Tuesday, December 30, 2014

भूमि अधिग्रहण कानून में 80 प्रतिशत किसानों की सहमति जरूरी

मोदी सरकार ने आर्थिक सुधारों को रफ्तार देने के लिए एक बार फिर अध्यादेश का सहारा लिया। केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में जमीन अधिग्रहण कानून में बदलाव के लिए अध्यादेश को मंजूरी दी गई। मालूम हो कि देश में एक लाख करोड़ से अधिक के प्रॉजेक्ट जमीन अधिग्रहण की दिक्क्तों के कारण अटके पड़े हैं।  नए अद्यादेश में अब भूमि अधिग्रहण कानून में 80 प्रतिशत किसानों की सहमति जरूरी 
सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बैठक हुई। इसके बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फैसले की जानकारी देते हुए दावा किया कि इस बदलाव से किसानों और उद्योग जगत दोनों को फायदा होगा। ज्यादा किसानों को लाभ मिल सकेगा, वहीं अनावश्यक प्रक्रिया को हटाने से विकास से जुड़े प्रॉजेक्टों को जल्द मंजूरी मिल सकेगी।
किसानो  की सहमति और मुआवजे जैसे प्रावधानों में बदलाव नहीं किया गया है। प्राइवेट कंपनियों के लिए जमीन अधिग्रहण में अब भी 80 पर्सेंट किसानों की सहमति जरूरी होगी। वहीं पीपीपी प्रोजेक्टों के लिए 70 फीसदी किसानों की सहमति लेनी होगी।
मुआवजे की शर्त में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है। नए नियम राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद प्रभावी हो जाएंगे। हालांकि छह महीने के अंदर इन्हें संसद से मंजूरी लेनी होगी।
5 क्षेत्रों को छूट : दूसरे बड़े बदलाव में सरकार ने 5 अन्य क्षेत्रों के लिए जमीन अधिग्रहण पर जमीन मालिकों की इजाजत लेने और सामाजिक असर पड़ने जैसी जांच करवाने की अनिवार्यता खत्म कर दी है। इनमें सैन्य मकसद के लिए अधिग्रहण, गांवों की इन्फ्रास्ट्रक्चर स्कीम, सस्ते व गरीबों के लिए हाउसिंग प्रॉजेक्ट, बिजली व पब्लिक प्राइवेट प्रॉजेक्टों (पीपीपी) के तहत चुने गए इंडिस्ट्रयल कॉरिडोर या अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्टों के लिए जमीन अधिग्रहण शामिल हैं।
13 प्रॉजेक्ट भी दायरे में : पहले के प्रावधानों के अनुसार रेलवे, नैशनल हाइवे, मेट्रो रेल, एटमिक एनर्जी और बिजली जैसे 13 सेंट्रल गवर्नमेंट प्रोजेक्टों के लिए जमीन अधिग्रहण पर मौजूदा कानून लागू नहीं होता था। अब इन प्रोजेक्टों को भी मौजूदा जमीन अधिग्रहण कानून के दायरे में ला दिया गया है। जेटली ने तर्क दिया कि इससे इन प्रोजेक्टों के लिए जमीन अधिग्रहण होने पर किसानों को ज्यादा मुआवजा मिल सकेगा, पुनर्वास जरूरी होगा लेकिन इससे किसानों की सहमति को नहीं जोड़ा गया है।

मोबाइल से पता करें, आपका आधार कार्ड बैंक से जुड़ा है या नहीं

कोटा। एक जनवरी से एलपीजी की सब्सिडी सीधे उपभोक्ता के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करने के लिए आधार कार्ड को बैंक खातों से जोड़ा जा रहा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक 10 करोड़ आधार नंबर को बैंक अकाउंट से जोड़ा जा चुका है। इसके अलावा मनरेगा, पीडीएस, स्कॉलरशिप, रेमिटेंस आदि के लिए भी आधार को बैंक अकाउंट से जोड़ना जरूरी है। आधार नंबर को बैंक अकाउंट से जोड़ने के लिए नागरिकों से उनका आधार कार्ड या आधार नंबर उस बैंक की शाखा में जमा करवाने को कहा गया है जहां उनका बैंक खाता है।
 ऐसे पता करें बैंक से जुड़ा आधार या नहीं
 यह पता करने के लिए कि आपका आधार नंबर आपके बैंक अकाउंट के साथ जुड़ गया है या नहीं, उपभोक्ता अपने मोबाइल पर *99*99# डायल करें। इसके बाद 12 डिजिट का आधार नंबर डालें और ओके करें। आधार नंबर सही है यह पुष्टि करने के लिए 1 डायल करें। इसके बाद मोबाइल पर आधार कार्ड के बैंक से जुड़े होने की जानकारी मिल जाएगी। इस मैसेज में यह भी बताया जाएगा कि किस बैंक से किस तारीख को आधार कार्ड लिंक हुआ है। 
ऐसे पा सकते हैं सब्सिडी
 इस स्कीम के तहत अब एलपीजी उपभोक्ता सब्सिडी सीधे बैंक अकाउंट में ले सकेंगे। स्कीम से जुड़ने वाले सीटीसी कंज्यूमर कहलाएंगे। इसके दो तरीके हैं। प्राइमरी तरीके में जहां उपभोक्ता के पास आधार नंबर है उसे अपने आधार नंबर को बैंक अकाउंट नंबर और एलपीजी कंज्यूमर नंबर के साथ लिंक करना होगा। जबकि सैकंड्री तरीके में जहां उपभोक्ता के पास आधार नंबर नहीं है वहां वह अपनी सब्सिडी सीधे बैंक अकाउंट में पा सकता है। इसके लिए या तो वे अपना बैंक अकाउंट की जानकारी एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर को दें या फिर अपना एलपीजी कंज्यूमर आईडी अपने बैंक को दें।
मार्केट रेट पर मिलेगा सिलेंडर
 पहल (डीबीटीएल) स्कीम के तहत उपभोक्ता को मार्केट रेट पर सिलेंडर खरीदना होगा और उस पर मिलने वाली सब्सिडी सीधे सीटीसी कंज्यूमर के बैंक अकाउंट में जाएगी। 
 ग्रेस पीरियड
 नॉन-सीटीसी कंज्यूमर्स को इस स्कीम से जुड़ने और सीटीसी बनने के लिए 3 महीने का समय मिलेगा। इस दौरान उन्हें सिलेंडर सब्सिडाइज्ड रिटेल सेलिंग प्राइस पर ही मिलेगा। इसके बाद उन्हें 3 महीने का पार्किंग पीरियड भी मिलेगा और इस दौरान उन्हें एलपीजी सिलेंडर बिना सब्सिडी के मार्केट प्राइस पर ही लेना होगा।
 पर्मानेंट एडवांस
 हर सीटीसी कंज्यूमर को पहल के साथ जुड़ने पर वन-टाइम एडवांस मिलेगा। यह एडवांस वित्तीय वर्ष के लिए फिक्स रहेगा। कनेक्शन कटने पर ही यह एडवांस एडजस्ट किया जाएगा।

Monday, December 29, 2014

epfo भी देगा पेंशनधारकों को डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट

कोटा। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने अपने पेंशनधारकों को अगले साल मोबाइल फोन के जरिए डिजिटल लाइफ प्रमाणपत्र सौंपने की सुविधा पेश करने के लिए चंडीगढ़ और दिल्ली में दो परियोजनाएं शुरू की हैं। देशभर में लागू होने पर देश भर के करीब 47 लाख पेंशनरों को अपने मोबाइल फोन से डिजिटल लाइफ प्रमाणपत्र सौंपने की सुविधा होगी। फिलहाल पेंशनभोगियों को हर साल नवंबर में जीवन प्रमाणपत्र सौंपना होता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने चंडीगढ़ और दिल्ली (उत्तर) में पेंशनधारकों द्वारा डिजिटल रूप में जीवन प्रमाणपत्र सौंपने की सुविधा का परीक्षण शुरू किया है।' उन्होंने बताया कि दो क्षेत्रीय कार्यालयों से कहा गया है कि वे इस सुविधा के परीक्षण के आधार पर रिपोर्ट तैयार करें और इसे 26 जनवरी तक सौंपें। उन्होंने कहा कि ईपीएफओ दो केंद्रों की परीक्षण रिपोर्ट के आधार पर अगले कदम के संबंध में फैसला करेगा। पूरे देश में लागू करने से पहले यह देखना है कि साफ्टवेयर ईपीएफओ डाटाबेस का उपयेाग किस तरह करता है और इसमें कोई खामी तो नहीं है। खामी पाए जाने पर इसमें सुधार किया जाएगा। यह सुविधा प्राप्त करने के संबंध में पंजीकरण के लिए पेंशनधारकों को पेंशन भुगतान आदेश, आधार संख्या, बैंक खाता और मोबाइल नंबर ईपीएफओ को देना होगा। डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र के जरिए पेंशनधारक पंजीकृत मोबाइल हैंडसेट के जरिए जीवन प्रमाणपत्र जमा कर सकेंगे। ईपीएफओ की पेंशन योजना के तहत करीब 47 लाख पेंशनधारक हैं।

न्यूनतम वेतन अब 15000 रूपये होगा

 कोटा। केंद्र सरकार देश के औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्रों में राष्ट्रीय मासिक वेतन 15,000 रुपए करने की तैयारी में है। राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 के तहत 45 तरह की आर्थिक गतिविधियों को इस एक्ट में सूचीबद्ध किया गया और इसी एक्ट को राज्यों में भी लागू किया गया। हालांकि, राज्य 1,600 प्रकार के आर्थिक गतिविधियों को इस एक्ट के तहत ला सकते हैं।
केंद्रीय श्रम मंत्रालय इसके लिए जल्द ही सभी राज्यों की बैठक बुलाने वाला है जिसमें इस एक्ट में संशोधन के लिए सभी राज्यों की राय जानी जाएगी। वहीं, एक इंटर मिनिस्टीरियल कमिटी इस पर पहले से ही काम कर रही है। इसमें संशोधन के बाद सभी श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतनमान तय कर दिया जाएगा, जिसे सभी राज्यों को लागू करना होगा।
​अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने श्रम मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव अरुण कुमार सिन्हा का बयान प्रकाशित किया है जिसमें सिन्हा ने कहा, 'न्यूनतम वेतनमान अधिनियम में संशोधन कर इसमें एक प्रावधान जोड़ा जाएगा जिसके तहत राष्ट्रीय दर राज्यों के लिए भी जरूरी होंगे। अब तक यह राज्यों के लिए सलाह तक ही सीमित थे लेकिन अब इनका पालन आवश्यक कर दिया जाएगा।'केंद्र सरकार के न्यूनतम तनख्वाह को 15,000 रुपए करने के कदम से राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तहत आने वाले कर्मचारियों की तनख्वाह करीब दोगुनी हो जाएगी। अभी न्यूनतम वेतनमान 4,645 रुपए है।
सरकारी अधिकारियों की मानें तो ऐसा होने से अनौपचारिक क्षेत्रों में कार्यरत कर्मचारियों को खास तौर पर फायदा पहुंचेगा। यहां कर्मचारियों में असंतोष पैदा होने के आसार कम होंगे। इन क्षेत्रों में वेतनमान कम होने की वजह से कर्मचारी हमेशा अपनी कंपनी बदलते रहते हैं। लेकिन, वेतनमान बढ़ने से जॉब बदलने की परिपाटी में भी कमी आने की संभावना है।

