कोटा। मोदी सरकार ने इंडियन ब्यूरोक्रेसी की 'कुछ नहीं करने की' सबसे बड़ी ताकत पर सामने से वार किया है। उसने 'ई-समीक्षा' नाम के नए डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिये ब्यूरोक्रेसी पर यह हमला बोला है। इस प्लेटफॉर्म से सरकार को किसी डिपार्टमेंट के अंदर और अलग-अलग डिपार्टमेंट के बीच फाइल के रियल टाइम मूवमेंट का पता चलेगा।
अगर किसी अधिकारी की तरफ से फाइल क्लीयर किए जाने में देरी हो रही है तो सरकार सीधे दखल दे सकती है। इसे कैबिनेट सेक्रटेरियट ने नैशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) के टेक्निकल सपोर्ट से तैयार किया है। ई-समीक्षा को शुरू हुए एक महीना से कुछ ज्यादा समय हुआ है। कई ब्यूरोक्रेट्स ने बताया कि इसने कई बाबुओं के काम करने का तरीका बदल दिया है।हम आपको बताते हैं कि ई-समीक्षा कैसे काम करता है? मान लीजिए कि कोई जॉइंट सेक्रटरी किसी बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट की फाइल रोके हुए हैं और यह प्रॉजेक्ट पीएमओ की प्राथमिकता में है। ई-समीक्षा की मदद से प्रधानमंत्री डिजिटली दखल दे सकते हैं और वह उनसे फैसले में देरी की वजह पूछ सकते हैं। पीएम अगर मामले में दखल देते हैं तो यह अधिकारी की कंप्यूटर स्क्रीन पर लाल निशान के तौर पर दिखेगा। कैबिनेट सेक्रटरी के दखल देने से भी स्क्रीन पर रेड लाइट दिखेगी। वहीं, डिपार्टमेंट के सेक्रटरीज या राज्य सरकारों के चीफ सेक्रटरीज के हस्तक्षेप करने पर कंप्यूटर स्क्रीन पर दूसरे रंगों की लाइट दिखेगी।हमने इस बारे में कई डिपार्टमेंट और एनआईसी के अधिकारियों से बात की। सभी ने नाम नहीं पब्लिश करने की शर्त पर बात की क्योंकि उन्हें इस मामले में आधिकारिक तौर पर बात करने की मनाही है। ई-समीक्षा में वॉर्निंग से पहले अलर्ट्स आते हैं। इसमें जैसे ही कोई काम किसी डिपार्टमेंट को दिया जाता है, तो उसके लिए जिम्मेदार सभी अधिकारियों और उनके टॉप बॉस को ईमेल अलर्ट्स मिलते हैं।
हर काम के लिए एक खास नंबर भी जेनरेट होता है। इस नंबर की मदद से किसी प्रॉजेक्ट की प्रोग्रेस को डिजिटल तरीके से ट्रैक किया जा सकता है। हर इलेक्ट्रॉनिक फाइल की मूवमेंट को कंप्यूटर पर माउस क्लिक करके ट्रैक किया जा सकता है। ई-समीक्षा में सिर्फ एक क्लिक के जरिये बॉस फाइल का पूरी मूवमेंट पता कर सकता है। यह प्रॉजेक्ट मॉनिटरिंग सिस्टम के साथ ब्यूरोक्रेसी की एफिशंसी के बारे में भी बताता है। ई-समीक्षा के जरिये अभी 400 से अधिक इनिशटिव, प्रॉजेक्ट्स और ऐक्शन पॉइंट्स ट्रैक किए जा रहे हैं।
अगर किसी अधिकारी की तरफ से फाइल क्लीयर किए जाने में देरी हो रही है तो सरकार सीधे दखल दे सकती है। इसे कैबिनेट सेक्रटेरियट ने नैशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) के टेक्निकल सपोर्ट से तैयार किया है। ई-समीक्षा को शुरू हुए एक महीना से कुछ ज्यादा समय हुआ है। कई ब्यूरोक्रेट्स ने बताया कि इसने कई बाबुओं के काम करने का तरीका बदल दिया है।हम आपको बताते हैं कि ई-समीक्षा कैसे काम करता है? मान लीजिए कि कोई जॉइंट सेक्रटरी किसी बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट की फाइल रोके हुए हैं और यह प्रॉजेक्ट पीएमओ की प्राथमिकता में है। ई-समीक्षा की मदद से प्रधानमंत्री डिजिटली दखल दे सकते हैं और वह उनसे फैसले में देरी की वजह पूछ सकते हैं। पीएम अगर मामले में दखल देते हैं तो यह अधिकारी की कंप्यूटर स्क्रीन पर लाल निशान के तौर पर दिखेगा। कैबिनेट सेक्रटरी के दखल देने से भी स्क्रीन पर रेड लाइट दिखेगी। वहीं, डिपार्टमेंट के सेक्रटरीज या राज्य सरकारों के चीफ सेक्रटरीज के हस्तक्षेप करने पर कंप्यूटर स्क्रीन पर दूसरे रंगों की लाइट दिखेगी।हमने इस बारे में कई डिपार्टमेंट और एनआईसी के अधिकारियों से बात की। सभी ने नाम नहीं पब्लिश करने की शर्त पर बात की क्योंकि उन्हें इस मामले में आधिकारिक तौर पर बात करने की मनाही है। ई-समीक्षा में वॉर्निंग से पहले अलर्ट्स आते हैं। इसमें जैसे ही कोई काम किसी डिपार्टमेंट को दिया जाता है, तो उसके लिए जिम्मेदार सभी अधिकारियों और उनके टॉप बॉस को ईमेल अलर्ट्स मिलते हैं।
हर काम के लिए एक खास नंबर भी जेनरेट होता है। इस नंबर की मदद से किसी प्रॉजेक्ट की प्रोग्रेस को डिजिटल तरीके से ट्रैक किया जा सकता है। हर इलेक्ट्रॉनिक फाइल की मूवमेंट को कंप्यूटर पर माउस क्लिक करके ट्रैक किया जा सकता है। ई-समीक्षा में सिर्फ एक क्लिक के जरिये बॉस फाइल का पूरी मूवमेंट पता कर सकता है। यह प्रॉजेक्ट मॉनिटरिंग सिस्टम के साथ ब्यूरोक्रेसी की एफिशंसी के बारे में भी बताता है। ई-समीक्षा के जरिये अभी 400 से अधिक इनिशटिव, प्रॉजेक्ट्स और ऐक्शन पॉइंट्स ट्रैक किए जा रहे हैं।
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