Saturday, December 31, 2016

ऐसे फ्री डाउनलोड कर सकते हैं BHIM एप

डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मोबाइल ऐप भीम लॉन्च किया। BHIM ऐप का पूरा नाम 'भारत इंटरफेस फॉर मनी' है। यह UPI बेस्ड पेमेंट सिस्टम पर काम करेगा। इसके जरिए लोग डिजिटल तरीके से पैसे भेज और रिसीव कर सकेंगे। खास बात यह है यह ऐप बिना इंटरनेट के भी काम करेगा। इसमें यूजर्स को बैंक अकाउंट नंबर और IFSC कोड जैसी लंबी डिटेल्स डालने की जरूरत नहीं होगी। इसे कैसे कर सकते हैं ऑपरेट...
- भीम को नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने डेवलप किया है।
- इससे पैसे भेजने के लिए आपको सिर्फ एक बार अपना बैंक अकाउंट नंबर रजिस्टर करना होगा और एक UPI पिनकोड जनरेट करना होगा।
- इसके बाद आपका मोबाइल नंबर ही पेमेंट एड्रेस होगा। हर बार अकाउंट नंबर डालने की जरूरत नहीं होगी।
- इंटरनेट नहीं होने पर फोन से USSD कोड *99# डायल करके भी इस ऐप को ऑपरेट किया जा सकता है। ये बिना इंटरनेट के भी काम करेगा।
- फिलहाल यह ऐप हिंदी और अंग्रेजी को सपोर्ट करेगा। जल्दी ही क्षेत्रीय भाषाएं भी इसमें जुड़ेंगी।

क्या-क्या कर सकते हैं इस ऐप से
चैक बैलेंस : आप अपने बैंक अकाउंट बैलेंस चेक कर सकते हैं।
कस्टम पेमेंट एड्रेस : आप अपने फोन नंबर्स के साथ कस्टम पेमेंट एड्रेस को भी ऐड कर सकते हैं।
QR कोड :QR कोड स्कैन करके भी आप किसी को पेमेंट भेज सकते हैं। इसके लिए आपको सिर्फ मर्चेंट का QR कोड स्कैन करना होगा।
ट्रांजैक्शन लिमिट : 24 घंटे में मिनिमम 10,000 रुपए और मैक्सिमम 20,000 रुपए ट्रांसफर कर सकते हैं।

भीम ऐप यूज करने पर कोई चार्ज रहेगा?
इस ऐप से ट्रांजेक्शन करने पर कोई चार्ज नहीं लगेगा। हालांकि, IMPS और UPI ट्रांसफर पर आपका बैंक कुछ चार्ज वसूल कर सकता है।
इसे यूज करने के लिए मुझे क्या करना होगा?
यह एंड्रॉयड (8th वर्जन से ऊपर) और iOS (5th वर्जन से ऊपर) पर अवेलेबल है। प्लेस्टोर और iOS स्टोर से इसे BHIM टाइप करके डाउनलोड किया जा सकता है।
क्या यह ऐप किसी भी मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम करेगा?
इस ऐप को यूज करने के लिए आपको स्मार्टफोन, इंटरनेट एक्सेस, UPI पेमेंट सपोर्ट करने वाला भारतीय बैंक अकाउंट नंबर और अकाउंट से लिंक्ड मोबाइल नंबर की जरूरत होगी। ऐप के जरिए बैंक अकाउंट को UPI से लिंक करना होगा।
ऐप यूज करने के लिए मुझे मोबाइल बैंकिंग एक्टिवेट करनी होगी?
नहीं, इसके लिए मोबाइल बैंकिंग एक्टिवेट करने की जरूरत नहीं। सिर्फ आपका मोबाइल नंबर बैंक में रजिस्टर होना चाहिए।
क्या इसे यूज करने के लिए किसी खास बैंक का कस्टमर होना जरूरी है?
डायरेक्ट मनी ट्रांसफर के लिए आपके बैंक का UPI (Unified Payment Interface) प्लेटफॉर्म पर लाइव होना जरूरी है। UPI प्लेटफॉर्म पर एक्टिव सभी बैंक इस ऐप में लिस्टेड हैं।
मैं ऐप से अपने बैंक अकाउंट का UPI पिन कैसे जनरेट करूं?
इसके लिए आपको ऐप के मेन मेन्यू में बैंक अकाउंट्स पर जाकर Set UPI-PIN ऑप्शन चुनना होगा। इसके बाद आपसे डेबिट कार्ड/एटीएम कार्ड के आखिरी 6 डिजिट और कार्ड की एक्सपायरी डेट पूछी जाएगी। ये इनपुट डालने पर आपके मोबाइल पर OTP आएगा, जिससे आप UPI-PIN सेट कर पाएंगे।
क्या मैं ऐप में कई बैंक अकाउंट ऐड कर सकता हूं?
फिलहाल भीम ऐप पर सिर्फ एक ही बैंक अकाउंट जोड़ने का ऑप्शन है।
क्या मुझे भीम ऐप को अपनी बैंक अकाउंट डिटेल देनी होंगी?
रजिस्ट्रेशन के समय आपको डेबिट कार्ड डिटेल और मोबाइल नंबर बताना होगा। कार्ड नंबर से ही आपकी बैंक डिटेल सिस्टम को मिल जाएगी। इसे अलग से बताने की जरूरत नहीं।

Friday, December 30, 2016

सोने में 40 फीसदी की आई गिरावट

वर्ष 2016 सोने में मजबूती के साथ शुरू हुआ। वर्ष के दौरान यह निवेशकों की पहली पसंद बना रहा, लेकिन साल समाप्त होते होते इसकी चमक अचानक गायब होने लगी और वैश्विक घटनाक्रमों को देखते हुए इसमें अगले साल का परिदृश्य भी धूमिल नजर आने लगा। 
पिछले तीन साल कीमती धातुओं में निवेश करने वालों के लिए काफी चुनौती भरे रहे, लेकिन इस साल इसमें अच्छी शुरुआत रही। वर्ष के दौरान यह आकषर्क बना रहा, लेकिन साल समाप्त होते होते इसकी चमक गायब होने लगी जिसने सभी को हैरान कर दिया।वर्ष के आखिरी दिनों में सोना पिछले साल के मुकाबले 10 फीसदी और चांदी करीब 18 फीसदी ऊंची रही। हालांकि नीचे गिरने से पहले इस साल सोना और चांदी में वार्षिक रिटर्न क्रमश: 26 फीसदी और 45 फीसदी रहा। नोटबंदी के बाद कीमती धातुओं की मांग घट गई और नई उंचाइयां छूने वाला वाला सोना आखिरी दो महीनों में 40 फीसदी लुढ़क गया।
सर्राफा कारोबारियों को नोटबंदी के बाद काफी परेशानी झेलनी पड़ी। आयकर विभाग के छापों से कई दिनों तक उन्होंने अपने प्रतिष्ठान बंद रखे। इससे पहले फरवरी में बजट पेश होने के बाद भी सर्राफा कारोबारियों ने एक महीने से अधिक दिनों तक अपने प्रतिष्ठान बंद रखे। बजट में स्वर्णाभूषणों के विनिर्माण पर 1 फीसदी उत्पाद शुल्क लगाए जाने का वह विरोध कर रहे थे।

प्रीपेड कार्ड से मिलेगा अब कर्मचारियों को वेतन

डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए रिजर्व बैंक ने एक कदम और बढ़ा दिया। अब गैर-सूचीबद्ध कंपनियां भी अपने कर्मचारियों को प्रीपेड कार्ड से वेतन दे सकेंगी। नगर निकाय भी ऐसा कर सकेंगे। आरबीआई ने यह फैसला वैसे कर्मचारियों को देखकर किया है जिनके पास बैंक खाता नहीं है। सूचीबद्ध कंपनियों को यह सुविधा पहले से ही थी। प्रीपेड कार्ड से डेबिट कार्ड की तरह खरीदारी के साथ नकदी निकालने की भी सुविधा है।
क्या है प्रीपेड कार्ड-
यह डेबिड कार्ड की तरह होता है और इसमें पहले से राशि जमा करनी पड़ती है। इसके जरिये किसी को राशि भी भेज सकते हैं। यह खरीदारी में डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड की तरह काम करता है। इसके जरिए ऑनलाइन खरीदारी भी कर सकते हैं। इसमें नकदी की अधिकतम सीमा में बैंकों के आधार पर अंतर हो सकता है। इसमें तय सीमा के भीतर कई बार नकदी भरवा सकते हैं।
कंपनियां देंगी केवाईसी-
कर्मचारियों को बैंक से प्रीपेड कार्ड देने के लिए ग्राहक को जानें (केवाईसी) की जिम्मेदारी खुद कंपनियां उठाएंगी। साथ ही जिस बैंक में कंपनी का खाता होगा उसी बैंक से कर्मचारियों के लिए प्रीपेड कार्ड लेने की अनुमति होगी।
कैसे मिलता है कार्ड-
रिजर्व बैंक के नियमों के अनुसार व्यक्तिगत रूप से भी 10 हजार रुपये तक का प्रीपेड कार्ड बैंक में सामान्य जानकारी देकर ले सकते हैं। 10 हजार रुपये से अधिक के प्रीपेड कार्ड के लिए केवाईसी जरूरी है। अधिक निकासी पर शुल्क जिस बैंक का प्रीपेड कार्ड है उसी के एटीएम से महीने में पांच बार नकदी निकालने पर कोई शुल्क नहीं है जैसा कि डेबिट कार्ड पर भी लागू है। इससे अधिक बार निकासी पर बैंक 10 रुपये शुल्क वसूलते हैं।
नकदी कैसे निकलेगी-
प्रीपेड कार्ड से नकदी की सुविधा डेबिट कार्ड की तरह है। सामान्य स्थिति में आप एटीएम से एक बार में 10 हजार रुपये तक नकदी निकाल सकते हैं। जबकि प्वांइट ऑफ सेल (पीओएस) से छोटे शहरों में रोजाना दो हजार रुपये और बड़े शहरों में एक हजार रुपये निकाल सकते हैं। प्रीपेड कार्ड में एक समय 50 हजार रुपये से अधिक राशि जमा नहीं हो सकती है। नकदी केवल बैंक के प्रीपेड कार्ड से ही निकलती है।

एक जनवरी से ज्वैलरी हॉलमार्किंग जरुरी हो जाएगा।

भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने स्वर्ण आभूषणों के लिए हॉल मार्किंग संबंधी मानक को पुनरीक्षित करने तथा इसे एक जनवरी से लागू करने का निर्णय लिया है। ब्यूरो की जारी विज्ञप्ति के अनुसार हाल मार्किंग किए गए आभूषण अब 14 कैरेट, 18 कैरेट और 22 कैरेट में उपलब्ध होंगे। लोगों की सुविधा के लिए आभूषणों की शुद्धता के अलावा कैरेट की मुहर लगाई जाएगी। जैसे 22 कैरेट के लिए 916 के अलावा 22के के मुहर लगाए जाएंगे जबकि 18 कैरेट के लिए 750 और 18के के तथा 14 कैरेट के लिए 585 और 14के के मुहर लगाए जाएंगे।
सरकार ने नए नियम जारी कर दिए हैं। बीआईएस को जारी नए नियम की कॉपी हमारे हाथ भी लगी है। इसके मुताबिक एक जनवरी से सिर्फ 22, 18 और 14 कैरेट सोने की ज्वैलरी की हॉलमार्किंग हो सकेगी। गौर करने वाली बात ये है कि अब तक कुल 10 कैटेगरी में हॉलमार्किंग की सुविधा थी, जिसे सरकार ने हटा दिया है।
नए नियम के तहत सोने के सिक्के और बिस्किट का भी स्टैंडर्ड तय होगा। सोने की हॉलमार्किंग कंज्यूमर के हक में है। लेकिन ज्वैलर्स इसका काफी विरोध कर रहे हैं। ज्वेलर्स की दलील है कि देश में हॉलमार्किंग की पार्याप्त सुविधा ही नहीं है।
सरकार जनता को खोटे सोने से छुटकारा दिलाना चाहती है, लेकिन सरकार का ये कदम ज्वेलर्स को नागवार गुजरा है। ज्वेलर्स दलील दे रहे हैं कि देश में हॉलमार्किंग की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। ऐसे में भला एक जनवरी से पूरे देश में इसे कैसे लागू किया जाएगा। दरअसल देश में करीब पौने चार सौ हॉलमार्किंग सेंटर है।
जो फिलहाल पूरी क्षमता से काम नहीं कर रहे हैं। आॅल इंडिया जेम्स एंड वेलरी ट्रेड फेडरेशन का मानना है कि दिक्कतें तो होगी लेकिन इससे इंडस्ट्री को काफी फायदा भी होगा। आमतौर पर कीमतों में बेंचमार्किंग न होने की वजह से कम शुद्धता वाले सोने में ज्वैलर्स काफी गोलमाल करते हैं। कम शुद्धता वाले सोने को खरा सोना बताकर ऊंचे दाम पर बेच देते हैं और जब ग्राहक हॉलमार्किंग की मांग करते हैं तो उन्हें महंगी लागत का भय दिखाते हैं। जबकि हॉलमार्किंग की लागत सिर्फ तीस रुपए प्रति पीस होती है। ऐसे में सरकार के इस कदम से कंज्यूमर्स को जहां सोने की शुद्धता की गारंटी मिलेगीए वहीं ज्वैलर्स को गोलमाल करने के रास्ते बंद हो जायेंगे।

Thursday, December 29, 2016

डिजिटल पेमेंट में गड़बड़ी हुई तो कौन करेगा गौर?