Sunday, December 28, 2014

जब चोरी हो गया हो MOBILE या फिर गुम जाए

कोटा। हर किसी के लिए अपना मोबाइल फोन खास होता है चाहे वह सस्ता हो या फिर महंगा। जब किसी का मोबाइल खो जाता है तो उसे कई बड़ी परेशानियां झेलनी पड़ती हैं, जो शायद मोबाइल की कीमत से कहीं ज्यादा भारी पड़ती है। लेकिन, घबराइये नहीं, इससे निपटने का तरीका है। यदि आपका मोबाइल चोरी हो जाए या फिर गुम जाए तो ये कुछ ट्रिक्स हैं जो आपको खोए हुए मोबाइल को दोबारा खोजने में मदद करेंगी।
 1- आईएमईआई-
 हर मोबाइल या स्मार्टफोन का आईएमईआई नंबर होता है। अपने फोन से *#00# डायल कर अपने मोबाइल फोन का आईईएमआई नंबर पता कर सकते हैं। इस नंबर  को हमेशा कही सुरक्षित जगह पर नोट कर लेना चाहिए, ताकि भविष्य में यदि कभी मोबाइल खो जाता है तो यह आपके काम आ सके। आप इस नंबर की मदद से अपना मोबाइल फोन ट्रैक कर सकत हैं। आईएमईआई नंबर देखने के लिए हैंडसेट की बैटरी निकालकर फोन के पैनल में लगे स्टीकर से आईएमईआई नंबर देख सकते हैं।
 2-अवास्त मोबाइल सिक्योरिटी-
 अवास्त मोबाइल सिक्योरिटी की मदद से भी खोए हुए मोबाइल को ट्रैक किया जा सकता है। यह एप्लीकेशन फ्री में डाउन लोड किया जा सकता है। इससे आप न केवल अपने मोबाइल को ट्रैक कर सकत हैं, बल्कि इसे कंट्रोल भी कर सकते हैं। जब भी मोबाइल खो जाए तो आप अपने खोए हुए मोबाइल में एक एसएससएस भेजकर उसकी लोकेशन के बारे में जान सकते हैं।
3- मोबाइल चेस लोकेशन ट्रैकर-
 मोबाइल चेस लोकेशन ट्रैकर भी एक ऐसा एप्लीकेशन है, जिसकी मदद से गुम या चोरी हुए मोबाइल को ट्रैक करना आसान है। इसकी मदद से आपके हैंडसेट में किसी दूसरे के सिम होने का भी पता चल जाता है। यह एप्पलीकेशन जीपीएस कनेक्टिीविटी के माध्यम से न केवल हैंडसेट की सही लोकेशन बताएगी, बल्कि लोकेशन आई भी एसएमएस  से भेज देगी।
4-थीफ ट्रैकर-
 थीफ ट्रैकर एप्लीकेशन बहुत ही मददगार साबित होता है, जब आपका मोबाइल चोरी हो जाए। यह मोबाइल चोरी करने वाले व्यक्ति के बारे में आपको पूरी जानकारी देगी साथ आपका चोरी हुए मोबाइल का उपयोग करना भी चोर के लिए मुश्किल हो जाएगा और वह आपके मोबाइल का गलत इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। साथ इससे एक विशेष फीचर है कि यह आपको मेल द्वारा फोटो खींचकर सेंड भी करेगा, जिससे आप मोबाइल की लोकेशन का पता कर सकेंगे।
5- स्मार्ट लुक-
 स्मार्टलुक एप्लीकेशन भी काफी कुछ थीफ ट्रैकर की तरह काम करता है। यह भी आपके फोन को चुराने वाले व्यक्ति की फोटो खींचकर मेल कर देगी। यह जीपीएस की मदद से आपको मोबाइल फोन की लोकेशन भी बताती रहेगी, जिससे आप अपना मोबाइल फोन ट्रैक कर सकेंगे।
6- एंटी थेफ्ट अलार्म-
 एंटी थेफ्ट अलार्म भी मोबाइल चोरी रोकने में मददगार एप्लीकेशन है। इस एप्लीकेशन को डाउनलोड करने के बाद फोन में इसे एक्टिीवेट करना होगा। इसके बाद अगर कोई आपका मोबाइल छूने की कोशिश करता है तो आपके मोबाइल का तेज अलार्म बजेगा और आप जान जाएंगे कि कोई आपके मोबाइल को चोरी करने की कोशिश कर रहा है।
7- कैस्पर स्काई-
 कैस्पर स्काई मोबाइल सिक्योरिटी एप्लीकेशन को भी अवास्त की तरह डाउनलोड किया जा सकता है। इससे अवांछित एसएमए और टैक्स फिल्टर किया जा सकता है। इसमें स्कैनर भी है, जो किसी वायरस एप्लीकेशन को इंस्टाल करने से पहले आपको सूचित करता है।
8- लुकआउट सिक्योरिटी एंड एंटीवायरस-
 लुकआउट सिक्योरिटी एंड एंटीवायरस फ्री एप्लीकेशन है। इसमें चोरी गए या खोए मोबाइल को गूगल मैप की मदद से उसकी लोकेशन का पता कर सकते हैं। यदि फोन स्विच ऑफ कर दिया जाता है तो यह एप्लीकेशन फोन की आखिरी लोकेशन भी बता देगी। यह डिवाइस आपको फोन खोजने में मदद कर सकती है।
9- ट्रेंड माइक्रो-
 ट्रेंड माइक्रो मोबाइल सिक्योरिटी एंड एंटीवायरस बेस्ट सेलिंग एप्पलीकेशन में से एक है। इसके प्राइवेसी स्कैनर की मदद से चोरों को दूर रखा जा सकता है। अगर बच्चे जरूरी चीजें अगर डिलेट करते हैं तो किड्स फीचर की मदद से अपने फोन की कुछ चीजें ब्लॉक की जा सकती हैं।
10- प्लान बी लुकआउट मोबाइल सिक्युरिटी-
 प्लान बी लुकआउट सिक्योरिटी एप्लीकेशन की मदद से भी खोए या चोरी गए फोन की लोकेशन आसानी से ट्रैक की जा सकती है। यह एप्लीकेशन जीपीएस की मदद से आपको  गायब फोन की लोकेशन बताती रहती है। इसमें प्लान ए और बी भी है। यदि कोई फोन से जीपीएस ऑफ कर देता है तो एप्लीकेशन आपको मेल द्वारा इस बात की जानकारी दे देगी ताकि पता चल सके कि आपके फोन की आखिरी लोकेशन क्या थी।

Saturday, December 27, 2014

ऑनलाइन मिलेगा ताज महल का टिकट

कोटा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकारियों के अनुसार, ताज महल के लिए टिकट की ऑनलाइन बुकिंग शनिवार से शुरू होगी। बारकोड स्क्रीनिंग और ब्रॉडबैंड कनेक्शन के इंतजाम ताज महल के प्रवेश द्वार पर किए गए हैं। टूरिजम मिनिस्ट्री और आईआरसीटीसी के इस टिकटिंग प्रॉजेक्ट का आधिकारिक ऐलान शुक्रवार को नई दिल्ली में किया गया, जब पर्यटन मंत्री महेश शर्मा ने ताज महल और हुमायूं के मकबरे के लिए ई-टिकटिंग सुविधा लॉन्च की।
अभी यह सुविधा पायलट बेसिस पर लॉन्च की गई है, बाद में इसे दूसरे स्मारकों के लिए भी लागू किया जाएगा। ई-टिकटिंग के साथ ही घरेलू और इंटरनैशनल पर्यटकों की सुरक्षा और सुविधा के लिए एक हेल्पलाइन नंबर (1800 111 363) भी लॉन्च किया गया है। महेश शर्मा ने कहा, 'आज की यह पहल स्वच्छ और सुरक्षित आतिथ्य के सफर की शुरुआत है, ताकि हमारे देश में आने वाले पर्यटकों के अनुभव को बेहतर बनाया जा सके। अब तक हम 'सब चलता है' की तर्ज पर काम करते रहे हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। यह लापरवाह रवैया अब और नहीं दिखेगा।' शर्मा ने बताया कि ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा अभी 2 भाषाओं (हिंदी और इंग्लिश) में उपलब्ध है। जल्द ही जर्मन, रशियन और फ्रेंच जैसी अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में भी यह सुविधा उपलब्ध होगी। ताज महल और हुमायूं के मकबरे के लिए ऑनलाइन टिकट 90 दिन पहले से बुक कराया जा सकता है। इस मौके पर पर्यटन मंत्री ने ब्रेल लिपि में दिल्ली के स्मारकों पर आधारित एक किताब का भी विमोचन किया।आईसीआरटीसी और एएसआई ने पर्यटकों के लिए ताज महल और हुमायूं के मकबरे की एक वेबसाइट लॉन्च की है। पर्यटक ask.irctc.com पर टिकट बुक करा सकते हैं। आगरा के पर्यटन उद्योग ने ई-टिकटिंग सुविधा शुरू किए जाने का स्वागत किया है। ई-टिकट से टूरिस्टों को कतार में लगने की जरूरत नहीं पड़ेगी, साथ ही एएसआई को भी टिकट राशि के कलेक्शन के लिए ज्यादा झंझट नहीं उठाना पड़ेगा। हेल्पलाइन नंबर के साथ ही सरकार टूरिस्टों के लिए एक वेलकम कार्ड जारी करने की योजना भी बना रही है, जिस पर हेल्पलाइन नंबर के अलावा इमरजेंसी नंबर भी होंगे।

Friday, December 26, 2014

ऑनलाइन शॉपिंग में वॉरंटी की अड़चन

कोटा।  अगली बार जब भी कोई प्रोडक्ट ऑनलाइन खरीदने का फैसला करें तो उसकी वॉरंटी और सेवा पात्रता के बारे में जरूर पूछताछ कर लें। आधे से ज्यादा ऑनलाइन शॉपर्स को कम से कम एक बार वॉरंटी देने से मना कर दिया जाता है।
कीमतों के बारे में तुलनात्मक जानकारी मुहैया कराने वाली वेबसाइट माईस्मार्टप्राइस की तरफ से कराए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक ऑनलाइन शॉपिंग के बाद प्रॉडक्ट पर वॉरंटी क्लेम करने वाले 54 प्रतिशत लोगों को कम से कम एक बार वॉरंटी देने से इनकार किया गया।
सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले 55 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वॉरंटी क्लेम की प्रक्रिया पूरी होने में एक माह से ज्यादा वक्त लगता है, जबकि 45 प्रतिशत लोगों का कहना है कि ऑनलाइन खरीदी गई चीजों पर वॉरंटी क्लेम पूरा होने में आम तौर पर एक या दो हफ्ते लगते हैं।
माईस्मार्टप्राइस का कहना है कि वॉरंटी से इनकार किया जाना और इसकी प्रक्रिया पूरी होने में देरी सर्विस सेंटर्स और संबंधित ब्रांड्स के बीच विवाद की वजह से होती है। इसका एक कारण वॉरंटी का दावा करने वाले ग्राहक के इलाके में सर्विस सेंटर न होना भी हो सकता है।
ग्राहकों की चूक
कई बार रिटेलर की तरफ से भेजे गए बिल गुम हो जाने या वॉरंटी बुक पर रिटेलर की मुहर न होने की स्थिति में भी वॉरंटी क्लेम से इनकार किया जाता है।
माईस्मार्टप्राइस के सह-संस्थापक सीताकांत रे ने कहा, "यह खुशी की बात है कि कुछ ब्रांड केवल ऑनलाइन उपलब्ध हैं, लेकिन यह निराशाजनक है कि कुछ ब्रांड ऑनलाइन बिक्री के बाद सर्विस या वॉरंटी से इनकार करते हैं।" रे ने यह भी कहा कि जब कभी किसी खराब प्रॉडक्ट की डिलीवरी हो जाए, तो ऐसी स्थिति में स्टोर और ब्रांड को मिलकर समस्या सुलझाना चाहिए।
वॉरंटी क्लेम जरूरी
सर्वेक्षण में 20,000 से ज्यादा ऑनलाइन शॉपर्स शामिल किए गए। इसमें एक बात प्रमुख रूप से सामने आई कि वॉरंटी से मना करने पर ग्राहकों को निराशा होती है। कई बार वॉरंटी क्लेम की प्रक्रिया पूरी होने में जरूरत से ज्यादा समय लगने पर भी परेशानी होती है।

Thursday, December 25, 2014

भारत रत्न की कतार में गांधी


अब 30 जून तक बदल सकते हैं 2005 से पहले के नोट

कोटा। रिजर्व बैंक ने 2005 से पहले छपे नोटों के बदलने की आखिरी तारीख और छह महीने बढ़ाकर 30 जून 2015 कर दी है। केंद्रीय बैंक ने 500 और 1000 रुपये के ऐसे नोटों को बदलने के लिए पहले एक जनवरी 2015 तक का समय दिया था।
आरबीआई ने एक बयान में कहा, 'भारतीय रिजर्व बैंक यह स्पष्ट करता है कि आम जनता यह काम 30 जून 2015 तक कर सकती है। इससे पहले मार्च 2014 में केंद्रीय बैंक ने ऐसे नोटों को बदलने की समय सीमा एक जनवरी 2015 तय की थी।' आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि ऐसे नोट चलन में रहेंगे और उन्हें पूरे मूल्य पर बदला जाएगा। उल्लेखनीय है कि 2005 से पहले के नोटों पर मुद्रण के वर्ष अंकित नहीं हैं। 2005 से पहले के छपे नोटों को चलन से वापस लेने में लोगों से सहयोग मांगते हुए रिजर्व बैंक ने लोगों से पुराने डिजाइन के नोटों को अपने बैंक खातों में जमा करने या अपनी सुविधा के मुताबिक बैंक शाखा में बदलने को कहा है।

