Wednesday, April 30, 2014

कोटा में होने वाला 400 करोड़ का इन्वेस्टमेंट अब इंदौर में

दिनेश माहेश्वरी 
कोटा. शहर से 400 करोड़ रुपए का निवेश लौटने के दो महीने बाद भी रीको अफसरों ने गुजरात की बालाजी वैपर्स एंड नमकीन से संपर्क नहीं किया। जब यह मुद्दा 25 फरवरी को भास्कर में प्रकाशित हुआ, तो अगले ही दिन अफसरों ने कहा था कि कंपनी यहां आए तो सही, हम जमीन देने को तैयार हैं। रही बात एनवायरमेंट क्लियरेंस की तो उसे बाद में करा लेंगे। सोमवार को जब इस बाबत बात की गई तो रीको के सीनियर आरएम का कहना था कि उन्हें ध्यान नहीं है, कंपनियां तो आती-जाती रहती हैं।
 400 करोड़ के निवेश लौटने की बात पर उन्होंने ऐसे जवाब दिया, जैसे कोई बड़ी बात नहीं है। वहीं उक्त कंपनी के मालिक चंदू भाई विरानी का कहना है कि उन्हें इंदौर में जमीन मिल गई है और वे जल्द ही वहां निवेश करेंगे।
 रीको की इसी उदासीनता के चलते शहर में पिछले 20 सालों में कोई बड़ा उद्योग नहीं लग पाया। हर तीन साल में जमीन की कीमतें बढ़ाने और तरह-तरह के अड़ंगे लगाने से ही ऐसा हुआ। कोटा से निवेश लौटने की बात जब जयपुर में बिजनेस प्रमोशन सेल के एजीएम लोकेश विजय से की गई तो उन्होंने भी अनभिज्ञता जाहिर की।  दरअसल, बालाजी वैपर्स कंपनी फरवरी में कोटा आई थी। उसने शहर के आसपास इंडस्ट्री लगाने के लिए 40 एकड़ जमीन और साढ़े छह लाख लीटर पानी की मांग थी। इसके लिए रीको अफसरों ने उसे बारां के शाहाबाद, रामगंजमंडी, झालावाड़ एवं कैथून आदि क्षेत्र में जमीन दिखाई। लेकिन, कंपनी प्रबंधन को वहां जमीन पसंद नहीं आई, वह चाहती थी कि शहर के पास ही जमीन मिले।
 कुबेर एक्सटेंशन एरिया में जो जमीन थी, उस पर एनवायरमेंट क्लियरेंस का अड़ंगा था। उद्यमियों का कहना है कि यह पहला मौका नहीं है जब रीको अफसरों के गैर जिम्मेदाराना रवैये से कोई कंपनी वापस चली गई। पहले भी करोड़ों निवेश वाली कंपनियां वापस लौट चुकी हैं।
 इंदौर में हमने तलाश ली है जमीन
 कोटा सहित राजस्थान में जो भी जमीनें हमें दिखाई गईं वे ठीक नहीं थीं। सब में कोई न कोई अड़ंगा था। हमने इंदौर (मध्यप्रदेश) में जमीनें तलाश ली हैं। एक प्राइवेट है और दूसरी सरकारी। हम जल्द ही वहां निवेश की तैयारी कर रहे हैं।
 - चंदू भाई विरानी, बालाजी वैपर्स एंड नमकीन

डिजिटल फोटोग्राफ के स्मार्ट मैनेजमेंट से कमाएं धन

कोटा। आपके पास मोबाइल, कैमरे या कई ड्राइव में हजारों डिजिटल फोटोग्राफ पड़े हो सकते हैं। हम आपको बता रहे हैं कि इनका बेहतर इस्तेमाल कैसे किया जाए, जिसमें इनसे पैसे कमाना भी शामिल है।
शानदार फोटो स्लाइडशो तैयार करें
आप अपने स्मार्टफोन या टैबलट के हाई रेजॉलूशन का फायदा उठा सकते हैं। इसके जरिए फोटो फ्रेम के तौर पर तस्वीरों की साइज डबल कर सकते हैं। ऐंड्रॉयड का फ्री ऐप डेफ्रेम (dayframe) इसमें आपकी मदद कर सकता है। इस ऐप के जरिए आपके पास डिवाइस में स्टोर फोटो, ऐल्बम या फेसबुक, इंस्टाग्राम, ड्रॉपबॉक्स, फ्लिकर, 500पीएक्स, गूगलप्लस, ट्विटर जैसे ऑनलाइन माध्यमों से तस्वीरों के ऑटोमैटिक डिस्प्ले का विकल्प होता है। चूंकि डेफ्रेम कनेक्टेड होता है, लिहाजा आप जो भी माध्यम चुनेंगे, उससे फोटो का अपडेट जारी रहेगा। स्लाइडशो को कस्टमाइज करने के लिए इसमें कई सेटिंग्स और ऑप्शंस हैं। इस ऐप को फ्री में इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, अडवांस्ड टाइमर्स, फोटो पर वेदर अपडेट आदि फीचर्स ऐड करने के लिए आपको पैसे देने होंगे।
फोटोग्राफ से तैयार करें मूवी!
मैजिस्टो (www.magisto.com) आईओएस और ऐंड्रॉयड से जुड़ा ऐप है, जिसके जरिए आप अपनी डिवाइस पर स्टोर फोटोग्राफ से मूवी तैयार कर सकते हैं। इसे इस्तेमाल करना बेहद आसान है। आप अपने हिसाब से फोटो, थीम या स्टाइल और साउंड ट्रैक चुनें और आपकी मूवी खुद-ब-खुद तैयार हो जाएगी। साउंडट्रैक अपनी तरफ से भी अपलोड कर सकते हैं या फिर ऐप में मौजूद विकल्पों से चुन सकते हैं। हालांकि, इसका फ्री वर्जन लिमिडेट है। आप फ्री वर्ज़न में हर मूवी में सिर्फ 5 फोटो अपलोड कर सकते हैं और 75 सेकंड लंबी मूवी ही बना सकते हैं। इस मूवी को गूगल अकाउंट के साथ साइन-इन कर सीधा यूट्यूब को एक्सपोर्ट किया जा सकता है। अगर आप लंबी मूवी (30 फोटो वाली दो या ढाई मिनट की मूवी) या अपनी डिवाइस पर तैयार ऐसी मूवी डाउनलोड करना चाहते हैं, तो आपको प्रीमियम (मंथली या सालाना) मेंबरशिप लेनी पड़ेगी।
फोन फोटोग्राफ्स का इस्तेमाल कर पैसे बनाएं
पारंपरिक स्टॉक फोटो वेबसाइट्स सिर्फ हाई क्वॉलिटी और हाई रेजॉलूशन वाले फोटोग्राफ ही स्वीकार करती हैं। ये वेबसाइट्स डीएसएलआर कैमरे से खींची गई तस्वीरों को तवज्जो देती हैं। मोबाइल फटॉग्रफी के शौकीनों के लिए www.phonestockfoto.com जैसी जगहें हैं, जहां कैमरा फोन या पॉइंट-ऐंड-शूट फोटोग्राफ्स आमतौर पर 5 डॉलर प्रति इमेज पर बेची जाती हैं। फटॉग्रफर को हर बिक्री से 40 फीसदी रॉयल्टी मिलती है। आपके पास जितनी बेहतर क्वॉलिटी की फोटो होगी, आप उतने ही ज्यादा पैसा बना सकेंगे। एक और स्टॉक एजेंसी www.roomtheagency.com मोबाइल फोन के फोटोग्राफ्स स्वीकार करती है। यह वेबसाइट हर सेल पर 35 फीसदी रॉयल्टी देती है और अगर आपके 100 से भी ज्यादा फोटो स्वीकार किए गए हैं, तो रॉयल्टी बढ़कर 40 फीसदी तक हो सकती है।
बैकअप रखें और कहीं भी ऐक्सेस करें
आपके फोटोग्राफ के कलेक्शन में आपकी जिंदगी के कई यादगार लम्हे जुड़े होते हैं। अचानक कंप्यूटर के क्रैश कर जाने या डिलीट हो जाने जैसी दुर्घटनाओं के कारण आपको फोटो गवांनी न पड़े, इसके लिए क्लाउड स्टॉरेज पर बैकअप रखें। बैकअप के लिए आपकी सभी तस्वीरों को ड्रॉपबॉक्स, बॉक्स.नेट, स्काईड्राइव और गूगल ड्राइव जैसी क्लाउड स्टॉरेज सर्विस में अपलोड करना पड़ेगा। जहां इन वेबसाइट्स ने इमेज को अपलोड करना आसान कर दिया है, वहीं ये आपको लिमिटेड फ्री स्टॉरेज की सुविधा भी मुहैया कराती हैं। और ज्यादा स्टॉरेज के लिए आपको पैसे देने होंगे। एक और विकल्प पिकासा या फ्लिकर जैसी फोटो शेयरिंग वेबसाइट का इस्तेमाल करना है। आप एक प्राइवेट ऐल्बम में फोटो अपलोड कर सकते हैं, जिसे कोई दूसरा शख्स ऐक्सेस नहीं कर सकता है। दोनों वेबसाइट्स में से फ्लिकर फोटो और विडियो के लिए 1टीबी का ऑनलाइन स्टॉरेज स्पेस फ्री में मुहैया कराती है।
क्वॉलिटी प्रिंट की होम डिलिवरी लें
डिजिटल फटॉग्रफी के दौर में ज्यादातर लोगों ने फोटोग्राफ्स की प्रिटिंग करवानी बंद कर दी है। हालांकि, प्रिंट अब भी बेहतरीन तस्वीरों की नुमाइश का बेहतरीन जरिया है। आप न सिर्फ अलग-अलग तरह के पेपर (कैनवस, ग्लॉसी, मटैलिक) पर फोटो प्रिंट करवा सकते हैं, बल्कि इसे अलग-अलग साइज में फ्रेम करवाने के अलावा इसे कस्माइज्ड कैलेंडर्स, टीशर्ट्स, कुशन और यहां तक कि कॉफी मग पर भी प्रिंट करवा सकते हैं। कई ऑनलाइन विकल्पों में हम आपको फोटो प्रिंट के लिए www.zoomin.com, www.vistaprint.com या www.printvenue.com पर जाने की सलाह देंगे। आम तौर पर इन वेबसाइट्स पर आपको अकाउंट बनाना पड़ेगा। साथ ही, आप जो प्रॉडक्ट प्रिंट करवाना चाहते हैं, उसे अपलोड कर ऑर्डर प्लेस कर सकते हैं। पेमेंट के बाद आपको (मेट्रो शहरों में) कुछ दिनों के भीतर प्रिंट मिल जाएगा।
वन टच के साथ फोटो शेयर करें
कई लोग फैमिली और दोस्तों के साथ संपर्क में रहने के लिए कई तरह के सोशल नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, हर वेबसाइट पर फोटो शेयर करना थकाने वाला काम हो सकता है। ऐसे में एवरीपोस्ट (फ्री, आईओएस और ऐंड्रॉयड), क्विक सोशल (ऐंड्रॉयड) और मल्टिपोस्ट (फ्री, आईओएस और ऐंड्रॉयड) जैसे ऐप्स आपकी मदद कर सकते हैं। आपको सिर्फ वैसी तस्वीरें चुनने की जरूरत है, जो आप शेयर करना चाहते हैं और एक सिंगल टच के साथ सारी तस्वीरें अपलोड हो जाएंगी। अगर आप फोटोग्राफ शेयरिंग प्रोसेस को ऑटोमैटिक करना चाहते हैं, तो आईओएस, ऐंड्रॉयड और विंडोज के लिए फ्री ऐप वूवन चेक कर सकते हैं। इसके जरिए आप कई सोशल नेटवर्क पर एक क्लिक के साथ फोटोग्राफ अपलोड कर सकते हैं। पिकपुश नामक एक और ऐप इसी तरह की सर्विस देता है। इस ऐप में 30 दिनों तक ट्रायल के लिए सर्विस फ्री है, जबकि इसके बाद पेमेंट करना पड़ता है। यह बैकग्राउंड में चलता है और एक क्लिक के साथ फेसबुक, फ्लिकर, शटरफ्लाई और पिकासा जैसी वेबसाइट्स पर फोटो खुद-ब-खुद अपलोड हो जाता है।

