कोटा। सोचिए! अगर आपके घर के गमले में लगा पौधा आपको एसएमएस से यह बताने लगे कि मुझे पानी की जरूरत है तो इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी में आपको कितनी सहूलियत होगी। जी हां! यह ‘गैबी ट्री’ नामक उपकरण से मुमकिन है, जिसे बनाया है जमशेदपुर के टेल्को निवासी विद्यार्थी आदित्य ओम ने। आदित्य के पिता डॉ. अखिलेश कुमार झा होम्योपैथी चिकित्सक हैं, जबकि मां चंचला झा गृहिणी हैं। आदित्य ओम विद्या भारती चिन्मया का छात्र रहा है और फिलहाल एनआईटी, रायपुर में तृतीय वर्ष का छात्र है। उसका बनाया ‘गैबी ट्री’ की पौधे को फलने-फूलने में मदद करेगा। जब भी पौधे को पानी की जरूरत होगी उसके मालिक के मोबाइल फोन पर मैसे आए कि उसे पानी की जरूर है।
इसके अलावा पौधे को बढ़ने के लिए किन-किन चीजों की जरूरत है, इनकी जानकारी एसएमएस के माध्यम से मिलती रहेगी। आदित्य को इस अविष्कार के लिए बेंगलुरू में 9-10 दिसंबर तक आयोजित हुए इंटेल इनोवेशन कॉनक्लेव-2014 में तीसरा स्थान मिला है।
ऐसे काम करता है ‘गैबी ट्री’
गैबी ट्री का निर्माण महज 7 हजार रुपये में हुआ है। गैबी ट्री का मतलब बातूनी पौधा होता है। इसमे कई तरह के सेंसर, डेटाबेस और जीपीएस लगे हैं। इसमें 12 तरह के सेंसर और जीपीएस लगे हैं। इसे पौधे के तने में बांध दिया जाता है। उपकरण को पौधे के मालिक के मोबाइल से लिंक किया जाता है। पौधे की स्थिति को उपकरण सेंसर की मदद से पता लगाता रहता है और जरूरत के अनुसार सूचनाएं मोबाइल फोन तक भेजता रहता है।
खोज जारी रहेगी
डॉ. जगदीश चन्द्र बसु के अविष्कार से हमेशा प्रेरणा मिली है। इस अविष्कार को मैं मेरे माता-पिता और शिक्षकों को समर्पित करता हूं। आगे भी खोज जारी रहेगी।- आदित्य ओम, अविष्कारक
इसके अलावा पौधे को बढ़ने के लिए किन-किन चीजों की जरूरत है, इनकी जानकारी एसएमएस के माध्यम से मिलती रहेगी। आदित्य को इस अविष्कार के लिए बेंगलुरू में 9-10 दिसंबर तक आयोजित हुए इंटेल इनोवेशन कॉनक्लेव-2014 में तीसरा स्थान मिला है।
ऐसे काम करता है ‘गैबी ट्री’
गैबी ट्री का निर्माण महज 7 हजार रुपये में हुआ है। गैबी ट्री का मतलब बातूनी पौधा होता है। इसमे कई तरह के सेंसर, डेटाबेस और जीपीएस लगे हैं। इसमें 12 तरह के सेंसर और जीपीएस लगे हैं। इसे पौधे के तने में बांध दिया जाता है। उपकरण को पौधे के मालिक के मोबाइल से लिंक किया जाता है। पौधे की स्थिति को उपकरण सेंसर की मदद से पता लगाता रहता है और जरूरत के अनुसार सूचनाएं मोबाइल फोन तक भेजता रहता है।
खोज जारी रहेगी
डॉ. जगदीश चन्द्र बसु के अविष्कार से हमेशा प्रेरणा मिली है। इस अविष्कार को मैं मेरे माता-पिता और शिक्षकों को समर्पित करता हूं। आगे भी खोज जारी रहेगी।- आदित्य ओम, अविष्कारक
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