Wednesday, December 24, 2014

डेट ऑफ बर्थ को भी बना सकते हैं अपना मोबाइल नंबर

कोटा। मोबाइल उपभोक्ताओं में वीआईपी और यूनिक मोबाइल नंबर की मांग हमेशा से रही है। यूनिक मोबाइल नंबर पाने के लिए ग्राहक अधिक दाम तक चुकाने को तैयार होते हैं।
टाटा टेलीसर्विसेज के यूनीफाइड टेलीकॉम ब्रांड टाटा डोकोमो ने एक ऐसी सर्विस शुरू की है जिसके तहत ग्राहक खुद के मोबाइल नंबर बना सकेंगे।कंपनी ने एक बयान में कहा कि ग्राहक किसी भी टाटा डोकोमो ब्रांड स्टोर्स में जाकर अपनी पसंद के नंबर बना सकते हैं। ये नंबर उनकी जन्म तिथि, पसंदीदा नंबर या कोई ऐसे नंबर हो सकते हैं जिन्हें आसानी से याद रखा जा सके।

Monday, December 22, 2014

अब नहीं होगी बैंक जाने की जरूरत

कोटा।  जल्दी ही आपको नकद राशि निकालने और लॉकर जैसी सुविधाओं के लिए ही बैंक जाने की आवश्यकता रहेगी। अगर आप एचडीएफसी बैंक के ग्राहक हैं, तो आप इन दो कामों को छोड़कर बैंकिंग से जुड़े तमाम काम अपने मोबाइल पर ही कर पाएंगे। बैंक इस कोशिश में जुटा है कि अगर भविष्य में आपको अपनी शाखा के प्रमुख से बात करने की आवश्यकता हो तो भी आपको वहां तक न जाना पड़े, बल्कि मोबाइल चैट के माध्यम से वे आपकी समस्या का निदान कर दें।

एचडीएफसी बैंक ने अपनी मोबाइल बैंकिंग की सुविधाओं का दायरा बढ़ाते हुए मंगलवार को ग्राहकों को इसके जरिये करीब 75 तरीके के बैंकिंग कामकाज को मोबाइल फोन पर ही उपलब्ध कराने का एलान किया। 'बैंक आपकी मुट्ठी में' नाम से शुरू हुई इस सुविधा के तहत ग्राहक न केवल सामान्य बैंकिंग कर पाएंगे, बल्कि निवेश से जुड़े फैसलों के साथ-साथ बैंक से कर्ज लेने की प्रक्रिया भी अपने मोबाइल फोन से पूरी कर सकेंगे। बैंक की योजना अगले दो-तीन महीने में मोबाइल के जरिये बैंकिंग ट्रांजेक्शन के तरीकों की संख्या को 100 पर पहुंचा देने की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में एचडीएफसी बैंक के डिजिटल हेड नितिन चुघ ने गंगा के बीचो-बीच मोबाइल बैंकिंग के विस्तार का एलान किया। उन्होंने कहा कि बैंक के लिए यह शहर इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि बैंक का यहां से पुराना रिश्ता रहा है। बैंक के शैक्षणिक संस्थाओं, जरी कारीगरों और यहां के मंदिरों के साथ लंबे समय से बैंकिंग संबंध रहे हैं। यही वजह है कि बैंक प्रधानमंत्री जन धन योजना से जुड़े खातों को भी डिजिटल बैंकिंग की सुविधाएं देने की तैयारी कर रहा है।बैंक ने जिन 75 मोबाइल बैंकिंग सेवाओं की शुरुआत की है, उसमें खरीदारी और खानपान के ऑफर देने की सुविधा भी शामिल है। चुघ ने कहा, 'हम अपने ग्राहकों की जरूरत समझते हैं। उसके मुताबिक उन्हें व्यावहारिक और सुरक्षित बैंकिंग समाधान उपलब्ध कराते हैं।'

Sunday, December 21, 2014

ई-समीक्षा पकड़ेगी बाबुओं की काम चोरी

कोटा। मोदी सरकार ने इंडियन ब्यूरोक्रेसी की 'कुछ नहीं करने की' सबसे बड़ी ताकत पर सामने से वार किया है। उसने 'ई-समीक्षा' नाम के नए डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिये ब्यूरोक्रेसी पर यह हमला बोला है। इस प्लेटफॉर्म से सरकार को किसी डिपार्टमेंट के अंदर और अलग-अलग डिपार्टमेंट के बीच फाइल के रियल टाइम मूवमेंट का पता चलेगा।
अगर किसी अधिकारी की तरफ से फाइल क्लीयर किए जाने में देरी हो रही है तो सरकार सीधे दखल दे सकती है। इसे कैबिनेट सेक्रटेरियट ने नैशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) के टेक्निकल सपोर्ट से तैयार किया है। ई-समीक्षा को शुरू हुए एक महीना से कुछ ज्यादा समय हुआ है। कई ब्यूरोक्रेट्स ने बताया कि इसने कई बाबुओं के काम करने का तरीका बदल दिया है।हम आपको बताते हैं कि ई-समीक्षा कैसे काम करता है? मान लीजिए कि कोई जॉइंट सेक्रटरी किसी बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट की फाइल रोके हुए हैं और यह प्रॉजेक्ट पीएमओ की प्राथमिकता में है। ई-समीक्षा की मदद से प्रधानमंत्री डिजिटली दखल दे सकते हैं और वह उनसे फैसले में देरी की वजह पूछ सकते हैं। पीएम अगर मामले में दखल देते हैं तो यह अधिकारी की कंप्यूटर स्क्रीन पर लाल निशान के तौर पर दिखेगा। कैबिनेट सेक्रटरी के दखल देने से भी स्क्रीन पर रेड लाइट दिखेगी। वहीं, डिपार्टमेंट के सेक्रटरीज या राज्य सरकारों के चीफ सेक्रटरीज के हस्तक्षेप करने पर कंप्यूटर स्क्रीन पर दूसरे रंगों की लाइट दिखेगी।हमने इस बारे में कई डिपार्टमेंट और एनआईसी के अधिकारियों से बात की। सभी ने नाम नहीं पब्लिश करने की शर्त पर बात की क्योंकि उन्हें इस मामले में आधिकारिक तौर पर बात करने की मनाही है। ई-समीक्षा में वॉर्निंग से पहले अलर्ट्स आते हैं। इसमें जैसे ही कोई काम किसी डिपार्टमेंट को दिया जाता है, तो उसके लिए जिम्मेदार सभी अधिकारियों और उनके टॉप बॉस को ईमेल अलर्ट्स मिलते हैं।
हर काम के लिए एक खास नंबर भी जेनरेट होता है। इस नंबर की मदद से किसी प्रॉजेक्ट की प्रोग्रेस को डिजिटल तरीके से ट्रैक किया जा सकता है। हर इलेक्ट्रॉनिक फाइल की मूवमेंट को कंप्यूटर पर माउस क्लिक करके ट्रैक किया जा सकता है। ई-समीक्षा में सिर्फ एक क्लिक के जरिये बॉस फाइल का पूरी मूवमेंट पता कर सकता है। यह प्रॉजेक्ट मॉनिटरिंग सिस्टम के साथ ब्यूरोक्रेसी की एफिशंसी के बारे में भी बताता है। ई-समीक्षा के जरिये अभी 400 से अधिक इनिशटिव, प्रॉजेक्ट्स और ऐक्शन पॉइंट्स ट्रैक किए जा रहे हैं।

Saturday, December 20, 2014

खो गया हो PAN CARD तो बनवाएं डुप्लिकेट कार्ड

कोटा। पैन कार्ड आज किसी भी वित्तीय लेन-देन का अहम हिस्सा है। इसके अलावा यह किसी व्यक्ति के पहचान पत्र के तौर पर भी काम करता है। ऐसे में यदि किसी व्यक्ति का पैन कार्ड गायब हो जाए या खो जाए, तो उसका परेशान होना लाजमी है। लेकिन, ऐसे में परेशान होने की बिल्कुल जरूरत नहीं है, क्योंकि पैन कार्ड भी डुप्लिकेट बन सकता है। इसके लिए आसान से चार स्टेप्स अपनाने होंगे और आपका पैन कार्ड फिर से आपकी जेब में होगा। जानिए क्या हैं वो चार स्टेप्सः
 स्टेप वन
 इनकम टैक्स पैन सर्विसेज यूनिट की वेबसाइट पर जाएं। यहां आपको कई विकल्प दिखाई देंगे। इनमें से आप ‘रीप्रिंट ऑफ पैन कॉर्ड’ का विकल्प अपनाना चाहिए। यह उन लोगों के लिए होता है जिन्हें पहले से परमानेंट एकाउंट नंबर (पैन) एलॉट किया जा चुका है, लेकिन उन्हें फिर से पैन कार्ड की जरूरत होती है। इस विकल्प को अपनाने के बाद उस आवेदक को एक नया पैन कार्ड जारी किया जाता है, जिस पर वही नंबर होता है।
स्टेप टू
 इस फॉर्म के सभी कॉलम भरने होंगे, लेकिन बायें मार्जिन के बॉक्स में किसी पर भी सही का निशान नहीं लगाना है। उसके बाद आपको 105 रुपए का पेमेंट करना होगा। आप चाहें तो क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, नेट बैंकिंग, डिमांड ड्राफ्ट या चेक के जरिए यह भुगतान कर सकते हैं। यह सारी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद आप जब यह फॉर्म जमा करेंगे, तो आपके सामने एकनॉलेजमेंट रिसीट आएगा।
स्टेप थ्री
 आप इस रिसीट का प्रिंट निकालें। इस पर 2.5 सेमी गुणे 3.5 सेमी आकार का रंगीन फोटोग्राफ चिपकाएं। अपने हस्ताक्षर करें। अगर आप डिमांड ड्राफ्ट या चेक के जरिए भुगतान किया है, तो उसकी प्रति साथ में लगाएं। फिर इसे आईडी प्रूफ, एड्रेस प्रूफ और डेट ऑफ बर्थ के प्रूफ के साथ एनएसडीएल के पुणे स्थित  कार्यालय में भेज देना चाहिए।
स्टेप फोर
 ऑनलाइन आवेदन के 15 दिनों के भीतर एनएसडीएल के कार्यालय में पहुंच जाना चाहिए। इसके 15 दिनों के भीतर आपको अपना डुप्लीकेट पैन कार्ड मिल जाएगा। आप चाहें तो अपने पैन कार्ड की स्थिति जान सकते हैं। इसके लिए आप NSDLPAN टाइप करें, स्पेस छोड़ कर प्राप्ति सूचना नंबर डालें और उसे 57575 पर भेज दें। 