गूगल लाएगी स्मार्टवॉच एंड्रॉयड वियर

 कोटा।  गूगल भी वियरेबल्स की दौड़ में शामिल हो गया है। कंपनी ने कहा है कि वह इस साल के अंत तक एंड्रॉयड मोबाइल सॉफ्टवेयर बेस्ड वियरेबल स्मार्टवॉच 'एंड्रॉयड वियर' को पेश कर सकती है।
गूगल ने एंड्रॉयड वियर की जानकारी देने वाला वीडियो जारी किया है। इस स्मार्टवॉच की खास बात यह है कि यह गोल आकार में पेश की गई है, जबकि अभी तक की स्मार्टवॉच चौकोर थीं। इसे दो डिजाइनों में डार्क मेटल फिनिश में पेश किया जाएगा और ग्रे लेदर बैंड का विकल्प भी होगा।
गूगल के मुताबिक यूं तो एंड्रॉयड वियर सभी तरह के वियरेबल्स डिवाइसेज के रूप में पेश किया जा सकता था, लेकिन कंपनी का खास ध्यान स्मार्टवॉच बाजार पर है। वियरेबल कम्प्यूटर्स को अगला बड़ा बाजार माना जा रहा है और बड़ी-बड़ी कंपनियां इसमें कदम जमाने की तैयारी कर रही हैं।
इसके लिए कंपनी ने कई कन्ज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों के साथ करार किया है। इनमें सैमसंग, एलजी, मोटोरोला, एचटीसी, एसस व इंटेल भी शामिल हैं। स्मार्टवॉच का डिजाइन बनाने के लिए गूगल ने फैशन कंपनी फॉसिल ग्रुप के साथ भी हाथ मिलाया है।
एंड्रॉयड वियर को लाने के पीछे गूगल का मकसद यूजर को वे सभी जानकारियां मुहैया कराना है, जो वह अपने स्मार्टफोन या दूसरे गैजेट से दूर होने पर नहीं पा सकता। इसमें स्पोर्ट्स के स्कोर, म्युजिक, टेक्स्ट मैसेजेस, रिमोट से अपने घर के दरवाजों और उपकरणों को ऑपरेट करना, मौसम की जानकारी, ड्राइविंग डायरेक्शन वगैरह काम शामिल हैं। एंड्रॉयड वियर को हेल्थ मॉनीटर मार्केट से भी जोड़ा जाएगा।गूगल इससे पहले गूगल ग्लास के रूप में एक वियरेबल ग्लास ला चुकी है। इसमें वीडियो रिकॉर्ड करने, ईमेल एक्सेस, ड्राइविंग डायरेक्शन देना तथा वेब से जानकारी लेना जैसे फीचर्स हैं।

Tuesday, April 29, 2014

पानी खत्म होने पर अब बोतल खा सकेंगे !

कोटा।  क्या आपने बोतल का सारा पानी ली लिया है? तो अब उस बोतल को खा लें! ब्रिटेन के विद्यार्थी ने ऐसी बोतल बनाई है जिसे खाया भी जा सकता है। अपना पसंदीदा पेय पदार्थ पीने या सादा पानी पीने के बाद खाली बोतल कूड़ेदान या सड़क किनारे फेंकने के बजाय उसे खा भी सकते हैं।
पिछले एक साल से लंदन कॉलेज के विद्यार्थी ओहो वाटर बॉटल को बनाने में लगे हुए थे। बोतल के डिजाइनरों में से एक रोड्रिजो गार्सिया गोंजालेज ने बताया 'इस बूंद जैसी बोतल को 'ओहो' नाम दिया गया है। बोतल सस्ता, टिकाऊ, स्वच्छ और खाने लायक है। दोहरी पतली झिल्ली से तैयार ओहो की पैकेजिंग तैयार करने वाला द्रव भूरे शैवाल और कैल्शियम क्लोराइड से बना है।'
पानी को इस सॉल्यूशन में लंबे समय तक रखने के बाद यह ज्यादा मोटा और मजबूत हो जाता है। गोंजालेज ने कहा, 'प्रावरण के दौरान पानी को ठोस बर्फ में बदलने के पीछे मुख्य बिंदु कैल्शियम को झिल्ली के तबदील करना है।'
ओहो में रखा पानी पीने के लिए सिर्फ उसमें छेद करना होगा। पानी पीने के बाद आप उसे चाहें तो गटक भी सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि 'ओहो' (बोतल) घर पर भी बनाया जा सकता है। खाए जा सकने वाले डिब्बे या बोतल बाजार में पहले से ही उपलब्ध हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा ही एक उत्पाद 'विकीपर्ल' में दही और आइसक्रीम होती है और यह सूखे मेवों, चॉकलेट और बीजों से बनी है, जिसे खाया भी जा सकता है। ओहो को कुछ यूरोपीयन शहरों में टेस्ट किया गया है, लेकिन शोधकर्ता से इसे बाजार में उतारने से पहले अचूक बनाना चाहते हैं, क्योंकि अब भी इस बोतल में ज्यादा पानी नहीं भरा जा सकता और इसमें दोबारा पानी नहीं भरा जा सकता।

