नौकरीपेशा लोगों के लिए अक्सर साल का यह वक्त सबसे ज्यादा परेशान करने वाला होता है। नया साल शुरू होते ही दफ्तर के मानव संसाधन (एचआर) विभाग से टोकाटोकी शुरू हो जाती है और उन सभी निवेश योजनाओं के कागजात मांगे जाते हैं, जिनका जिक्र आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत कर बचाने के लिए वित्त वर्ष के आरंभ में किया गया था। ऐसे में अक्सर कर्मचारी निवेश की किसी उचित योजना के बिना ही आंकड़े दे देते हैं और जो भी कागज हाथ लगते हैं, उन्हें पेश कर दिया जाता है।
यहां अक्सर दिक्कत होती है क्योंकि उन्होंने वर्ष के आरंभ में बचत और निवेश की जो योजना बताई थी, उसके सभी सबूत दफ्तर में मांगे जाते हैं। जब तक वे निवेश के सबूत पेश नहीं करते हैं तब तक उन्हें वेतन में कमी की मार झेलनी पड़ती है क्योंकि उनका मोटा कर कटता है। कई बार तो वेतन का मामूली हिस्सा ही उन्हें मयस्सर होता है और कुछ का पूरा वेतन ही कट जाता है। यह वाकई में बहुत दिक्कत भरा वक्त होता है क्योंकि आपको कर का गणित पूरा करने के लिए अपने नियोक्ता को रकम देनी भी पड़ सकती है यानी वेतन तो हाथ नहीं आया उलटा अपनी ही जेब से पैसा देना पड़ गया। अगर आप इन परेशानियों से बचे रहना चाहते हैं तो कर का सिरदर्द दूर रखना चाहते हैं तो इन विकल्पों पर विचार कर सकते हैं।
80सी का लाभ
वेतनभोगी कर्मचारियों को धारा 80सी, 80डी, 80जी आदि के तहत कर छूट मिलती है। धारा 80सी भविष्य निधि और अन्य निवेश एवं बीमा पॉलिसी पर 1.50 लाख रुपये की छूट देती है। अन्य धाराएं आवास किराया भत्ता (एचआरए), अवकाश यात्रा भत्ता (एलटीए), वाहन भत्ता, चिकित्सा भत्ता और दूसरे भत्तों पर कर छूट का लाभ देती हैं। विश्लेषकों का कहना है कि कर्मचारी अक्सर 80सी पर विचार करते हैं। 'बड़ी तादाद में वेतनभोगी करदाता धारा 80सी के तहत जब कर छूट का हिसाब लगा रहे होते हैं तो अक्सर वे कर्मचारी भविष्य निधि यानी ईपीएफ को उसमें गिनना भूल जाते हैं। यह भूल बहुत भारी बैठती है। इसके अलावा कई बार वे जल्दबाजी में तमाम निवेश योजनाएं खरीद लेते हैं, जबकि उन्हें पहले बीमा की जरूरतों और आवास ऋण पर छूट के बारे में भी सोचना चाहिए।' यदि आप राष्ट्रीय पेंशन व्यवस्था (एनपीएस) में निवेशक हैं तो आप धारा सीसीडी के तहत 50,000 रुपये की छूट भी ले सकते हैं।
स्वास्थ्य बीमा लाभ
यह भी ऐसी श्रेणी है, जिसकी कमी आपको खल सकती है। चिकित्सा प्रतिपूर्ति यानी मेडिकल रीइंबर्समेंट में मिलने वाली 15,000 रुपये तक की राशि करमुक्त होती है। इसके अलावा धारा 80डी के तहत स्वास्थ्य बीमा लाभ भी आप ले सकते हैं। इसके तहत, आप स्वयं, पत्नी, बच्चे और माता-पिता के लिए प्रीमियम पर 25,000 रुपये की कर छूट का दावा कर सकते हैं। यदि माता-पिता 60 साल से अधिक उम्र के हैं तो इसके लिए 35,000 रुपये की अतिरिक्त कर छूट सीमा है। कुल मिलाकर, आप संबद्घ पॉलिसी खरीद कर 60,000 रुपये तक बचा सकते हैं।
ऋण अदायगी