Friday, December 19, 2014

फेसबुक पर सब करोड़पति, टि्वटर पर बस तीन

हमारे बॉलिवुड स्टार्स की बात करें तो फेसबुक पर जहां लगभग हर स्टार के एक करोड़ से ज्यादा फॉलोअर्स हैं, वहीं ट्विटर पर केवल 3 सुपरस्टार ही इस बिलियन क्लब का हिस्सा हैं। ये 3 स्टार और कोई नहीं, बल्कि बॉलिवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन, बॉलिवुड के बादशाह आमिर खान और मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान हैं। हालांकि, जल्द ही सलमान खान भी इस बिलियन क्लब का हिस्सा बन जाएंगे।
हॉलिवुड के सुपरस्टार लियोनार्डो डिकैप्रियो टि्वटर पर 1 करोड़ 16 लाख फैन फॉलोइंग रखते हैं, तो टॉम क्रूज की फैन फॉलोइंग 49 लाख के आस-पास है। वहीं, अगर इनके मुकाबले टि्वटर वर्ल्ड में बॉलिवुड के टॉप सितारों की फैन फॉलोइंग देखें तो अमिताभ बच्चन 1.20 करोड़ टि्वटर फॉलोअर्स के साथ लियोनार्डो डिकैप्रियो से आगे हैं, जबकि टॉम क्रूज की तो कहीं गिनती ही नहीं है। बॉलिवुड सुपर खान तिकड़ी के मेंबर शाहरुख खान ने पिछले दिनों 1 करोड़ टि्वटर फॉलोअर्स का जश्न मनाया है, तो आमिर खान हाल ही में इस बिलियन क्लब में शामिल हुए हैं। इसी तरह सलमान खान भी 96 लाख फॉलोअर्स के साथ बिलियन फॉलोअर क्लब के दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं। इस तरह बॉलिवुडवालों ने टि्वटर पर अपनी दमदार मौजूदगी दिखाकर दुनियाभर में अपनी ताकत का अहसास कराया है। वरना पहले जहां हॉलिवुड स्टार करोड़ों फॉलोअर्स के साथ इतराते थे, तो बॉलिवुड सितारों को कुछ लाख फॉलोअर्स के साथ ही संतोष करना पड़ता था।
पीछे नहीं हैं हीरोइनें भी
ऐसा नहीं है कि सिर्फ बॉलिवुड के हीरोज ही टि्वटर पर करोड़पति हो रहे हैं, बल्कि हीरोइनें भी इस मामले में कम नहीं हैं। बॉलिवुड की टॉप हीरोइन मानी जा रही दीपिका पादुकोण टि्वटर फॉलोअर्स के मामले में भी 85 लाख फॉलोअर्स के साथ टॉप पर हैं। इसी तरह किसी जमाने में अमिताभ बच्चन के साथ टॉप टि्वटर बॉलिवुड सिलेब्रिटी रहीं प्रियंका चोपड़ा भी 80 टि्वटर फॉलोअर्स के साथ ज्यादा पीछे नहीं हैं। जाहिर है, खान सितारों की टि्वटर पर आमद ने प्रियंका को पछाड़ दिया। वरना वह अमिताभ बच्चन को पूरा कॉम्पिटिशन दे रही थीं। बॉलिवुड की मोस्ट स्टाइलिश ऐक्ट्रेस सोनम कपूर का जलवा टि्वटर पर 54 लाख फॉलोअर्स के साथ कायम है। वहीं, आमिर के साथ पीके में जगत जननी बनीं अनुष्का शर्मा ने भी कम समय में 38 लाख फॉलोअर्स जुटाकर अपनी पकड़ मजबूत बनाई है।
फेसबुक पर सब करोड़पति
फेसबुक पर करीब-करीब सारे के सारे सुपर सितारे फैंस लाइक्स के मामले में करोड़पति हैं। अमिताभ, शाहरुख, आमिर, प्रियंका और अनुष्का जहां फेसबुक पर एक करोड़ से ज्यादा फॉलोअर्स रखते हैं। वहीं सलमान खान और दीपिका पादुकोण 2 करोड़ से ज्यादा फेसबुक फॉलोअर्स के साथ यहां टॉप पर हैं। फिल्में चलें न चलें, 95 लाख फॉलोअर्स वाली सोनम कपूर जल्दी ही फेसबुक पर एक करोड़ फॉलोअर्स की लीग में शामिल होने वाली हैं। जाहिर है, फेसबुक पर बॉलिवुड सितारों की पॉप्युलैरिटी ज्यादा होने की वजह फेसबुक के इंडिया में टि्वटर के मुकाबले 3 गुने यूजर ज्यादा होना है।
स्टार टि्वटर फॉलोअर फेसबुक लाइक्स

स्टारटि्वटर फॉलोअरफेसबुक लाइक्स
अमिताभ बच्चन1.20 करोड़1.82करोड़
शाहरुख खान1.04 करोड़1.25 करोड़
आमिर खान1 करोड़1.56 करोड़
सलमान खान96 लाख2.26 करोड़
दीपिका पादुकोण85 लाख2.41 करोड़
प्रियंका चोपड़ा80 लाख1.54 करोड़
सोनम कपूर54 लाख95 लाख
अनुष्का शर्मा38 लाख1.69 करोड़

गरीबों के खिलाफ है 'तत्काल' टिकटों पर प्रीमियम लेना

कोटा । समिति ने तत्काल टिकटों की बिक्री और मूल्य व्यवस्था को गरीब विरोधी बताते हुए रेलवे की भर्त्सना की है।संसद में गुरुवार को पेश की गई समिति की 11वीं रिपोर्ट में कहा गया है कि तत्काल टिकटों की व्यवस्था अंतिम समय पर यात्रा का निर्णय लेने वाले यात्रियों की सहूलियत के लिए शुरू की गई थी। इसका लाभ सभी वर्गों के यात्रियों को मिलता था, लेकिन हाल के वर्षों में रेलवे ने इस प्रणाली का उपयोग मुनाफे के लिए करना शुरू कर दिया।
उसने आधे तत्काल टिकटों को परिवर्तनशील किराया प्रणाली (डायनामिक फेयर) में डाल कर इनके लिए ऊंची दरें तय कर दी हैं। इससे इस प्रणाली का उद्देश्य बाधित हो गया है, क्योंकि संपन्न लोग तो इंटरनेट के जरिये ऊंची दरों पर तत्काल टिकटें बुक करा लेते हैं, परंतु विपन्न लोगों के लिए ऐसा करना संभव नहीं होता, इसलिए रेलवे को इसे दुरुस्त कर गरीबों के अनुकूल बनाना चाहिए।
उसे न केवल तत्काल टिकटों पर प्रीमियम घटाना चाहिए, बल्कि इंटरनेट से इनकी बुकिंग की सीमा भी कम करनी चाहिए, ताकि गरीब यात्री टिकट खिड़की से आसानी से तत्काल टिकट बुक करा सकें।
पहचान पत्र की अनिवार्यता
समिति ने सुरक्षा के लिहाज से वैसे तो रेल यात्रियों के लिए पहचान पत्र की अनिवार्यता को सही ठहराया है, लेकिन इस नियम के नाम पर बच्चों, महिलाओं, गरीबों, अनपढ़ व वृद्ध यात्रियों को प्रताड़ित न किए जाने के लिए टीटीई को निर्देश देने की भी सिफारिश की है।

डेस्‍काटॉप पर जल्‍द ही आ सकता है व्‍हाट्सएप

कोटा।  इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप व्हाट्सएप के बढ़ते हुए कारोबार को देखते हुए यह आसानी से कहा जा सकता है कि जल्द ही यह कंपनी बाजार में और भी ऊंचे पायदान पर होगी। हाल ही में खबर मिली है कि व्हाट्सएप जो कि फिलहाल आपके फोन, टैबलेट या फोनपैड पर मैसेजिंग सुविधा के लिए उपलब्ध है, इसे डेस्कटॉप पीसी के लिए बनाया जा रहा है।
एक सूचना के अनुसार व्हाट्सएप द्वारा एक नए प्रोजेक्ट को अंजाम देने का फैसला किया गया है जिसके अंतर्गत इस ऐप को डेस्कटॉप पर लाया जाएगा। कंपनी द्वारा व्हाट्सएप को सभी यूजर्स के लिए डेस्कटॉप पर लाने का काम भी शुरू किया जा चुका है। फिलहाल व्हाट्सएप की ओर से आधिकारिक रूप से इस बात की कोई घोषणा नहीं की गई है लेकिन सूत्रों के आधार पर व्हाट्सएप द्वारा वेब प्लेटफार्म पर काम जरूर किया जा रहा है।
इस समय इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप व्हाट्सएप के विश्‍व भर में 600 मिलियन एक्टिव यूजर्स है जिसमें 70 मिलियन यूजर्स केवल भारतीय सीमा में ही हैं। यदि व्हाट्सएप जल्द ही डेस्क्टॉप पर भी सेवा शुरू कर दे तो यह संख्या और भी बढ़ सकती है। ऐप को डेस्कटॉप पर लाने वाली व्हाट्सएप पहली ऐसी कंपनी नहीं होगी बल्कि वाईबर, टेलेग्राम और वी-चेट जैसी मेसेजिंग ऐप्स पहले से ही डेस्कटॉप वर्जन के साथ मौजूद हैं।

Thursday, December 18, 2014

स्टांप ड्यूटी के बकाया पर ब्याज पर मिलेगी 100% तक छूट

कोटा। स्टांपड्यूटी के लंबित प्रकरणों के शीघ्र निपटारे के लिए राज्य सरकार ने एमनेस्टी स्कीम लागू की। स्टांप ड्यूटी पर ब्याज संबंधित विवाद के हजारों मामले कलेक्टर (मुद्रांक), टैक्स बोर्ड तथा हाईकोर्ट में लंबित चल रहे हैं। मामले लंबे खिंचने से सरकार का हजारों करोड़ रुपए का राजस्व अटका हुआ है। इसे ध्यान में रखते हुए वित्त विभाग ने ऐसे मामलों में ब्याज में 50 प्रतिशत से लेकर 100 प्रतिशत की छूट देने का ऐलान किया है।
पहली बार स्कीम में टैक्स बोर्ड तथा हाईकोर्ट के लंबित प्रकरणों को भी शामिल किया गया है। आईजी स्टांप एंड रेवेन्यू केसी गुप्ता ने बताया कि स्कीम से उन लोगों को बहुत राहत मिलेगी जिनके ब्याज की रकम स्टांप ड्यूटी से कई गुना ज्यादा हो गई थी क्योंकि स्टांप एंड रजिस्ट्रेशन में स्टांप ड्यूटी पर चक्रवृद्धि ब्याज लागू होता है।

आधार से मोबाइल सिम जोड़ने की होगी शुरुआत

कोटा।  आधार को मोबाइल सिम कार्ड से जोड़ने की योजना पूरे देश में लखनऊ सर्किल सहित पांच जगहों से शुरू होगी।
डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकॉम की (डीओटी) ओर से जारी एक निर्देश के मुताबिक, एयरटेल लखनऊ में, आइडिया दिल्ली में, रिलायंस भोपाल में,वोडाफोन कोलकोता में और बीएसएनएल बेंगलुरु में सरकार के पॉयलट प्रोजेक्ट के तहत आधार को सिम कार्ड से जोड़ेंगे।
इसके तहत अगर कोई केवाईसी के लिए आधार को पहचान पत्र के लिए पेश करता है तो मोबाइल कंपनियां इसकी तुरंत जांच कर उनका नंबर चंद घंटों में शुरू करेंगे। फिलहाल वेरीफिकेशन में कम से कम दो दिन लग जा रहे हैं।
डीओटी के मुताबिक, हर वेंडर के मोबाइल कंपनी की ओर से स्पेशल टूल दिया जाएगा। इसकी मदद से वह कस्टमर का वेरीफिकेशन संबंधित डिपार्टमेंट से चंद मिनटों में कर लेगा। हालांकि अभी बिना आधार के दूसरे कागजातों पर भी सिम पहले की तरह दिए जाएंगे।

Wednesday, December 17, 2014

अब DEBIT CARD से भी कर सकते हैं मनी ट्रांसफर

कोटा। अब आपके लिए अपने परिजनों और मित्रों को पैसा ट्रांसफर कराना और भी आसान होने जा रहा है। जिस डेबिट कार्ड का इस्तेमाल आप एटीएम से पैसा निकालने के लिए किया करते थे, अब उसी कार्ड की मदद से आप पैसा भी ट्रांसफर कर सकते हैं। पैसा ट्रांसफर करने के कार्य को आसान बनाने के लिए कुछ बैंकों ने कदम बढ़ाया हैं, जिनमें यूनियन बैंक, कैनरा बैंक, आंध्रा बैंक, सारास्वत कॉपरेटिव बैंक और येस बैंक शामिल हैं।
  अगर आपका बैंक अकाउंट येस बैंक में है और आपके दोस्त का यूनियन बैंक में, तो उसको पैसा ट्रांसफर करने के लिए आपको सिर्फ एटीएम मशीन तक जाना होगा। यूनियन बैंक के एक अधिकारी के मुताबिक, इस कार्ड-टू-कार्ड ट्रांसफर के लिए ग्राहक को एटीएम तक जाकर अपना डेबिट कार्ड इंसर्ट करना होगा। इसके बाद वो जिस भी व्यक्ति को पैसा ट्रांसफर करना चाहता है उसे भेज सकता है। इसके लिए ग्राहक को उस व्यक्ति के डेबिट कार्ड का 16 डिजिट का कार्ड नंबर डालना होगा जिसे वो पैसे भेजना चाहता है। जैसे ही ग्राहक स्क्रीन पर 'ओके' का बटन दबाएगा, रकम फौरन उस व्यक्ति के डेबिट कार्ड यानी खाते में चली जाएगी जिसे वो पैसा भेजना चाहता है।
एक दिन में भेज सकते हैं 5 हजार रुपए
 शुरूआत में इस सुविधा का उपयोग एक दिन में अधिकतम 5,000 रूपए भेजने के लिए किया जा सकता है। इसी तरह महीने भर में अधिकतम 25,000 रूपए भेजे जा सकते हैं। बैंकों ने ये पहल पूरे देश में की है। फिलहाल ये सेवा निशुल्क है। वहीं, एसबीआई कार्ड-टू-कार्ड पैसा ट्रांसफर की ये सुविधा मुहैया करा रहा है, लेकिन इसके लिए दोनों व्यक्तियों के पास स्टेट बैंक के ही डेबिट कार्ड होना अनिवार्य है। इसके तहत ग्रहकों को शुरूआत में 1 दिन में 5000 रूपए तक ही भेजने की इजाजत दी गई है। 
इन बैंकों ने शुरू की सुविधा
 इसके लिए यस बैंक ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, केनरा बैंक और आंध्रा बैंक के साथ करार किया है। इन बैंकों के अधिकारियों का कहना है कि यस बैंक ने यह सेवा प्रायोगिक तौर पर शुरू की है। रिजल्ट देखने के बाद ही इस पर कोई निर्णय लिया जाएगा। इससे पहले एसबीआई बैंक भी एटीएम से एटीएम में मनी ट्रांसफर की सुविधा दे चुका है। एसबीआई के एटीएम कार्ड से एक दिन में 30000 रूपए तक स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ मायसोर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला और स्टेट बैंक ऑफ ट्रेवेनकोर के एटीएम में ट्रांसफर किया जा सकता है। 

