बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा है कि अगर पत्नी अपने पति को रेगुलर यौन संबंध बनाने से रोकती है तो यह पति पर अत्याचार है और उनके बीच तलाक का आधार हो सकता है। अदालत ने बात अकोला फैमिली कोर्ट के उस फैसले को सही ठहराते हुए कही जिसमें यौन संबंध नहीं बनाने देने पर पति द्वारा तलाक की मांग मंजूर कर ली गई थी।हाईकोर्ट के जस्टिस वसंती नाइक और जस्टिस विनय देशपांडे की बेंच ने ने इस फैसले को लेकर कहा कि पत्नी की तरफ से पति को यौन संबंध बनाने से इन्कार करना उस पर सच में अत्याचार करने जैसा है।
रिकॉर्ड में कई सबूत हैं जिससे यह साबित होता है कि पत्नी के यौन संबंधों से इन्कार के अलावा घर के काम ना करना रेगुलर यौन संबंध ना बनाने के चलते पति को मानसिक प्रताड़ना मिली है।महीनों रहती थी मायके, अमावस और पूनम के बहाने नहीं बनाती थी संबंधएक अंग्रेजी अखबार की खबर के अनुसार तलाक लेने वाले पति की शिकायत थी कि उसकी शादी 2001 में हुई थी और उसकी पत्नी लगातार अपने मायके जाती रहती थी। वहां जाकर वो महीने भर रहती थी और तभी लौटती थी जब उसका पति या सास लेने जाती थी।पति ने कहा कि उसकी पत्नी घर के काम ना करने के साथ ही उसके साथ यौन संबंध भी नहीं बनाने देती थी। पति जब भी संबंध बनाने जाता वो कभी अमावस तो कभी पूनम होने का बहाना कर इन्कार कर देगी। इसके चलते पति तनाव में रहता था और तंग आकर अदालत पहुंच गया।
महिला ने लगाया दहेज प्रताड़ना का आरोप
पति के आरोपों को नकारते हुए महिला ने अपने ससुराल वालों पर ही दहेज प्रताड़ना का आरोप लगा दिया। पति के बयान के आधार पर अकोला कोर्ट ने दोनों के बीच 2011 को तलाक को मंजूरी दे दी। इस फैसले को महिला ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने कहा कि महिला को उसके परिवार के बड़े लोगों ने अपने पति के साथ मुक्त होकर यौन संबंध बनाने की सलाह दी थी। अगर महिला पहले से ही पति से रोज फ्री होकर यौन संबंध बनाती तो उसे ऐसी सलाह नहीं देनी पड़ती। वहीं महिला यह साबित करने में नाकाम रही है कि उससे दहेज की मांग की गई। फैमिली कोर्ट ने दोनों पक्षों के सबूतों को सही तरीके से देखा और पाया कि पति पर अत्याचार हुआ है।
रिकॉर्ड में कई सबूत हैं जिससे यह साबित होता है कि पत्नी के यौन संबंधों से इन्कार के अलावा घर के काम ना करना रेगुलर यौन संबंध ना बनाने के चलते पति को मानसिक प्रताड़ना मिली है।महीनों रहती थी मायके, अमावस और पूनम के बहाने नहीं बनाती थी संबंधएक अंग्रेजी अखबार की खबर के अनुसार तलाक लेने वाले पति की शिकायत थी कि उसकी शादी 2001 में हुई थी और उसकी पत्नी लगातार अपने मायके जाती रहती थी। वहां जाकर वो महीने भर रहती थी और तभी लौटती थी जब उसका पति या सास लेने जाती थी।पति ने कहा कि उसकी पत्नी घर के काम ना करने के साथ ही उसके साथ यौन संबंध भी नहीं बनाने देती थी। पति जब भी संबंध बनाने जाता वो कभी अमावस तो कभी पूनम होने का बहाना कर इन्कार कर देगी। इसके चलते पति तनाव में रहता था और तंग आकर अदालत पहुंच गया।
महिला ने लगाया दहेज प्रताड़ना का आरोप
पति के आरोपों को नकारते हुए महिला ने अपने ससुराल वालों पर ही दहेज प्रताड़ना का आरोप लगा दिया। पति के बयान के आधार पर अकोला कोर्ट ने दोनों के बीच 2011 को तलाक को मंजूरी दे दी। इस फैसले को महिला ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने कहा कि महिला को उसके परिवार के बड़े लोगों ने अपने पति के साथ मुक्त होकर यौन संबंध बनाने की सलाह दी थी। अगर महिला पहले से ही पति से रोज फ्री होकर यौन संबंध बनाती तो उसे ऐसी सलाह नहीं देनी पड़ती। वहीं महिला यह साबित करने में नाकाम रही है कि उससे दहेज की मांग की गई। फैमिली कोर्ट ने दोनों पक्षों के सबूतों को सही तरीके से देखा और पाया कि पति पर अत्याचार हुआ है।
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