जब से केंद्र सरकार ने विमुद्रीकरण यानी नोटबंदी का ऐलान किया है तभी से नकदरहित लेनदेन पर सभी को जोर नजर आ रहा है और यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई)भी सुर्खियों में है। नीति आयोग के मुख्य कार्याधिकारी अमिताभ कांत ने यूपीआई दुनिया की सबसे आसान भुगतान प्रणालियों में से एक करार दिया है। इसमें आपको बहुत कुछ झंझट भी नहीं करना पड़ता है। आपको जिसे भुगतान करना है या जिसके पास रकम भेजनी है, उसके आधार क्रमांक यानी आभासी पेमेंट एड्रेस की जरूरत पड़ती है। यह पता लगने के बाद आपको केवल अंगूठा टिकाना होगा और आप अपने बैंक खाते तक भी पहुंच जाएंगे तथा दूसरे पक्ष को रकम भी भेज पाएंगे। इसमें सबसे अच्छी और खास बात यह है कि बैंक की खाता संख्या और आईएफएससी कोड जैसी तमाम बातें याद रखने की आपको कोई जरूरत नहीं है। अब आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि यह प्रक्रिया कितनी आसान है।
 वाकई यह बहुत आसान है, लेकिन बैंक और ग्राहक कुछ बातों को लेकर चिंतित रहते ही हैं। देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक की चेयरपर्सन अरुंधती भट्टाचार्य ने एक टेलीविजन चैनल को पिछले दिनों दिए एक साक्षात्कार में कहा कि अभी यह बात स्पष्टï नहीं है कि अगर लेनदेन पूरा नहीं हो पाता है तो उसकी शिकायत किस बैंक से की जाएगी और उसे सुलझाने का जिम्मा किसका होगा। हालांकि यूपीआई के जरिये लेनदेन में 8 नवंबर के बाद से जबरदस्त इजाफा हुआ है। जिस दिन प्रधानमंत्री ने नोटबंदी का ऐलान किया था, उस दिन यूपीआई से 3,721 लेनदेन हुए थे, लेकिन 7 दिसंबर को इसके जरिये 48,238 लेनदेन किए गए। इस तरह महज एक महीने के अंदर लेनदेन में 1,196 फीसदी का इजाफा हुआ। फिर भी कई लोगों को इस पर भरोसा नहीं है।
 कौन निपटाएगा शिकायत
 यूपीआई के जरिये लेनदेन में चार पक्ष शामिल हो सकते हैं: दो पक्ष तो ऐप तैयार करने वाले होंगे (एक रकम भेजने वाले के फोन में मौजूद ऐप बनाने वाला और दूसरा पाने वाले का ऐप बनाने वाला), तीसरा वह बैंक, जिससे रकम भेजी जानी है और चौथा वह बैंक, जिसमें रकम आनी है। यूपीआई में व्यक्ति किसी बैंक का ग्राहक बने बगैर ही उसके ऐप का इस्तेमाल कर सकता है और किसी दूसरे बैंक के खाते को उससे जोड़ सकता है। लेकिन यदि लेनदेन विफल रहता है तो वह रकम भेजने वाले के खाते में वापस नहीं आती है। ऐसे में उसे अपने बैंक के पास ही शिकायत करनी होगी।
 बैंकरों का कहना है कि अभी किसी भी पक्ष को यह नहीं पता होता कि समस्या किस जगह है और रकम खुद-ब-खुद वापस आने की कोई व्यवस्था भी अभी नहीं है। एक बैंकर कहते हैं, 'फिलहाल नैशनल पेमेंट्ïस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) अधिकारी इन दिक्कतों को सुलझान में मदद करते हैं, लेकिन अभी लेनदेन की संख्या भी बहुत कम है। जब रोजाना कई लाख लेनदेन होंगे तो शिकायतों का निपटारा करना एनपीसीआई के लिए भी मुश्किल होगा और बैंक कर्मचारियों के लिए भी।' उस सूरत में ग्राहकों को खुद ही बैंक से बार-बार संपर्क करना होगा।
 कैसे हो निपटारा
 जैसे ही रकम भेजने वाले के खाते से किसी लेनदेन की शुरुआत की जाती है तो उसकी सूचना एनपीसीआई के सर्वर पर पहुंच जाती है। वहां से वह सूचना रकम पाने वाले के बैंक तक जाती है। कभी कभार ऐसा भी होता है कि दूसरे बैंक से लेनदेन की पुष्टि होने से पहले ही उसके लिए निर्धारित समय पूरा हो जाता है यानी टाइम आउट हो जाता है, लेकिन रकम पाने वाले के खाते में पहुंच जाती है। उस सूरत में रकम भेजने वाले के पास तो लेनदेन विफल रहने का संदेश आता है यानी उसके बैंक खाते से रकम नहीं निकली होती है, लेकिन दूसरे बैंक को रकम मिल चुकी है। ऐसे में मामला सुलझाने के लिए दोनों बैंकों को मिलकर काम करना होगा और रकम भेजने वाले या पाने वाले के खाते से उक्त रकम निकालनी होगी। लेकिन मामला तब पेचीदा हो जाता है, जब रकम पाने वाला पैसा आते ही उसे किसी और खाते में भेज देता है या निकाल लेता है। इसीलिए बैंकों ने एनपीसीआई से अनुरोध किया है कि प्राप्तकर्ता बैंक से पहले यह पुष्टिï की जाए कि रकम वहां पहुंची है या नहीं और उसके बाद ही लेनदेन पूरा होने या नाकाम रहने का संदेश भेजा जाए।
 प्रक्रिया से परेशानी
 कुछ बैंकों को लेनदेन की शुरुआत करने वाली प्रक्रिया से परेशानी होती है। इस प्रक्रिया में डेबिट कार्ड संख्या के आखिरी 6 अंक और उसकी एक्सपायरी डेट की जरूरत होती है। बैंकों का कहना है कि यह विवरण बेहद आसानी से प्राप्त होता है क्योंकि लोग खरीदारी करते वक्त पॉइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीनों पर अपने कार्ड सौंप देते हैं। बैंकों ने एनपीसीआई से कहा है कि साइन अप करते वक्त ग्राहकों से अपने कार्ड की निजी पहचान संख्या (पिन) भी डालने के लिए कहा जाए।

'किसेंजर',से ले पाएंगे वर्चुअल किस का अनुभव

स्‍मार्टफोन्‍स में मैसेंजर ऐप के चलन ने लोगों के बीच की दूरी को कम किया है। अब तक आप मैसेंजर ऐप्‍स की ईमोजी का उपयोग करते हुए अपनी भावनाओं को जताते थे। जो बहुत पसंद आया उसे कई बार किस वाली ईमोजी भी भेजते थे।लेकिन अब आपको ईमोजी भेजनs की जरूरत नहीं पड़ेगी क्‍योंकि एक ऐसी चीज आ रही है जिसकी मदद से आप सामने वाले को फोन के माध्‍यम से किस कर सकेंगे। जी हां, यह सच है और इसे नाम दिया गया है किसेंजर। यह एक अजीब सा नजर आने वाला डिवाइज है जो आपके आइफोन के साथ अटैच हो जाएगा जो आपको वर्चुअल किसिंग का अनुभव देगा।इसकी मदद से खासतौर पर लवर्स को किसिंग का रियलिस्टिक अनुभव मिलेगा। मगर इसमें सबसे जरूरी बात यह है कि दोनों की यूजर्स के पास आइफोन होना जरूरी है। एक अंग्रेजी अखबार की खबर के अनुसार यह किसेंजर एक सिलिकॉन पैड का बना होगा जो एक डिवाइस के माध्‍यम से आइफोन से जोड़ा जा सकेगा। किसेंजर के सिलिकॉन पैड में सेंसर्स लगे होंगे जो यूजर को रियल टाइम किसिंग फील करवाएगा।

नोटबंदी के 50 दिन: सिर्फ 1% ब्लैकमनी ही जब्त कर पाई सरकार

मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले के 50 दिन पूरे हो गए हैं। 15 लाख करोड़ की करंसी चलन से बाहर की गई थी। इसमें से 14 लाख करोड़ रुपए के नए नोट या तो बदले गए या जमा किए गए। नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को 500-1000 के पुराने नोट बंद करने के जो कारण बताए थे, उनमें ब्लैकमनी रोकना भी एक मकसद था। अलग-अलग एजेंसियों का अनुमान है कि नोटबंदी के वक्त देश में 3 लाख करोड़ की ब्लैकमनी मौजूद थी। वहीं, सरकार के आंकड़े कहते हैं कि अब तक 3100 करोड़ रुपए की ब्लैकमनी देशभर में चली कार्रवाई के दौरान जब्त की गई। इस लिहाज से नोटबंदी के 50 दिन में सरकार महज 1% ब्लैकमनी ही जब्त कर पाई।जानिए नोटबंदी के 50 दिनों में कितने बदले हालात और ब्लैकमनी का पता लगाने के लिए अब क्या कर रही है सरकार...
1. कितनी ब्लैकमनी सामने आई?
पहले: नोटबंदी से पहले 17 लाख करोड़ रुपए करंसी चलन में थी। जब 500-1000 के पुराने नोटों को बंद किया गया। 15 लाख करोड़ की करंसी चलन से बाहर हो गई। कोटक सिक्युरिटीज और केयर रेटिंग के अनुमान के मुताबिक, 17 लाख करोड़ में से 3 लाख करोड़ रुपए ब्लैकमनी के रूप में मौजूद थे। उम्मीद थी कि नोटबंदी से इस ब्लैकमनी के बड़े हिस्से का सरकार पता लगा लेगी।
अब: इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और बाकी एजेंसियों की अब तक की कार्रवाई के आंकड़े बताते हैं कि नोटबंदी के बाद 3100 करोड़ रुपए ब्लैकमनी जब्त की गई है। अगर इकोनॉमी में 3 लाख करोड़ रुपए की ब्लैकमनी है तो सरकार की यह जब्ती उसका महज महज एक फीसदी ही है।

2. कितने पुराने नोट बैंकों के पास लौटे?
पहले: 86% फीसदी करंसी यानी करीब 15 लाख करोड़ रुपए सर्कुलेशन से बाहर हुए थे।
अब: 14 लाख करोड़ रुपए बैंकों में डिपॉजिट या एक्सचेंज हो चुके हैं। डिमोनेटाइज हुई करंसी का ये करीब 90% है।

3. कैश की किल्लत कितनी दूर हुई?
पहले: 8 नवंबर को 500-1000 के नोट बंद होने पर 86% करंसी बाहर हो गई। शुरुआती दिनों में इकोनॉमी सिर्फ 14% करंसी पर चल रही थी।
अब:सरकार का कहना है कि डिमोनेटाइज करंसी की आधे से ज्यादा नई करंसी अब तक प्रिंट हो गई है। RTI के एक जवाब के मुताबिक, 7 लाख करोड़ रुपए की नई करंसी प्रिंट गई है। लेकिन 19 दिसंबर तक 4.09 लाख करोड़ रुपए के नए नोट बैंकों को दिए गए थे।

4. विदड्रॉअल की लिमिट कितनी बढ़ी?
पहले: एटीएम से 2000 रुपए निकाल सकते थे। बाद में अपने बैंक के एटीएम से 2500 रुपए निकालने की इजाजत मिली। बैंक के काउंटर से हफ्ते में 10 हजार रुपए निकालने की लिमिट थी। फिर 24 हजार की लिमिट तय की गई।
अब: एटीएम और बैंक में जाकर पैसा निकालने की विदड्रॉअल लिमिट बरकरार है। सिर्फ शादी जैसी स्थिति में परिवार के किसी एक मेंबर के खाते से 2.5 लाख निकाले जा सकते हैं, लेकिन कई शर्तों के साथ।

5. छोटे नोटों की क्राइसिस
पहले : नोटबंदी के बाद 10 नवंबर से 2000 और 500 के नए नोट मिलने शुरू हुए। इनकी तादाद ज्यादा हो गई। 100 रुपए जैसे छोटे नोटों की किल्लत हो गई।
अब :RBI के मुताबिक दिसंबर के महीने में 100, 50, 20 और 10 रुपए के नए 1.06 लाख करोड़ रुपए के नोट सर्कुलेशन में आए।
85,000 करोड़ रुपए के 100 के नोट।
9000 करोड़ रुपए के 50 के नोट।
6,200 करोड़ रुपए के 20 के नोट।
5,700 करोड़ रुपए के 10 के नोट।

6. 50 दिन में 64 नोटिफिकेशन, बार-बार बदलते नियमों से परेशानी
- नोटबंदी के बाद से अब तक 50 दिनों में 64 बार नोटिफिकेशन जारी किए। इसके अलावा कई बार नियम बदले जिनसे परेशानी हुई।
7. नोटबंदी के 50 दिनों में क्या बदला?
- 20 दिसंबर को अरुण जेटली ने कहा कि नोटबंदी के बाद एक महीने में डिजिटल ट्रांजैक्शन में 300 फीसदी का इजाफा हुआ है।
पहले: 8 दिसंबर तक हर दिन 3.85 लाख डिजिटल ट्रांजैक्शन होते थे।
अब: 7 दिसंबर तक हर दिन 16 लाख डिजिटल ट्रांजेक्शन होने लगे। यानी डिजिटल ट्रांजेक्शन में 316% की ग्रोथ दर्ज की गई।