Tuesday, December 16, 2014

IIT, IIM की डिग्री मिला सकती है लाइफ पार्टनर से

कोटा। अगर आपको शादी करनी है और आपके पास आईआईटी या आईआईएम की डिग्री है तो सही जीवनसाथी की तलाश आपके लिए अब कुछ आसान हो सकती है। Iitiimshaadi.com पोर्टल खासतौर पर ऐसे लोगों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। यह पोर्टल आईआईटी और आईआईएम सहित दुनिया भर के 100 से ज्यादा टॉप एजुकेशनल इंस्टिट्यूट्स के ग्रैजुएट्स के लिए सही पार्टनर तलाशने में मदद करता है।
भारत में आमतौर पर शादियां जाति, धर्म, सामाजिक और आर्थिक रुतबे को पैमाना बनाकर होती रही हैं। Iitiimshaadi.com पर हालांकि एक जैसी सोच वाले लोग मिल सकते हैं।
Iitiimshaadi.com ऐसी वेबसाइट है, जहां दुनिया के 100 टॉप एजुकेशनल इंस्टिट्यूट्स से निकले लोग अपने लिए अपने जैसा लाइफ पार्टनर ढूंढ सकते हैं। ऐसे इंस्टिट्यूट्स में आईआईटी, आईआईएम के अलावा हार्वर्ड और येल जैसी प्रतिष्ठित फॉरेन यूनिवर्सिटीज भी हैं। इस वेबसाइट पर 1,800 रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं और 120 लोग एक-दूसरे से जुड़ चुके हैं।
इनमें ज्यादातर रिश्तों की पहल हालांकि परिवार की तरफ से की गई है। यह वेबसाइट शुरू करने वाले 51 साल के अजय गुप्ता ने कहा, 'पढ़े-लिखे और अच्छी जगह पोस्टेड लोगों के लिए सही लाइफ पार्टनर ढूंढना किसी एग्जेक्युटिव सर्च जैसा है।' उनकी साइट पर न सिर्फ इंडिया, बल्कि दुनिया भर से क्वेरीज आती हैं। उन्होंने कहा, 'आमतौर पर अभिभावक अपने बच्चों के प्रोफाइल क्रिएट करने के लिए उनके प्रोफेशनल रेज्यूमे भेजते हैं।' उनकी टीम अप्लाई करने वालों में से 'राइट कैंडिडेट' चुनती है। उन्होंने कहा, 'हम उनकी डिग्री की स्कैन कॉपी भी मांगते हैं।'
गुप्ता ग्रामीण इलाकों में नौकिरयों के लिए एक कंसल्टेंसी भी चलाते हैं। हालांकि, अब वह अपने इस नए बिजनेस को बढ़ाकर इसे ऑफलाइन में भी लाना चाहते हैं और फैंसी डिग्री को अहमियत देने वाले एक जैसी सोच वालों की एक कम्युनिटी बनाना चाहते हैं। फिलहाल उनकी इस साइट पर स्मॉल डेटाबेस के साथ रजिस्ट्रेशन फ्री है। उन्हें अपने बिजनेस प्लान पर पूरा भरोसा है।
उन्होंने कहा, 'जिस तरह कास्ट, इकनॉमी और कल्चरल बैकग्राउंड के आधार पर जोड़ियां मिलाई जाती हैं, ठीक उसी तरह बेहतर समझ और सही मेल के लिए हम एकसमान डिग्री वालों के रिश्ते जोड़ रहे हैं।'
आईआईएम-बेगलुरु के ग्रैजुएट 30 वर्षीय पंकज वर्मा एक मल्टिनेशनल कंपनी में काम करते हैं। उन्होंने गुप्ता की वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कराया है। वर्मा ने कहा, 'मैं अपनी जैसी सही मेल वाली लड़की खोज रहा हूं, जिसकी पढ़ाई-लिखाई मेरे जैसी हो। जाति मेरे लिए कोई अड़चन नहीं है।' बेंगलुरु के एक सीनियर साइंटिस्ट ने कहा कि 'योग्य लड़कों की बहुत कमी है।' स्टैनफोर्ड से ग्रैजुएट और अमेरिका में काम करने वाली अपनी बेटी की खातिर सही मैच ढूंढने के लिए उन्होंने मैट्रीमोनियल साइट्स पर हजारों रुपये खर्च किए हैं। 

स्नैपडील से मंगाया आईफोन, भेज दिए लकड़ी के टुकड़े

कोटा। पुणे के औंध में रहने वाले दर्शन काबरा ने स्नैपडील से आईफोन ऑर्डर किया, लेकिन पैकेट खोलते ही मानो उनके पैरों तले जमीन ही खिसक गई। स्नैपडील ने उन्हें बॉक्स में कोई आईफोन नहीं, बल्कि लकड़ी के टुकड़े भेजे थे। दर्शन ने 7 दिसंबर को स्नैपडील से आईफोन 4एस का ऑर्डर दिया था। 
ऑर्डर नंबर 3862653450 के साथ दर्शन का ऑर्डर 11 दिसंबर को उनके घर पहुंच गया, जिसे देखकर वे बहुत ही खुश हुए। लेकिन जैसे ही दर्शन ने अपना ऑर्डर खोला तो सारी खुशी हवा हो गई। हालांकि, दर्शन ने यह पैकेट अपने डिलीवरी ब्वाय के सामने ही खोला था, इसलिए उन्हें कोई नुकसान नहीं हुआ।
दर्शन ने दो आईफोन का ऑर्डर दिया था, जिसके लिए इन्होंने कैश ऑन डिलीवरी का विकल्प चुना था। दोनों आईफोन की कीमत कुल मिलाकर 40,508 रुपए थी। बॉक्स में लकड़ी के टुकड़े देखते ही दर्शन ने यह बॉक्स डिलीवरी ब्वाय को वापस कर दिया।
स्नैपडील का ये पहला मामला नहीं है, जब किसी ग्राहक को गलत सामान डिलीवर किया गया हो। इससे पहले मुंबई के बोरीवली में रहने वाले लक्ष्मीनारायण कृष्णमूर्ति ने स्नैपडील पर आरोप लगाया था कि उसने फोन के बदले साबुन डिलीवर कर दिया है। 
कृष्णमूर्ति ने स्नैपडील से एक सैमसंग डुओस स्मार्टफोन ऑर्डर किया, लेकिन जब उन्होंने बॉक्स खोलकर देखा तो उसमें विम बार और ईंट का टुकड़ा मिला। शुरुआत में तो स्नैपडील ने इस शिकायत का समाधान नहीं किया, लेकिन जब फेसबुक पर यह पोस्ट वायरल हुई तो 28 अक्टूबर को कंपनी ने 5-6 दिनों में उनके पैसे वापस करने का वादा किया।
एक व्यक्ति ने फ्लिपकार्ट से 24 अक्टूबर को पेनड्राइव ऑर्डर की थी, लेकिन उसे खाली बॉक्स डिलीवर कर दिया गया। जब इसकी शिकायत कंपनी को की गई तो इसके बदले सिर्फ 55 रुपए दिए गए। इस गलती को नजरअंदाज करते हुए व्यक्ति ने दोबारा से पेनड्राइव ऑर्डर की। इस बार उसकी मां ने डिलीवरी ब्वाय से ऑर्डर ले लिया और पैसे दे दिए।
आपको बता दें कि दूसरी बार भी कपंनी ने खाली बॉक्स भेजा था। जब इसकी शिकायत कंपनी को की गई तो कंपनी ने इसके खिलाफ कोई कार्रवाई करने के बजाय उसी व्यक्ति पर पेन ड्राइव निकाल कर झूठी अफवाह फैलाने का आरोप लगा दिया।
इसके बाद व्यक्ति ने तीसरी बार पेनड्राइव ऑर्डर की और इस बार डिलीवरी ब्वाय के सामने ही पैकेट को खोलते हुए वीडियो रिकॉर्डिंग की। एक बार फिर खाली पैकेट देखकर व्यक्ति हैरान रह गया और कंपनी को इसकी शिकायत करके इस वीडियो को इंटरनेट पर डाल दिया।
उसका कहना था कि वह इसके बदले किसी तरह का रिफंड नहीं मांग रहा है, वह सबको सिर्फ यह बताना चाहता है कि ऑनलाइन कंपनियां किस तरह से लोगों को बेवकूफ बना रही हैं।

बिना आधार के भी मिलेगी गैस सब्सिडी

कोटा।  सरकार ने सोमवार को स्पष्ट कर दिया कि रियायती रसोई गैस सिलेंडर का पैसा सीधे उपभोक्ताओं के खाते में डालने के लिए आधार नंबर जरूरी नहीं है। इसके लिए उपभोक्ताओं को फिलहाल बैंक खाता नंबर उपलब्ध कराना होगा। वहीं, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने कहा है कि देश में अब तक 10 करोड़ लोगों के आधार नंबर बैंक खाते से जोड़े जा चुके हैं। सरकार ने जनवरी से सब्सिडी की राशि सीधे खाते में हस्तांतरित करने का फैसला किया है। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लोकसभा में कहा कि सभी उपभोक्ताओं को एलपीजी सिलेंडर (सब्सिडी एवं गैर सब्सिडी वाले) बाजार दर पर दिए जाएंगे। इसके बाद उपभोक्ता के बैंक खाते में सिलेंडर पर दी जा रही सब्सिडी का पैसा सीधे भेज दिया जाएगा।
पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि उपभोक्ताओं के पास दो विकल्प हैं, पहला जिनके पास आधार नंबर है और उनका खाता इससे जुड़ गया है। दूसरा, जिसके पास आधार नंबर नहीं है, केवल बैंक खाता है। प्रधान ने कहा कि आधार न होने के कारण कोई भी गैस कंपनी एलपीजी सब्सिडी देने से इनकार नहीं कर सकती।

Monday, December 15, 2014

एसएमई के लिए रेटिंग कराना होगा आसान

दिनेश माहेश्वरी 
कोटा। छोटे और मझोले उद्योगों को रेटिंग करने की प्रक्रिया आसान करने की तैयारी है। वित्त मंत्रालय इसके लिए एमएसएमई सेक्टर की रेटिंग पैरामीटर को एक समान करने की कवायद कर रहा है। जिससे कारोबारियों के लिए बैंकों से कर्ज लेना आसान हो सके।
 सूक्ष्म,लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मनीभास्कर को बताया कि अभी एसएमई की रेटिंग दो तरीके से होती है। एक तो स्वतंत्र रेटिंग एजेंसियां खुद छोटे और मझोले उद्योगों की रेटिंग करती हैं। जबकि दूसरा आरबीआई ने बैंकों को एसएमई के लिए रेटिंग करने की गाइडलाइन जारी की है। ऐसे में सभी के रेटिंग के पैरामीटर अलग-अलग है।
 क्या है समस्या
फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो एंड स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज (फिसमे ) के जनरल सेक्रेटरी अनिल भारद्वाज ने मनी भास्कर को बताया कि केअर, क्रिसिल, एसएमईआरए, इक्रा जैसी रेटिंग एजेंसी एसएमई की रेटिंग करती हैं। इसके अलावा बैंकों की अपनी रेटिंग होती है। सभी के रेटिंग पैरामीटर अलग-अलग हैं। ऐसे में कई ऐसे मामले होते हैं, कारोबारी को कहीं से तो अच्छी रेटिंग मिलती है, लेकिन बैंक उसे अच्छा नहीं मानता है। इससे उसे रेटिंग पर निवेश करने के बावजूद कर्ज उम्मीद के मुताबिक नहीं मिलता है।
 रेटिंग पैरामीटर होंगे एक समान
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार एमएसएमई सेक्टर में मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए गठित अंतरमंत्रालीय समूह (आईएमजी) ने रेटिंग के लिए एक समान पैरामीटर करने की सिफारिश की है। अधिकारी के अनुसार इस संबंध में वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा मामलों के विभाग को सिफारिशें भेज दी गई हैं। जो कि आरबीआई के जरिए एमएसएमई सेक्टर के लिए एक यूनिफार्म पैरामीटर जारी करने की तैयारी कर रहा है। यूनिफार्म पैरामीटर होने पर फिसमे के अनिल भारद्वाज का कहना है कि अभी का सिस्टम एमएसएमई सेक्टर को फायदा नहीं पहुंचा पाया है। अगर यूनिफार्म पैरामीटर हो जाते हैं, तो निश्चित तौर पर एमएसएमई को इसका फायदा मिलेगा।

