Sunday, August 2, 2015

आयकर विभाग ने जारी किया नया आईटीआर 6

कोटा। गैर-वेतनभोगियों के लिए भी सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (सीबीडीटी) ने आकलन वर्ष 2015-16 (वित्तीय वर्ष 2014-15) के लिए संशोधित आय कर (आईटी) रिटर्न फॉर्म जारी कर दिया है। आईटीआर 3 से आईटीआर 7 तक वाले फॉर्म्स मालिक (बिजनसमेन या प्रफेशनल्स), सीमित उत्तरदायित्व भागीदारी, भागीदारी वाली कंपनियां, हिंदू संयुक्त परिवारों और कंपनियों आदि जैसे कर दाताओं के लिए हैं। कंपनियों को आईटीआर 6 का इस्तेमाल कर अपना टैक्स रिर्टन भरना है। इस फॉर्म में पहले के सालों से कहीं ज्यादा जानकारियां देनी होंगी। इनमें कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) के तहत खर्चों के खुलासे भी शामिल हैं। इसके अलावा यह फॉर्म टैक्स प्राधिकरणों को विदेशी संपत्तियों और आय पर बेहतर नजर रखने में सक्षम बनाता है। इससे टैक्स अथॉरिटीज को मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों को उजागर करने में भी मदद मिलेगी।
सरकार ने पहली बार 31 मार्च, 2015 को खत्म हुए वित्तीय वर्ष के लिए कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के तहत खर्चों का उल्लेख किए जाने वाला फॉर्म पेश किया है। ऐसे खर्चे आई-टी ऐक्ट की धारा 37(1) के तहत व्यावसायिक खर्चे नहीं माने जाते और ना ही टैक्स पर्पसेज के लिए डिडक्शन माना जाएगा। दूसरे शब्दों में, यह कंपनी की कर योग्य आय में कौटती नहीं करता है। इस प्रकार अगर कंपनी के लाभ-हानि वाले खाते से सीएसआर को घटाया जाता है तो आईटीआर के फॉर्म 6 में इसका खुलासा करना होगा।
अगर कोई कंपनी एक साल में नए प्लांट और मशीन में 25 करोड़ या इससे ज्यादा का निवेश करती है तो लागत के 15 फीसदी का डिडक्शन निवेश भत्ता के रूप में मान्य होगा। इस भत्ते की दावेदारी के लिए डीटेल्स देने होंगे। आईटीआर फॉर्म 6 में सभी घरेलू बैंकों के डीटेल्स भी भरे जाने हैं। मसलन, बैंक के नाम, आईएफएससी कोड, अकाउंट नंबर और अकाउंट की प्रकृति। हालांकि, तीन साल से ज्यादा वक्त से निष्क्रीय पड़ चुके बैंक अकाउंट के डीटेल्स दिए जाने की जरूरत नहीं है।
भारतीय कंपनियों द्वारा अर्जित विदेशी आय और मनी लॉन्ड्रिंग की किसी भी आशंका पर नजर रखने के लिए आईटीआर फॉर्म 6 में एफए का डीटेल शेड्यूल पेश किया गया है। कंपनियों को विदेशी संपत्तियों का विस्तृत ब्योरा देना होगा, जिसमें विदेशी बैंक खातों, विदेशी ट्रस्टों और अचल संपत्ति (वित्तीय वर्ष के दौरान कभी भी मालिकाना हक वाले) से लगाव की घोषणा भी शामिल है। इतना ही नहीं जो संपत्ति सीधा मालिकाना हक के रूप में नहीं बल्कि लाभार्थी के रूप में हक में आए, उसके भी डीटेल्स देने होंगे। ऐसी विदेशी संपत्तियों से हो रही आय की भी घोषणा करनी होगी।

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