8. सरकार ने डिजिटल पेमेंट्स पर कई तरह के डिस्काउंट दिए
- नोटबंदी के 30 दिन पूरे होने पर सरकार ने 11 राहतें दीं।
- पेट्रोल-डीजल के 4.5 करोड़ कंज्यूमर्स को डिजिटल मोड से खरीददारी पर 0.75% डिस्काउंट की घोषणा सरकार ने की। इसी तरह डिजिटल पेमेंट से रेलवे टिकट लेने पर 0.5% डिस्काउंट और 10 लाख तक का एक्सीडेंटर इंश्योरेंस, रेलवे फैसिलिटीज पर 5% डिस्काउंट देने का एलान हुआ।
- नई ऑनलाइन इंश्योरेंस पॉलिसी और प्रीमियम पर 10% डिस्काउंट की घोषणा की।
- 2000 तक के सिंगल डेबिट और क्रेडिट कार्ड ट्रांजेक्शन पर सर्विस टैक्स से छूट और टोल प्लाजा पर डिजिटल पेमेंट करने पर 10% की छूट का ऐलान किया।

9. ब्लैकमनी सामने लाने के लिए सरकार ने खुद बताए रास्ते, सख्ती भी दिखाई
- सरकार ने लोकसभा में इनकम टैक्स अमेंडमेंट बिल पास कराया। इसके तहत खुद बेहिसाबी आमदनी बताने पर 50% टैक्स और पकड़े जाने पर 85% रकम जब्त करने का प्रावधान किया गया।
- 31 मार्च तक के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (PMGKY) का एलान हुआ। इस दौरान आप 50% टैक्स और पेनल्टी के साथ अघोषित आय का खुलासा कर सकेंगे। 25% हिस्सा चार साल ब्लॉक रहेगा।
- सरकार ने blackmoneyinfo@incometaxgov.in पर लोगों से खुद ब्लैकमनी की जानकारी देने को कहा।

10. IT डिपार्टमेंट ने भेजे 3500 नोटिस
- सेंट्रल बोर्ड फॉर डायरेक्ट टैक्सेस (CBDT) ने बताया कि नोटबंदी के बाद से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने 3500 नोटिस भेजे हैं।
- ये नोटिस नोटबंदी के बाद बैंक में डिपॉजिट की गई रकम के आधार पर जारी किए गए हैं।

Wednesday, December 28, 2016

दिसंबर हो जाएगा पार मगर छोटी न होंगी कतारें

अगर आपको लगता है कि 31 दिसंबर के बाद नोटबंदी की दिक्कतें कम हो जाएंगी और एटीएम से आपको ज्यादा नोट मिलने लगेंगे तो आपको मायूसी हो सकती है। केंद्र सरकार बेशक जनवरी के मध्य तक
हालात सामान्य होने की बात कह रही है, लेकिन एटीएम और बैंक शाखाओं से सीमित मात्रा में नकदी निकलने की जिस दिक्कत से आप रूबरू हो रहे हैं, कम से कम वह तो खत्म होती नहीं दिखती।
8 नवंबर को 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोट बंद होने के बाद से निकासी सीमा को बार-बार बदला गया है और फिलहाल बचत खाते से हर हफ्ते अधिकतम 24,000 रुपये और चालू खाते से 50,000 रुपये निकालने की सीमा चल रही है। एटीएम से भी एक दिन में 2,500 रुपये तक ही निकाले जा सकते हैं। यह बंदिश कब खत्म होगी, इसका कोई निर्देश अभी तक नहीं आया है। लेकिन लोगों को उम्मीद है कि 30 दिसंबर के बाद सीमा बढ़ा दी जाएगी।
बहरहाल निकट भविष्य में तो यह उम्मीद पूरी होती नहीं दिख रही है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कुछ दिन पहले कहा था कि जनवरी के मध्य तक हालात बेहतर हो जाएंगे। लेकिन कुछ वरिष्ठï सरकारी सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि बंदिश हटाने से पहले वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक हालात का पूरा जायजा लेंगे। रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर मौजूद ताजा आंकड़ों के मुताबिक विमुद्रीकरण शुरू होने के बाद से 20 दिसंबर तक बैंकों ने एटीएम और काउंटरों से करीब 6 लाख करोड़ रुपये के नोट बांट दिए हैं। 8 नवंबर के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐलान से 15.6 लाख करोड़ रुपये कीमत के नोट चलन से बाहर हो गए थे यानी बाहर हुई मुद्रा का केवल 39 फीसदी हिस्सा लौटाया गया है। एक वरिष्ठï सरकारी अधिकारी ने कहा, 'हमारे दिमाग में इस बात का खाका तैयार है कि निकासी की बंदिश कब हटानी है। ऐसे इस बारे में किसी भी फैसले पर विचार किया जाएगा और इसे तभी लिया जाएगा, जब केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक को यह लगेगा कि लोगों के पास अच्छी खासी रकम पहुंच चुकी है।'
वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा है कि अच्छी खासी रकम का मतलब चलन से बाहर हुई रकम का 80 फीसदी है यानी जब 12 लाख करोड़ रुपये के नोट लोगों के बीच बंट जाएंगे तब बंदिश हटाने लायक हालात होंगे। लेकिन आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास कह चुके हैं दिसंबर के अंत तक बमुश्किल 50 फीसदी रकम ही चलन में लौटेगी। भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री सौम्यकांति घोष ने इसी महीने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि नोट छापने वाले चारों मुद्रणालय इस वक्त बिना रुके चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं। ऐसा ही चलता रहा तब भी जनवरी के अंत तक 75 फीसदी रकम ही प्रणाली में लौट पाएगी। यानी निकासी पर लगी बंदिश जनवरी का महीना या फरवरी का शुरुआती हफ्ता खत्म होने से पहले नहीं हटाई जाएगी।
सरकार तथा रिजर्व बैंक के पूर्व अधिकारी बताते हैं कि सरकारी कंपनी सिक्योरिटी प्रिंटिंग ऐंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन साल में लगभग 10 अरब नोट छाप सकती है। आरबीआई के स्वामित्व वाली भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड की क्षमता 16 अरब सालाना है। ज्यादातर अनुमानों में यही बताया गया है कि चारों मुद्रणालयों की कुल मासिक क्षमता 3 अरब नोट है। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने इसी आंकड़े को देखकर कहा था कि चलन से बाहर गए 23 अरब नोटों को इस दर से वापस आने में 7 महीने लग जाएंगे। हालांकि 2,000 के नोटों ने यह आंकड़ा कम करने में मदद की है, लेकिन इतने बड़े नोट को खुलवाना अपने आप में बड़ी दिक्कत है। इन सबके बीच में यह भी याद रखना चाहिए कि मशीन तो मशीन ही होती है और किसी भी वक्त खराब हो सकती है। अगर ऐसा हुआ तो दिल्ली और भी दूर हो जाएगी।





Tuesday, December 27, 2016

PF और EPF पर ब्याज घटने से नुकसान नहीं

कैसे करते हैं EPF में निवेश
कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) पर ब्याज दरें इस साल के लिए घटकर 8.65 फीसदी पर आ गई है। वहीं, सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) पर ब्याज आठ फीसदी मिल रहा है। इसके बाद भी इनपर मिलने वाला ब्याज बैंकों की सावधि जमा (एफडी) और अन्य तय अवधि की जमाओं पर मिलने वाले ब्याज या रिटर्न से अधिक है। साथ ही इनपर मिलने वाली टैक्स छूट रिटर्न को और भी आकर्षक बना देती है।
सरकार पूरे वित्त वर्ष के लिए ब्याज दरें तय करती है। इस महीने वित्त वर्ष 2016-17 के लिए ब्याज दरों की घोषणा करते समय ईपीएफओ ने इसे 0.15 फीसदी घटाकर 8.65 फीसदी कर दिया है। वित्त वर्ष 2015-16 में ईपीएफ पर 8.8 फीसदी ब्याज मिला था।
कैसे करते हैं निवेश
नियमों के मुताबिक आपके मूल वेतन में से 12 फीसदी राशि ईपीएफ खाते में चली जाती है। साथ ही इतनी ही राशि नियोक्ता भी अपनी ओर से कर्मचारियों के ईपीएफ खाते में डालते हैं।
कैसे बनें सदस्य
इसके दायरे में नौकरी करने वाले सदस्य ही आते हैं। यह भी जरूरी है कि आप जिस कंपनी में काम करते हों, वह ईपीएफओ के मानक पर काम करती हो। ईपीएफओ ने 15,000 रुपये तक मूल वेतन पाने वाले कर्मचारियों के लिए ईपीएफ में निवेश अनिवार्य किया हुआ है। पहले यह सीमा 6,500 रुपये थी। ऐसा कर्मचारियों की भविष्य की आर्थिक सुरक्षा को देखते हुए किया है। इससे अधिक मूल वेतन पाने वाले कर्मचारियों के लिए ईपीएफओ की सदस्यता स्वैच्छिक है।
निवेश पर कर छूट
ईपीएफ में निवेश पर आयकर की धारा 80सी के तहत टैक्स छूट भी मिलती है। लेकिन इसके लिए कुछ शर्ते भी हैं। आप लगातार पांच साल से कम समय तक काम करते हैं और ईपीएफ में से राशि निकालते हैं तो टैक्स छूट वापस करनी पड़ती है। यह राशि ईपीएफओ टीडीएस के रूप में काट लेता है। आप ईपीएफ में 12 फीसदी से भी अधिक और यहां तक की कुल मूल वेतन भी ईपीएफ खाते में जमा कर सकते हैं। इसपर 1.50 लाख रुपये तक टैक्स छूट मिलेगी। लेकिन नियोक्ता के लिए 12 फीसदी से अधिक जमा करना अनिवार्य नहीं है।
जरूरत पर निकाल सकते हैं राशि
अपनी शादी, बच्चों की शिक्षा या शादी-विवाह, मकान बनवाने या जमीन खरीदने के लिए आप ईपीएफ खाते से राशि निकाल सकते हैं। लगातार सात साल तक काम करने के बाद ईपीएफ से 50 फीसदी तक राशि इसके लिए निकाल सकते हैं। ईपीएफ खाता 58 साल की उम्र तक जारी रहता है। नियमों के मुताबिक पूरी अवधि में केवल तीन बार ईपीएफ से राशि निकाल सकते हैं लेकिन उस स्थिति में भी निकासी राशि कुल जमा की 50 फीसदी से अधिक नहीं होगी। मकान बनवाने के लिए मूल वेतन का 36 गुना और मकान खरीदने के लिए 24 गुना राशि ईपीएफ खाता से निकाल सकते हैं। नौकरी छूट जाने की स्थित में लगातार दो माह तक बेरोजगार बैठने, विदेश में नौकरी के लिए जाने या बसने और लड़कियों के मामले में शादी या मां बनने की वजह से नौकरी छोड़ने या ईपीएफओ सदस्य की मृत्यु होने की स्थित में ईपीएफ राशि तुरंत निकालने की सुविधा है।
ईपीएफ पर बीमा की भी सुविधा
आपको शायद यह नई बात लगे लेकिन ईपीएफओ पहले से ही अपने सदस्यों को टर्म बीमा कवर देता है। इसे एम्पलॉई डिपॉजिट लिंक्ड स्कीम (ईडीएलएस) कहते हैं। इसके लिए नियोक्ता मूल वेतन का 0.50 फीसदी ईपीएफओ को देते हैं। इसके तहत आपको मूल वेतन का 30 गुना बीमित राशि का समूह बीमा कवर मिलता है। नियोक्ताओं के लिए यह स्वैच्छिक है कि वह अपने कर्मचारियों को समूह बीमा कवर दें। लेकिन नियोक्ता समूह बीमा कवर देते हैं तो उसमें यह शर्त होती है कि उसमें मिलने वाला कवर ईपीएफओ की ओर दिए जाने वाले कवर से कम नहीं होना चाहिए।
पीपीएफ से कमाई टैक्स फ्री
सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) पर आठ फीसदी ब्याज मिल रहा है। पीपीएफ में निवेश की राशि, उसके ब्याज और परिपक्वता पर मिलने वाली राशि तीनों कर मुक्त (टैक्स फ्री) हैं। डाकघर या बैंक में पीपीएफ खाता खोल सकते हैं। इसमें न्यूनतम सालाना 500 रुपये और अधिकतम 1.50 लाख रुपये जमा कर सकते हैं। पीपीएफ खाता 15 साल के लिए खुलता है। उसके बाद उसे पांच साल के अंतराल के लिए बढ़वा सकते हैं। इसमें निवेश पर आप धारा 80सी के तहत 1.50 लाख रुपये तक की टैक्स छूट हासिल कर सकते हैं। सरकार अब तिमाही आधार पर पीपीएफ पर ब्याज तय कर रही है। लेकिन ब्याज का आकलन खाते में हर महीने की 5 से लेकर अंतिम तारीख के बीच की न्यूनतम राशि पर होता है। ऐसे में पीपीएफ खाते में हर महीने की 1 तारीख से लेकर 5 तारीख के बीच पैसा जमा कर ज्यादा फायदा उठा सकते हैं।