इसमें दोहरे लाभ हैं- मूल भुगतान पर धारा 80सी के तहत दावा किया जा सकता है और धारा 24बी के तहत अतिरिक्त दो लाख रुपये का दावा किया जा सकता है। संपत्ति में सामूहिक रूप से मालिकाना (पति-पत्नी दोनों) हक रखने वाले दंपती के लिए ब्याज पर कर लाभ सालाना 5 लाख रुपये तक हो सकता है। यदि आपने शैक्षिक ऋण ले रखा है तो पूरा ब्याज भुगतान धारा 80ई के तहत कर छूट के लिए उपलब्ध है, लेकिन इसमें मूल रकम की अदायगी का लाभ हासिल नहीं है।
ये ऐसे प्रमुख लाभ हैं जो आप आय-कर विभाग से हासिल कर सकते हैं। एचआर विभाग को उचित दस्तावेज सौंपकर आप काफी रकम बचा सकेंगे। यदि आप इन सभी कर छूटों का लाभ लेने में सक्षम हैं तो आपको 7 लाख रुपये तक मिल सकते हैं। इसमें 2.5 लाख रुपये की मूल छूट सीमा शामिल है। यदि आप आवास किराया भत्ते, एलटीए आदि का सही दस्तावेज दे रहे हैं तो लाभ भी अधिक हासिल हो सकता है।
पांच साल तक के लिए
यदि आपको पांच साल के अंदर पैसे की जरूरत हो तो राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी) या पांच वर्षीय डाककर जमा योजनाएं अच्छा विकल्प हैं। एनएससी मौजूदा समय में सालाना 8 फीसदी का प्रतिफल देते हैं जबकि डाकघर जमा पर 7.8 फीसदी का ब्याज मिलता है। पांच साल की बैंक एफडी भी धारा 80सी के तहत कर छूट प्रदान करती है। चूंकि ये निर्धारित आय निवेश हैं, इसलिए इनमें सिर्फ अतिरिक्त पूंजी वाले व्यक्ति ही कर-बचत संबंधित निवेश के लिए विचार कर सकते हैं।
10 साल या अधिक
दीर्घावधि निवेश के लिए, पब्लिक प्रोवीडेंट फंड (पीपीएफ) मौजूदा समय में सालाना 8 फीसदी का प्रतिफल देता है जो एक अच्छा विकल्प है, लेकिन इसमें निवेश 15 साल के लिए लॉक हो जाता है। पीपीएफ का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह ईईई है। लेकिन ब्याज दर हर तिमाही में बदलती है।
यहां अक्सर दिक्कत होती है क्योंकि उन्होंने वर्ष के आरंभ में बचत और निवेश की जो योजना बताई थी, उसके सभी सबूत दफ्तर में मांगे जाते हैं। जब तक वे निवेश के सबूत पेश नहीं करते हैं तब तक उन्हें वेतन में कमी की मार झेलनी पड़ती है क्योंकि उनका मोटा कर कटता है। कई बार तो वेतन का मामूली हिस्सा ही उन्हें मयस्सर होता है और कुछ का पूरा वेतन ही कट जाता है। यह वाकई में बहुत दिक्कत भरा वक्त होता है क्योंकि आपको कर का गणित पूरा करने के लिए अपने नियोक्ता को रकम देनी भी पड़ सकती है यानी वेतन तो हाथ नहीं आया उलटा अपनी ही जेब से पैसा देना पड़ गया। अगर आप इन परेशानियों से बचे रहना चाहते हैं तो कर का सिरदर्द दूर रखना चाहते हैं तो इन विकल्पों पर विचार कर सकते हैं।
80सी का लाभ
वेतनभोगी कर्मचारियों को धारा 80सी, 80डी, 80जी आदि के तहत कर छूट मिलती है। धारा 80सी भविष्य निधि और अन्य निवेश एवं बीमा पॉलिसी पर 1.50 लाख रुपये की छूट देती है। अन्य धाराएं आवास किराया भत्ता (एचआरए), अवकाश यात्रा भत्ता (एलटीए), वाहन भत्ता, चिकित्सा भत्ता और दूसरे भत्तों पर कर छूट का लाभ देती हैं। विश्लेषकों का कहना है कि कर्मचारी अक्सर 80सी पर विचार करते हैं। 