भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने स्वर्ण आभूषणों के लिए हॉल मार्किंग संबंधी मानक को पुनरीक्षित करने तथा इसे एक जनवरी से लागू करने का निर्णय लिया है। ब्यूरो की जारी विज्ञप्ति के अनुसार हाल मार्किंग किए गए आभूषण अब 14 कैरेट, 18 कैरेट और 22 कैरेट में उपलब्ध होंगे। लोगों की सुविधा के लिए आभूषणों की शुद्धता के अलावा कैरेट की मुहर लगाई जाएगी। जैसे 22 कैरेट के लिए 916 के अलावा 22के के मुहर लगाए जाएंगे जबकि 18 कैरेट के लिए 750 और 18के के तथा 14 कैरेट के लिए 585 और 14के के मुहर लगाए जाएंगे।
सरकार ने नए नियम जारी कर दिए हैं। बीआईएस को जारी नए नियम की कॉपी हमारे हाथ भी लगी है। इसके मुताबिक एक जनवरी से सिर्फ 22, 18 और 14 कैरेट सोने की ज्वैलरी की हॉलमार्किंग हो सकेगी। गौर करने वाली बात ये है कि अब तक कुल 10 कैटेगरी में हॉलमार्किंग की सुविधा थी, जिसे सरकार ने हटा दिया है।
नए नियम के तहत सोने के सिक्के और बिस्किट का भी स्टैंडर्ड तय होगा। सोने की हॉलमार्किंग कंज्यूमर के हक में है। लेकिन ज्वैलर्स इसका काफी विरोध कर रहे हैं। ज्वेलर्स की दलील है कि देश में हॉलमार्किंग की पार्याप्त सुविधा ही नहीं है।
सरकार जनता को खोटे सोने से छुटकारा दिलाना चाहती है, लेकिन सरकार का ये कदम ज्वेलर्स को नागवार गुजरा है। ज्वेलर्स दलील दे रहे हैं कि देश में हॉलमार्किंग की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। ऐसे में भला एक जनवरी से पूरे देश में इसे कैसे लागू किया जाएगा। दरअसल देश में करीब पौने चार सौ हॉलमार्किंग सेंटर है।
जो फिलहाल पूरी क्षमता से काम नहीं कर रहे हैं। आॅल इंडिया जेम्स एंड वेलरी ट्रेड फेडरेशन का मानना है कि दिक्कतें तो होगी लेकिन इससे इंडस्ट्री को काफी फायदा भी होगा। आमतौर पर कीमतों में बेंचमार्किंग न होने की वजह से कम शुद्धता वाले सोने में ज्वैलर्स काफी गोलमाल करते हैं। कम शुद्धता वाले सोने को खरा सोना बताकर ऊंचे दाम पर बेच देते हैं और जब ग्राहक हॉलमार्किंग की मांग करते हैं तो उन्हें महंगी लागत का भय दिखाते हैं। जबकि हॉलमार्किंग की लागत सिर्फ तीस रुपए प्रति पीस होती है। ऐसे में सरकार के इस कदम से कंज्यूमर्स को जहां सोने की शुद्धता की गारंटी मिलेगीए वहीं ज्वैलर्स को गोलमाल करने के रास्ते बंद हो जायेंगे।
सरकार ने नए नियम जारी कर दिए हैं। बीआईएस को जारी नए नियम की कॉपी हमारे हाथ भी लगी है। इसके मुताबिक एक जनवरी से सिर्फ 22, 18 और 14 कैरेट सोने की ज्वैलरी की हॉलमार्किंग हो सकेगी। गौर करने वाली बात ये है कि अब तक कुल 10 कैटेगरी में हॉलमार्किंग की सुविधा थी, जिसे सरकार ने हटा दिया है।
नए नियम के तहत सोने के सिक्के और बिस्किट का भी स्टैंडर्ड तय होगा। सोने की हॉलमार्किंग कंज्यूमर के हक में है। लेकिन ज्वैलर्स इसका काफी विरोध कर रहे हैं। ज्वेलर्स की दलील है कि देश में हॉलमार्किंग की पार्याप्त सुविधा ही नहीं है।
सरकार जनता को खोटे सोने से छुटकारा दिलाना चाहती है, लेकिन सरकार का ये कदम ज्वेलर्स को नागवार गुजरा है। ज्वेलर्स दलील दे रहे हैं कि देश में हॉलमार्किंग की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। ऐसे में भला एक जनवरी से पूरे देश में इसे कैसे लागू किया जाएगा। दरअसल देश में करीब पौने चार सौ हॉलमार्किंग सेंटर है।
जो फिलहाल पूरी क्षमता से काम नहीं कर रहे हैं। आॅल इंडिया जेम्स एंड वेलरी ट्रेड फेडरेशन का मानना है कि दिक्कतें तो होगी लेकिन इससे इंडस्ट्री को काफी फायदा भी होगा। आमतौर पर कीमतों में बेंचमार्किंग न होने की वजह से कम शुद्धता वाले सोने में ज्वैलर्स काफी गोलमाल करते हैं। कम शुद्धता वाले सोने को खरा सोना बताकर ऊंचे दाम पर बेच देते हैं और जब ग्राहक हॉलमार्किंग की मांग करते हैं तो उन्हें महंगी लागत का भय दिखाते हैं। जबकि हॉलमार्किंग की लागत सिर्फ तीस रुपए प्रति पीस होती है। ऐसे में सरकार के इस कदम से कंज्यूमर्स को जहां सोने की शुद्धता की गारंटी मिलेगीए वहीं ज्वैलर्स को गोलमाल करने के रास्ते बंद हो जायेंगे।
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