बसपा के एक खाते में जमा हुए 104 करोड़

नई दिल्ली। काले धन को सफेद करने वाले बैंक अधिकारियों, बिचौलियों और हवाला कारोबारियों के खिलाफ देशव्यापी अभियान के बीच राजनीतिक दलों की भी पोल खुलनी शुरू हो गई है। ऐसे पहले मामले में बहुजन समाज पार्टी के एक खाते में नोटबंदी के बाद 104.36 करोड़ रुपये नकद जमा करने की बात सामने आई है।दिल्ली के करोलबाग स्थित यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में 10 नवंबर से नौ दिसंबर के बीच यह रकम जमा कराई गई थी। इसके बारे में प्रवर्तन निदेशालय ने तत्काल आयकर विभाग से संपर्क किया। इसके बाद आयकर अधिकारियों ने मामले की जांच शुरू कर दी है। गौरतलब है कि बसपा प्रमुख मायावती नोटबंदी का जबरदस्त विरोध कर रही हैं और इसे आर्थिक आपातकाल बता चुकी हैं।उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, बसपा के खाते में जमा इस रकम के बारे में प्रवर्तन निदेशालय की ऑडिट के दौरान पता चला। नोटबंदी के बाद ईडी पूरे देश में 50 बैंक शाखाओं की ऑडिट करा रहा है, जिनमें सबसे अधिक पुराने नोट जमा किए गए थे। इनमें यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की करोलबाग शाखा भी शामिल है।यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की इसी शाखा में मायावती के भाई आनंद कुमार का भी खाता है। आनंद कुमार के खाते में भी नोटबंदी के बाद 1.43 करोड़ रुपये जमा कराए गए थे। इनमें 18.98 लाख रुपये नकद जमा कराए गए थे। शेष रकम आरटीजीएस के माध्यम से दूसरी कंपनियों से इस खाते में आए। अब आयकर विभाग यह पता लगा रहा है कि आरटीजीएस करने वाली कंपनियों के पास धन कहां से आया था और किस काम के लिए दिया गया था।आशंका है कि इन कंपनियों के मार्फत पुराने नोट के रूप में जमा काले धन को सफेद तो नहीं किया गया। आनंद कुमार की कई कंपनियां पहले से ही एजेंसियों के रडार पर हैं। इन कंपनियों में हजारों करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ है।इसके पहले आनंद कुमार 400 करोड़ रुपये की एफडी को लेकर आयकर विभाग की जांच के घेरे में थे। सूत्रों के अनुसार, बसपा के इस खाते में इस साल जनवरी से जुलाई के बीच कोई रकम नहीं जमा कराई गई थी। अगस्त में 21 करोड़ रुपये और सितंबर में केवल 12 करोड़ रुपये जमा कराए गए थे। अक्टूबर में भी इस खाते में कुछ नहीं जमा किया गया था।
 कहां से आए इतने पैसे

बैंक खाता संख्या : 307901010078487
खाताधारक का नाम : बहुजन समाज पार्टीकब कितने रुपये जमा-10 नवंबर : 0.36 करोड़ -02 दिसंबर : 15 करोड़ -03 दिसंबर : 15.80 करोड़ -05 दिसंबर : 17 करोड़ -06 दिसंबर : 15 करोड़ -07 दिसंबर : 18 करोड़ -08 दिसंबर : 18 करोड़ -09 दिसंबर : 5.20 करोड़ कुल जमा : 104.36 करोड़

Sunday, December 25, 2016

अब आधार नंबर से कीजिए आसान पेमेंट

अब आपको खरीदारी का भुगतान करने के लिए न तो मोबाइल की जरूरत होगी, न ही किसी कार्ड या ऐप की। बस आपका आधार नंबर ही इसके लिए काफी है।अपना आधार नंबर लेकर दुकानदार के पास जाइए, सामान खरीदिए और आधार नंबर बताकर पेमेंट कर दीजिए। न तो कैश लेकर जाना होगा, न ही एटीएम या डेबिट कार्ड की जरूरत होगी। यहां तक कि अगर आपके पास मोबाइल न भी हो तब भी आप आसानी से पेमेंट कर सकते हैं।
ऐसे करिए इस्‍तेमाल
अगर आप खरीदार हैं तो आपके पास आधार कार्ड या उसका नंबर होना चाहिए। एक बात का ध्‍यान रखना जरूरी है कि जिसका आधार नंबर होगा, उसे पेमेंट के समय उपस्थित रहना जरूरी है।एक बात का ध्‍यान रखना जरूरी है कि आपका आधार नंबर आपके बैंक खाते से जरूर जुड़ा हो, वरना इस सुविधा का लाभ आप नहीं उठा पाएंगे।
दुकानदार ऐसे लेंगे भुगतान
दुकानदारों के पास एंड्रॉयड स्‍मार्टफोन तथा इंटरनेट या डेटा पैक होना जरूरी होगा। इसी के साथ उन्‍हें अपने फोन पर आधार पेमेंट ऐप (कैशलेस मर्चेंट ऐप) भी डाउनलोड तथा इंस्‍टॉल करना होगा। इस ऐप से दुकानदार का बैंक खाता जुड़ा रहेगा।दुकानदारों को अपने मोबाइल फोन के साथ एक फिंगरप्रिंट रीडर (बायोमीट्रिक स्‍कैनर) भी लगाना होगा, जो लगभग 2000 रुपए में बाजार में उपलब्‍ध है
एक उदाहरण से समझिए
- मान लीजिए, महेश एक दुकानदार हैं और रमेश एक ग्राहक।
- महेश की दुकान पर रमेश कुछ सामान लेने पहुंचे और खरीदारी के बाद बिल बना 2000 रुपए का।
- अब महेश ने अपने एंड्रॉयड मोबाइल फोन पर आधार पेमेंट ऐप (कैशलेस मर्चेंट ऐप) का उपयोग शुरू किया।
- सबसे पहले वो रमेश से उनका आधार नंबर मांगेंगे। इस नंबर को फीड करने के बाद ऐप में उन बैंकों के नाम की सूची आ जाएगी, जिनमें रमेश का बैंक खाता होगा। रमेश इस सूची में से बैंक का चयन करेंगे और पेमेंट की जाने वाली रकम यानी 2000 रुपए लिखेंगे।
- यह काम पूरा होते ही बायोमीट्रिक स्‍कैनर पर उंगली रखनी होगी, जो पासवर्ड के रूप में स्‍वीकार की जाएगी और पेमेंट हो जाएगा।
कैशलेस ही नहीं, कार्डलेस व्‍यवस्‍था की शुरुआत 

  25 दिसंबर 2016 को  केंद्र सरकार  ने इस ऐप को लॉन्‍च किया  है। इससे बाजार के मौजूदा खिलाडि़यों मास्‍टरकार्ड और वीज़ा के बिजनेस को धक्‍का लग सकता है। आधार पेमेंट ऐप का उपयोग करने का एक और लाभ यह है कि इसमें पेमेंट सर्विस फीस नहीं लगेगी। जबकि मास्‍टरकार्ड और वीज़ा का उपयोग करने पर यह फीस चुकानी पड़ती है।

Saturday, December 24, 2016

ऐसे ढू्ंढें अपना गुम हुआ स्मार्टफोन

अगर कभी फोन गुम हो जाए तो बड़ी मुश्किल हो जाती है। कई बार यह हमसे गुम हो जाता है तो कई बार कहीं रखकर भूल जाते हैं। तुरंत कहीं कॉल करना हो या इंटरनेट पर कुछ सर्च करना हो, उस वक्त फोन न मिले तो बड़ी खीझ होती है। अच्छी बात यह है कि गूगल ने एक ऐसा फीचर बनाया है, जिससे आप बेहद आसानी से अपना फोन ढूंढ सकते हैं। आगे देखें और जानें, बिना झंझट के सिर्फ 1 मिनट में कैसे ढूंढें अपना फोन...
1. यह बहुत ही आसान है। सबसे पहले गूगल का होम पेज खोलिए। यहां पर उस गूगल अकाउंट आईडी से साइन इन कीजिए, जो आपने अपने ऐंड्रॉयड स्मार्टफोन में रजिस्टर की है।
2. इसके बाद गूगल होमपेज की स

र्च बार पर टाइप करके सर्च कीजिए - 'Whare's my phone?' जैसे ही आप यह सर्च करेंगे, आपके सामने एक मैप खुल जाएगा।
3. इस मैप में कुछ ही देर में आपको अपने फोन की लोकेशन दिख जाएगी। गूगल आपके स्मार्टफोन की लोकेशन ट्रेस करेगा और बताएगा कि वह कहां है।
4. अगर आप किसी और जगह से होकर आए हों और याद न आ रहा हो कि फोन वहां छूट गया या कहीं और, ऐसे में यह फीचर बड़े काम का है। आपको फोन की लोकेशन दिख जाएगी कि वह कहां पर है। इसलिए आप सही जगह पर उसे तलाश कर सकते हैं। जब आपको लोकेशन पता चल जाए, तब वहां जाकर अगला कदम उठाएं...
5. अगर आप फोन को घर पर ही कहीं रखकर भूल गए हैं आसपास कहीं गिर गया है तो आप इसे फुल वॉल्यूम पर रिंग करवा सकते हैं। अगर आपने फोन सायलेंट मोड पर भी रखा होगा, तब भी यह फीचर काम करेगा। बस बैटरी खत्म नहीं होनी चाहिए। रिंग करने का ऑप्शन आपको मैप के नीचे दिखेगा।
6. यह पूरी प्रक्रिया गूगल के डिवाइस मैनेजर का एक हिस्सा है। आप सीधे गूगल डिवाइस मैनेजर पर जाकर भी ऐसा कर सकते हैं। वहां पर आपको फोन को लॉक करने और कॉन्टेंट उड़ाने का भी ऑप्शन मिलेगा।

7. आईफोन यूजर्स के लिए गूगल की "Where's my phone?" ट्रिक काम नहीं करेगी। वैसे आईफोन के लिए भी ऐसा एक फीचर है। आप iCloud की मदद से अपना आईफोन ढूंढ सकते हैं। आगे जानें, कैसे ढूंढें गुम हुआ आईफोन...
आईक्लाड ओपन करें (www.icloud.com) और अपनी उस ऐपल आईडी के जरिए लॉगइन करें, जिससे आप अपना आईफोन यूज कर रहे हैं।
Find iPhone पर क्लिक करने के बाद आपको मैप दिखेगा, जिसमें आपके आईफोन की लोकेशन दिखाई जा रही होगी। ध्यान देने वाली बात यह है कि ऐंड्रॉयड और आईफोन दोनों पर यह फीचर तभी काम करता है, जब डिवाइस में बैटरी हो और वह इंटरनेट से कनेक्टेड हो।

पासपोर्ट में मां-बाप का नाम देना नहीं होगा जरूरी

नई दिल्ली / पासपोर्ट तक आम आदमी की सीधी पहुंच तय करने में जुटी सरकार ने साधु-संन्यासियों को बड़ा तोहफा दिया है। अध्यात्म की दुनिया से जुड़े लोग अब अपने जैविक पिता की जगह अपने अध्यात्मिक गुरू का नाम दे कर पासपोर्ट हासिल कर सकेंगे। हालांकि इन्हें इसके साथ मतदाता पहचान पत्र, पेन कार्ड या आधार कार्ड में से कोई एक दस्तावेज प्रस्तुत करना होगा।
पासपोर्ट हासिल करने की प्रक्रिया को और सरल बनाते हुए सरकार ने आधार कार्ड में दर्ज जन्मतिथि को भी स्वीकार करने की घोषणा की है। गौरतलब है कि बीते साल करीब एक करोड़ बीस लाख लोगों ने पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था। सरकार पासपोर्ट पाने की प्रक्रिया को और आसान बनाने केलिए पासपोर्ट कानून 1980 में भी व्यापक स्तर पर संशोधन पर विचार कर रही है।
पासपोर्ट हासिल करने की प्रक्रिया को लगातार सरल बनाने की नीति के तहत सरकार ने कई और अहम कदम उठाए हैं। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक खासतौर पर अध्यात्मक की दुनिया में जीने वाले लोगों को पासपोर्ट हासिल करने में जैविक पिता की जानकारी देने की व्यवस्था रुकावट डालती थी। इस समस्या के निदान के लिए अब ऐसे आवेदनकर्ता जैविक पिता की जगह अपने अध्यात्मिक गुरू का नाम दे सकेंगे।
इसी प्रकार जन्म तिथि संबंधी प्रमाण भी बड़ी बाधा थी। खासतौर से जो पढ़े लिखे नहीं थे, उनके लिए मुश्किलें आती थी। इसी के मद्देनजर अब आधार कार्ड में दर्ज जन्म तिथि को मान्यता देने का फैसला किया गया। इससे आधार कार्ड बनवाने का भी सिलसिला तेज होगा। उक्त सूत्र ने बताया कि मंत्रालय पासपोर्ट हासिल करने की राह में आने वाली अन्य अड़चनों का भी अध्ययन कर रहा है। अध्ययन पूरा होने के बाद पासपोर्ट कानून में जरूरी संशोधन का रास्ता अपनाया जाएगा।