रॉकेट नहीं ये है कार

कोटा। शोधकर्ताओं ने एक ऐसा फार्मूला तैयार कर लिया है, जिसके जरिए एक सुपरसोनिक कार एयरोडायनामिक जरूरतों से तालमेल बिठाते हुए 1000 मील प्रति घंटा यानी 1600 किलोमीटर प्रति घंटे की रिकॉर्ड रफ्तार से फर्राटा भर सकेगी। स्वेंसिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने ये समझने की कोशिश की ये कार कैसे लहरयुक्त सुपरसोनिक धरातल पर चलेगी और इसके पहिए किस तरह घूमेंगे। इस संबंध में दक्षिण अफ्रीका के हाकसीन पैन में धरातल संबंधी रिकॉर्ड परीक्षण किए गए। ऐसा माना जा रहा है कि 800 मील प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ने वाली कार वर्ष 2015 तक बनकर तैयार हो जाएगी जबकि 1000 मील प्रति घंटा की रफ्तार वाली कार वर्ष 2016 तक ही तैयार हो पाएगी।1000 मील प्रति घंटा की रफ्तार वाली कार बनाने के लिए अंतरिक्ष, एयरोनाटिक्स और फार्मूला वन इंजीनियरिंग साथ मिलकर काम करेंगे। इंजीनियरों का कहना है कि ब्लडहाउंड सुपरसोनिक कार आज का सबसे रोमांचक और गतिशील इंजीयरिंग चुनौती है।
जाहिर सी बात है कि जब इंजीनियरों ने ऐसा वाहन बनाने की सोची तो उनके सामने केवल एयरोडायनामिक चुनौतियां ही नहीं थीं बल्कि उन्हें जमीन पर ऐसी सतह भी विकसित करनी थी, जहां ये वाहन ट्रांससोनिक गति से सुरक्षित यात्रा कर सकें।

कभी नहीं फीकी होगी चांदी की चमक

कोटा। चांदी की ज्वेलरी हो या बर्तन, हवा के संपर्क में आते ही उसकी चमक फीकी पड़ जाती है। कई बार चांदी की खोई चमक को वापस पाने के लिए हम ज्वैलर्स के पास भी पहुंच जाते हैं। घर पर चांदी से बनी चीजों को कैसे करें साफ, बता रहे हैं हमारी स्पेशलिस्ट ज्योति माहेश्वरी चांदी को साफ करने के लिए आप टूथपेस्ट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। चांदी पर ब्रश की मदद से टूथपेस्ट लगाएं और उसके बाद इसे गरम पानी में डालें। झाग बनने तक इंतजार करें, उसके बाद इसे बाहर निकालकर पोंछ लें। सिरके से भी चांदी को साफ कर सकते हैं। एक कप सिरके में एक चम्मच नमक डालकर उसे अच्छे से मिला लें। उसके बाद इस लेप को चांदी की एक्सेसरीज पर लगाकर उसे 15 मिनट के लिए छोड़ दें। उसके बाद उसे गर्म पानी से धोकर मुलायम कपड़े से पोंछ लें।
बेकिंग सोडा को गर्म पानी में मिक्स करें। अब इस पेस्ट से चांदी को साफ करें। चांदी के उत्पादों से कालापन हटाने के लिए एक नम कपड़े पर बेकिंग सोडा छिड़ककर उसे चांदी की एक्सेसरीज पर रगड़ें। उसके बाद उसे धोकर सुखा लें, कालापन दूर हो जाएगा।एक फ्राई पैन में फॉइल पेपर का बेस बनाएं। उसके बाद उसमें 2-3 गिलास पानी और 1 चम्मच नमक मिलाकर उसे उबलने के लिए रख दें। जो चीज साफ करनी हो, उसे इस पानी में डालकर 2-3 मिनट तक उबालें। इसके बाद इसे पानी से बाहर निकालकर मुलायम कपड़े से पोंछ लें।

बड़े काम का है एटीएम, शायद आप नहीं जानते

दिनेश माहेश्वरी
कोटा। 
एटीएम के बारे में हममें से ज्यादातर लोग यही जानते हैं कि इसके जरिए पैसे निकालने, खाते में बैलेंस चेक करने, पिन नंबर बदलने या मिनी स्टेटमेंट लेने का काम होता है। कभी रुककर देखिए तो सही, कितने काम की है यह मशीन, जो आपके बैंक जाने व कतार में लगने का समय बचाती है। बैंकों ने अपनी एटीएम के जरिए अलग-अलग व कई तरह की सुविधाएं दे रखी हैं।
पैसे ट्रांसफर करना
एटीएम से आप किसी दूसरे के खाते में पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं। इसके लिए पिन नंबर डालने के बाद 'अदर या मोर ऑप्शन' चुनें या कई एटीएम सीधे 'ट्रांसफर' का विकल्प देती हैं। इसे चुनकर एटीएम की स्क्रीन पर दिए गए निर्देशों का पालन करें व जिसे पैसे भेजना है, उसका खाता क्रमांक व जितनी राशि भेजनी है, इसकी एंट्री करें। प्रक्रिया पूरी करने के बाद कुछ ही देर में पैसे आपके खाते से दूसरे खाते में ट्रांसफर हो जाएंगे। हालांकि कुछ बैंकों में यह सुविधा तभी पा सकते हैं, जब पैसे भेजने वाले व पाने वाले का उसी बैंक में खाता हो। कुछ बैंकों ने इसे डेबिट कार्ड के प्रकार (वीजा, मास्टर या मैस्टरो) के आधार पर सीमित किया हुआ है। कुछ बैंकों में यह सुविधा निशुल्क है, जबकि कुछ में शुल्क लगता है।
क्रेडिट कार्ड व बिलों का भुगतान
कुछ चुनिंदा बैंकों की एटीएम से आप क्रेडिट कार्ड के बिल का भुगतान भी कर सकते हैं। यह भुगतान चौबीस घंटे किया जा सकता है। क्रेडिट कार्ड पेमेंट का विकल्प चुनें, तय प्रक्रिया का पालन करते हुए जरूरी एंट्री करें व क्रेडिट कार्ड खाते में पैसे डाल दें। एटीएम से आप कई अन्य बिलों का भी भुगतान कर सकते हैं।
चेकबुक के लिए आवेदन
एटीएम से आप नई चेकबुक के लिए आवदेन भी कर सकते हैं। प्रक्रिया पूरी होने के बाद चेकबुक बैंक रिकॉर्ड में दिए गए आपके पते पर डाक से भेजी जाती है।
एफडी करना
एटीएम से आप नई फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) भी खोल सकते हैं। हालांकि अधिकांश बैंक यह सुविधा सिर्फ अपने ग्राहकों को ही देते हैं। एफडी के लिए एटीएम के निर्देशों के मुताबिक एंट्री करें। प्रक्रिया पूरी होने के बाद एटीएम आपके बैंक को 'जमा प्राप्ति रसीद' भेजेगी। आपको एफडी की रसीद लेने के लिए बैंक जाना होगा। कुछ बैंकों के एटीएम से नियमों व शर्तों के तहत एफडी को समय-पूर्व तुड़वाना भी संभव है।
लोन की ईएमआई चुकाना
एटीएम से आप लोन की ईएमआई का भुगतान भी कर सकते हैं। इसके लिए भी लोन पेमेंट का विकल्प चुनें, निर्देशों के मुताबिक इंट्री व रकम दर्ज करें। एटीएम आपको प्राप्ति रसीद भी देगी।
नकद या चेक जमा करना, चेक का भुगतान रोकना
कुछ बैंकों की एटीएम पर आप सिर्फ खाते से ही नहीं, बल्कि दूसरे के खाते में नकद रकम या चेक भी जमा कर सकते हैं। इसके लिए वहां विशेष तौर पर तैयार डिपॉजिट स्लिप-कम-एनवेलप नामक लिफाफे उपलब्ध कराए जाते हैं। इसमें नकद राशि या चेक और इनकी जरूरी जानकारी भर कर डिपॉजिट स्लॉट में डाल दें। ध्यान रखें कि पिन लगे नोट स्वीकार नहीं किए जाते। अगर आप किसी कारण से जारी किए गए चेक का भुगतान रोकना चाहते हैं, तो यह काम भी एटीएम से हो सकता है।
इंटरनेट बैंकिंग/मोबाइल अलर्ट के लिए रजिस्ट्रेशन
एटीएम से आप इंटरनेट बैंकिंग के लिए अपने खाते का रजिस्ट्रेशन भी करवा सकते हैं। आपका अकाउंट व पासवर्ड आपके पते पर भेजा जाता है। यहां आप अपने मोबाइल नंबर पर अलर्ट सुविधा भी शुरू करवा सकते हैं। इसके लिए आपको दिए गए विकल्प का चुनाव कर अपने मोबाइल नंबर की इंट्री करनी होगी।
डीडी बनवाना
एटीएम से आप डीडी भी बनवा सकते हैं। यह काम बैंक शाखा में स्थित एटीएम सेे होता है। आप डीडी पाने वाले का नाम, नकद या खाते से भुगतान का विकल्प, राशि आदि की इंट्री करें व शाखा से जाकर अपना डीडी ले लें।


