अगर आपको लगता है कि 31 दिसंबर के बाद नोटबंदी की दिक्कतें कम हो जाएंगी और एटीएम से आपको ज्यादा नोट मिलने लगेंगे तो आपको मायूसी हो सकती है। केंद्र सरकार बेशक जनवरी के मध्य तक
हालात सामान्य होने की बात कह रही है, लेकिन एटीएम और बैंक शाखाओं से सीमित मात्रा में नकदी निकलने की जिस दिक्कत से आप रूबरू हो रहे हैं, कम से कम वह तो खत्म होती नहीं दिखती।
8 नवंबर को 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोट बंद होने के बाद से निकासी सीमा को बार-बार बदला गया है और फिलहाल बचत खाते से हर हफ्ते अधिकतम 24,000 रुपये और चालू खाते से 50,000 रुपये निकालने की सीमा चल रही है। एटीएम से भी एक दिन में 2,500 रुपये तक ही निकाले जा सकते हैं। यह बंदिश कब खत्म होगी, इसका कोई निर्देश अभी तक नहीं आया है। लेकिन लोगों को उम्मीद है कि 30 दिसंबर के बाद सीमा बढ़ा दी जाएगी।
बहरहाल निकट भविष्य में तो यह उम्मीद पूरी होती नहीं दिख रही है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कुछ दिन पहले कहा था कि जनवरी के मध्य तक हालात बेहतर हो जाएंगे। लेकिन कुछ वरिष्ठï सरकारी सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि बंदिश हटाने से पहले वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक हालात का पूरा जायजा लेंगे। रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर मौजूद ताजा आंकड़ों के मुताबिक विमुद्रीकरण शुरू होने के बाद से 20 दिसंबर तक बैंकों ने एटीएम और काउंटरों से करीब 6 लाख करोड़ रुपये के नोट बांट दिए हैं। 8 नवंबर के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐलान से 15.6 लाख करोड़ रुपये कीमत के नोट चलन से बाहर हो गए थे यानी बाहर हुई मुद्रा का केवल 39 फीसदी हिस्सा लौटाया गया है। एक वरिष्ठï सरकारी अधिकारी ने कहा, 'हमारे दिमाग में इस बात का खाका तैयार है कि निकासी की बंदिश कब हटानी है। ऐसे इस बारे में किसी भी फैसले पर विचार किया जाएगा और इसे तभी लिया जाएगा, जब केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक को यह लगेगा कि लोगों के पास अच्छी खासी रकम पहुंच चुकी है।'
वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा है कि अच्छी खासी रकम का मतलब चलन से बाहर हुई रकम का 80 फीसदी है यानी जब 12 लाख करोड़ रुपये के नोट लोगों के बीच बंट जाएंगे तब बंदिश हटाने लायक हालात होंगे। लेकिन आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास कह चुके हैं दिसंबर के अंत तक बमुश्किल 50 फीसदी रकम ही चलन में लौटेगी। भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री सौम्यकांति घोष ने इसी महीने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि नोट छापने वाले चारों मुद्रणालय इस वक्त बिना रुके चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं। ऐसा ही चलता रहा तब भी जनवरी के अंत तक 75 फीसदी रकम ही प्रणाली में लौट पाएगी। यानी निकासी पर लगी बंदिश जनवरी का महीना या फरवरी का शुरुआती हफ्ता खत्म होने से पहले नहीं हटाई जाएगी।
सरकार तथा रिजर्व बैंक के पूर्व अधिकारी बताते हैं कि सरकारी कंपनी सिक्योरिटी प्रिंटिंग ऐंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन साल में लगभग 10 अरब नोट छाप सकती है। आरबीआई के स्वामित्व वाली भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड की क्षमता 16 अरब सालाना है। ज्यादातर अनुमानों में यही बताया गया है कि चारों मुद्रणालयों की कुल मासिक क्षमता 3 अरब नोट है। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने इसी आंकड़े को देखकर कहा था कि चलन से बाहर गए 23 अरब नोटों को इस दर से वापस आने में 7 महीने लग जाएंगे। हालांकि 2,000 के नोटों ने यह आंकड़ा कम करने में मदद की है, लेकिन इतने बड़े नोट को खुलवाना अपने आप में बड़ी दिक्कत है। इन सबके बीच में यह भी याद रखना चाहिए कि मशीन तो मशीन ही होती है और किसी भी वक्त खराब हो सकती है। अगर ऐसा हुआ तो दिल्ली और भी दूर हो जाएगी।