Friday, December 23, 2016

डोमिन बनाएं लाखों कमाएं

दिनेश माहेश्वरी
कोटा।
   आजकल इंटरनेट कौन इस्तेमाल नहीं करता लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिर्फ 99 रुपए खर्च कर आप इसी इंटरनेट सर्फिंग के जरिए लाखों कम सकते हैं। जी हां! ये एकदम सच है लेकिन इस बिजनेस के लिए आपका दिमाग थोड़ा सा तेज काम करना चाहिए और आपके पास आयडिया होने चाहिए। हालांकि ये कोई हार्डकोर बिजनेस नहीं है लेकिन इसके जरिए कई लोग सिर्फ कुछ सौ रुपए खर्च कर अभी तक लाखों कम चुके हैं।
ऐसे बुक कराते हैं डोमेन
डोमेन बुक कराना बेहद ही आसान है। कई वेबसाइट्स जैस in।godaddy.com, bigrock.in, domain.com, registerdomainsindia.com पर जाकर आप अपना मनपसंद डोमेन ढूंढकर उसे अपने लिए बुक करा सकते हैं। आपको बस जो नाम आप चाहते हैं वो उपलब्ध है या नहीं ये सर्च करना होता है और जैसे ही आपको वो मिल जाता है बुकिंग करने के लिए बस आपको 99 रुपए से लेकर 599 रुपए तक खर्च करने पड़ते हैं। इस भुगतान पर टैक्स या अन्य चार्जेस के साथ 125 रुपए से 900 रुपए तक का खर्चा आ जाता है। 
क्या है डोमेन खरीदने का बिजनेस
इसे आप सरल भाषा में वेबसाइट का नाम रजिस्टर्ड कराने से भी समझ सकते हैं। इंटरनेट जब से लोगों की पर्सनल लाइफ में दाखिल हो गया है हर तरह की लाखों वेबसाइट्स रोज़ मार्केट में आ रही हैं। इन वेबसाइट्स को अपने लिए यूनीक नामों की ज़रुरत होती है। आजकल हर छोटा-बड़ा कारोबारी अपनी वेबसाइट बनवाना चाहता है।
हालांकि वेबसाइट के लिए पहले डोमेन बुक करना होता है। बस यहीं से आपका बिजनेस शुरू होता है। कई लोग अंदाज़ा लगाकर या फिर मार्किट की गतिविधियों के मुताबिक डोमेन बुक कराते हैं और फिर कई बड़ी कंपनियां आपसे वो डोमेन खरीदने के लिए मजबूर हो जाती हैं। डोमेन नेम एक तरह का ऐसा रजिस्ट्रेशन है, जिसके बाद दुनिया भर में आपके नाम की कोई और वेबसाइट नहीं बन सकती। डोमेन बुक कराने का कम से कम खर्च 99 रुपए है। अगर आप अपना डोमेन बेचना चाहते हैं तो इन्हीं वेबसाइट पर आप अपना डोमेन नेम बेचने की इच्छा  जता सकते हैं। इसके बाद आपके ईमेल पर मैसेज आने शुरू हो जाएंगे। ईमेल पर ही आप अपने डोमेन का रेट भी बता सकते हैं। अगर खरीददार आपके डोमेन नेम की कीमत देने को तैयार हो जाता है तो आप ऑनलाइन ही इन वेबसाइट के माध्यम से अपना डोमेन नेम बेच सकते हैं।

फेसबुक ने भी कोच्चि के छात्र खरीदा था डोमेन
गौरतलब है कि दिसंबर 2015 में फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग की बेटी का जन्म हुआ। इसी दौरान कोच्चि के इंजीनियरिंग के एक छात्र ने जुकरबर्ग की बेटी के नाम मैक्सबचेन जुकरबर्ग पर डोमेन बुक करा लिया। अमल अगस्टिन नाम के इस छात्र को कुछ दिन बाद गोडैडी से एक मेल आया। इस मेल में पूछा गया था कि क्या  वह यह डोमेन नेम बेचना चाहते हैं। अमल ने इसके हल्के में लिया और 700 डॉलर (करीब 47 हजार रुपए) की डिमांड कर दी। डील जब फाइनल हुई तब अमल को पता चला कि डोमेन नेम फेसबुक के मार्क जुकरबर्ग ने खरीदा है। अमल को लगता है कि वह अधिक डिमांड करते तो उन्हें अच्छी- खासी रकम मिल जाती। अमल इसके बाद से ही डोमेन का बिजनेस कर रहे हैं। 
अक्षित ने कमाए 30 लाख
नोएडा के एमिटी इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ने वाले 13 साल के अक्षित मित्तल ने डोमेन नेम बुक कराकर अपनी वेबसाइट शुरू की। वेबसाइट का नाम था, ऑड-इवन डॉट कॉम। टैक्सी प्रोवाइड कराने वाली एक कंपनी ने अक्षित को इसी साल ऑफर किया कि वह अपनी वेबसाइट उन्हें बेच दें। आखिरकार दोनों पार्टियों के बीच बातचीत हुई और 30 लाख रुपए में अक्षित वेबसाइट बेचने को तैयार हो गया।
ये है दुनिया का सबसे महंगा डोमेन
दुनिया का सबसे महंगा डोमेन नेम किसी कंपनी का नहीं बल्कि एक पोर्न साइट का है। gay.xxx नाम का ये डोमेन करीब 500,000 डॉलर में बेचा गया है। gay.xxx को लॉस एंजिल्स की एक गे फिल्म कंपनी के संचालक कॉर्बिन फिशर ने खरीदा है। इससे पहले सबसे महंगे डोमेन नेम का खिताब सेक्‍स।कॉम के नाम दर्ज था जो 13 मिलियन डॉलर में बेचा गया था। हालांकि भारत में इस तरह

Thursday, December 22, 2016

आपकी शादी की तैयारियों को आसान बना देगा whatsapp

दिनेश माहेश्वरी
कोटा।
शादी एक बड़ा इवेंट है। इसे यादगार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाती है लेकिन कितनी भी तैयारी कर लें, कछ न कुछ तो छूट ही जाता है। मेहमानों की लिस्‍ट से लेकर, वेन्‍यू, मेनू फायनल करना, कॉस्‍ट्यूम की टेंशन बहुत कुछ इसमें शामिल होता है। अब शादी के इस मौसम में व्‍हाट्स ऐप भी आपका पूरा साथ देने को तैयार है। व्‍हाट्स ऐप के पास ऐसे रोचक फीचर्स हैं जो कि आपकी वेडिंग प्‍लानिंग को आसान बना सकते हैं।
वार्डरोब कंसल्‍टिंग के लिए बेस्‍टफ्रेंड को वीडियो कॉल :
दूल्‍हा और दुल्‍हन दोनों ही अपने इस खास दिन पर अच्‍छे दिखना चाहते हैं। लेकिन आपके बेस्‍ट फ्रेंड से अच्‍छा और ईमानदार कंसल्‍टेंट कौन हो सकता है। अगर आपका बेस्‍ट फ्रेंड कहीं दूर बैठा है तो व्‍हाट्स ऐप वीड‍ियो कॉलिंग आपको करीब ले आएगा। वीडियो कॉलिंग बटन पर क्लिक करें और अपने लिए शानदार आउटफ‍िट्स पसंद करते हुए विस्‍तार से दोस्‍त से चर्चा करें। अच्‍छी बात तो यह है कि आप वीडियो कॉल के दौरान मल्‍टी टास्‍किंग कर सकते हैं। आप इस दौरान चैट्स पढ़ सकते हैं और यहां तक की वीडियो कॉल को फुल स्‍क्रीन लैंडस्‍केप मोड पर देख सकते हैं।
खुद को एक्‍सप्रेस करने के लिए नए कैमरा फीचर का उपयोग:
आपके व्‍हाट्स ऐप पर वीडियो शूट करने या फोटो क्लिक करने के बाद, आप उस पर कुछ लिख या ड्रा भी कर सकते हैं। आप कुछ इमोटिकॉन्‍स भी यूज कर सकते हैं। इसलिए अगर बार जब आप फंक्‍शन थीम फाइनल करें या वेडिंग इनवाइट डिजाइन उठाएं तो अपनों के साथ उनकी राय के लिए व्‍हाट्स ऐप पर शेयर करें।
को-ऑर्डिनेशन के लिए व्‍हाट्स ऐप ग्रुप्‍स :
अपने वेंडर्स, इवेंट मैनेजर्स, कैटरर या आपके फैमिली मेंबर्स के साथ को-ऑर्डिनेशन के लिए अलग व्‍हाट्स ऐप ग्रुप बनाएं। रिअल टाइम में बड़े ग्रुप के साथ बात करने का यह आसान तरीका हो सकता है। अगर आप ग्रुप एडमिन है तो आप अन्‍य लोगों को भी लिंक शेयर कर ग्रुप ज्‍वॉइन करने के लिए इनवाइट कर सकते हैं। 'एड पार्टिसिपेंट्स' चुने और 'ग्रुप इनवाइट लिंक' पर जाकर शेयरिंग ऑप्‍शन देखें
वेडिंग इनवाइट को मल्‍टीकास्‍ट करें:
एक बार में ही कई लोगों को ई-वेडिंग इनवाइट फॉर्वड कर सकते हैं। जिसे फॉर्वड करना हो उस पर जाए और उसके बाद एक या ज्‍यादा लोगों या फ‍िर ग्रुप के साथ शेयर करें। इस तरह आप अपना टाइम और पेपर भी बचा सकते हैं।
माइक बटन बड़े काम का:
व्‍हाट्स ऐप आपको आपके लंबे मैसेज को डिक्‍टेट करने का फीचर भी देता है। आपको केवल आपके कीपेड पर 'माइक' बटन को प्रेस करना है और बोलना है। इसलिए जब आपके हाथ में बहुत काम हो, या आप शॉपिंग बैग्‍स लिए जा रहे हो तो आप मैसेज भेजने के लिए 'माइक' का यूज कर सकते हैं।

31 मार्च तक ऑनलाइन भुगतान पर कोई शुल्क नहीं

दिनेश माहेश्वरी
कोटा।
  डेबिट कार्ड से भुगतान पर ट्रांजैक्शन शुल्क में राहत देने के बाद अब सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर पर लगने वाले शुल्क में राहत देने का फैसला किया है।
इसके लिए सरकारी बैंकों से कहा है कि वे इमीडिएट पेमेंट सिस्टम (आइएमपीएस) और यूपीआइ से एक हजार रुपये से अधिक के ट्रांसफर पर लगने वाले शुल्क को एनईएफटी के बराबर स्तर पर सीमित रखें।
भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों के मुताबिक एनईएफटी के जरिये अपने खाते से 10,000 रुपये तक की धनराशि ट्रांसफर करने पर 2.5 रुपये शुल्क लगता है। 10000 रुपये से एक लाख रुपये तक के ट्रांसफर पर शुल्क पांच रुपये हो जाता है।
एक से दो लाख रुपये तक के ट्रांसफर पर 15 रुपये और दो लाख रुपये से अधिक के ट्रांसफर पर 25 रुपये शुल्क लगता है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक ट्रांजैक्शन पर सेवा कर भी देय होता है।

फंड ट्रांसफर चार्ज
10,000 तक --- 2.5 रुपये
10000 से एक लाख --- 5 रुपये
एक से दो लाख तक --- 15 रुपये
दो लाख से अधिक --- 25 रुपये

(नोट- सेवा कर अतिरिक्त देय)
वित्त मंत्रालय ने बैंकों से कहा है कि एक हजार रुपये से अधिक के यूएसएसडी ट्रांजैक्शन पर इन शुल्कों में पचास पैसे की और रियायत दिए जाने की आवश्यकता है। यूएसएसडी का इस्तेमाल फीचर फोन से एसएमएस के जरिये बैंकिंग सेवाओं के लिए होता है। यूएसएसडी पर मौजूदा शुल्क की दर डेढ़ रुपया है। हालांकि 30 दिसंबर 2016 तक इसे शुल्क मुक्त रखा गया है।
सरकार ने अपने एक बयान में कहा है कि डिजिटल और कार्ड से भुगतान को प्रोत्साहित करने के लिए ही वित्त मंत्रालय ने सरकारी बैंकों को यह दिशानिर्देश दिया गया है। इसके मुताबिक सरकारी बैंकों से एक हजार रुपये से अधिक के आइएमपीएस ट्रांसफर अथवा यूपीआइ से भुगतान पर एनईएफटी के निर्धारित शुल्क से अधिक चार्ज वसूल नहीं किया जाए। अलबत्ता सेवा कर की मौजूदा दर लागू रहेगी। मंत्रालय का यह दिशानिर्देश 31 मार्च 2017 तक लागू रहेगा।


Wednesday, December 21, 2016

जमीन की खरीद-बिक्रीअब नकद नहीं कर सकते

दिनेश माहेश्वरी
कोटा। आयकर विभाग ने अचल संपत्ति की खरीद-बिक्री के लिए नियमों में बड़ा बदलाव किया है। सबसे महत्वपूर्ण यह कि अब जमीन और मकान की खरीद आप नकद रुपये देकर नहीं कर सकते।चेक व डिमांड ड्राफ्ट से ही जमीन की खरीद-बिक्री करनी होगी। सीए अनिल अग्रवाल के अनुसार आयकर विभाग द्वारा यह नियम लागू करने का उद्देश्य ब्लैक मनी के जरिये प्रापर्टी इन्वेस्टमेंट पर रोक लगाना है।अब तक लोग जमीन की खरीद और बिक्री में नकद लेनदेन का इस्तेमाल करते थे और रजिस्ट्री के दौरान कम राशि दर्शाकर रजिस्ट्री शुल्क में भी छूट प्राप्त कर लेते थे। अब ऐसा नहीं होगा।
यदि आपने 10 लाख रुपये से अधिक अपने बचत खाते में जमा किया तो इसकी रिपोर्ट आयकर विभाग के एआइआर (एन्युअल इंफॉर्मेशन रिटर्न) में चली जाएगी।इसके बाद आयकर विभाग आपसे इन रुपयों का स्रोत जानेगा। यदि आप जमा रुपयों का सोर्स ऑफ इनकम बताने में नाकामयाब साबित हुए तो 30 फीसद टैक्स तो कटेगा ही साथ में जुर्माना भी भरना पड़ेगा।विक्रेता का नुकसान अधिक अगर जमीन बेचने के दौरान विक्रेता नकद राशि लेता है या फिर बयाना वापस करते समय राशि नकद वापस करता है, तो दोनों ही सूरत में जानकारी विक्रेता को ही देनी होगी।समुचित कारण न बताने पर जुर्माने की राशि विक्रेता देगा। हालांकि नकद राशि में जमीन की खरीद-बिक्री में आयकर विभाग की ओर से नोटिस क्रेता और विक्रेता दोनों के पास जाएगा।किसानों को इस नियम को ध्यान में रखकर जमीन बेचनी होगी। आयकर विभाग के नियम के अनुसार अगर संपत्ति खरीदने के लिए बयाना भी देते हैं तो यह लेनदेन भी अकाउंट पे चेक और डिमांड ड्राफ्ट के जरिये किया जाना चाहिए।इसकी पूरी जानकारी रजिस्ट्री के समय उपलब्ध करवाना अनिवार्य है। मान लीजिए बयाना 20 हजार रुपये है तो संपत्ति बेचते समय आपको पूरी राशि अकाउंट पे चेक द्वारा लेनी होगी।