महंगे पर्सनल लोन की बजाय लें एफडी पर लोन

दिनेश माहेश्वरी
कोटा। 
अगर आपने किसी बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट करवाया हुआ है, तो यह न सिर्फ आपके भविष्य के लिए पैसे जोड़ती है, बल्कि जरूरत पड़ने पर आपको महंगे पर्सनल लोन के जाल में फंसने से भी बचा लेती है। अचानक पैसों की जरूरत पड़ने पर हममें से ज्यादातर लोग बैंक से पर्सनल लोन लेने के बारे में सोचते हैं। अगर आपके बैंक में एफडी कराई हुई है, तो यह आपके लिए पैसों का बंदोबस्त करने का काम भी कर सकती है। महंगे और अनसिक्योर पर्सनल लोन लेने की बजाय एफडी पर लोन लेना बेहतर होता है। इससे आपको कई फायदे भी मिलते हैं।
कम ब्याज दर
पर्सनल लोन के मुकाबले एफडी पर लोन कम ब्याज दर पर मिल जाता है। चूंकि पर्सनल लोन के बदले बैंक के पास जमानत के तौर पर कुछ नहीं रखा जाता, यह अनसिक्योर की श्रेणी में आता है और बैंक इस पर भारी-भरकम ब्याज वसूलते हैैं। दूसरी ओर एफडी पर लोन लेते समय जमानत के तौर पर एफडी ही रखी जाती है, अत: इस तरह के लोन कम ब्याज पर मिल जाते हैं। आम तौर पर बैंक एफडी पर जितना ब्याज देते हैं, उससे एक या दो प्रतिशत ज्यादा ब्याज पर ऐसा लोन दे देते हैं।
एफडी बनी रहेगी
लोन लेने के बाद भी आपकी एफडी को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा, बल्कि यह बनी रहेगी। इससे आप अपनी जरूरत को भी पूरा कर सकेंगे और आपकी बचत भी बरकरार रहेगी। साथ ही आप समय से पहले एफडी तुड़वाने पर लगने वाले शुल्क से भी बच सकेंगे।
आसान प्रक्रिया
एफडी पर लोन लेने की प्रक्रिया पर्सनल लोन के मुकाबले ज्यादा आसान है, क्योंकि ग्राहक की जानकारी बैंक के पास पहले से मौजूद रहती है। इसकी वजह से ऐसे लोन पर प्रोसेसिंग शुल्क भी पर्सनल लोन की तुलना में कम लगता है। एफडी पर लोन मंजूर भी जल्दी हो जाता है।
प्री-पेमेंट पैनल्टी नहीं
एफडी पर लिए गए लोन का समय से पहले भुगतान करने (प्री-पेमेंट) पर बैंक आपसे किसी तरह की पैनल्टी नहीं लेते। इसके उलट पर्सनल लोन के प्री-पेमेंट पर पैनल्टी देनी पड़ती है। यानी जब आपके पास लोन चुकाने जितने पैसे हों, आप भुगतान कर लोन खाता बंद करवा सकते हैं।
अवधि कम या ज्यादा
फिक्स्ड डिपॉजिट पर लिए गए लोन की अवधि आम तौर पर एफडी की अपनी अवधि जितनी बढ़ाई जा सकती है। इससे लोन लेने वाले को अपनी सुविधानुसार भुगतान की छूट मिलती है। पर्सनल लोन के भुगतान की अवधि बैंक तय करते हैं।

Monday, April 28, 2014

सावधान ! खरीदने से पहले सोचें

माइक्रोमैक्स बहुत घटिया कम्पनी है   इस  कम्पनी  के मोबाइल नहीं खरीदें।  खराब होने के बाद सर्विस की कोई वारंटी नहीं है. मेरा मोबाइल दो महीने से सर्विस सेंटर पर पड़ा है। वारंटी पीरियड में होने के बाद भी कब ठीक होगा बताने को तैयार नहीं। मैंने अच्छी कम्पनी समझ कर मोबाइल ख़रीदा था।  परन्तु मुझे क्या पता था।  इस कम्पनी का ग्राहकों के साथ इतना बड़ा धोखा होगा।  अब तो एक ही उपाय है कि उपभोक्ता फोरम में केस करूँ।
परेशान उपभोक्ता  कोटा

जब बाथरूम हो ऐसा तो बेडरूम की क्या जरूरत

लग्जरी बाथरूम

आपका बजट बड़ा हो या छोटा, आलीशान घर और लग्जरी बाथरूम की चाहत हमेशा हमेशा बनी रहती है। ऐसे में अगर आप अपने बाथरूम को अल्ट्रामॉडर्न लुक देना चाहते हैं तो होम इमटीरियर वेबसाइट पर मौजूद आलीशान बाथरूम्स के ये नमूने आपको जरूर भाएंगे।

स्टाइल‌िश बेस‌िन वाला रेस्टरूम


Sunday, April 27, 2014

ऐसे करें अपना होमलोन शिफ्ट

दिनेश माहेश्वरी 
कोटा। क्या आप होमलोन शिफ्ट करना चाहते हैं? अगर आप ऐसा चाहते हैं तो इसकी कोई न कोई वजह आपके पास जरूर होगी। लेकिन क्या इस बाबत फैसला लेने से पहले आपने सभी पहलुओं पर विचार किया? जानिए उन मुद्दों के बारे में जो आपको होमलोन शिफ्ट करते समय पता होने चाहिए..
ज्यादातर लोग होम लोन को एक बैंक से दूसरे बैंक या हाउसिंग फाइनेंस कंपनी में इसलिए शिफ्ट करते हैं क्योंकि नए और पुराने कस्टमर के इंटरेस्ट रेट में काफी अंतर होता है। आप जिस बैंक में होम लोन शिफ्ट कर रहे हैं, अगर वह पुराने बैंक से ठीक-ठाक कम ब्याज ले रहा तो लोन शिफ्ट करना चाहिए। अगर किसी कस्टमर को होम लोन ईएमआई चुकाने में दिक्कत हो रही है, तो वह अपने बैंक से लोन पीरियड बढ़ाने के लिए कह सकता है।
अगर आपका मौजूदा बैंक इससे मना करता है, तो होम लोन दूसरे बैंक में शिफ्ट करना चाहिए। अगर मौजूदा बैंक अच्छी सर्विस नहीं दे रहा है, तो भी होम लोन शिफ्ट किया जा सकता है।
इंटरेस्ट रेट चेक करें
आप जिस बैंक में होमलोन शिफ्ट कर रहे हैं, क्या उसने रेट बढ़ाने के मौजूदा दौर में ब्याज बढ़ाया है। अगर उसने ऐसा नहीं किया है, तो हो सकता है कि लोन शिफ्ट करने के बाद ऐसा हो जाए। होम लोन तभी शिफ्ट करना चाहिए, जब ब्याज दरों में कम से कम 0.50 पर्सेंट का अंतर हो। शुरुआती सालों में लोन शिफ्ट करने का ज्यादा फायदा होता है। फ्लोटिंग रेट होम लोन के मामले में आपका मौजूदा बैंक प्री-पेमेंट पेनाल्टी नहीं ले सकता। हो सकता है कि नया बैंक भी 0.5-1.5 पर्सेंट की प्रोसेसिंग फीस माफ कर दे। इसके बावजूद लोन शिफ्टिंग फ्री ऑफ कॉस्ट नहीं होती। इसमें वक्त भी लगता है और काफी पेपरवर्क करना पड़ता है।
 बैंक से मोलभाव करें
अगर आपका बैंक नए कस्टमर से जो ब्याज ले रहा है और आप जो इंटरेस्ट रेट दे रहे हैं, उसमें ज्यादा फर्क है तो मौजूदा बैंक से मोलभाव करने की कोशिश करें। कई बार बैंक कस्टमर गंवाने के डर से इंटरेस्ट रेट कम कर देते हैं। बैंक कन्वर्जन ऑप्शन भी देते हैं। इसमें आप 0.5-1.5 पर्सेंट की फीस देकर ब्याज दर कम करवा सकते हैं। इस तरह के मामलों में अक्सर इंटरेस्ट रेट नए कस्टमर के बराबर कर दिया जाता है। हालांकि दोनों ऑप्शंस की कॉस्ट की तुलना करना जरूरी है। 
नए बैंक की शर्तें देखें
नया बैंक लोन शिफ्ट करने की आपकी एप्लिकेशन कई बातें देखकर मंजूर करता है। इसमें सबसे बड़ी बात पुराने बैंक में आपका रीपेमेंट रिकॉर्ड होता है। अगर यह ठीक नहीं है, तो आपकी रिक्वेस्ट ठुकराई जा सकती है। अगर आपने अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी के लिए लोन लिया है, तो नया बैंक तभी उसे शिफ्ट करने की इजाजत देगा, जब वह प्रॉपर्टी उसके प्री-अप्रूव्ड लिस्ट में हो। बैंक अक्सर वैसी प्रॉपर्टी को लेकर भी डरते हैं, जिसका काम देर से चल रहा हो। मार्जिन रिक्वायरमेंट का भी पता लगाएं। अगर यह ज्यादा है और आपका लोन शुरुआती स्टेज में है, तो जेब से ज्यादा पैसा देने के लिए तैयार रहना चाहिए।
तरीका और कॉस्ट
होम लोन शिफ्ट करने के लिए आपको पहले मौजूदा बैंक से नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेना होगा। इसके साथ लोन पर बकाया प्रिंसिपल के लिए भी डॉक्युमेंट लेने की जरूरत पड़ेगी। इन्हें नए बैंक या हाउसिंग फाइनेंस कंपनी के पास जमा कराइए। वह इनकी उसी तरह जांच करेंगे, जिस तरह से नए कस्टमर के लिए की जाती है। मसलन- इसमें लोन लेने की योग्यता, प्रॉपर्टी की कानूनी जांच आदि। जब नया बैंक पेपरवर्क पूरा कर लेगा, तो वह लोन का मूलधन पुराने बैंक को चुकाएगा। इसके बदले पुराना बैंक प्रॉपर्टी के कागजात नए बैंक को देगा। होम लोन ट्रांसफर में प्रोसेसिंग फीस के अलावा कुछ दूसरी कॉस्ट भी होती हैं। इसमें लीगल चार्जेज, वैल्यूएशन फीस, स्टांप ड्यूटी शामिल होते हैं। हालांकि हो सकता है कि नया बैंक प्रोसेसिंग फीस माफ कर दे।