होटलों के लिए बिल्डिंग प्लान की स्वीकृति 2 माह में मिलेगी

कोटा  । राज्य सरकार ने रविवार को प्रदेश की पर्यटन नीति का ड्राफ्ट तैयार कर वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है। इस नीति में नए होटल बनाने को लेकर कई सुविधाएं बढ़ाई गई हैं। जमीन के लिए भू-रूपांतरण के आवेदन पर शहरी क्षेत्र में केवल 2 माह में ही और ग्रामीण क्षेत्र में 45 दिन में निपटारा कर दिया जाएगा। साथ ही बिल्डिंग प्लान भी दो महीने में ही स्वीकृत कर दिया जाएगा।
 पर्यटन निदेशक विक्रम सिंह ने बताया कि यह नई पॉलिसी मौजूदा टूरिज्म यूनिट पॉलिसी-2007 का स्थान लेगी। नई पॉलिसी के ड्राफ्ट पर किसी भी प्रकार के सुझाव या टिप्पणियां 20 दिसंबर तक दिए जा सकते हैं। इसके लिए ईमेल-hotel-dot@rajasthan.gov.in पर या खासा कोठी स्थित पर्यटन विभाग के दफ्तर में पर्यटन निदेशक को लिखित में दिए जा सकते हैं। यह पॉलिसी 30 सितंबर 2019 तक के लिए लागू होगी।
 विशेष स्थितियों में 1 वर्ष की अवधि बढ़ाई जा सकेगी
 टूरिज्म यूनिट के लिए शहरी क्षेत्र में भूमि रूपांतरण और बिल्डिंग प्लान की स्वीकृति के लिए जिस प्रकार सरकारी तंत्र के लिए दो माह की समय सीमा निर्धारित की गई है, वैसी ही सीमा यूनिट बनाने वाले के लिए भी लागू की गई है। इसके तहत अधिकतम 200 कमरे वाले होटल के लिए 2 साल और इससे अधिक कमरे वाले होटल के लिए 3 साल में होटल भवन तैयार होना जरूरी होगा। दोनों ही केस में विशेष स्थितियों में 1 वर्ष की अवधि बढ़ाई जा सकेगी।
 उन ही होटल, मोटल, कैंपिंग साइट, होलीडे रिसोर्ट आदि को मंजूरी मिलेगी, जो यूडीएच, राजस्व और पंचायती राज नियमों का पालन करेंगे। इनमें न्यूनतम 20 कमरे वाले मोटल, 10 टेंट वाली कैंपिंग साइट, खेल, राइडिंग, स्विमिंग, सामाजिक गतिविधियों सहित होलीडे रिसोर्ट, एम्यूजमेंट पार्क, वन विभाग से स्वीकृत एनीमल सफारी, नियमों के तहत बने रोप-वे, एक करोड़ रुपए के निवेश एक समय में 40 व्यक्तियों की सिटिंग वाले रेस्टोरेंट या कैफेटेरिया आदि शामिल होंगे। इनके अलावा स्पोर्ट्स रिसोर्ट, टूरिज्म लग्जरी कोच, कारवां, कन्वेंशन सेंटर, हेल्थ रिसोर्ट आदि के लिए भी इस तरह के अलग-अलग नियम होंगे।

एक बार में हो जाएगा ऑनलाइन पेमेंट, खरीदारी होगी आसान

कोटा। नए साल से ऑनलाइन पेमेंट करना आपके लिए आसान होने वाला है। केवल एक ऑथेंटीकेशन पर पेमेंट किया जा सकेगा। भारतीय रिजर्व बैंक इस संबंध में बैंकों को नई गाइडलाइंस दिसंबर के अंत तक जारी करने की तैयारी में है। एक ऑथेंटीकेशन की सुविधा हालांकि कम राशि वाले पेमेंट पर मिलेगी। इस संबंध में रिजर्व बैंक देश के प्रमुख बैंकों से भी राय ले रहा है। आरबीआई इस कदम के जरिए ई-कॉमर्स को बढ़ावा देना चाहता है।
 एक सरकारी बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने मनीभास्कर को बताया कि सिंगल ऑथेंटीकेशन को लेकर बैंकों से भी आरबीआई की बातचीत हुई है। शुरुआत में कोशिश है कि 5,000 से लेकर 10,000 रुपए तक की अधिकतम सीमा तय की जाए। जिसके लिए ट्रांजेक्शन पर ग्राहकों को सिंगल ऑथें‍टीकेशन देना पड़े। बैंकर के अनुसार ज्यादातर खरीदारी 10,000 रुपए से कम की होती है। ऐसे में सिंगल ऑथेंटीकेशन से ऑनलाइन पेमेंट करना खास तौर से मोबाइल के जरिए करना आसान हो जाएगा।
 मोबाइल से खरीदारी होगी आसान
 इंटरनेट स्पीड और मोबाइल की क्षमता को देखते हुए सिंगल ऑथेंटीकेशन पर ग्राहकों के लिए मोबाइल से ऑनलाइन पेमेंट करना आसान होगा। यानी ग्राहक को केवल पिन नंबर या सीवीवी नंबर देकर ही पेमेंट करने की सुविधा मिल जाएगी। अभी ऑनलाइन पेमेंट के समय ग्राहक को वन टाइम पासवर्ड नंबर भी देना होता है। जो कि उसे रजिस्टर्ड किए गए मोबाइल नंबर पर आता है।
 सिक्योरिटी पर नहीं होगा असर
 बैंकर के अनुसार सिंगल ऑथेंटीकेशन होने पर सिक्योरिटी से कोई समझौता नहीं होगा। वह उसी तरह सुरक्षित होगा, जैसे अभी ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में सिक्योरिटी होती है। इस कदम का केवल मकसद यह है कि ऑनलाइन पेमेंट जल्द और आसानी से हो सके। जिस तरह अभी किसी लेन-देन पर बैंक की जवाबदेही होती है, वैसे ही सिंगल ऑथेंटीकेशन पर भी रहेगी।

Sunday, December 14, 2014

पौधा एसएमएस से बताएगा, मुझे पानी दो

कोटा। सोचिए! अगर आपके घर के गमले में लगा पौधा आपको एसएमएस से यह बताने लगे कि मुझे पानी की जरूरत है तो इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी में आपको कितनी सहूलियत होगी। जी हां! यह ‘गैबी ट्री’ नामक उपकरण से मुमकिन है, जिसे बनाया है जमशेदपुर के टेल्को निवासी विद्यार्थी आदित्य ओम ने। आदित्य के पिता डॉ. अखिलेश कुमार झा होम्योपैथी चिकित्सक हैं, जबकि मां चंचला झा गृहिणी हैं। आदित्य ओम विद्या भारती चिन्मया का छात्र रहा है और फिलहाल एनआईटी, रायपुर में तृतीय वर्ष का छात्र है। उसका बनाया ‘गैबी ट्री’ की पौधे को फलने-फूलने में मदद करेगा। जब भी पौधे को पानी की जरूरत होगी उसके मालिक के मोबाइल फोन पर मैसे आए कि उसे पानी की जरूर है। 
इसके अलावा पौधे को बढ़ने के लिए किन-किन चीजों की जरूरत है, इनकी  जानकारी एसएमएस के माध्यम से मिलती रहेगी। आदित्य को इस अविष्कार के लिए बेंगलुरू में 9-10 दिसंबर तक आयोजित हुए इंटेल इनोवेशन कॉनक्लेव-2014 में तीसरा स्थान मिला है।  
ऐसे काम करता है ‘गैबी ट्री’
गैबी ट्री का निर्माण महज 7 हजार रुपये में हुआ है। गैबी ट्री का मतलब बातूनी पौधा होता है। इसमे कई तरह के सेंसर, डेटाबेस और जीपीएस लगे हैं। इसमें 12 तरह के सेंसर और जीपीएस लगे हैं। इसे पौधे के तने में बांध दिया जाता है। उपकरण को पौधे के मालिक के मोबाइल से लिंक किया जाता है। पौधे की स्थिति को उपकरण सेंसर की मदद से पता लगाता रहता है और जरूरत के अनुसार सूचनाएं मोबाइल फोन तक भेजता रहता है।
खोज जारी रहेगी 
डॉ. जगदीश चन्द्र बसु के अविष्कार से हमेशा प्रेरणा मिली है। इस अविष्कार को मैं मेरे माता-पिता और शिक्षकों को समर्पित करता हूं। आगे भी खोज जारी रहेगी।- आदित्य ओम, अविष्कारक

यूनीक आईडी के जरिए पकड़ी जा सकेगी टैक्स चोरी

कोटा। एक ही बैंक में अगर आपके अलग-अलग खाते हैं, तो उस पर बैंकों की नजर है। बैंक ऐसे ग्राहकों के सभी खातों को एक साथ लिंक कर उनकी यूनीक आईडी बना रहे हैं। ऐसा कर वह ग्राहक के सभी खातों की एक जगह जानकारी रखना चाहते है। जिससे किसी भी तरह की होने वाली टैक्स चोरी को पकड़ा जा सके।यूनीक कस्टमर आइडेंटिफिकेशन कोड (यूसीआईयसी) के लिए बैंकों ने अपने पुराने ग्राहकों को भी पत्र भेजना शुरू कर दिया है। जिससे कि वह बैंक को खुद अपने सभी तरह के खातों का ब्यौरा भेज दे। इसके बावजूद भी जो ग्राहक बैंक को जानकारी नहीं देंगे, तो फिर बैंक ग्राहक के पैनकार्ड, जन्मतिथि, मोबाइल नंबर आदि के जरिए उनके अलग-अलग खातों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
 कैसे बनेगी यूनीक आईडी
 मान लीजिए कि आपका भारतीय स्टेट बैंक के विभिन्न शाखाओं में बचत खाता, आरडी खाता, एफडी खाता, लोन खाता या दूसरा कोई खाता है। तो उन सभी खातों को एक यूनीक आईडी के साथ लिंक कर दिया जाएगा। बैंक उस यूनीक आईडी के जरिए सभी खातों की एक साथ जानकारी प्राप्त कर लेगा। जिससे उसे पता चल जाएगा, कि ग्राहक के पास विभिन्न खातों में कितनी जमा पूंजी है, वह कौन-कौन सी सुविधाएं बैंक से ले रहा है। यह सब एक क्लिक पर बैंक के पास उपलब्ध होगा।
31 दिसंबर तक बैंकों को बना लेनी है यूनीक आईडी
 भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देश के अनुसार सभी बैंकों को 31 दिसंबर तक अपने पुराने और नए ग्राहकों की यूनीक कस्टमर आईडेंटीफिकेशन कोड तैयार कर लेना है। ओरिएंटल बैंक ऑफ कामर्स के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक बैंक ने अपने ग्राहकों से अलग-अलगा खातों का विवरण मांगना शुरू कर दिया है। इसके अलावा बैंक की वेबसाइट पर भी ऑनलाइन फार्म उपलब्ध है। जिसे ग्राहक किसी भी शाखा में जमा कर सकता है।

