमें जिन लोगों के डिपॉजिट्स या ट्रांजैक्शंस उनकी घोषित आमदनी की तर्ज से हटकर होंगे, उनके नाम वेबसाइट पर डाले जाएंगे और संबंधित व्यक्ति के परमानेंट एकाउंट नंबर (PAN) के जरिए सूचना हासिल की जाएगी।'
2.50 लाख रुपये से कम के डिपॉजिट भी जांच के घेरे में आ सकते हैं। डेटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल विभिन्न पहलुओं को खंगालने में किया जा रहा है। मसलन, कॉमन ऐड्रेस या फोन नंबर्स तलाशे जा रहे हैं और यह भी देखा जा रहा है कि कहीं एक ही परिवार के सदस्यों के नाम पर ये दर्ज तो नहीं हैं।
जिनके नाम वेबसाइट पर आएंगे, उन्हें सवाल का जवाब देने के लिए PAN के जरिए अपने इनकम टैक्स एकाउंट में लॉग-इन करना पड़ सकता है या एक एकाउंट बनाना पड़ सकता है। अधिकारी ने कहा, 'फाइनैंशल इंटेलिजेंस यूनिट सहित विभिन्न स्रोतों से हमारे पास सूचनाएं आ रही हैं। हम हर मामले की तह तक जाएंगे।'
विभिन्न स्रोतों से मिली सूचनाओं को इनवेस्टिगेशन और इंटेलिजेंस इकाइयों के अलावा फील्ड ऑफिसों के पास भी भेजा जा रहा है। इन अधिकारियों ने इस साल के लिए असेसमेंट का काम पूरा कर लिया है और अब वे नोटबंदी के बाद के डेटा पर फोकस कर रहे हैं।
इनकम टैक्स विभाग ने 9 नवंबर और 29 दिसंबर के बीच 556 सर्वे और 245 सर्च ऑपरेशंस चलाए हैं। इनमें 467 करोड़ रुपये की करेंसी जब्त की गई है। इसमें 105 करोड़ रुपये से ज्यादा के नए नोट थे। वेरिफिकेशन के लिए अब तक 5000 से ज्यादा नोटिस भेजे गए हैं और करीब 228 मामले सीबीआई के हवाले किए गए हैं।
नोटबंदी के बाद डिपॉजिट्स और खरीदारी के बारे में जुटाई गई सूचनाओं से लैस टैक्स डिपार्टमेंट इस संबंध में बहुत तेजी से काम कर रहा है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज के एक सीनियर अधिकारी ने बताया, 'हम एक नए ऑनलाइन मैकेनिज्म पर काम कर रहे हैं। इसमें जिन लोगों के डिपॉजिट्स या ट्रांजैक्शंस उनकी घोषित आमदनी की तर्ज से हटकर होंगे, उनके नाम वेबसाइट पर डाले जाएंगे और संबंधित व्यक्ति के परमानेंट एकाउंट नंबर (PAN) के जरिए सूचना हासिल की जाएगी।'
2.50 लाख रुपये से कम के डिपॉजिट भी जांच के घेरे में आ सकते हैं। डेटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल विभिन्न पहलुओं को खंगालने में किया जा रहा है। मसलन, कॉमन ऐड्रेस या फोन नंबर्स तलाशे जा रहे हैं और यह भी देखा जा रहा है कि कहीं एक ही परिवार के सदस्यों के नाम पर ये दर्ज तो नहीं हैं।
जिनके नाम वेबसाइट पर आएंगे, उन्हें सवाल का जवाब देने के लिए PAN के जरिए अपने इनकम टैक्स एकाउंट में लॉग-इन करना पड़ सकता है या एक एकाउंट बनाना पड़ सकता है। अधिकारी ने कहा, 'फाइनैंशल इंटेलिजेंस यूनिट सहित विभिन्न स्रोतों से हमारे पास सूचनाएं आ रही हैं। हम हर मामले की तह तक जाएंगे।'
विभिन्न स्रोतों से मिली सूचनाओं को इनवेस्टिगेशन और इंटेलिजेंस इकाइयों के अलावा फील्ड ऑफिसों के पास भी भेजा जा रहा है। इन अधिकारियों ने इस साल के लिए असेसमेंट का काम पूरा कर लिया है और अब वे नोटबंदी के बाद के डेटा पर फोकस कर रहे हैं।
इनकम टैक्स विभाग ने 9 नवंबर और 29 दिसंबर के बीच 556 सर्वे और 245 सर्च ऑपरेशंस चलाए हैं। इनमें 467 करोड़ रुपये की करेंसी जब्त की गई है। इसमें 105 करोड़ रुपये से ज्यादा के नए नोट थे। वेरिफिकेशन के लिए अब तक 5000 से ज्यादा नोटिस भेजे गए हैं और करीब 228 मामले सीबीआई के हवाले किए गए हैं।
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