अलग-अलग बिल भुगतान से मुक्ति दिलाएगा रिजर्व बैंक

कोटा । अलग-अलग जगह बिल का भुगतान करने के झंझट से जल्द छुटकारा मिल सकता है। रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने लोगों की सुविधा के लिए 'सेंट्रलाइज्ड बिल पेमेंट सिस्टम' का सुझाव दिया है। केंद्रीय बैंक ने सभी तरह के बिल भुगतान के लिए एक अलग संस्था बनाने का सुझाव दिया है। यदि सब कुछ योजना के मुताबिक हुआ तो बिल भुगतान के मामले में जल्द थोड़ी सहूलियत होगी। रिजर्व बैंक के मुताबिक फिलहाल बिल भुगतान के मामले में इंटर ऑपरेबिलिटी नहीं है, लिहाजा लोगों को अलग-अलग सेवाओं के बिल की रकम चुकाने में दिक्कत होती है। इस समस्या से निपटने के लिए 'भारत बिल पेमेंट सर्विस' (बीबीपीएस) शुरू करने की जरूरत है
सारे बिल पेमेंट एक ही जगह
बीबीपीएस के तहत लोग एक ही जगह पानी, बिजली और मोबाइल बिल के साथ-साथ स्कूल फीस और इंश्योरेंस प्रीमियम तक का भुगतान कर सकेंगे। ग्राहक ऐसी जगह कैश, चेक, क्रेडिट या डेबिट कार्ड के जरिए भुगतान कर पाएंगे।
वेबसाइट पर भी मिलेगी सुविधा
बीबीपीएस एक ही वेबसाइट पर सारे बिल पेमेंट करने की सुविधा भी देगा। आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक 'भारत बिल पेमेंट ऑपरेटिंग यूनिट' बीबीपीएस के तहत काम करेगी। ये यूनिट बिलर्स और बिल भुगतान की सुविधा देने वाले एग्रीगेटर्स को एक प्लेटफॉर्म पर लाने का काम करेगी। इसके अलावा ग्रामीण और शहरी इलाको में एजेंट के जरिए भी यह सेवा दी जा सकेगी।

Saturday, April 26, 2014

Namo Kranti


लोन में ऐसे चीटिंग करते हैं बैंक

दिनेश माहेश्वरी
कोटा। 
कस्टमर्स को लुभाने के लिए बैंक प्राय: लच्छेदार जुमलों का इस्तेमाल करते हैं। हम यहां बता रहे हैं ऐसी ही कुछ कॉमन ट्रिक्स और उनसे बचने के तरीकों के बारे में
फ्लैट रेट ऑफ इंटरेस्ट
बैंक कहते हैं: 10% का फ्लैट रेट बेहद सस्ता है
परदे के पीछे का खेल
ईएमआई कैलकुलेट करने के लिए लोन पर कुल इंटरेस्ट को प्रिंसिपल अमाउंट में जोड़ा जाता है और फिर मिलने वाले आंकड़े को महीनों की संख्या से डिवाइड किया जाता है।
मसलन 5 साल के लिए 10 पर्सेंट की रेट से 5 लाख रुपये के लोन पर ईएमआई की गणना इस तरह होगी।टोटल इंटरेस्ट पेएबल: 50,000 x 5 साल = 2.5 लाख