Saturday, December 13, 2014

पैन नंबर छुपाने से होते हैं ये बड़े नुकसान

दिनेश माहेश्वरी 
कोटा। पैन कार्ड एक ऐसा कार्ड है, जिस पर लिखे कोड में व्यक्ति की पूरी कुंडली छुपी होती है। आम तौर पर लोगों का यह मानना होता है कि पैन कार्ड उस व्यक्ति के लिए जरूरी नहीं है, जिसकी कोई टैक्सेबल इनकम नहीं है, लेकिन यह नजरिया गलत है। बहुत सारे कागजातों के साथ पैन कार्ड लगाना जरूरी होता है। पैन कार्ड की मदद से आपको विभिन्न वित्तीय लेन-देन में आसानी होती है।
 पैन कार्ड की मदद से आप बैंक खाता और डीमैट खाता खोल सकते हैं। इसके अलावा प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त के लिए भी यह जरूरी होता है। इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए भी यह जरूरी है। इस छोटे से डॉक्युमेंट से बड़े-बड़े काम रुक जाते हैं। जहां एक ओर पैन कार्ड के ढेर सारे फायदे हैं, वहीं इसका गलत उपयोग करने पर कार्डहोल्डर मुसीबत में भी आ जाता है।
 आइए जानते हैं पैन कार्ड की जानकारी छुपाने से क्या-क्या हो सकते हैं नुकसान-
 पैन नंबर न देने से कहां-कहां होता है नुकसान
 => पैन नंबर न देना या पैन नंबर छिपाना या फिर गलत पैन नंबर देना आपके लिए परेशानी की वजह बन सकता है। अगर कोई व्यक्ति कोई ट्रांजैक्शन करते समय (जिस ट्रांजैक्शन में यह पैन नंबर देना जरूरी है) पैन नंबर का उल्लेख नहीं करता, तो इस बात की पूरी संभावना है कि संबंधित अथॉरिटी उस ट्रांजैक्शन को प्रॉसेस ही न करे।
 => आप जहां काम कर रहे हैं या जहां से आपको आमदनी हो रही है, वहां पैन नंबर न देने की स्थिति में अधिक दर से आपका टीडीएस काटा जा सकता है। मसलन कोई कर्मचारी जिस कंपनी में काम कर रहा है, उसको उसने अपना पैन नंबर नहीं दिया है, तो उसका टीडीएस 20 फीसदी की दर से कटेगा, भले ही वह 10 फीसदी के टैक्सेबल इनकम वाली कैटेगरी में ही क्यों न आता हो।
 => अगर आपने किसी बैंक में पैसे जमा किए हैं, तो कुछ शर्तों के साथ उस पर मिल रहे ब्याज पर टीडीएस कटता है। अगर आपकी कुल आमदनी टैक्सेबल सीमा से कम है, तो आप फॉर्म 15जी और 15एच का इस्तेमाल कर टीडीएस से बच सकते हैं। लेकिन अगर आप पैन के बारे में जानकारी नहीं देते, तो आप इस फायदे से हाथ धो बैठेंगे। इसका मतलब यह हुआ कि पैन न देने पर आपका टीडीएस कटेगा। और यही नहीं, यह टीडीएस इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में आपके नाम से जमा भी नहीं होगा क्योंकि बैंक के पास आपका पैन नंबर ही नहीं है। इसका मतलब यह हुआ कि टीडीएस कटने से आपको पैसों का नुकसान होगा, साथ ही आप यह टैक्स रिफंड भी हासिल नहीं कर सकेंगे। 
=> इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने आकलन वर्ष (एसेसमेंट ईयर) 2013-14 में ऐसे 21.7 लाख लोगों की पहचान की है, जिनके पास पैन नंबर है और आमदनी/खर्च को देखते हुए उन्हें इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना चाहिए था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। डिपार्टमेंट ने ऐसे लोगों को पत्र लिख कर जवाब मांगा है कि आखिर उन्होंने इनकम टैक्स रिटर्न क्यों फाइल नहीं किया।
 => ऐसा कोई व्यक्ति अगर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करता और उस पर बनने वाला टैक्स 25 लाख रुपए से अधिक होता, तो ऐसे व्यक्ति को छह महीने से लेकर सात सालों तक की सजा हो सकती है। लेकिन अगर यह राशि 25 लाख रुपए से कम हो, तो ऐसी स्थिति में उसे तीन महीने से लेकर दो सालों तक की सजा हो सकती है।
 => इसके अलावा पैन नंबर न देने या फिर गलत पैन नंबर देने की स्थिति में 10,000 रुपए के दंड का प्रावधान भी है। और यह पेनाल्टी केवल एक बार ही नहीं देनी होती, बल्कि हर बार गलती करने पर आपसे पेनाल्टी वसूली जा सकती है।
 कहां-कहां है पैन कार्ड जरूरी
 पैन कार्ड की मदद से आपको विभिन्न वित्तीय लेन-देन में आसानी होती है। इसकी मदद से आप बैंक खाता और डीमैट खाता खोल सकते हैं। इसके अलावा प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त के लिए भी यह जरूरी होता है। दरअसल, पैन कार्ड टैक्सेबल सैलरी या प्रोफेशनल फी हासिल करने के लिए भी आवश्यक है। यह इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए भी जरूरी है।
 चूंकि पैन कार्ड पर नाम और फोटोग्राफ होता है, ऐसे में यह आइडेंटिटी प्रूफ के तौर पर काम करता है। भले ही आपका पता बदलता रहे, लेकिन पैन नंबर नहीं बदलता।
 ऊंची दर पर टैक्स डिडक्शन से बचने के लिए पैन कार्ड जरूरी है। दरअसल, जब आप 50 हजार रुपए से अधिक राशि की एफडी शुरू करते हैं, तो पैन कार्ड की फोटोकॉपी देनी होती है। पैन के अभाव में ऊंची दर पर आपका टीडीएस काट लिया जाएगा।
इन परिस्थितियों में भी है पैन कार्ड आवश्यक
 => दो पहिया के अलावा किसी अन्य वाहन की खरीद-बिक्री
 => किसी होटल या रेस्तरां में एक बार में 25 हजार रुपए से अधिक की अदायगी
 => शेयरों की खरीदारी के लिए किसी कंपनी को 50 हजार रुपए या इससे अधिक की अदायगी 
 => बुलियन या ज्वलैरी की खरीदारी के लिए पांच लाख रुपए से अधिक की अदायगी      
 => पांच लाख रुपए या इससे अधिक कीमत की अचल संपत्ति की खरीद-बिक्री  
 => बैंक में 50 हजार रुपए से अधिक जमा
 => विदेश यात्रा के संबंध में 25 हजार रुपए से अधिक की अदायगी
 => बॉन्ड खरीदने के लिए आरबीआई को 50 हजार रुपए या इससे अधिक की अदायगी
 => बॉन्ड या डिबेंचर खरीदने के लिए किसी कंपनी या संस्था को 50 हजार रुपए या इससे अधिक की अदायगी
 => म्यूचुअल फंड की खरीदारी  

अब शॉपिंग के लिए भी जरूरी होगा PAN और आधार कार्ड

दिनेश माहेश्वरी 
कोटा। आपकी पहचान बताने वाले पैन कार्ड और आधार कार्ड को अब आपकी शॉपिंग में शामिल किया जा रहा है। दरअसल, देश में काले धन को रोकने के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेंटिग (एसआईटी) ने इस पर कई सुझाव दिए हैं। टीम ने लोगों की खरीदारी को भी पैन और आधार के दायरे में लाने की बात कही है। एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट को दिए गए सुझाव में एसआईटी ने कहा है कि एक लाख रुपए से अधिक की खरीददारी करने के लिए पैन नंबर बताने और आइडेंटिटी प्रूफ जैसे आधार जमा करना आनिवार्य किया जाए। इनमें नकदी के साथ-साथ चेक और क्रेडिट कार्ड से पेमेंट को भी शामिल करने की बात कही गई है। 
 डाटाबेस होगा तैयार
 एसआईटी ने शॉपिंग के पेमेंट के दौरान होने वाली ट्रांजैक्शन के दौरान दिए जाने वाले पैन, पासपोर्ट नंबर और ड्राइविंग लाइसेंस नंबर की डिटेल कैप्चर करने के लिए एक सेंट्रल 'नो योर कस्टमर' (केवाइसी) डेटाबेस तैयार करने का भी सुझाव दिया है।
नकदी रखने की सीमा भी होगी तय
 एसआईटी ने यह भी सुझाव दिया है कि किसी भी व्यक्ति को अपने साथ ले जानी वाली नकदी की सीमा 10 या 15 लाख तय कर दी जाए और इससे अधिक रकम को जब्त कर लिया जाए। एसआईटी ने अवैध धन के ट्रांसपॉर्टेशन पर अंकुश लगाने की बात कही है। एक सीमा से ऊपर कैश ट्रांजैक्शन पर रोक लगाने वाले यूरोपीय नियम का हवाला देते हुए एसआईटी ने कहा है कि भारत में भी इसी प्रकार का सिस्टम अपनाया जाने पर जोर दिया है। हालांकि, सीमा इस तरह से तय की जाए जिससे आम आदमी का प्रतिदिन का ट्रांजैक्शन प्रभावित न हो।
क्वार्टरली हो रिव्यू
 एसआईटी ने देश में कालाधन रोकने और आतंकी खतरों से बचने के लिए भारतीय एक्सपोर्ट और इंपोर्ट का अन्य देशों के एक्सपोर्ट और इंपोर्ट से मिलान किए जाने की भी सिफारिश की है। हालांकि, हर महीने ये संभव नहीं है तो इसे क्वॉर्टरली बेसिस पर कराना जरूरी है। इससे बिल को ज्यादा दिखाने या कम दिखाने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगेगा। इसमें एक्सपोर्ट बिल या शिपिंग बिल में विदेश भेजे जाने वाले सामान या मशीनरी की अंतर्राष्ट्रीय कीमत पर एक नया कॉलम शामिल किया जाए।

Friday, December 12, 2014

कम होगा मोबाइल के गिरकर टूटने का खतरा

कोटा। आपका मोबाइल अब यदि हाथ से छूटकर गिर भी पड़ता है तो उसके टूटने का खतरा अब आधा रह जायेगा। कांच बनाने वाली दुनिया की प्रमुख कंपनी कोनिट्वग इंडिया ने आज यहां गोरिला ग्लास 4 की भारतीय लांचिंग के मौके पर दावा किया कि यदि मोबाइल का स्क्रीन इस कांच का बना हो तो एक मीटर यानि कमर की ऊंचाई से खुर्दरी सतह पर गिरने के बाद भी इस मोबाइल के स्क्रीन के टूटने की आशंका आधी रह जाती है।   कंपनी ने प्रयोगशाला में किये गये परीक्षणों के आधार पर दावा किया कि इस काँच के स्क्रीन 8० प्रतिशत मौकों पर गिरने के झटके को झेल गये जबकि इससे पहले के संस्करणों के काँच से बने स्क्रीन सिर्फ 40 प्रतिशत मौकों पर ही टूटने से बचे रह सकते थे।  कंपनी के बिक्री तथा उपकरण इंजीनियरिंग के निदेशक जेम्स होलिस ने कहा कि गोरिला ग्लासों का उपयोग सबसे ज्यादा मोबाइल, नोटबुक आदि के स्क्रीन बनाने के लिए होता है। देश में सबसे ज्यादा बिकने वाले सैमसंग फोनों समेत दुनिया भर की कई मोबाइल फोन और कंप्यूटर कंपनियां गोरिला ग्लासों का उपयोग करती हैं। इनमें मोटोरोला, एचटीसी, एलजी, एसर, एचपी, लेनोवो, डेल आदि भी शामिल हैं। इस ग्लास का चौथा संस्करण आने से अब लोग अपने मोबाइल फोन को लेकर ज्यादा सुरक्षित महसूस कर सकेंगे क्योंकि दुगुने मजबूत होने के साथ-साथ खरोंच दाग आदि के लिए दुगुने सुरक्षित हैं।

सरकारी दामाद' के घर मिले 100 करोड़ के हीरे!

