Tuesday, December 27, 2016

PF और EPF पर ब्याज घटने से नुकसान नहीं

कैसे करते हैं EPF में निवेश
कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) पर ब्याज दरें इस साल के लिए घटकर 8.65 फीसदी पर आ गई है। वहीं, सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) पर ब्याज आठ फीसदी मिल रहा है। इसके बाद भी इनपर मिलने वाला ब्याज बैंकों की सावधि जमा (एफडी) और अन्य तय अवधि की जमाओं पर मिलने वाले ब्याज या रिटर्न से अधिक है। साथ ही इनपर मिलने वाली टैक्स छूट रिटर्न को और भी आकर्षक बना देती है।
सरकार पूरे वित्त वर्ष के लिए ब्याज दरें तय करती है। इस महीने वित्त वर्ष 2016-17 के लिए ब्याज दरों की घोषणा करते समय ईपीएफओ ने इसे 0.15 फीसदी घटाकर 8.65 फीसदी कर दिया है। वित्त वर्ष 2015-16 में ईपीएफ पर 8.8 फीसदी ब्याज मिला था।
कैसे करते हैं निवेश
नियमों के मुताबिक आपके मूल वेतन में से 12 फीसदी राशि ईपीएफ खाते में चली जाती है। साथ ही इतनी ही राशि नियोक्ता भी अपनी ओर से कर्मचारियों के ईपीएफ खाते में डालते हैं।
कैसे बनें सदस्य
इसके दायरे में नौकरी करने वाले सदस्य ही आते हैं। यह भी जरूरी है कि आप जिस कंपनी में काम करते हों, वह ईपीएफओ के मानक पर काम करती हो। ईपीएफओ ने 15,000 रुपये तक मूल वेतन पाने वाले कर्मचारियों के लिए ईपीएफ में निवेश अनिवार्य किया हुआ है। पहले यह सीमा 6,500 रुपये थी। ऐसा कर्मचारियों की भविष्य की आर्थिक सुरक्षा को देखते हुए किया है। इससे अधिक मूल वेतन पाने वाले कर्मचारियों के लिए ईपीएफओ की सदस्यता स्वैच्छिक है।
निवेश पर कर छूट
ईपीएफ में निवेश पर आयकर की धारा 80सी के तहत टैक्स छूट भी मिलती है। लेकिन इसके लिए कुछ शर्ते भी हैं। आप लगातार पांच साल से कम समय तक काम करते हैं और ईपीएफ में से राशि निकालते हैं तो टैक्स छूट वापस करनी पड़ती है। यह राशि ईपीएफओ टीडीएस के रूप में काट लेता है। आप ईपीएफ में 12 फीसदी से भी अधिक और यहां तक की कुल मूल वेतन भी ईपीएफ खाते में जमा कर सकते हैं। इसपर 1.50 लाख रुपये तक टैक्स छूट मिलेगी। लेकिन नियोक्ता के लिए 12 फीसदी से अधिक जमा करना अनिवार्य नहीं है।
जरूरत पर निकाल सकते हैं राशि
अपनी शादी, बच्चों की शिक्षा या शादी-विवाह, मकान बनवाने या जमीन खरीदने के लिए आप ईपीएफ खाते से राशि निकाल सकते हैं। लगातार सात साल तक काम करने के बाद ईपीएफ से 50 फीसदी तक राशि इसके लिए निकाल सकते हैं। ईपीएफ खाता 58 साल की उम्र तक जारी रहता है। नियमों के मुताबिक पूरी अवधि में केवल तीन बार ईपीएफ से राशि निकाल सकते हैं लेकिन उस स्थिति में भी निकासी राशि कुल जमा की 50 फीसदी से अधिक नहीं होगी। मकान बनवाने के लिए मूल वेतन का 36 गुना और मकान खरीदने के लिए 24 गुना राशि ईपीएफ खाता से निकाल सकते हैं। नौकरी छूट जाने की स्थित में लगातार दो माह तक बेरोजगार बैठने, विदेश में नौकरी के लिए जाने या बसने और लड़कियों के मामले में शादी या मां बनने की वजह से नौकरी छोड़ने या ईपीएफओ सदस्य की मृत्यु होने की स्थित में ईपीएफ राशि तुरंत निकालने की सुविधा है।
ईपीएफ पर बीमा की भी सुविधा
आपको शायद यह नई बात लगे लेकिन ईपीएफओ पहले से ही अपने सदस्यों को टर्म बीमा कवर देता है। इसे एम्पलॉई डिपॉजिट लिंक्ड स्कीम (ईडीएलएस) कहते हैं। इसके लिए नियोक्ता मूल वेतन का 0.50 फीसदी ईपीएफओ को देते हैं। इसके तहत आपको मूल वेतन का 30 गुना बीमित राशि का समूह बीमा कवर मिलता है। नियोक्ताओं के लिए यह स्वैच्छिक है कि वह अपने कर्मचारियों को समूह बीमा कवर दें। लेकिन नियोक्ता समूह बीमा कवर देते हैं तो उसमें यह शर्त होती है कि उसमें मिलने वाला कवर ईपीएफओ की ओर दिए जाने वाले कवर से कम नहीं होना चाहिए।
पीपीएफ से कमाई टैक्स फ्री
सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) पर आठ फीसदी ब्याज मिल रहा है। पीपीएफ में निवेश की राशि, उसके ब्याज और परिपक्वता पर मिलने वाली राशि तीनों कर मुक्त (टैक्स फ्री) हैं। डाकघर या बैंक में पीपीएफ खाता खोल सकते हैं। इसमें न्यूनतम सालाना 500 रुपये और अधिकतम 1.50 लाख रुपये जमा कर सकते हैं। पीपीएफ खाता 15 साल के लिए खुलता है। उसके बाद उसे पांच साल के अंतराल के लिए बढ़वा सकते हैं। इसमें निवेश पर आप धारा 80सी के तहत 1.50 लाख रुपये तक की टैक्स छूट हासिल कर सकते हैं। सरकार अब तिमाही आधार पर पीपीएफ पर ब्याज तय कर रही है। लेकिन ब्याज का आकलन खाते में हर महीने की 5 से लेकर अंतिम तारीख के बीच की न्यूनतम राशि पर होता है। ऐसे में पीपीएफ खाते में हर महीने की 1 तारीख से लेकर 5 तारीख के बीच पैसा जमा कर ज्यादा फायदा उठा सकते हैं।

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