नई दिल्ली/मुंबई
सरकार ने ब्लैक मनी रखने वालों के बारे में सूचना देने के लिए एक ईमेल अड्रेस शुक्रवार को जारी किया था। इस पर अब तक 4000 मेल आ चुके हैं। फाइनैंस मिनिस्ट्री के एक अधिकारी ने बताया, 'हमें अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है।' इसके अलावा टैक्स अथॉरिटीज और दूसरी जांच एजेंसियों को बैंक अकाउंट्स में डिपॉजिट्स और दूसरी अनडिक्लेयर्ड इनकम के बारे में फाइनैंशल इंटेलिजेंस यूनिट (FIU) के जरिए रोज जानकारी मिल रही है। यह यूनिट फाइनैंस मिनिस्ट्री के तहत काम करती है।
सरकार ने इस यूनिट को मिली सूचनाओं पर ऐक्शन लेना शुरू कर दिया है। अधिकारी ने कहा, 'सिस्टम में काफी डेटा आ रहा है। डिपॉजिट्स पर हमें रोज रिपोर्ट्स मिल रही हैं। यही वजह है कि एजेंसियां इतना सटीक ऐक्शन ले पा रही हैं।'
जो जानकारी मिली है, वह निष्क्रिय पड़े, जीरो बैलेंस वाले प्रधानमंत्री जनधन योजना खातों और शहरी सहकारी बैंक खातों में डिपॉजिट्स, लोन रीपेमेंट्स, क्रेडिट कार्ड पेमेंट्स, इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर, विदड्रॉल्स, जूलरी, लग्जरी गुड्स और रीयल्टी जैसी हाई-वैल्यू खरीदारियों के बारे में है। ज्यादा कैश बैलेंस दिखाने वाली कंपनियां भी टैक्स अधिकारियों के रेडार पर आ सकती हैं।
सरकार के पास जितना डेटा है, उसे देखते हुए यह सोच गलत हो सकती है कि बैंकों में जमा हो चुकी पूरी रकम वैध है क्योंकि बैंक संदिग्ध मामलों की जानकारी अथॉरिटीज को दे रहे हैं। उदाहरण के लिए, अधिकारियों ने बताया कि बैंकों ने कथित तौर पर गलती करने वाले कर्मचारियों की जानकारी खुद ही FIU को दी थी और उसके आधार पर कार्रवाई की गई।
पीएम नरेंद्र मोदी के 8 नवंबर के नोटबंदी के ऐलान के बाद से SBI, एक्सिस बैंक, ICICI बैंक, HDFC बैंक और दूसरे बैंकों में बड़ी मात्रा में रकम जमा हो रही है। सभी बैंकों के लिए संदिग्ध ट्रांजैक्शंस की जानकारी FIU को देना जरूरी है। इस बात की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की जा सकी कि कितने बैंकों ने अलर्ट भेजा है।
सरकार ने ब्लैक मनी रखने वालों के बारे में सूचना देने के लिए एक ईमेल अड्रेस शुक्रवार को जारी किया था। इस पर अब तक 4000 मेल आ चुके हैं। फाइनैंस मिनिस्ट्री के एक अधिकारी ने बताया, 'हमें अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है।' इसके अलावा टैक्स अथॉरिटीज और दूसरी जांच एजेंसियों को बैंक अकाउंट्स में डिपॉजिट्स और दूसरी अनडिक्लेयर्ड इनकम के बारे में फाइनैंशल इंटेलिजेंस यूनिट (FIU) के जरिए रोज जानकारी मिल रही है। यह यूनिट फाइनैंस मिनिस्ट्री के तहत काम करती है।
सरकार ने इस यूनिट को मिली सूचनाओं पर ऐक्शन लेना शुरू कर दिया है। अधिकारी ने कहा, 'सिस्टम में काफी डेटा आ रहा है। डिपॉजिट्स पर हमें रोज रिपोर्ट्स मिल रही हैं। यही वजह है कि एजेंसियां इतना सटीक ऐक्शन ले पा रही हैं।'
जो जानकारी मिली है, वह निष्क्रिय पड़े, जीरो बैलेंस वाले प्रधानमंत्री जनधन योजना खातों और शहरी सहकारी बैंक खातों में डिपॉजिट्स, लोन रीपेमेंट्स, क्रेडिट कार्ड पेमेंट्स, इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर, विदड्रॉल्स, जूलरी, लग्जरी गुड्स और रीयल्टी जैसी हाई-वैल्यू खरीदारियों के बारे में है। ज्यादा कैश बैलेंस दिखाने वाली कंपनियां भी टैक्स अधिकारियों के रेडार पर आ सकती हैं।
सरकार के पास जितना डेटा है, उसे देखते हुए यह सोच गलत हो सकती है कि बैंकों में जमा हो चुकी पूरी रकम वैध है क्योंकि बैंक संदिग्ध मामलों की जानकारी अथॉरिटीज को दे रहे हैं। उदाहरण के लिए, अधिकारियों ने बताया कि बैंकों ने कथित तौर पर गलती करने वाले कर्मचारियों की जानकारी खुद ही FIU को दी थी और उसके आधार पर कार्रवाई की गई।
पीएम नरेंद्र मोदी के 8 नवंबर के नोटबंदी के ऐलान के बाद से SBI, एक्सिस बैंक, ICICI बैंक, HDFC बैंक और दूसरे बैंकों में बड़ी मात्रा में रकम जमा हो रही है। सभी बैंकों के लिए संदिग्ध ट्रांजैक्शंस की जानकारी FIU को देना जरूरी है। इस बात की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की जा सकी कि कितने बैंकों ने अलर्ट भेजा है।
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