हालात सामान्य होने की बात कह रही है, लेकिन एटीएम और बैंक शाखाओं से सीमित मात्रा में नकदी निकलने की जिस दिक्कत से आप रूबरू हो रहे हैं, कम से कम वह तो खत्म होती नहीं दिखती।
8 नवंबर को 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोट बंद होने के बाद से निकासी सीमा को बार-बार बदला गया है और फिलहाल बचत खाते से हर हफ्ते अधिकतम 24,000 रुपये और चालू खाते से 50,000 रुपये निकालने की सीमा चल रही है। एटीएम से भी एक दिन में 2,500 रुपये तक ही निकाले जा सकते हैं। यह बंदिश कब खत्म होगी, इसका कोई निर्देश अभी तक नहीं आया है। लेकिन लोगों को उम्मीद है कि 30 दिसंबर के बाद सीमा बढ़ा दी जाएगी।
बहरहाल निकट भविष्य में तो यह उम्मीद पूरी होती नहीं दिख रही है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कुछ दिन पहले कहा था कि जनवरी के मध्य तक हालात बेहतर हो जाएंगे। लेकिन कुछ वरिष्ठï सरकारी सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि बंदिश हटाने से पहले वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक हालात का पूरा जायजा लेंगे। रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर मौजूद ताजा आंकड़ों के मुताबिक विमुद्रीकरण शुरू होने के बाद से 20 दिसंबर तक बैंकों ने एटीएम और काउंटरों से करीब 6 लाख करोड़ रुपये के नोट बांट दिए हैं। 8 नवंबर के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐलान से 15.6 लाख करोड़ रुपये कीमत के नोट चलन से बाहर हो गए थे यानी बाहर हुई मुद्रा का केवल 39 फीसदी हिस्सा लौटाया गया है। एक वरिष्ठï सरकारी अधिकारी ने कहा, 'हमारे दिमाग में इस बात का खाका तैयार है कि निकासी की बंदिश कब हटानी है। ऐसे इस बारे में किसी भी फैसले पर विचार किया जाएगा और इसे तभी लिया जाएगा, जब केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक को यह लगेगा कि लोगों के पास अच्छी खासी रकम पहुंच चुकी है।'
वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा है कि अच्छी खासी रकम का मतलब चलन से बाहर हुई रकम का 80 फीसदी है यानी जब 12 लाख करोड़ रुपये के नोट लोगों के बीच बंट जाएंगे तब बंदिश हटाने लायक हालात होंगे। लेकिन आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास कह चुके हैं दिसंबर के अंत तक बमुश्किल 50 फीसदी रकम ही चलन में लौटेगी। भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री सौम्यकांति घोष ने इसी महीने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि नोट छापने वाले चारों मुद्रणालय इस वक्त बिना रुके चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं। ऐसा ही चलता रहा तब भी जनवरी के अंत तक 75 फीसदी रकम ही प्रणाली में लौट पाएगी। यानी निकासी पर लगी बंदिश जनवरी का महीना या फरवरी का शुरुआती हफ्ता खत्म होने से पहले नहीं हटाई जाएगी।
सरकार तथा रिजर्व बैंक के पूर्व अधिकारी बताते हैं कि सरकारी कंपनी सिक्योरिटी प्रिंटिंग ऐंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन साल में लगभग 10 अरब नोट छाप सकती है। आरबीआई के स्वामित्व वाली भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड की क्षमता 16 अरब सालाना है। ज्यादातर अनुमानों में यही बताया गया है कि चारों मुद्रणालयों की कुल मासिक क्षमता 3 अरब नोट है। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने इसी आंकड़े को देखकर कहा था कि चलन से बाहर गए 23 अरब नोटों को इस दर से वापस आने में 7 महीने लग जाएंगे। हालांकि 2,000 के नोटों ने यह आंकड़ा कम करने में मदद की है, लेकिन इतने बड़े नोट को खुलवाना अपने आप में बड़ी दिक्कत है। इन सबके बीच में यह भी याद रखना चाहिए कि मशीन तो मशीन ही होती है और किसी भी वक्त खराब हो सकती है। अगर ऐसा हुआ तो दिल्ली और भी दूर हो जाएगी।
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