Thursday, December 1, 2016

कोटा में एक और बड़ा उद्योग आई एल बंद

दिनेश माहेश्वरी
कोटा।
शहर का एक और बड़ा उद्योग भारत सरकार का उपक्रम इंस्ट्रूमेंटेशन लिमिटेड (आईएल) हमेशा के लिए ख़ामोश  हो गया है। इसक बंद करने के निर्णय पर बुधवार को केन्द्रीय केबिनेट ने मुहर लगा दी। एक साल पहले नवम्बर 2015 में इसके संचालन से केन्द्र ने इनकार कर दिया था। केन्द्र ने राज्य सरकार को आईएल को अधिग्रहण करने के लिए पत्र भी लिखा था, लेकिन राज्य सरकर ने भी इसके अधिग्रहण से मना कर दिया। इसके बाद केन्द्र ने क्लोजर की प्रक्रिया शुरू कर दी। आईएल संचालन के लिए कोटा में आंदोलन भी हुए। सांसद ने लोकसभा में भी मसला उठाया, लेकिन केन्द्र सरकार ने निर्णय नहीं बदला। अब इसे बंद करने का अंतिम निर्णय ले लिया गया है। इसके साथ ही केबिनेट ने आईएल की पल्लकड़ यूनिट को केरला सरकार को ट्रांसफर करने के निर्णय पर भी मुहर लगा दी। आईएल के कर्मचारियों की करीब 438 करोड़ देनदारी है। इंस्ट्रूमेंटेशन एम्पलाइज यूनियन ने कार्मिकों के हितों से जुड़े मसलों का सेटलमेंट करने के बाद ही कारखाने का अधिग्रहण करने या बंद करने का निर्णय लेने की मांग रखी थी, इस पर भी ध्यान नहीं दिया।
देशभर में संपत्तियां:
आईएल की कोटा में 182 एकड़ जमीन है। उद्योग बंद होने के साथ ही इसका मालिकाना हक राज्य सरकार का हो जाएगा, क्योंकि जमीन राज्य सरकार ने ही लीज पर दी है। लीज में यह भी उल्लेख है कि जमीन पर बने निर्माण व अन्य संपत्तियां क्लोजर के बाद राज्य सरकार की रहेंगी। ऐसी ही लीज वाली जमीन जयपुर के सीतापुरा में भी है। वहीं मुंबई, दिल्ली, बड़ौदा व मालवीय नगर में आईएल की निजी संपत्तियां हैं।

देनदारियों में गया रिवाइवल प्लान:
फरवरी, 2009 में आईएल के रिवाइवल के लिए 653 करोड़ का पैकेज दिया गया। लेकिन, इसमें से आईएल को सिर्फ 45 करोड़ रुपए मिले, शेष पैसा देनदारियों में चला गया। प्रबंधन बार-बार यही कहता रहा कि उन्हें एकमुश्त वर्किंग कैपिटल की जरूरत है, जो कभी नहीं मिल पाई। वर्तमान में आईएल में अधिकारी व कर्मचारी को 10 से 15 हजार रुपए हर माह सैलेरी मिलती है, इसी से कर्मचारी गुजारा करते हैं।

आईएल 1964 से 2016
> 1964 में शुरू हुई आईएल, तब 4400 कर्मचारी-अधिकारी थे।
> 1972 में बना ऑडिटोरियम।
> 1992 से घाटे में जाना शुरू हुआ।
> 2001 से धरने-प्रदर्शन का दौर शुरू हुआ।
> 2009 रिवाइवल प्लान बना 600 करोड़ का।
> 2015 से इसे बंद करने की कवायद शुरू हुई, तब 500 कर्मचारी-अधिकारी थे।
> जनवरी 2016 में कर्मचारियोंइसे बचाने के लिए आंदोलन शुरू किया।
> 30 नवंबर 16 को सरकार ने की बंद की घोषणा, अभी 445 कर्मचारी-अधिकारी हैं।

कभी 4400 कर्मचारी चलाते थे आईएल
आईएल में एक समय ऐसा भी आया, जब 4400 कर्मचारी तक रहे। कंपनी पूरी क्षमता से चलती थी और ऑर्डर की भी कोई कमी नहीं थी। पावर प्लांट्स के कंट्रोल पैनल व रेलवे के सिग्नल के मामले में आईएल का एकछत्र राज था। पिछले 20 साल से कोई नया रिक्रूटमेंट नहीं हुआ, नतीजा यह हो गया कि हर साल 200 से 250 कर्मचारी रिटायर होते गए और आज महज 445 कर्मचारी रह गए। जबकि मौजूदा सीएमडी खुद दावा कर चुके कि यह उद्योग फिर से चले तो 2 हजार लोगों को रोजगार देने की स्थिति में है।

दो दशक: 300 उद्योग बंद
पिछले दो दशक में कोटा में 300 से ज्यादा उद्योग बंद हो चुके हैं। शहर की सबसे बड़ी फैक्ट्री जेके 1997 बंद हो गईं। 2012 में दूसरी बड़ी फैक्ट्री सेमटेल बंद हुई।
यह भी बंद हो चुकी हैं
{प्रीमियर केबल इंडस्ट्री {नागपाल वेफर्स मिल {माचिस फैक्ट्री {गोपाल मिल (1975) {ओरियंटल पावर केबल लिमिटेड (1986) {कोटा प्रीमियर बोर्ड (1986) {के पाटन शुगर मिल
300 छोटे कारखाने भी हुए बंद
{20 राइस मिलें {18 दाल मिलें {पोहा मिलें {5 सोया प्लांट {250 स्टोन इंडस्ट्री

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