Saturday, December 24, 2016

पासपोर्ट में मां-बाप का नाम देना नहीं होगा जरूरी

नई दिल्ली / पासपोर्ट तक आम आदमी की सीधी पहुंच तय करने में जुटी सरकार ने साधु-संन्यासियों को बड़ा तोहफा दिया है। अध्यात्म की दुनिया से जुड़े लोग अब अपने जैविक पिता की जगह अपने अध्यात्मिक गुरू का नाम दे कर पासपोर्ट हासिल कर सकेंगे। हालांकि इन्हें इसके साथ मतदाता पहचान पत्र, पेन कार्ड या आधार कार्ड में से कोई एक दस्तावेज प्रस्तुत करना होगा।
पासपोर्ट हासिल करने की प्रक्रिया को और सरल बनाते हुए सरकार ने आधार कार्ड में दर्ज जन्मतिथि को भी स्वीकार करने की घोषणा की है। गौरतलब है कि बीते साल करीब एक करोड़ बीस लाख लोगों ने पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था। सरकार पासपोर्ट पाने की प्रक्रिया को और आसान बनाने केलिए पासपोर्ट कानून 1980 में भी व्यापक स्तर पर संशोधन पर विचार कर रही है।
पासपोर्ट हासिल करने की प्रक्रिया को लगातार सरल बनाने की नीति के तहत सरकार ने कई और अहम कदम उठाए हैं। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक खासतौर पर अध्यात्मक की दुनिया में जीने वाले लोगों को पासपोर्ट हासिल करने में जैविक पिता की जानकारी देने की व्यवस्था रुकावट डालती थी। इस समस्या के निदान के लिए अब ऐसे आवेदनकर्ता जैविक पिता की जगह अपने अध्यात्मिक गुरू का नाम दे सकेंगे।
इसी प्रकार जन्म तिथि संबंधी प्रमाण भी बड़ी बाधा थी। खासतौर से जो पढ़े लिखे नहीं थे, उनके लिए मुश्किलें आती थी। इसी के मद्देनजर अब आधार कार्ड में दर्ज जन्म तिथि को मान्यता देने का फैसला किया गया। इससे आधार कार्ड बनवाने का भी सिलसिला तेज होगा। उक्त सूत्र ने बताया कि मंत्रालय पासपोर्ट हासिल करने की राह में आने वाली अन्य अड़चनों का भी अध्ययन कर रहा है। अध्ययन पूरा होने के बाद पासपोर्ट कानून में जरूरी संशोधन का रास्ता अपनाया जाएगा।

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