प्रिंसिपल अमाउंट + इंटरेस्ट = 7.5 लाख
ईएमआई: 7.5 लाख/60 महीने = 12,500 रुपये
कैसे लगती है चपत: आपने भले ही पहले महीने से लोन रीपेमेंट शुरू कर दिया हो, लेकिन आपसे इंटरेस्ट पूरे अमाउंट पर लिया जाता है। रिड्यूसिंग बैलेंस के अनुसार इफेक्टिव रेट 17.3 पर्सेंट तक बैठती है।
 फिक्स्ड रेट ऑफ इंटरेस्ट
बैंक कहते हैं: इंटरेस्ट रेट और ईएमआई फिक्स्ड हैं
परदे के पीछे का खेल
बैंक फिक्स्ड रेट वाले लोन पर ज्यादा इंटरेस्ट वसूलते हैं। वे यह भी खुलासा नहीं करते हैं कि रेट कुछ ही वर्षों (आमतौर पर 3 से 5 साल) के लिए फिक्स्ड है। 15 साल के लिए 20 लाख रुपये के लोन का मामला:
फिक्स्ड रेट ऑफ इंटरेस्ट: 13 पर्सेंट
फ्लोटिंग रेट ऑफ इंटरेस्ट: 11 पर्सेंट
फिक्स्ड रेट कंज्यूमर की ओर से 4 साल में दी गई एक्स्ट्रा रकम: 1.60 लाख रुपये
कैसे लगती है चपत: पहले 3-4 वर्षों में ज्यादा रेट वसूले जाने के बाद आपका लोन फ्लोटिंग रेट वाले लोन में कन्वर्ट कर दिया जाएगा। आप शुरू से ही फ्लोटिंग रेट चुन सकते हैं और कम रेट का फायदा ले सकते हैं।
मिनिमम पेमेंट
बैंक कहते हैं: आप चाहें तो क्रेडिट कार्ड बिल का केवल 5 पर्सेंट ही पे करें।
परदे के पीछे का खेल
अगर आप बैलेंस को कैरी फॉरवर्ड करें तो आपको इस पर 2.5-3 पर्सेंट ब्याज देना पड़ेगा। क्रेडिट कार्ड बैलेंस उधार लेने का सबसे महंगा तरीका है। इस पर 30-36 पर्सेंट सालाना की दर से ब्याज लगता है।
क्रेडिट कार्ड रोल ओवर चार्ज: 3 पर्सेंट प्रति माह
अमाउंट रोल ओवर: 25,000 रुपये
इंटरेस्ट पेएबल: 750 रुपये और टैक्स
कैसे लगती है चपत
बैलेंस पर लगने वाली ऊंची ब्याज दर ही आपको झटका नहीं देती। अगले बिलिंग साइकल तक आप जो भी खरीदारी करेंगे, उस पर भी 2.5-3 पर्सेंट प्रति माह की दर से ब्याज लिया जाता है। लिहाजा तय तारीख तक पूरा अमाउंट चुकाने का प्रयास करें।
अडवांस ईएमआई
बैंक कहते हैं: 3-4 ईएमआई एडवांस में चुकाई जा सकती है।
परदे के पीछे का खेल
अडवांस में 3-4 ईएमआई लेकर बैंक दरअसल लोन अमाउंट कम करता है, लेकिन इंटरेस्ट पूरे अमाउंट पर लेता है। 30,000 रुपये का लोन 12 महीने के लिए 12% इंटरेस्ट रेट पर:
ईएमआई: 2,665 रुपये
3 अडवांस ईएमआई: 7,995 रुपये
इफेक्टिव लोन अमाउंट: 22,005 रुपये
कैसे लगती है चपत: अडवांस में दी गई तीन ईएमआई से लोन अमाउंट कम होता है, लेकिन आपसे पूरे अमाउंट पर ब्याज लिया जाता है। इस तरह इफेक्टिव इंटरेस्ट रेट 21 पर्सेंट तक चली जाती है।
फ्री एड-ऑन कार्ड
बैंक कहते हैं: क्रेडिट कॉर्ड पर कोई जॉइनिंग फी नहीं।
परदे के पीछे का खेल
केवल जॉइनिंग फी ही हटाई गई है। आपसे अडिशनल कार्ड पर ऐनुअल फी वसूली जाएगी।
जॉइनिंग फी: शून्य
ऐनुअल फी: 500-1,000 रुपये
कैसे लगती है चपत: हो सकता है कि आप ऐसे कार्ड के लिए फीस दें, जिसकी आपको जरूरत ही न हो। इससे भी बुरा यह कि अगर आपने चार्जेज पर विवाद किया और बकाया नहीं चुकाया तो आपका क्रेडिट स्कोर खतरे में पड़ सकता है।
ऐनुअल रेस्टिंग
बैंक कहते हैं: सामान्य किस्म के लोन की तुलना में इंटरेस्ट रेट कम है।
परदे के पीछे का खेल
इंटरेस्ट के फ्लैट रेट का यह वैरिएशन ऐनुअल रिड्यूसिंग कैलकुलेशन पर काम करता है। ईएमआई की गणना साल के अंत में होती है।
ऐनुअल रेस्टिंग: 10 पर्सेंट
मंथली रिड्यूसिंग: 10.47 पर्सेंट
कैसे लगती है चपत
प्रिंसिपल अमाउंट का भुगतान साल के अंत में होता है, लिहाजा ब्याज का बोझ बढ़ जाता है। मंथली रिड्यूसिंग स्ट्रक्चर वाले लोन का विकल्प चुनना बेहतर होता है।
इफेक्टिव यील्ड
बैंक कहते हैं: इन एफडी पर ज्यादा यील्ड हाथ लगता है।
कैसे लगती है चपत
बैंक फाइनल वैल्यू की गणना करते हैं और फायदे में वर्षों की संख्या से भाग देकर इंटरेस्ट की फ्लैट रेट निकालते हैं। इसे इफेक्टिव यील्ड बताया जाता है और यह कंपाउंडेड वैल्यू से ज्यादा होता है।
इनवेस्टेड अमाउंट: 5 साल के लिए 10,000 रुपये 9% ब्याज पर
मैच्योरिटी वैल्यू: 15,605 रुपये
हासिल ब्याज: 5,605 रुपये
इफेक्टिव यील्ड: 5,605/5 = 11.21%
कैसे लगती है चपत: क्वार्टर्ली कंपाउंडिंग के कारण यील्ड कुछ ऊपर चला जाता है, लेकिन यह प्रोजेक्टेड अमाउंट से कम होता है। क्वार्टर्ली कंपाउंडिंग के हिसाब से एनुअलाइज्ड यील्ड महज 9.31% होगा।
डिपॉजिट इंश्योरेंस
बैंक कहते हैं: आपकी रकम सुरक्षित है क्योंकि डिपॉजिट का इंश्योरेंस है।
परदे के पीछे का खेल: किसी भी बैंक में जमा आपके 1 लाख रुपये ही इंश्योर्ड होते हैं। लिहाजा अगर आपने किसी एक बैंक में 1 लाख रुपये से ज्यादा रकम जमा की हो तो रिस्क बढ़ता है।
मैक्सिमम डिपॉजिट इंश्योर्ड: 1 लाख रुपये प्रति बैंक प्रति व्यक्ति
कैसे लगती है चपत: बड़े शेड्यूल्ड बैंकों के मामले में नुकसान की आशंका कम होती है। हालांकि इनवेस्टर्स अगर कोऑपरेटिव बैंकों की ज्यादा ब्याज दरों के झांसे में आ जाएं तो वे जोखिम में पड़ सकते हैं।

नई स्‍मार्टवॉच में होगी वायरलैस चार्जिंग


कोटा । मोटोरोला की आने वाली स्‍मार्टवॉच मोटो 360 में ऐसी कई खासियतें होंगी जो इसे अपनी श्रेणी में दूसरों से अलग बनाएंगी। यह अपनी तरह की पहली डिवाइस होगी जो एंड्राइड वियर प्‍लेटफॉर्म पर काम करेगी। इसके अलावा यह मैग्‍नेटिक इंडक्‍शन की मदद से वायरलैस तरीके से चार्ज होगी। मोटोरोला ने पिछले हफ्ते ही नई स्‍मार्टवॉच मोटो 360 लांच करने की अपनी योजना के बारे में जानकारी दी थी। वायरलैस चार्जिंग के अलावा इसमें इंटरचेंजेबल रिस्‍टबैंड, वॉटर रसिस्‍टेंस और एंड्राइड 4.3 डिवाइस से कॉम्पिटैबिलिटी जैसी खासियतें भी होंगी।हालांकि गैजेट्स को चार्ज करने में मैग्‍नेटिक इंडक्‍शन तकनीक का प्रयोग नया नहीं है। इससे पहले भी नेक्‍सस 4, 5 और 7 के अलावा मोटोरोला के ही ड्रॉइड 3 और ड्रॉइड 4 में इसका इस्‍तेमाल हो चुका है। मोटोरोला ने इस नई स्‍मार्टवॉच के बारे में बताया है कि इसका डायल गोल रहेगा और उसकी परिधि 1.81 इंच की रहेगी।

सेल्फ-क्लीनिंग कार

कोटा । कार बनाने वाली जापान की कंपनी निसान ने दुनिया की पहली सेल्फ-क्लीनिंग कार पेश की है। मतलब यह कि धूल-भरी सड़कों पर लंबी यात्रा करने के बाद भी यह कार पूरी तरह साफ-सूथरी रहेगी।
निसान ने इस कार में नैनो-पेंट टेक्नोलॉजी इस्तेमाल की है, जो पेंट पर गंदगी जमने से पहले ही उसे हटा देती है। कंपनी के एक प्रवक्ता ने कहा, 'निसान नोट पहली कार है जिसमें ऐसी पेंट टेक्नोलॉजी इस्तेमाल की गई है, जिसकी वजह से कार को धुलने की जरूरत नहीं रह जाती।'
मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि 'सुपर हाइड्रोफोबिक' और 'ओलियोफोबिक' पेंट पानी और तेल को भी सतह पर जमने नहीं देता। निसान की तरफ से जारी एक प्रेस रिलीज के मुताबिक पेंट और बाहरी माहौल के बीच हवा की सुरक्षात्मक परत बनाने से कार पर गंदगी नहीं जमती।

बिना स्टीयरिंग वाली कार

कोटा । कार निर्माता कंपनी टोयोटा हमेशा से ही कॉन्सेप्ट कारों और नई तकनीक के लिए जानी जाती है। इस बार कंपनी ने अनोखे और भविष्य से रू-ब-रू कराने वाले कॉन्सेप्ट मॉडल 'एफवी2' को पेश किया है, जिसमें स्टीयरिंग व्हील नहीं है। टोयोटा एफवी2 कॉन्सेप्ट का निर्माण कंपनी की फन टू ड्राइव अवधारणा के आधार पर किया गया है। इस कार में स्टीयरिंग व्हील नहीं है। यह कार चालक के बॉडी मूवमेंट के अनुसार चलेगी। इस में इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम तकनीक का भी प्रयोग किया गया है, जो सड़क पर अन्य वाहनों से संपर्क में रहेगी, ताकि कोई दुर्घटना ना हो। कंपनी ने इस बार कार और व्यक्ति के बीच भावनात्मक जुड़ाव बनाने की कोशिश है, जहां वह ड्राइवर के इशारों, उसकी आवाज को पहचाने और चले। एफसीवी कॉन्सेप्ट कार को पहली बार टोक्यो में पेश किया गया था। फिलहाल इसका कॉन्सेप्ट संस्करण आया है। इसे वर्ष 2015 तक बिक्री के लिए पेश किया जाएगा। इसके अलावा कंपनी हाइड्रोजन से संचालित होने वाले वाहनों के प्रोजेक्ट पर भी कार्य कर रही है। इस तकनीक की मदद से एक बार फुल टैंक होने पर कार करीब 500 किलोमीटर तक सफर करेगी।

