दिनेश माहेश्वरी
कोटा. शहर से 400 करोड़ रुपए का निवेश लौटने के दो महीने बाद भी रीको अफसरों ने गुजरात की बालाजी वैपर्स एंड नमकीन से संपर्क नहीं किया। जब यह मुद्दा 25 फरवरी को भास्कर में प्रकाशित हुआ, तो अगले ही दिन अफसरों ने कहा था कि कंपनी यहां आए तो सही, हम जमीन देने को तैयार हैं। रही बात एनवायरमेंट क्लियरेंस की तो उसे बाद में करा लेंगे। सोमवार को जब इस बाबत बात की गई तो रीको के सीनियर आरएम का कहना था कि उन्हें ध्यान नहीं है, कंपनियां तो आती-जाती रहती हैं।
400 करोड़ के निवेश लौटने की बात पर उन्होंने ऐसे जवाब दिया, जैसे कोई बड़ी बात नहीं है। वहीं उक्त कंपनी के मालिक चंदू भाई विरानी का कहना है कि उन्हें इंदौर में जमीन मिल गई है और वे जल्द ही वहां निवेश करेंगे।
रीको की इसी उदासीनता के चलते शहर में पिछले 20 सालों में कोई बड़ा उद्योग नहीं लग पाया। हर तीन साल में जमीन की कीमतें बढ़ाने और तरह-तरह के अड़ंगे लगाने से ही ऐसा हुआ। कोटा से निवेश लौटने की बात जब जयपुर में बिजनेस प्रमोशन सेल के एजीएम लोकेश विजय से की गई तो उन्होंने भी अनभिज्ञता जाहिर की। दरअसल, बालाजी वैपर्स कंपनी फरवरी में कोटा आई थी। उसने शहर के आसपास इंडस्ट्री लगाने के लिए 40 एकड़ जमीन और साढ़े छह लाख लीटर पानी की मांग थी। इसके लिए रीको अफसरों ने उसे बारां के शाहाबाद, रामगंजमंडी, झालावाड़ एवं कैथून आदि क्षेत्र में जमीन दिखाई। लेकिन, कंपनी प्रबंधन को वहां जमीन पसंद नहीं आई, वह चाहती थी कि शहर के पास ही जमीन मिले।
कुबेर एक्सटेंशन एरिया में जो जमीन थी, उस पर एनवायरमेंट क्लियरेंस का अड़ंगा था। उद्यमियों का कहना है कि यह पहला मौका नहीं है जब रीको अफसरों के गैर जिम्मेदाराना रवैये से कोई कंपनी वापस चली गई। पहले भी करोड़ों निवेश वाली कंपनियां वापस लौट चुकी हैं।
इंदौर में हमने तलाश ली है जमीन
कोटा सहित राजस्थान में जो भी जमीनें हमें दिखाई गईं वे ठीक नहीं थीं। सब में कोई न कोई अड़ंगा था। हमने इंदौर (मध्यप्रदेश) में जमीनें तलाश ली हैं। एक प्राइवेट है और दूसरी सरकारी। हम जल्द ही वहां निवेश की तैयारी कर रहे हैं।
- चंदू भाई विरानी, बालाजी वैपर्स एंड नमकीन
कोटा. शहर से 400 करोड़ रुपए का निवेश लौटने के दो महीने बाद भी रीको अफसरों ने गुजरात की बालाजी वैपर्स एंड नमकीन से संपर्क नहीं किया। जब यह मुद्दा 25 फरवरी को भास्कर में प्रकाशित हुआ, तो अगले ही दिन अफसरों ने कहा था कि कंपनी यहां आए तो सही, हम जमीन देने को तैयार हैं। रही बात एनवायरमेंट क्लियरेंस की तो उसे बाद में करा लेंगे। सोमवार को जब इस बाबत बात की गई तो रीको के सीनियर आरएम का कहना था कि उन्हें ध्यान नहीं है, कंपनियां तो आती-जाती रहती हैं।
400 करोड़ के निवेश लौटने की बात पर उन्होंने ऐसे जवाब दिया, जैसे कोई बड़ी बात नहीं है। वहीं उक्त कंपनी के मालिक चंदू भाई विरानी का कहना है कि उन्हें इंदौर में जमीन मिल गई है और वे जल्द ही वहां निवेश करेंगे।
रीको की इसी उदासीनता के चलते शहर में पिछले 20 सालों में कोई बड़ा उद्योग नहीं लग पाया। हर तीन साल में जमीन की कीमतें बढ़ाने और तरह-तरह के अड़ंगे लगाने से ही ऐसा हुआ। कोटा से निवेश लौटने की बात जब जयपुर में बिजनेस प्रमोशन सेल के एजीएम लोकेश विजय से की गई तो उन्होंने भी अनभिज्ञता जाहिर की। दरअसल, बालाजी वैपर्स कंपनी फरवरी में कोटा आई थी। उसने शहर के आसपास इंडस्ट्री लगाने के लिए 40 एकड़ जमीन और साढ़े छह लाख लीटर पानी की मांग थी। इसके लिए रीको अफसरों ने उसे बारां के शाहाबाद, रामगंजमंडी, झालावाड़ एवं कैथून आदि क्षेत्र में जमीन दिखाई। लेकिन, कंपनी प्रबंधन को वहां जमीन पसंद नहीं आई, वह चाहती थी कि शहर के पास ही जमीन मिले।
कुबेर एक्सटेंशन एरिया में जो जमीन थी, उस पर एनवायरमेंट क्लियरेंस का अड़ंगा था। उद्यमियों का कहना है कि यह पहला मौका नहीं है जब रीको अफसरों के गैर जिम्मेदाराना रवैये से कोई कंपनी वापस चली गई। पहले भी करोड़ों निवेश वाली कंपनियां वापस लौट चुकी हैं।
इंदौर में हमने तलाश ली है जमीन
कोटा सहित राजस्थान में जो भी जमीनें हमें दिखाई गईं वे ठीक नहीं थीं। सब में कोई न कोई अड़ंगा था। हमने इंदौर (मध्यप्रदेश) में जमीनें तलाश ली हैं। एक प्राइवेट है और दूसरी सरकारी। हम जल्द ही वहां निवेश की तैयारी कर रहे हैं।
- चंदू भाई विरानी, बालाजी वैपर्स एंड नमकीन