Tuesday, December 20, 2016

सरकार को मिले ब्लैक मनी ईमेल

 नई दिल्ली/मुंबई
सरकार ने ब्लैक मनी रखने वालों के बारे में सूचना देने के लिए एक ईमेल अड्रेस शुक्रवार को जारी किया था। इस पर अब तक 4000 मेल आ चुके हैं। फाइनैंस मिनिस्ट्री के एक अधिकारी ने  बताया, 'हमें अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है।' इसके अलावा टैक्स अथॉरिटीज और दूसरी जांच एजेंसियों को बैंक अकाउंट्स में डिपॉजिट्स और दूसरी अनडिक्लेयर्ड इनकम के बारे में फाइनैंशल इंटेलिजेंस यूनिट (FIU) के जरिए रोज जानकारी मिल रही है। यह यूनिट फाइनैंस मिनिस्ट्री के तहत काम करती है।
सरकार ने इस यूनिट को मिली सूचनाओं पर ऐक्शन लेना शुरू कर दिया है। अधिकारी ने कहा, 'सिस्टम में काफी डेटा आ रहा है। डिपॉजिट्स पर हमें रोज रिपोर्ट्स मिल रही हैं। यही वजह है कि एजेंसियां इतना सटीक ऐक्शन ले पा रही हैं।'
जो जानकारी मिली है, वह निष्क्रिय पड़े, जीरो बैलेंस वाले प्रधानमंत्री जनधन योजना खातों और शहरी सहकारी बैंक खातों में डिपॉजिट्स, लोन रीपेमेंट्स, क्रेडिट कार्ड पेमेंट्स, इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर, विदड्रॉल्स, जूलरी, लग्जरी गुड्स और रीयल्टी जैसी हाई-वैल्यू खरीदारियों के बारे में है। ज्यादा कैश बैलेंस दिखाने वाली कंपनियां भी टैक्स अधिकारियों के रेडार पर आ सकती हैं।
सरकार के पास जितना डेटा है, उसे देखते हुए यह सोच गलत हो सकती है कि बैंकों में जमा हो चुकी पूरी रकम वैध है क्योंकि बैंक संदिग्ध मामलों की जानकारी अथॉरिटीज को दे रहे हैं। उदाहरण के लिए, अधिकारियों ने बताया कि बैंकों ने कथित तौर पर गलती करने वाले कर्मचारियों की जानकारी खुद ही FIU को दी थी और उसके आधार पर कार्रवाई की गई।
पीएम नरेंद्र मोदी के 8 नवंबर के नोटबंदी के ऐलान के बाद से SBI, एक्सिस बैंक, ICICI बैंक, HDFC बैंक और दूसरे बैंकों में बड़ी मात्रा में रकम जमा हो रही है। सभी बैंकों के लिए संदिग्ध ट्रांजैक्शंस की जानकारी FIU को देना जरूरी है। इस बात की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की जा सकी कि कितने बैंकों ने अलर्ट भेजा है।

PF पर ब्याज दर घटाकर 8.65 फीसद हुई

नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए भविष्य निधि (पीएफ) पर ब्याज दर में 0.15 फीसदी की कटौती कर दी है। वित्त वर्ष 2015-16 में ब्याज दर 8.8 प्रतिशत थी जबकि 2016-17 में इसे 8.65 फीसदी कर दिया गया है। इस फैसले से चार करोड़ से ज्यादा लोगों के प्रभावित होने का अनुमान है।
केंद्रीय मंत्री श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय की अध्यक्षता में सोमवार को हुई ईपीएफओ की बैठक में यह फैसला लिया गया। केंद्र सरकार ने इससे पहले भी वर्ष 2015-16 के लिए पीएफ की ब्याज दर 8.80 प्रतिशत से घटाकर 8.70 फीसदी करने का फैसला लिया था, लेकिन श्रमिक संघों के कड़े विरोध को देखते हुए इसे वापस लेना पड़ा था।
उम्मीदें थीं कि ईपीएफओ 8.8 फीसदी की दर को कायम रख सकती है, लेकिन इस कदम से उसे 383 करोड़ रुपये का नुकसान की आशंका जताई जा रही थी। हालांकि पिछले वित्त वर्ष में 8.8 प्रतिशत का ब्याज देने के बाद ईपीएफओ के पास 409 करोड़ रुपये का अधिशेष बच गया था, जिसका प्रयोग वह चाहे तो इस साल भी उतना ही ब्याज देने के लिए कर सकता है। ईपीएफओ ने वर्तमान वित्त वर्ष में 39,084 करोड़ रुपये की आय होने का अनुमान लगाया है।
सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्रालय ने श्रम मंत्रालय से भविष्य निधि जमाओं पर ब्याज को सरकार की अन्य छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज के अनुसार करने को कहा है। सितंबर में सरकार ने सार्वजनिक भविष्य निधि, किसान विकास पत्र, सुकन्या समद्धि खाते इत्यादि पर ब्याज दरों को कम कर दिया था।


डिजिटल भुगतान लेने पर व्यापारियों को टैक्स में छूट

दिनेश माहेश्वरी
कोटा।
दो करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाले छोटे व्यापारी और कंपनियां अगर बैंक और डिजिटल माध्यमों से भुगतान स्वीकार करती हैं तो उन्हें कम कर देना होगा। सरकार ने नकदी के इस्तेमाल को कम करने के प्रयास के तहत
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने एक नोटिस में कहा कि कानून की धारा 44 एडी के तहत लाभ को कारोबार का आठ प्रतिशत माने जाने की मौजूदा दर को कम कर छह प्रतिशत करने का निर्णय किया गया है। यह 2016-17 के लिए बैंक चैनल (डिजिटल माध्यमों ) से प्राप्त कुल कारोबार या सकल प्राप्ति की राशि के संदर्भ में लागू होगा। कर विभाग ने यह भी कहा है कि कानून की धारा 44एडी के तहत उस स्थिति में जबकि कुल कारोबार या सकल प्राप्ति नकद में हासिल की जाती है तो कर लगाने के लिए लाभ को आठ प्रतिशत ही माना जाएगा। सरकार ने ताजा फैसला अर्थव्यवस्था में डिजिटल माध्यमों से भुगतान स्वीकार करने वाले छाटे कारोबारियों और कंपनियों को प्रोत्साहन देने के मकसद से किया गया है।

राहत
2 करोड़ रुपये तक सालाना कारोबार करने वाले व्यापारियों को फायदा
8% लाभ मानकर टैक्स का आकलन करने का है मौजूदा नियम
6% लाभ मानकर टैक्स का आकलन होगा नए नियम के लागू होने पर

यह लाभ भी होगा
वर्तमान में आठ फीसदी से कम लाभ दिखाने पर व्यापारियों को खाता-बही का चाटर्ड अकाउंटेट से ऑडिट करवाना पड़ता है।
व्यापारियों को चाटर्ड अकाउंटेट को इसके लिए मोटी फीस चुकानी पड़ती है।
ऑडिट के बाद भी व्यापारियों को आयकर विभाग की कई तरह की जांज-पड़ताल का सामना करना पड़ता है।
आयकर कानून, 1961 की धारा 44एडी के तहत छोटे कारोबारियों को आठ फीसदी मानक करारोपण की स्थिति में ऑडिट कराने की जरूरत नहीं।

इसकी घोषणा की। 

Monday, December 19, 2016

नकदी की सीमा तय करने के लिए आयकर कानून में होगा संशोधन

दिनेश माहेश्वरी
कोटा। नोटबंदी के बाद काले धन पर दनादन छापेमारी में बरामद हो रही भारी भरकम नकदी को देखते हुए सरकार आने वाले दिनों में इसे रखने की सीमा तय कर सकती है। ऐसा होने पर कोई भी व्यक्ति एक निश्चित सीमा से अधिक धनराशि कैश में नहीं रख पाएगा। बताया जाता है कि वित्त मंत्रालय इस संबंध में कई विकल्पों पर विचार कर रहा है और इसकी घोषणा जल्द की जा सकती है।सूत्रों ने कहा कि विगत में इस संबंध में कई सुझाव आए हैं। लेकिन नोटबंदी के बाद जिस तरह बड़ी संख्या में नकदी पकड़ी जा रही है, उसे देखते हुए इसे रखने की सीमा तय करने की जरूरत महसूस की जा रही है।नकदी की सीमा तय करने के लिए आयकर कानून 1961 में जरूरी संशोधन किए जा सकते हैं। इस दिशा में कदम इसलिए भी जरूरी है क्योंकि तीन साल में आयकर विभाग की छापेमारी में 1500 करोड़ रुपये से अधिक नकदी जब्त हुई है।आठ नवंबर को नोटबंदी के एलान के बाद से 16 दिसंबर तक 316 करोड़ रुपये जब्त किए जा चुके हैं। इसमें 80 करोड़ रुपये नई करेंसी में है। इससे पता चलता है कि लोगों ने पुरानी करेंसी पर प्रतिबंध लगने के बाद नए नोट जमा करना शुरू कर दिया है। इसलिए जरूरी है कि नकदी रखने की एक सीमा तय की जाए।
15 लाख हो सकती है सीमा
काला धन पर गठित एसआइटी के अध्यक्ष जस्टिस एमबी शाह और उपाध्यक्ष अरिजित पसायत ने भी इस सिलसिले में सरकार को सुझाव दिया है। इन दोनों ने वित्त मंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखकर कहा है कि अगर नकदी रखने की सीमा तय नहीं की गई तो नोटबंदी का कोई असर नहीं होगा। पत्र में हालांकि नकदी रखने की अधिकतम सीमा स्पष्ट नहीं की गई है, लेकिन माना जा रहा है कि यह सीमा 15 लाख रुपये तय की जा सकती है। एसआइटी ने जुलाई में वित्त मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट में 15 लाख से अधिक कैश रखने के लिए आयकर आयुक्त से अनुमति की सिफारिश की थी। एसआइटी ने यह भी कहा था कि कोई खाते से तीन लाख रुपये से अधिक निकालता है, तो इसकी सूचना वित्तीय खुफिया इकाई और आयकर विभाग को दी जानी चाहिए।
सीमा से अधिक नोट जब्त करने का सुझाव
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष सुधीर चंद्र की अध्यक्षता वाली समिति ने भी निजी इस्तेमाल के लिए नकदी रखने की सीमा तय करने की सिफारिश की थी। समिति का कहना था कि एक निश्चित सीमा से अधिक नकदी पाए जाने पर उसे सरकार को जब्त कर लेना चाहिए। समिति ने इस संबंध में केरल उच्च न्यालय के एक निर्णय का हवाला दिया था।

Sunday, December 18, 2016

प्रॉविडेंट फंड के लिए अब UAN नंबर जरूरी

दिनेश माहेश्वरी
कोटा।
कर्मचारियों की पीएफ (प्रॉविडेंट फंड) ऑर्गनाइजेशन (EPFO), फंड ट्रांसफर और उसकी निकासी की प्रक्रिया को तेज और अधिक सुविधाजनक बनाने की तैयारी कर रही है। इसी क्रम में संगठन कई बड़े परिवर्तन करने जा रहा है। अब से आपको ECR (इलेक्ट्रॉनिक चालान कम रिटर्न) फाइल करने के लिए पहले ही अपना UAN (यूनिवर्सल अकाउंट नंबर) जेनरेट करवाना पड़ेगा या फिर पहले जेनरेट हो चुके नंबर को लिंक करवाना पड़ेगा। UAN और ECR दोनों ही के नए वर्जन लॉन्च किए जा रहे हैं। नया पोर्टल 20 दिसंबर से शुरू कर दिया जाएगा।
मौजूदा सिस्टम
फिलहाल ज्यादातर कर्मचारी EPFO को सीधे अपनी जानकारी दे देते हैं। चालान जमा करने के लिए वे सिर्फ अपनी मेंबर आईडी का इस्तेमाल करते हैं। इसके बाद में कर्मचारी अपनी मेंबर आईडी या पहले जेनरेट हुआ UAN लिंक करके अपना नया UAN जेनरेट करवाते हैं।
नए ईपीएफ सदस्यों के लिए
अब से पीएफ सिस्टम से जुड़ने वाले नए सदस्यों को ECR फाइल करने से पहले ही UAN निकलवाना पड़ेगा। बिना इसके आप ECR फाइल ही नहीं कर सकेंगे।
ईपीएफ सिस्टम से जुड़े सदस्यों के लिएजो लोग पहले ही इस सिस्टम के जुड़े हुए हैं, उनके लिए उन्हें अपना नंबर मौजूदा सिस्टम से लिंक करवाना पड़ेगा। इसके बाद ही वह ECR फाइल कर सकेंगे। इससे पहले मेंबर आईडी की मदद से ECR फाइल कर सकते थे।

