Monday, December 15, 2014

एसएमई के लिए रेटिंग कराना होगा आसान

दिनेश माहेश्वरी 
कोटा। छोटे और मझोले उद्योगों को रेटिंग करने की प्रक्रिया आसान करने की तैयारी है। वित्त मंत्रालय इसके लिए एमएसएमई सेक्टर की रेटिंग पैरामीटर को एक समान करने की कवायद कर रहा है। जिससे कारोबारियों के लिए बैंकों से कर्ज लेना आसान हो सके।
 सूक्ष्म,लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मनीभास्कर को बताया कि अभी एसएमई की रेटिंग दो तरीके से होती है। एक तो स्वतंत्र रेटिंग एजेंसियां खुद छोटे और मझोले उद्योगों की रेटिंग करती हैं। जबकि दूसरा आरबीआई ने बैंकों को एसएमई के लिए रेटिंग करने की गाइडलाइन जारी की है। ऐसे में सभी के रेटिंग के पैरामीटर अलग-अलग है।
 क्या है समस्या
फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो एंड स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज (फिसमे ) के जनरल सेक्रेटरी अनिल भारद्वाज ने मनी भास्कर को बताया कि केअर, क्रिसिल, एसएमईआरए, इक्रा जैसी रेटिंग एजेंसी एसएमई की रेटिंग करती हैं। इसके अलावा बैंकों की अपनी रेटिंग होती है। सभी के रेटिंग पैरामीटर अलग-अलग हैं। ऐसे में कई ऐसे मामले होते हैं, कारोबारी को कहीं से तो अच्छी रेटिंग मिलती है, लेकिन बैंक उसे अच्छा नहीं मानता है। इससे उसे रेटिंग पर निवेश करने के बावजूद कर्ज उम्मीद के मुताबिक नहीं मिलता है।
 रेटिंग पैरामीटर होंगे एक समान
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार एमएसएमई सेक्टर में मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए गठित अंतरमंत्रालीय समूह (आईएमजी) ने रेटिंग के लिए एक समान पैरामीटर करने की सिफारिश की है। अधिकारी के अनुसार इस संबंध में वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा मामलों के विभाग को सिफारिशें भेज दी गई हैं। जो कि आरबीआई के जरिए एमएसएमई सेक्टर के लिए एक यूनिफार्म पैरामीटर जारी करने की तैयारी कर रहा है। यूनिफार्म पैरामीटर होने पर फिसमे के अनिल भारद्वाज का कहना है कि अभी का सिस्टम एमएसएमई सेक्टर को फायदा नहीं पहुंचा पाया है। अगर यूनिफार्म पैरामीटर हो जाते हैं, तो निश्चित तौर पर एमएसएमई को इसका फायदा मिलेगा।

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