'बड़ी तादाद में वेतनभोगी करदाता धारा 80सी के तहत जब कर छूट का हिसाब लगा रहे होते हैं तो अक्सर वे कर्मचारी भविष्य निधि यानी ईपीएफ को उसमें गिनना भूल जाते हैं। यह भूल बहुत भारी बैठती है। इसके अलावा कई बार वे जल्दबाजी में तमाम निवेश योजनाएं खरीद लेते हैं, जबकि उन्हें पहले बीमा की जरूरतों और आवास ऋण पर छूट के बारे में भी सोचना चाहिए।' यदि आप राष्ट्रीय पेंशन व्यवस्था (एनपीएस) में निवेशक हैं तो आप धारा सीसीडी के तहत 50,000 रुपये की छूट भी ले सकते हैं।
स्वास्थ्य बीमा लाभ
यह भी ऐसी श्रेणी है, जिसकी कमी आपको खल सकती है। चिकित्सा प्रतिपूर्ति यानी मेडिकल रीइंबर्समेंट में मिलने वाली 15,000 रुपये तक की राशि करमुक्त होती है। इसके अलावा धारा 80डी के तहत स्वास्थ्य बीमा लाभ भी आप ले सकते हैं। इसके तहत, आप स्वयं, पत्नी, बच्चे और माता-पिता के लिए प्रीमियम पर 25,000 रुपये की कर छूट का दावा कर सकते हैं। यदि माता-पिता 60 साल से अधिक उम्र के हैं तो इसके लिए 35,000 रुपये की अतिरिक्त कर छूट सीमा है। कुल मिलाकर, आप संबद्घ पॉलिसी खरीद कर 60,000 रुपये तक बचा सकते हैं।
ऋण अदायगी
इसमें दोहरे लाभ हैं- मूल भुगतान पर धारा 80सी के तहत दावा किया जा सकता है और धारा 24बी के तहत अतिरिक्त दो लाख रुपये का दावा किया जा सकता है। संपत्ति में सामूहिक रूप से मालिकाना (पति-पत्नी दोनों) हक रखने वाले दंपती के लिए ब्याज पर कर लाभ सालाना 5 लाख रुपये तक हो सकता है। यदि आपने शैक्षिक ऋण ले रखा है तो पूरा ब्याज भुगतान धारा 80ई के तहत कर छूट के लिए उपलब्ध है, लेकिन इसमें मूल रकम की अदायगी का लाभ हासिल नहीं है।
ये ऐसे प्रमुख लाभ हैं जो आप आय-कर विभाग से हासिल कर सकते हैं। एचआर विभाग को उचित दस्तावेज सौंपकर आप काफी रकम बचा सकेंगे। यदि आप इन सभी कर छूटों का लाभ लेने में सक्षम हैं तो आपको 7 लाख रुपये तक मिल सकते हैं। इसमें 2.5 लाख रुपये की मूल छूट सीमा शामिल है। यदि आप आवास किराया भत्ते, एलटीए आदि का सही दस्तावेज दे रहे हैं तो लाभ भी अधिक हासिल हो सकता है।
पांच साल तक के लिए
यदि आपको पांच साल के अंदर पैसे की जरूरत हो तो राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी) या पांच वर्षीय डाककर जमा योजनाएं अच्छा विकल्प हैं। एनएससी मौजूदा समय में सालाना 8 फीसदी का प्रतिफल देते हैं जबकि डाकघर जमा पर 7.8 फीसदी का ब्याज मिलता है। पांच साल की बैंक एफडी भी धारा 80सी के तहत कर छूट प्रदान करती है। चूंकि ये निर्धारित आय निवेश हैं, इसलिए इनमें सिर्फ अतिरिक्त पूंजी वाले व्यक्ति ही कर-बचत संबंधित निवेश के लिए विचार कर सकते हैं।
10 साल या अधिक
दीर्घावधि निवेश के लिए, पब्लिक प्रोवीडेंट फंड (पीपीएफ) मौजूदा समय में सालाना 8 फीसदी का प्रतिफल देता है जो एक अच्छा विकल्प है, लेकिन इसमें निवेश 15 साल के लिए लॉक हो जाता है। पीपीएफ का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह ईईई है। लेकिन ब्याज दर हर तिमाही में बदलती है।
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