Friday, April 25, 2014

भारतीय बाजार में अमेरीकी बाइक

कोटा। इंनोवेटिव अमेरीकी टू व्हीलर कंपनी यूएम भारतीय बाजार में अपनी बाइक की रेनेगैडे सीरीज लांच करने की तैयारी पूरी कर चुकी है। फिलहाल अभी कंपनी भारतीय बाजार में चैनल पार्टनर की तलाश में है। राजीव मिश्रा, डायरेक्टर, यूएम इंडिया ने  बताया, 'हम दो अलग-अलग कंपनियों के साथ बात कर रहे हैं, इस महीने के अंत तक इस पर फैसला कर लिया जाएगा।यूएम रेनेगैडे चार मॉडल लिमिटेड, कमांडो, स्पोर्ट और ड्यूटी मौजूद है। इनकी कीमत की बात करें तो 1-1.5 लाख रुपए तक हो सकती है।
बजाज एवेंजर और रॉयल इंफिल्ड से मुकाबला
यूएम की बाइक का मुकाबला सीधे बजाज एवेंजर और रॉयल इंफिल्ड बाइक से होगा। यूएम भारतीय बाइक बाजार में अपनी बाइक 200-250 सीसी सेगमेंट में उतारेगी। अक्टूबर 2014 तक ये बाइक भारतीय बाजार में लांच हो सकती हैं। कंपनी इसके अलावा 300-400 सीसी इंजन बाइक पर भी काम कर रही है। मिश्रा का कहना है कि भारतीय बाजार में कई हाई इंड और क्रूजर बाइक जैसे हार्ले डेविडसन, इंडियन चीफ, ट्रायम्फ मोटारसाइकिल वैगरह मौजूद हैं, लेकिन ये बाइक आम आदमी की पंहुच से बाहर हैं। इसलिए ‌हम ऐसे सेगमेंट में शुरुआत कर रहे हैं जहां बजाज ऑटो और रॉयल इंफिल्ड जैसी बाइक हैं।

पॉलिसी सरेंडर करने से पहले सोचें

दिनेश माहेश्वरी
कोटा। 
आपने टैक्स बचाने के लिए हड़बड़ी में बीमा पॉलिसी खरीद ली या एजेंट के कहने पर यूलिप पॉलिसी ले ली। बाद में आपको लगता है कि ये आपके लिए सही नहीं हैं।
यह भी हो सकता है कि परिवार में बढ़ी हुई जिम्मेदारी, बीमारी, दुर्घटना, नौकरी छूटने जैसे किसी कारण से आप कई पॉलिसियों का प्रीमियम नहीं चुका पा रहे। ऐसे में आप कुछ पॉलिसियों को लौटाना यानी सरेंडर करना चाहते हैं। बीमा पॉलिसी को सरेंडर करना गलत नहीं है, लेकिन इसके पहले कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।

कौन सी पॉलिसी गैरजरूरी
सबसे पहले तय करें कि आपके पास मौजूद पॉलिसियों में से कौन से गैरजरूरी है। अगर आप टर्म प्लान को सरेंडर करना चाहते हैं, तो एक बार फिर सोचें। चूंकि जीवन बीमा लंबी अवधि का उत्पाद है, अत: आप आज यह तय नहीं कर सकते कि भविष्य में आपको अमुक पॉलिसी की जरूरत नहीं पड़ेगी। अगर आप यूलिप पॉलिसी को सरेंडर करना चाहते हैं, तो इसके लिए उन फंडों का रिकॉर्ड देखें, जिनमें पॉलिसी के जरिए आपका पैसा लगाया गया है। अगर फंडों का प्रदर्शन बेहतर नहीं है, तो पॉलिसी को सरेंडर किया जा सकता है। इससे मिलने वाले पैसे को बेहतर रिटर्न देने वाले दूसरे निवेश माध्यमों में लगाएं।
कितनी अवधि बाकी
जिस पॉलिसी को सरेंडर करना है, उसके पूरे होने में कितना समय बाकी है, यह जरूर देखें। अगर पॉलिसी का समय पूरा होने वाला है, तो इसे सरेंडर न करें। ऐसी पॉलिसी के लिए आप काफी प्रीमियम दे चुके होते हैं और सरेंडर करने से इस रकम का कुछ हिस्सा ही आपको वापस मिलेगा।
थोड़े से और समय तक प्रीमियम चुकाकर अगर आपको पॉलिसी के पूरे फायदे मिलते हैं, तो सरेंडर कर इन फायदों से हाथ न धोएं। अगर पॉलिसी की अवधि अच्छी-खासी बची है, तो भी बीमा नियमों की जानकारी लें।
जीवन बीमा कवर बना रहे
यह तय करें कि पॉलिसी सरेंडर करने के बाद आप जीवन बीमा कवर से पूरी तरह दूर नहीं हो जाएंगे। यानी आपके पास पहले से जीवन बीमा कवर देने वाली एक और पॉलिसी होनी चाहिए, जो आपका और परिवार का भविष्य सुरक्षित रखने के लिए जरूरी है।
सरेंडर वैल्यू कितनी
बीमा कंपनी या अपने एजेंट से बात कर यह पता करें कि आपकी पॉलिसी की सरेंडर वैल्यू कितनी है। यह वह रकम होती है, जो समय से पहले पॉलिसी लौटाने पर बीमा कंपनी की लागतों को काटकर आपको मिलती है। नियमानुसार बीमा पॉलिसी को लौटाने पर अलग-अलग सालों में अलग-अलग सरेंडर वैल्यू मिलती है। इसकी जानकारी लें।
पॉलिसी पर लोन भी है विकल्प
अगर आप किसी बड़े खर्चे को पूरा करने के लिए पॉलिसी लौटाना चाहते हैं, तो पहले बीमा कंपनी से बात करें। ज्यादातर बीमा कंपनियां पॉलिसी पर लोन देती हैं। इस लोन से आप अपनी जरूरत पूरी कर सकते हैं और बीमा कवर भी बना रहेगा।
प्रीमियम हॉलीडे
अगर आप किसी मजबूरी के चलते प्रीमियम नहीं चुका पा रहे हैं, तो प्रीमियम हॉलीडे भी एक विकल्प हो सकता है। हालांकि इससे बीमा धारक को ही नुकसान होता है। प्रीमियम हॉलीडे लेने पर बीमा कंपनी आपका बीमा कवरेज उतने फीसद कम कर देती है, जितने फीसद प्रीमियम आपने अभी तक चुकाया है। हालांकि फिर भी आपका बीमा कवर बना रहता है। इस कदम को सारे उपाय चुक जाने के बाद अंतिम अस्त्र के तौर पर ही इस्तेमाल करना चाहिए। याद रखें, जरूरत से कम जीवन बीमा लेना नुकसान देता है, लेकिन जरूरत से ज्यादा बीमा पॉलिसियां रखना भी सही नहीं है। हालांकि बिना सोचे-समझे पॉलिसी सरेंडर करने से आपकी फाइेंशियल प्लानिंग अस्त-व्यस्त भी हो सकती है। अत: यह काम काफी सोच-समझकर करना चाहिए।

Thursday, April 24, 2014

चढ़ते बाजार में सोच समझ कर करें निवेश

दिनेश माहेश्वरी 
कोटा। शेयर मार्केट नई ऊंचाइयों को छू रहा है, लेकिन तेजी से चढ़ रहे शेयर बाजार को लेकर भी सावधानी बरतने की जरूरत है। जब बाजार कमजोर होता है तो कंपनियां अपनी वित्तीय हालत ठीक करने पर ध्यान देती हैं और इन्वेस्टर्स भी सोच-समझकर कोई फैसला लेते हैं, लेकिन बुल मार्केट में ऐसा नहीं होता। ऐसे में आम इन्वेस्टर्स अक्सर 6 गलतियां करते हैं, जिनसे बचने की जरूरत है। इसी बारे में सलाह दे रहे हैं बाजार विशेषज्ञ।
आईपीओ में न करें बड़ा निवेश
आईपीओ की वापसी होगी। 2008 से पहले मार्केट की तेजी के दौरान कई आईपीओ आए थे, जिन्हें मीडिया और मार्केटिंग हो-हल्ले के चलते अच्छा रिस्पॉन्स मिला था। आईपीओ छोटे इन्वेस्टर्स को अमीर नहीं बनाते, यह बात गांठ बांध लीजिए। अगर आप आईपीओ में पैसा लगाना ही चाहते हैं, तो कम रकम लगाइए। अच्छा तो यह होगा कि एक आईपीओ से बने पैसे को दूसरे आईपीओ में लगाया जाए। गुमनाम कंपनियों में पैसा लगाकर लॉन्ग टर्म में वेल्थ क्रिएशन नहीं हो सकता।
दिखावों पर न जाएं, अपनी अक्ल लगाएं
आपको मार्केट में तेजी जारी रहने की अलग-अलग थिअरी बताई जाएगी। मीडिया भी कुछ मिसाल के आधार पर इन्हें हवा देगा। हालांकि इन्वेस्टिंग के रूल्स बहुत पुराने हैं। ये नहीं बदलते और आपको इन्हें याद रखना चाहिए। कोई नई स्ट्रैटिजी या थिअरी आपको रातोरात अमीर नहीं बना सकती। अगर कोई कंपनी के पास अच्छे इन्वेस्टमेंट और अच्छा मैनेजमेंट है तो उसका परफॉर्मेंस भी बढ़िया होगा। शेयर की कीमत बढ़ने का मतलब नहीं कि उसके बिजनस में भी सुधार हो रहा है।