Friday, December 16, 2016

कैशलेस पेमेंट पर 1 करोड़ तक इनाम धोखा

दिनेश माहेश्वरी
कोटा। केंद्र सरकार ने देश में डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए गुरुवार को दो प्रोत्साहन योजनाओं का एलान किया। इसके तहत 25 दिसंबर से 14 अप्रैल के बीच करोड़ों रुपये के इनाम दिए जाएंगे। इसमें एईपीएस द्वारा किए गए सभी भुगतान इसका हिस्सा होंगे। ई-वॉलेट तथा निजी क्रेडिट/डेबिट कार्ड के ट्रांजेक्शन इनमें शामिल नहीं होंगे। साथ ही योजना में ग्राहकों द्वारा विक्रेताओं और सरकार एजेंसियों को किए गए भुगतान ही शामिल होंगे।
आम ग्राहकों के लिए ‘लकी ग्राहक योजना’ और व्यापारियों के लिए ‘डिजिधन व्यापार योजना’ शुरू की गई है। नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने बताया कि लकी ग्राहक योजना 50 रुपये से 3000 रुपये तक के लेनदेन के लिए है। इसमें 25 दिसंबर से सौ दिन तक हर रोज 15 हजार विजेताओं के नाम घोषित किए जाएंगे जिन्हें एक-एक हजार रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा। इसके अलावा हर सप्ताह सात हजार भाग्यशाली ग्राहकों को एक लाख रुपये, 10 हजार रुपये तथा पांच हजार के पुरस्कार दिए जाएंगे।
दोनों योजनाओं के लिए संचालन एजेंसी राष्ट्रीय भुगतान निगम को बनाया गया है। पुरस्कारों के लिए चयन रैंडम तरीके से सॉफ्टवेयर द्वारा किया जाएगा। एक ग्राहक को अधिकतम तीन बार पुरस्कार मिल सकता है। पुरस्कार राशि सीधे ग्राहक के खाते में पहुंच जाएगी। इन योजनाओं पर लगभग 340 करोड़ रुपये का खर्च आने की संभावना है।

किन लेनदेन पर इनाम
योजनाओं में सिर्फ ग्रामीण इलाकों में होने वाले ट्रांजेक्शनों को शामिल किया जाएगा। इनमें रूपे कार्ड, यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई), यूएसएसडी और आधार समर्थित भुगतान प्रणाली (एईपीएस) द्वारा किए गए ट्रांजेक्शन शामिल होंगे।
डेबिट क्रेडिट कार्ड शामिल नहीं
एईपीएस द्वारा किए गए सभी भुगतान इसका हिस्सा होंगे। ई-वॉलेट तथा निजी क्रेडिट/डेबिट कार्ड के ट्रांजेक्शन इनमें शामिल नहीं होंगे। साथ ही योजना में ग्राहकों द्वारा विक्रेताओं और सरकार एजेंसियों को किए गए भुगतान ही शामिल होंगे।
महज 5 फीसदी डिजिटल लेनदेन 05 प्रतिशत का भुगतान डिजिटल माध्यमों से किया जाता है।



Thursday, December 15, 2016

प्रॉविडेंट फंड के लिए अब UAN नंबर जरूरी

नई दिल्ली .कर्मचारियों की पीएफ (प्रॉविडेंट फंड) ऑर्गनाइजेशन (EPFO), फंड ट्रांसफर और उसकी निकासी की प्रक्रिया को तेज और अधिक सुविधाजनक बनाने की तैयारी कर रही है। इसी क्रम में संगठन कई बड़े परिवर्तन करने जा रहा है। अब से आपको ECR (इलेक्ट्रॉनिक चालान कम रिटर्न) फाइल करने के लिए पहले ही  UAN (यूनिवर्सल अकाउंट नंबर) जेनरेट
करवाना पड़ेगा या फिर पहले जेनरेट हो चुके नंबर को लिंक करवाना पड़ेगा।
UAN और ECR दोनों ही के नए वर्जन लॉन्च किए जा रहे हैं। हालिया ECR पोर्टल 17 दिसंबर, 2016 की शाम 6 बजे तक ऐक्टिव रहेगा और नया पोर्टल 20 दिसंबर से शुरू कर दिया जाएगा।
मौजूदा सिस्टम
फिलहाल ज्यादातर कर्मचारी EPFO को सीधे अपनी जानकारी दे देते हैं। चालान जमा करने के लिए वे सिर्फ अपनी मेंबर आईडी का इस्तेमाल करते हैं। इसके बाद में कर्मचारी अपनी मेंबर आईडी या पहले जेनरेट हुआ UAN लिंक करके अपना नया UAN जेनरेट करवाते हैं।

नए ईपीएफ सदस्यों के लिए
अब से पीएफ सिस्टम से जुड़ने वाले नए सदस्यों को ECR फाइल करने से पहले ही UAN निकलवाना पड़ेगा। बिना इसके आप ECR फाइल ही नहीं कर सकेंगे।

ईपीएफ सिस्टम से जुड़े सदस्यों के लिए
जो लोग पहले ही इस सिस्टम के जुड़े हुए हैं, उनके लिए उन्हें अपना नंबर मौजूदा सिस्टम से लिंक करवाना पड़ेगा। इसके बाद ही वह ECR फाइल कर सकेंगे। इससे पहले मेंबर आईडी की मदद से ECR फाइल कर सकते थे।

Tuesday, December 13, 2016

1.50 करोड़ के पुराने नोट बदलते RBI अधिकारी गिरफ्तार

नई दिल्ली / कमीशन लेकर पुराने नोट को नए नोट में बदलने के आरोप में सीबीआई ने आरबीआई के एक सीनियर ऑफिसर को अरेस्ट किया है। यह ऑफिसर उन 9 लोगों में शामिल है जिन्हें गैरकानूनी रूप से पुराने नोट बदलवाने के लिए गिरफ्तार किया गया है। सीबीआई से मिली जानकारी के मुताबिक इस शख्स का नाम के. माइकल है, जो बेंगलुरु ब्रांच में स्पेशल असिस्टेंट के पद पर कार्यरत है।
ऑफिसर पर आरोप है कि उसने पुराने नोटों में 1.5 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम को नए नोटों के रूप में बदलवाने में मदद की है। फिलहाल सीबीआई उसके एक से अधिक ऐसे ही केस में शामिल होने की जांच कर रही है। सूत्रों का कहना है कि 15 से 20 फीसदी का कमीशन लेकर नोट बदलवाए गए थे। अवैध तरीके से नोट बदलने के इस गोरखधंधे में एक सरकारी कर्मचारी भी शामिल है जो मीडिएटर के तौर पर काम कर रहा था।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 8 नवंबर से नोटबंदी के ऐलान के बाद से देश के अलग-अलग शहरों में बैंकों के जरिए कालाधन सफेद करने के कई मामले सामने आ चुके हैं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की कार्रवाई में कई शहरों में बड़े लोगों के घरों से भी करोड़ों का कैश बरामद हुआ है।

Saturday, December 10, 2016

एक OTP से खुल जाएगा बैंक खाता

कोटा। बैंक में खाता खोलने के इच्छुक लोगों के लिए एक अच्छी खबर आई है। RBI ने अपने नो योर कस्टमर (KYC) नियमों में बदलाव कर दिया है। इसके मुताबिक अब बैंक मोबाइल फोन के जरिए ही अपने कस्टमर का खाता खोल सकेंगे। जी हां। इस सुविधा के अनुसार अब बैंक मोबाइल पर वन टाइम पिन (OTP) का इस्तेमाल करने के बाद नए खाते खोल सकेंगे।RBI के इस कदम से हो सकता है कि बैंक खाते खोलने की प्रक्रिया में तेजी आ जाए। RBI ने अपनी वेबसाइट पर एक नोटिफिकेशन में कहा है कि बैंक अपनी KYC प्रक्रिया को इलेक्ट्रॉनिक तरीके से पूरा करने के लिए OTP मुहैया करा सकते हैं। वैसे इसके पहले बैंक को ग्राहकों की अनुमति लेना होगी।इसके अलावा इन अकाउंट्स में कुल एक लाख रुपए से ज्यादा रकम नहीं रखी जा सकेगी। RBI के मुताबिक, ऐसे खातों में किसी एक वित्तीय वर्ष में कुल 2 लाख रुपए से ज्यादा रकम क्रेडिट नहीं होनी चाहिए।लोन अकाउंट्स के मामले में केवल टर्म लोन ही इलेक्ट्रॉनिक KYC का इस्तेमाल करते हुए मंजूर किए जा सकते हैं। मंजूर किए जाने वाले टर्म लोन की मात्रा किसी एक साल में 60,000 रुपए से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। हालांकि RBI ने कहा कि बैंकों को ये खाते खोलने के सालभर के भीतर इनसे जुड़े कस्टमर्स के बारे में जांच-पड़ताल करनी होगी। ऐसा न करने पर इन खातों को बंद कर दिया जाएगा।

Friday, December 9, 2016

कर्मचारियों को वेतन से पीएफ कटवाना जरूरी नहीं

नई दिल्ली।
केन्द्र सरकार ने प्राइवेट कर्मचारियों को बड़ी राहत देते हुए पीएफ के नियमों कुछ बदलाव किए हैं। इन बदलावों के बाद से अब कर्मचारियों को पीएफ कटवाना जरूरी नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में एपीएफ कानून का संशोधन किए बिना ही कर्मचारियों के वेतन से कटने वाले को जरूरी न करने के संदर्भ में नोटिस जारी कर दिया है। हालांकि इस बदलाव की ओर अभी तक बहुत की कम लोगों का ध्यान गया है। सरकार ने अपने इस कदम की जानकारी कैबिनेट नोटिस के तौर पर कंपड़ा मंत्रालय के जरिए दी है।
नोटिस में कहा गया है कि रोजगार के अवसर बढ़ाने और एक्पोर्ट सेक्टर को मजबूत करने को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है। सूचना में कहा गया है कि लेबर कानूनों के आसान बनाने को ध्यान में रखते हुए यह बदलाव किया गया है।
15000 रुपए प्रतिमाह से कम वेतन वालों को मिलेगा फायदा
इस नए बदलाव के बाद से अब 15 हजार रुपए प्रति माह से कम वेतन पाने वाले कर्मचारी के अपना पीएफ कटवाने या न कटवाने का विकल्प होगा। यानी उसे पीएफ कटवाना जरूरी नहीं होगा।
कंपनी अब कर्मचारी की सहमति मिलने के बाद ही उसके वेतन से पीएफ काट सकेगी। यह बदलाव अभी मुख्य रूप से एक्पोर्ट इंडस्ट्री के लिए लागू होगा।
लेकिन इससे कर्मचारियों को एक नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। लाइवमिंट के अनुसार, पीएफ के साथ कर्मचारियों को जो पेशन स्कीम का लाभ मिलता है वह पीएफ न कटने की वजह से नहीं मिल पाएगा। अभी यह सुविधा है कि जिन लोगों का पीएफ कट रहा है उन्हें 60 साल का होने के बाद पेंशन के रूप में एक निश्चित रकम देने की व्यवस्था है। यह पेंशन पीएफ न कटाने वाले कर्मचारियों को नहीं मिलेगी।
खबर में ऐसा भी कहा गया है कि मंत्रिमंडल के नए निर्देश के बाद श्रम मंत्रालय अब पीएफ एक्ट में बदलाव कर कम से कम 12 फीसदी पीएफ काटने के नियम को आसान बनाकर कटने वाली फीसदी कम भी कर सकता है। यानी जो कर्मचारी अपना पीएफ कम फीसदी में कटवाना चाहेंगे उनके लिए इस बदलाव से सुविधा हो सकती है।

खाने-पीने का सामान अखबार में रखकर बेचने पर रोक

दिनेश माहेश्वरी
कोटा।
अखबार के पन्नों का इस्तेमाल अब खाने-पीने की चीजों के साथ कतई न करें। यह आपकी सेहत के लिए बेहद नुकसानदेह हो सकता है। खाद्य संरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) ने खाने-पीने का सामान पैक करने, लपेटने या परोसने के लिए अखबार अथवा किसी भी रीसाइकिल कागज और कार्ड बोर्ड के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है।प्राधिकरण ने मंगलवार को जारी अपने पत्र में राज्यों से कहा है कि अपने देश में यह चलन बहुत ज्यादा है, जिसकी वजह से अनजाने में ही जहर लोगों के शरीर में प्रवेश कर रहा है और इस लिहाज से वे तुरंत हर मुमकिन कदम उठाएं। उन्हें व्यवस्थित अभियान चलाकर विक्रेताओं के साथ ही उपभोक्ताओं को भी जागरूक करने के लिए कहा गया है। हालांकि, इस संबंध में किसी सजा का प्रावधान अभी नहीं किया गया है।अखबारों के साथ ही रीसाइकिल पेपर और रीसाइकिल कार्डबोर्ड का भी छोटे रेस्टोरेंट, सड़क किनारे खोमचे वाले और बहुत से घरों में इस्तेमाल किया जाता है। कई लोग इसलिए भी इसका उपयोग करते हैं, ताकि अतिरिक्त तेल या घी इसमें सोखाया जा सके।
कैसे है खतरनाक
अखबार की स्याही में बहुत से बायोएक्टिव तत्व होते हैं। साथ ही इसमें नुकसानदेह रंग, पिगमेंट, एडिटिव और प्रीजर्वेटिव शामिल होते हैं। इनसे स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान होता है। यही नहीं, इसका कागज भी अपने आप में नुकसानदेह होता है।अखबारों, रीसाइकिल पेपर और रीसाइकिल कार्डबोर्ड में मैटेलिक कंटेमिनेंट्स, मिनरल आयल्स और ऐसे रसायनिक तत्व हो सकते हैं जो पाचन संबंधी समस्या से लेकर गंभीर विषाक्तता तक पैदा कर सकते हैं। साथ ही ये बच्चों, किशोरों और बुजुर्गों में कैंसर से जुड़ी समस्याएं तक पैदा कर सकते हैं।