लखनऊ  माया और अखिलेश राज में जिस अफसर की तूती बोल रही थी, उसके खजाने और कारनामे को देखकर आयकर विभाग के होश उड़ गए। सरकारी हलके में सरकारी दामाद की नजर से देखा जाने वाले यादव सिंह की पत्नी कुसुमलता के नाम से रजिस्टर्ड कंपनी के डायरेक्टर की कार से ही शुक्रवार सुबह 10 करोड़ रुपये बरामद किए गए।
दरअसल, छापा पड़ते ही कंपनी के निदेशक राजेंद्र मनोचा ने अपनी कार में 10 करोड़ रुपये भरे और घर के ही सामने पार्क में खड़ी कर दी थी। काफी दबाव बनाने पर मनोचा ने अपनी गाड़ी की चाबी दी और गाड़ी में नोटों से भरे आठ बैग बरामद हुए। यह जानकारी आरकर विभाग, चांच के डीजी कृष्‍णा सैनी ने दी।
सैनी ने यह भी बताया कि छापे के दौरान यादव सिंह के घर की तलाशी हुई तो सोने और जवाहरात देखकर आयकर विभाग की आंखे चौंधिया गईं। आयकर विभाग ज्वैलरी की कीमत के आंकलन में जुटी है। यादव के घर से बरामद करीब ढाई किलो हीरे और सोने के गहनों की कीमत 100 करोड़ से भी हो सकती है। जांचकर्ता भी ये नजारा देखकर हैरान रह गए कि चीफ इंजीनियर का घर था या हीरे का शोरूम? इस खुलासे के बाद यादव सिंह से तीनों अथॉरिटी के चार्ज वापस ले लिए गए हैं।
गुरुवार को आयकर विभाग ने नोएडा अथॉरिटी के चीफ इंजीनियर यादव सिंह और उसकी पत्नी की कंपनियों के निदेशकों के 20 ठिकानों पर छापा मारकर प्राधिकरण की जमीनों में बड़ी लूट का खुलासा किया था।

ऐसे खड़ा किया अरबों का साम्राज्य
पहले कागज पर ही कंपनी खड़ी कर ली गई। कंपनी के नाम से नोएडा अथॉरिटी के बेशकीमती प्लॉट बेहद सस्ते दाम पर हथिया लिए और फिर प्लॉट समेत पूरी कंपनी बेच दी। बृहस्पतिवार पूरी रात चली कार्रवाई में 40 फर्जी कंपनियां सामने आईं। 
विभाग ने करोड़ों के लेन-देन व बेनामी संपत्तियों के दस्तावेज जब्त किए हैं। सूत्रों की मानें तो इन कंपनियों ने 300 प्लॉटों का वारा-न्यारा किया है। इस पूरे खेल में अरबों रुपये की हेराफेरी की गई।
आयकर महानिदेशक (जांच) कृष्णा सैनी ने लखनऊ में बताया कि बृहस्पतिवार को यादव के आवास, पत्नी कुसुम लता की कंपनियों के दफ्तर और निदेशक राजेंद्र मनोचा और नम्रता मनोचा के नोएडा, गाजियाबाद, दिल्ली के आवासों पर एक साथ छापा मारा।

आयकर महानिदेशक ने बताया कि चार साल तक प्लॉट की खरीद फरोख्त के खेल से निदेशकों ने खूब मुनाफा कमाया, लेकिन आयकर हजम कर गए

ब्रेसलेट जो आपकी कलाई को बना देगा स्मार्टफोन

कोटा।  Cicret नाम की कंपनी ने एक ऐसा ब्रेसलेट तैयार किया है जो आपकी कलाई को ही स्मार्टफोन बना देगा। आप अपनी कलाई पर ही ईमेल सेंड और रिसीव सकते हैं, अपना पसंदीदा गेम खेल सकते हैं।
यह छोटा सा रिस्टबैंड आपकी कलाई पर एंड्रॉएड का इंटरफेस प्रोजेक्ट कर सकता है यानि अपने स्मार्टफोन की स्क्रीन आपकी कलाई पर नजर आएगी। इस रिस्टबैंड को करीब 6 महीने में तैयार किया गया है। इस रिस्टबैंड में एक पीको प्रोजेक्टर और 8 सेंसर लगे हैं।यह एक स्टेंडअलोन डिवाइस की तरह काम करता है। जिस तरह आप अपने स्मार्टफोन में इंटरफेस का इस्तेमाल करते हैं, उसी तरह आप रिस्टबैंड में लगे सेंसर्स से कलाई पर इंटरफेस का इस्तेमाल कर सकते हैं।
देखें कैसे करता है काम
सीक्रेट ब्रेसलेट के जरिए ईमेल पढ़ना, वेब ब्राउजिंग करना, गेम्स खेलना, कॉल रिसीव करना, स्पीकर फोन एक्टिवेट करना बेहद आसान है।
वायरलैस कनेक्टिविटी के लिए वाई-फाई और ब्लूटूथ का इस्तेमाल कर सकते है, साथ ही माइक्रो यूएसबी के जरिए भी रिस्टबैंड को स्मार्टफोन से कनेक्ट किया जा सकता है। सीक्रेट ब्रेसलेट की कीमत 400 डॉलर (करीब 24,934 रुपए) है। यह डिवाइस लगभग डेढ़ साल में बाजार में उपलब्ध होगी।

Wednesday, December 10, 2014

किसी भी मोबाइल और लैंडलाइन नंबर पर करें अ‌नलिमिटेड फ्री कॉल

कोटा। स्मार्टफोन यूजर्स के लिए ऐसी कई ऐप्स मौजूद हैं जो फ्री वॉयस कॉल की सुविधा देती हैं, लेकिन इसके लिए शर्त होती है कि दोनों स्मार्टफोन यूजर्स के पास एक जैसी फ्री वॉयस कॉल ऐप इंस्टॉल होनी चाहिए।
अगर आप किसी अन्य व्यक्ति के फोन या लैंडलाइन नंबर पर कॉल करना चाहें तो इसके लिए आपको दाम चुकाने पड़ते हैं। मगर अब इस परेशानी से भी स्मार्टफोन यूजर्स को मुक्ति मिल चुकी है।
सीनेट की एक रिपोर्ट के मुताबिक 'कॉल+' (Call+) ऐप के जरिए आप 85 देशों में मोबाइल और लैंडलाइन नंबर पर मुफ्त में कॉल कर सकते हैं। सबसे खास बात इस ऐप के जरिए कॉल करने के लिए दूसरी तरफ यह ऐप इंस्टॉल होना जरूरी नहीं है।
कॉल+ एंड्रॉयड और आईओएस यूजर्स के लिए मौजूद है। कॉल करने पर यह ऐप आपका नंबर कॉलर आईडी में दिखाएगा। इस ऐप के जरिए आप यूएसए में किसी भी नंबर पर अनलि‌मिटेड फ्री वॉयस कॉल और मैक्सिको, चाइना और ब्राजील में लैंडलाइन नंबर पर कॉल कर सकते हैं।
अगर आप भारत समेत किसी अन्य देश में या ब्राजील, चीन और मैक्सिको में मोबाइल नंबर पर कॉल करना चाहते हैं, तो आपको दो विकल्प मिलेंगे।
पहला, आप एक दिन अनलिमिटेड बात करने के लिए 99 सेंट्स (करीब 61 रुपए) या 2 दिन अनलिमिटेड कॉल के लिए 1.99 डॉलर (करीब 123 रुपए) और एक महीने अनलिमिटेड कॉल सर्विस के लिए 19.99 डॉलर (करीब 1240 रुपए) का पैक ले सकते हैं।
दूसरा, आप कोई ऑफर (जैसे किसी वेबसाइट पर लॉगइन, कोई सर्वे पूरा करना, ऐड देखना) पूरा करके कुछ दिन की फ्री सर्विस ले सकते हैं, या सर्विस के लिए पैसे चुका सकते हैं।
सिंगापुर के तीन छात्रों ने एक प्रतियोगिता में ऐसा मोबाइल ऐप विकसित करने के लिए फंड जीता है जो लोगों को स्मार्टफ़ोन की लत छुड़ाने में मददगार साबित होगा।
'एप्‍पल ट्री' नामक यह एप्लीकेशन लोगों को अपने मोबाइल की स्क्रीन में घुसे रहने के बजाए दोस्तों और परिजनों के साथ ज़्यादा वक़्त बिताने के लिए प्रेरित करेगा।
ये एप्लीकेशन दो या अधिक दोस्तों के अपने फ़ोन एक साथ रखने पर फ़ोन को स्थिर कर देती है।
यदि फ़ोन को छुआ न जाए तो स्क्रीन पर सेब का पेड़ बनने लगता है। ज़्यादा देर स्क्रीन न छूने पर पेड़ पर 'डिजीटल सेब' उग आते हैं जो फ़ोन इस्तेमाल न करने के इंसेटिव के तौर पर यूज़र को मिलते हैं।
जितनी देर फ़ोन को न छुआ जाए उतने ज़्यादा ही डिजीटल सेब उगते हैं जो यूज़र के लिए ईनाम होते हैं।

मैजिक पैन के जरिये खातों से लाखों रु. निकाल रहे बदमाश

कोटा।   राजस्थान के जयपुर  में मैजिक पैन के जरिये लोगों के खातों से रकम पार करने वाला गिरोह सक्रिय है। यह गिरोह रोजमर्रा की चीजों की बुकिंग के बहाने लोगों से चेक  से भुगतान लेता है। चैक पर वह खुद की ओर से लाए गए पैन से राशि और नाम भरता है। इसके बाद ग्राहक से उस पर साइन करने को कहता है।
 बातचीत के दौरान बदमाश पैन बदलकर ग्राहक को दूसरा पैन थमा देते हैं या ग्राहक के पैन से ही साइन लेते हैं। बदमाशों द्वारा भरी गई राशि और नाम ऐसे पैन से भरी जाती है, जिसकी स्याही कुछ देर बाद गायब हो जाती है, जबकि साइन ज्यों के त्यों रहते हैं। इस तरह के  मामले प्रतापनगर, सांगानेर और जालूपुरा में सामने आए हैं। 
कम कीमत में सामान देने का झांसा देकर भरवाते हैं चैक
बदमाश फोन से लोगों को रोजमर्रा में काम आने वाली वस्तुओं की बुकिंग कम रेट में करने का झांसा देकर उनके घर या फिर ऑफिस पहुंचते हैं। वे खुद एक बुकिंग फार्म भरते हैं और चेक  मांगते हैं। बदमाश चैक लेकर खुद ही कंपनी का नाम, अकाउंट पेई और बुकिंग राशि लिखते हैं। यह सब जिस पैन से लिखा जाता है, वह सब कुछ देर बाद मिट जाता है। इसके बाद बदमाश बैंक पहुंचकर संबंधित व्यक्ति के खाते में जमा राशि की जानकारी लेकर दूसरे पैन से चेक  पर मनमर्जी से राशि भर लेते हैं।
फर्जी सिम से करते हैं कॉल
 पुलिस जांच में सामने आया है कि बदमाश जिस सिम से लोगों को फोन करते हैं, वह किसी अन्य के नाम पर होती है। वारदात के बाद वे अपना फोन भी स्वीच ऑफ कर देते हैं। पीड़ित के मोबाइल में खाते से ज्यादा पैसे निकलने पर वह अगर बदमाशों से संपर्क करने का प्रयास करता है तो ऐसा नहीं हो पाता।

Tuesday, December 9, 2014

Orange flavor of heavy Chittor


जानिए क्या हैं मोबाइल बैंकिंग के चमत्कार

कोटा  । आईसीआईसीआई और एचडीएफसी जैसे प्राइवेट बैंक काफी पहले से ही मोबाइल बैंकिंग और बैंकिंग ऐप्स पर जोर देते रहे हैं और अब सरकारी बैंकों ने भी इस पर जोर देना शुरू कर दिया है। जानिए किन कारणों से भारत जैसे देश में मोबाइल बैंकिंग और बैंक ऐप्स ज्यादा सुविधाजनक साबित होंगे।
बैंक के कामों में आसानी
अब आपको बैंक में पासबुक लेने, बैंक स्टेटमेंट लेने और पैसा ट्रांसफर कराने के लिए लाइन नहीं लगना पड़ेगा। अब आपको इन कामों के लिए भागकर बैंक भी जाने की जरूरत नहीं है। अब सिर्फ एक क्लिक करके उन सब काम को आप कर सकते हैं जिसके लिए बैंक में लम्बी लाइन में लगना पड़ता था। बिल का भुगतान, पैसा ट्रांसफर और अब यहां तक कि बैंक बैलेंस भी मिनटों में चेक किया जा सकता है। इसके लिए बस वाई-फाई या अच्छा 3 जी कनेक्शन चाहिए।
हर जगह मौजूद है मोबाइल
भारत में मोबाइल लगभग हर जगह पहुंच चुके हैं। इसके साथ ही 3 जी इंटरनेट कनेक्शन ने इसे और सुविधाजनक बना दिया है। अगले साल तक 4जी को आने की उम्मीद है, इससे मोबाइल सेवा और मजबूत होगी। लोग अब स्मार्टफोन को अपना रहे हैं और इसके साथ ऐप बैंकिंग सेवाओं में सुविधा प्रदान करेगा।
डायरेक्ट कॉन्टैक्ट
कई सरकारी बैंक दावा कर रहे हैं कि लोग अब मोबाइल ऐप की मदद से उनके ब्रांच मैनेजर से संपर्क कर सकते हैं। यदि वे बैंक मैनेजर से विडियो चैट नहीं कर पाए तो अकाउंट मैनेजर से संपर्क कर सकते हैं। यह बहुत ही अच्छी बात है क्योंकि बैंक जाए बगैर कई सवालों का समाधान खोजा जा सकता है। इस तरह के निजी संपर्क को बैंक बढ़ावा दे रहे हैं और यदि सही चला तो यह टर्निंग फैक्टर होगा।
कहीं भी रहो, कहीं भी पैसा ट्रांसफर करो
अब आप चाहे दुनिया में कहीं भी रहें, अपना पैसा ट्रांसफर मिनटों में कर सकते हैं। जिस काम के लिए आपको पहले लम्बा इंतजार करना पड़ता था अब कुछ क्लिक पर तुरंत हो जाएगा। यह कुछ ऐसी सुविधा है जिसका प्रफेशनल लोगों के साथ-साथ बिजनस क्लास भी लाभ उठा सकता हैं।