Thursday, December 22, 2016

31 मार्च तक ऑनलाइन भुगतान पर कोई शुल्क नहीं

दिनेश माहेश्वरी
कोटा।
  डेबिट कार्ड से भुगतान पर ट्रांजैक्शन शुल्क में राहत देने के बाद अब सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर पर लगने वाले शुल्क में राहत देने का फैसला किया है।
इसके लिए सरकारी बैंकों से कहा है कि वे इमीडिएट पेमेंट सिस्टम (आइएमपीएस) और यूपीआइ से एक हजार रुपये से अधिक के ट्रांसफर पर लगने वाले शुल्क को एनईएफटी के बराबर स्तर पर सीमित रखें।
भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों के मुताबिक एनईएफटी के जरिये अपने खाते से 10,000 रुपये तक की धनराशि ट्रांसफर करने पर 2.5 रुपये शुल्क लगता है। 10000 रुपये से एक लाख रुपये तक के ट्रांसफर पर शुल्क पांच रुपये हो जाता है।
एक से दो लाख रुपये तक के ट्रांसफर पर 15 रुपये और दो लाख रुपये से अधिक के ट्रांसफर पर 25 रुपये शुल्क लगता है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक ट्रांजैक्शन पर सेवा कर भी देय होता है।

फंड ट्रांसफर चार्ज
10,000 तक --- 2.5 रुपये
10000 से एक लाख --- 5 रुपये
एक से दो लाख तक --- 15 रुपये
दो लाख से अधिक --- 25 रुपये

(नोट- सेवा कर अतिरिक्त देय)
वित्त मंत्रालय ने बैंकों से कहा है कि एक हजार रुपये से अधिक के यूएसएसडी ट्रांजैक्शन पर इन शुल्कों में पचास पैसे की और रियायत दिए जाने की आवश्यकता है। यूएसएसडी का इस्तेमाल फीचर फोन से एसएमएस के जरिये बैंकिंग सेवाओं के लिए होता है। यूएसएसडी पर मौजूदा शुल्क की दर डेढ़ रुपया है। हालांकि 30 दिसंबर 2016 तक इसे शुल्क मुक्त रखा गया है।
सरकार ने अपने एक बयान में कहा है कि डिजिटल और कार्ड से भुगतान को प्रोत्साहित करने के लिए ही वित्त मंत्रालय ने सरकारी बैंकों को यह दिशानिर्देश दिया गया है। इसके मुताबिक सरकारी बैंकों से एक हजार रुपये से अधिक के आइएमपीएस ट्रांसफर अथवा यूपीआइ से भुगतान पर एनईएफटी के निर्धारित शुल्क से अधिक चार्ज वसूल नहीं किया जाए। अलबत्ता सेवा कर की मौजूदा दर लागू रहेगी। मंत्रालय का यह दिशानिर्देश 31 मार्च 2017 तक लागू रहेगा।


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