Thursday, December 8, 2016

नोटबंदी के बाद से 2 हजार करोड़ का खुलासा

नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद से आयकरदाताओं ने अब तक करीब 2000 करोड़ रुपये के बेहिसाब धन का खुलासा किया है। जबकि आयकर विभाग ने अब तक 130 करोड़ रुपये की नकदी और आभूषण जब्त किए हैं।
आयकर विभाग ने मंगलवार को बताया कि करीब 30 मामले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीबीआई को जांच के लिए सौंपे गए हैं। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने बयान में कहा है कि विभाग ने 8 नवंबर के बाद करीब 400 मामलों के जांच में तेजी की है। विभाग, ईडी और सीबीआई द्वारा गड़बड़ियों का पता लगाने का प्रयास कर रहा है।
सीबीडीटी ने कहा, आयकर कानून से आगे गंभीर अनियमितताएं सामने आने के बाद ऐसे मामलों को प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई के पास भेजने का फैसला किया गया है। 30 से अधिक मामले ईडी के पास पहले ही भेजे जा चुके हैं और इन्हें सीबीआई को भी भेजा जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत 8 नवंबर को कालेधन के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए 500 और 1,000 के नोट को बंद करने की घोषणा की थी। एक अनुमान के मुताबिक करीब 14 लाख करोड़ रुपये के बड़े नोट चलन में थे।
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, 27 नवंबर तक बैंकों में 8.45 लाख करोड़ रुपये के पुराने नोट जमा हो चुके थे। ईडी और सीबीआई को भेजे मामलों का ब्योरा देते हुए सीबीडीटी ने कहा कि उसकी मुंबई इकाई ने एक ऐसा मामला भेजा है, जिसमें 80 लाख रुपये के बड़े नोट पकड़े गए हैं। जबकि बेंगलुरु की जांच इकाई ने सबसे अधिक 18 मामले ईडी को भेजे हैं। इसमें भी बड़ी मात्रा में पुराने नोट जब्त किए गए हैं। इसके अलावा लुधियाना इकाई ने दो मामले, हैदराबाद इकाई ने पांच लोगों से 95 लाख की नकदी जब्त करने का मामला भेजा है।
इसी तरह पुणे की इकाई ने एक गैर आवंटित लॉकर से 20 लाख रुपये मिलने का मामला भेजा है, जिसमें 10 लाख रुपये के नये नोट शामिल हैं। यह लॉकर शहरी सहकारी बैंक का है। इस लॉकर की चाबी बैंक के सीईओ के पास थी। भोपाल इकाई ने दो सर्राफा कारोबारियों के खिलाफ मामले भेजे हैं। दिल्ली इकाई ने भी एक्सिस बैंक की कश्मीरी गेट शाखा के दो बैंक अधिकारियों के खिलाफ मामला भेजा है।

नोटबंदी के बाद लोगों ने ऐसे किया काला धन सफेद

दिनेश माहेश्वरी
कोटा।
तमाम मुश्किलों के बीच कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने अपनी ब्लैक मनी को व्हाइट करने के कई तरीके खोज निकाले। जानिए इनके बारे में......
मंदिर में दे दिया दान: नोटबंदी के बाद इस तरह की खबरें सामने आईं कि लोगों ने या तो अपनी ब्लैक मनी मंदिर के हिंदुओं को दे दीं या फिर उन्होंने वह राशि डोनेशन बॉक्स में डाल दी। मंदिर प्रबंधन ने इस पैसे को गुमनाम दान में दिखाया। मंदिर प्रशासन ने इस पैसे को नई करेंसी से बदल दिया, इस सेवा के लिए कुछ कमीशन लिया और बाकी पैसा मालिक को लौटा दिया। सरकार ने यह बात पहले ही स्पष्ट कर दी है कि मंदिर के हिंदुओं से किसी भी तरह का कोई सवाल नहीं किया जाएगा।
सहकारी बैंकों में करा ली बैक डेट की एफडी: अपने कालेधन को खंपाने के लिए कुछ लोग बैक डेट में कुछ वित्तीय संस्थानों से फिक्स्ड डिपॉजिट की रसीद ले रहे हैं। काला धन रखने वाले तमाम लोगों ने वित्तीय संस्थानों के जरिए तमाम तरह की एफडी ग्रामीण लोगों के नाम पर ले रखी हैं, जिससे उन्हें कुछ समय बाद नई करेंसी में उन्हें उनकी रकम वापस मिल जाएगी। ये उन लोगों को कुछ भुगतान भी कर रहे हैं जिनके नाम पर उन्होंने एफडी करवा रखी है। गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों को इस तरह की जमा राशि स्वीकार करते हुए देखा गया है जो कथित तौर पर कालेधन को सफेद करने में मदद कर रहे हैं।
गरीबों को लाइन में खड़ा कर बदलवाए पैसे: बहुत से ऐसे लोग थे जिन्होंने कुछ गरीब लोगों को बैंकों के बाहर लाइन में लगवाकर अपनी ब्लैक मनी को व्हाइट करने की कोशिश की। कुछ लोगों ने गरीबों के खातों में 2.50 लाख रुपए जमा करवा कर उसे कुछ दिन में उनसे कहकर नकदी निकलवाकर अपनी ब्लैक मनी को सफेद कर लिया। गरीब लोगों को दे दिया लोन: नोटबंदी की आड़ में काला धन रखने वालो लोगों ने गरीबों को ब्याज मुक्त कर्ज बांट दिया। एक तरह से देखा जाए तो नोटबंदी के दौर में गरीब लोगों के लिए यह काफी फायदे का सौदा था, लेकिन वास्तव में लोगों ने इसके जरिए अपने कालेधन को सफेद करने की कोशिश की।
जन-धन खाताधारकों को ढूंढा: जन-धन खातों की जब शुरुआत हुई थी, तब इसमे नाम मात्र को पैसा था लेकिन नोटबंदी के तुरंत बाद इसमे भारी नकदी जमा हो गई जिससे सरकार को सिस्टम में कालाधन आने का शक हुआ। लोगों ने गरीबों के खाते में अपना पैसा जमा करवाया फिर उसे उन्ही से कहकर कुछ दिन में निकलवा भी लिया। नोट माफियाओं से संपर्क साधा: नोटबंदी के फैसले के तुरंत बाद काफी सारे बैंकनोट माफियाओं ने जन्म ले लिया। ये ऐसे लोग थे जो लोगों से 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों के बदले उनको उनकी नकदी का 15 से 80 फीसदी हिस्सा ही वापस कर रहे थे। इन माफियाओं के जरिए भी कुल लोगों ने काफी काला धन सफेद किया।
एडवांस में कर दिया सैलरी का भुगतान: कुछ लोगों ने नोटबंदी से बचने का शानदार तरीका निकाला। व्यापारी तबके ने अपने मातहत आने वाले कर्मचारियों को एडवांस में सैलरी बांट दी। यानी इस तरह से कर्मचारियों को 3 से 8 महीने की सैलरी बांट दी गई। कुछ ने तो सैलरी अकाउंट खुलवाकर उसमे एडवांस सैलरी जमा करवा दी, जिससे वो 30 दिसंबर से पहले अपना काफी सारा पैसा जमा करवा पाए।
ट्रेन की टिकट बुक कीं और फिर कैंसल : नोटबंदी के दौर में लोगों ने अपने पुराने नोट खंपाने के लिए कमाल कमाल के आइडिया निकाले। रेलवे में 14 नवंबर तक पुराने नोट स्वीकार किए जाने की खबर मीडिया में आते ही लोगों ने अंधाधुंध टिकिटों की बिक्री कर ली, उन्होंने सोचा कि बाद में इसे कैंसल कराकर नई करेंसी प्राप्त की जा सकती है।
पेशेवर मनी लॉन्ड्रिंग फर्म का इस्तेमाल किया: विशेष तौर पर कोलकाता में चार्टेड अकाउंटेंट के माध्यम से संचालित होने वाली मनी लॉन्ड्रिंग कंपनियों का भी लोगों ने खूब इस्तेमाल किया। ये ऐसी कंपनियां होती हैं जो आपका टैक्स बचाने के लिए आपकी ब्लैक मनी को व्हाइट में बदल देती हैं। ऐसी कंपनियां कोलकाता के अलावा अन्य शहरों में भी काम करती हैं।
खरीदने लगे सोना: नोटबंदी की घोषणा के बाद सोने की कीमतों में तेज उछाल देखने को मिला, क्योंकि काफी सारे लोग अपनी पुरानी करेंसी खंपाने के लिए सुनारों की दुकानों पर पहुंचने लगे। कालाधन रखने वाले काफी सारे लोगों ने घोषणा वाले दिन की आधी रात तक काफी मात्रा में सोना खरीद डाला। कुछ रिपोर्ट्स में यह भी सामने आया कि सोने की बिक्री बैक डेट में भी हुई है।
किसानों का इस्तेमाल: नोटबंदी के दौरान कालेधन को सफेद करने के लिए किसानों का भी बखूबी इस्तेमाल किया गया। जैसा कि किसान की आमदनी कर के दायरे में नहीं आती है, वो आसानी से कह सकते हैं कि उन्हें यह पैसा मंडी में बिक्री के जरिए नोटबंदी लागू होने से पहले मिला है, उनके पास यह पुरानी नकदी है और वो आसानी से नई करेंसी पा सकते हैं। लोगों ने इसी का फायदा उठाया।
राजनीतिक पार्टियों का किया इस्तेमाल: जैसा कि राजनीतिक पार्टियां किसी से भी 20,000 रुपए का डोनेशन ले सकती हैं और वो भी दानकर्ता का नाम बताए बगैर। साथ ही उन्हें इसके लिए पैन नंबर भी नहीं देना होता है, इस सुविधा ने नोटबंदी के दौर में लोगों के लिए काम किया। ऐसी पार्टियां आसानी से कह सकती हैं कि उन्हें नोटबंदी से पहले कुछ डोनेशन मिला है और वो आसानी से अपने पुराने नोट बदलवाकर नई करेंसी प्राप्त कर सकती हैं।
बैंकों में जमा करा दिया पैसा: नोटबंदी के बाद लोगों को अपनी ब्लैकमनी को व्हाइट करने का सबसे आसान तरीका यह लगा कि उन्होंने अपनी नकदी का कुछ हिस्सा बैंकों में जमा करवा दिया। वित्त मंत्रालय ने लोगों को 2.50 लाख रुपए तक की जमा राशि पर छूट दे रखी है। इस सुविधा ने भी ऐसे लोगों की मदद की।

Wednesday, December 7, 2016

कहीं खाली न हो जाए आपका वॉलेट

दिनेश  माहेश्वरी
कोटा। नोटबंदी के बाद कैशलैस पेमेंट बढ़ने से ऑनलाइन फ्रॉड के केस भी बढ़ रहे हैं। इन हालात में स्वाइप मशीन, नेटबैंकिंग या ई-वॉलेट से शॉपिंग करते वक्त सतर्क रहने की जरूरत है। यूपी पुलिस साइबर सेल के लिए भी ऐसे केस हल करना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।ई-बैंकिंग के समय लोग ब्राउजर पर कई टैब भी खुले रखते हैं। ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के बाद लॉग-आउट न करने से जरूरी जानकारी ब्राउजर के जरिए हैक होने का खतरा रहता है। इसके अलावा काम खत्म होने के बाद इंटरनेट डिसकनेक्ट कर देना चाहिए। उन्होंने बताया कि कम्प्यूटर की हर एक्टिविटी कैश फाइल के तौर पर ब्राउजर में सेव होती है। इस कारण ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के बाद कैश क्लियर जरूर करें। इससे बैंकिंग एक्टिविटी की जानकारी ब्राउजर से हट जाएगी।
दो-तीन महीने में बदलें पिन
 स्वाइप मशीन में कार्ड स्वाइप करते वक्त पिन छिपाकर डालें और ज्यादा स्वाइप मशीन यूज़ करने वाले अपना पिन हर दो-तीन महीने पर बदलते रहें।
ई-वॉलेट ऐप डाउन लोड करते समय रखें ध्यान
 ई-वॉलेट ऐप डाउनलोड करते वक्त इसका ध्यान रखना चाहिए कि ऐप ऑथराइज्ड हो। ऐप स्टोर में एक जैसे कई ऐप आते हैं। ओरिजिनल ऐप वही होता है जो सबसे अधिक डाउनलोड किया गया हो और उसके सबसे अधिक री-व्यू हों।
यह भी रखें ध्यान
- साइबर कैफे, किसी ऑफिस या अन्य स्थान से ऑनलाइन खरीदारी न करें। अपने पीसी या लैपटॉप का इस्तेमाल करें।
- टेलिफोन पर किसी को पिन, पासवर्ड, ओटीपी, सीवीवी नंबर या बैंक से जुड़ी डिटेल न दें।
- फेक साइट्स पर ऑनलाइन शॉपिंग न करें। http वाली साइट्स से नहीं, बल्कि https वाली साइट्स से ऑनलाइन पेमेंट करें। यह ज्यादा सुरक्षित हैं।
- कभी पब्लिक नेटवर्क एरिया, जहां फ्री वाई-फाई या हॉटस्पॉट मिल रहा हो तो मोबाइल बैंकिंग का इस्तेमाल न करें।