डेरिवेटिव ट्रेड में सोच-समझकर
चढ़ते बाजार में डेरिवेटिव ट्रेड को ब्रोकर्स फिर से अग्रेसिव तरीके से प्रमोट करेंगे। आपको लग सकता है कि डेरिवेटिव मार्केट से जल्द और ज्यादा पैसा बनाया जा सकता है। अगर आपको इस बाजार की समझ है, तो इसमें दांव लगाने में कोई हर्ज नहीं। हालांकि जो लोग इस बाजार के रिस्क को नहीं समझते हैं, उन्हें इससे दूर ही रहना चाहिए।

लोन लेकर न करें निवेश
शेयर बाजार रेकॉर्ड ऊंचाई पर है, इसलिए जल्द ही लोग लोन लेकर मार्केट में इन्वेस्टमेंट शुरू करेंगे। आपका ब्रोकर ट्रेड के लिए मार्जिन मनी का इस्तेमाल करने को कहेगा। बैंक भी आपके शेयर, फंड, बॉन्ड और डिपॉजिट के बदले लोन ऑफर करेगा। लोन लेकर रिस्की असेट्स पर दांव लगाना दोधारी तलवार पर चलने जैसा है।
जल्दबाजी न करें
अगर किसी इन्वेस्टमेंट के मौके के बारे में आपसे कहा जाता है कि तुरंत फैसला नहीं लेने पर यह हाथ से निकल जाएगा, तो इससे दूर ही रहें। लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के फैसले कभी जल्दबाजी में नहीं लिए जाते। जिन इन्वेस्टमेंट ऑपरट्यूनिटीज को खास बताया जा रहा है, उनसे बचिए। इस तरह की बातें सिर्फ प्रॉडक्ट बेचने के लिए की जाती हैं।
कंपनियों को परखिए
फाइनैंशल मार्केट के इंस्टिट्यूशनल स्ट्रक्चर में भारी गैप को पहचानिए। कई प्रमोटर्स की कई कंपनियों में क्रॉस होल्डिंग होती है। भारत में कॉर्पोरेट गवर्नेंस की हालत बहुत खराब है और बोर्ड में अक्सर प्रमोटर के दोस्त या रिश्तेदारों को रखा जाता है। ऑडिटेड अकाउंट्स से भी सचाई सामने नहीं आती। इन्वेस्टमेंट से पहले आपको इन बातों के बारे में सोचना होगा।

टीसीएस ने दुनिया के टॉप-10 IT सर्विसेज कंपनियों में जगह बनाई

कोटा।  भारतीय टेक्नॉलजी इंडस्ट्री ने उस वक्त नई ऊंचाइयों को छुआ जब देश की सबसे बड़ी आईटी सर्विस प्रोवाइडर, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने दुनिया के टॉप-10 ग्लोबल आईटी सर्विसेज कंपनियों में जगह बना ली। वर्ष 2012 में टीसीएस इस लिस्ट में 13वें स्थान पर थी लेकिन 2013 में वह 10वें स्थान पर पहुंच गई।
12 साल पहले जब टीसीएस का रेवेन्यू 1 अरब डॉलर था तब कंपनी के सीईओ एस रामादोरई ने वर्ष 2010 तक टीसीएस को दुनिया में टॉप-10 में जगह बनाने का लक्ष्य रखा था। लेकिन 2008-09 में आए आर्थिक मंदी के दौर के कारण कंपनी को इसे हासिल करने में थोड़ा ज्यादा वक्त लगा। लेकिन अब जबिक कंपनी दुनिया की टॉप-10 आईटी कंपनियों में शामिल हो गई है आने वाले सालों में इसकी रैंकिंग में तेजी से सुधार हो सकता है।
टीसीएस के आईटी सर्विसेज का रेवेन्यू लगभग 10.1 अरब डॉलर है (कुल रेवेन्यू लगभग 12.5 अरब डॉलर) है। आईबीएम (54.4 अरब डॉलर), फूजित्सू (32.1 अरब डॉलर), हेवलेट-पैकर्ड (29.2 अरब डॉलर) और असेंचर (25.4 अरब डॉलर) इस लिस्ट में टॉप पर हैं।
इस रिसर्च में कंपनियों के आईटी सर्विसेज की तुलना की गई है। इसमें बीपीओ, आरऐंडी सर्विसेज और सॉफ्टवेयर/हार्डवेयर प्रॉडक्ट्स को शामिल नहीं किया गया है। इसमें वर्ष 2013 के चार क्वॉर्टस के आंकड़ों को शामिल किया गया है। टीसीएस ने दसवें स्थान के लिए मॉन्ट्रियल स्थित आईटी सर्विसेज फर्म सीजीआई की जगह ली। भारतीय कंपनियां कॉग्निजेंट, इंफोसिस, विप्रो और एचसीएल इस लिस्ट में क्रमशः 15वें, 18वेंस और 20वें नंबर पर हैं। इस रिसर्च को करने वाली फर्म एचएफएस का मानना है कि कॉग्निजेंट अगले 2-3 सालों में टॉप-10 में जगह बना सकती है और हो सकता है कि वह अमेरिकी कंपनी सीएससी की जगह ले। सीएससी के रेवेन्यू में पिछले साल एक साल पहले की तुलना में गिरावट आई थी।
 

अब विमान में फ्लाइट मोड पर कर सकेंगे मोबाइल का इस्तेमाल

कोटा। डीजीसीए ने विमानों के आकाश में उड़ान भरते समय भी इंटरनेट, मोबाइल व लैपटॉप के प्रयोग की अनुमति दे दी है। यात्री फ्लाइट मोड में रखकर मोबाइल व लैपटॉप का इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे पहले भारत के आकाश में उड़ान भरते समय फ्लाइट्स में इंटरनेट या वाई-फाई के इस्तेमाल पर प्रतिबंध था। यह प्रतिबंध न सिर्फ घरेलू उड़ानों के यात्रियों के लिए था, बल्कि विदेशी उड़ानें भी जब भारतीय आकाश से गुजरती थी तो उन्हें भी इसका सामना करना पड़ता था।
पहले सिर्फ विदेशी उड़ानों के यात्री भारतीय वायुसीमा से बाहर जाने के बाद फिर से इंटरनेट या वाई-फाई का इस्तेमाल कर सकते थे। मगर अब घरेलू उड़ानों के यात्री भी इनका प्रयोग कर सकेंगे।
ब्रिटिश एयरवेज, एमीरेट्स, ऐतिहाद, सिंगापुर एयरलाइंस, थाई एयरलाइंस समेत करीब 30 अंतरराष्ट्रीय विमानन कंपनियों की उड़ानों में इंटरनेट व मोबाइल कनेक्टिविटी मुहैया कराने वाली कंपनी ऑनएयर ने हाल में भारत की सरकारी उड़ान एयर इंडिया के अधिकारियों से मुलाकात कर अपनी शिकायत भी दर्ज कराई थी।
पहले इंटरनेट या वाई-फाई कनेक्टिविटी तो बहुत दूर की बात है, भारत में नागरिक विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के नियम तो विमान के अंदर पूरे समय मोबाइल फोन जैसे पर्सनल इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज को ऑफ रखने की बात कहते थे। इसके विपरीत अमेरिका व यूरोप ने जनवरी 2014 से अपने यात्रियों को उड़ान के पूरे समय मोबाइल फोन व पर्सनल इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज को एरोप्लेन मोड में ऑन रखने की छूट दे रखी थी।

ऑनलाइन रेल टिकट में नहीं लगेगा वक्त

कोटा। इंटरनेट पर रेलगाडिय़ों का टिकट बुक करवाने में होने वाली देरी से आप अगर परेशान हो गए हों तो आपके लिए अच्छी खबर। अब वेबसाइट से ट्रेन टिकट कटाना बस कुछ क्लिक का खेल होगा। इसके लिए रेलवे एक नई वेबसाइट बना रही है, जो अगले कुछ दिनों में शुरू हो जाएगी। 
रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बनाया कि आईआरसीटीसी के जिस सर्वर को बनाने का जिम्मा सेंटर फॉर रेलवे इन्फॉरमेशन सिस्टम (क्रिस) को मिला है, वह लगभग पूरा गया है। हालांकि इस नए सर्वर को चालू करने की इंटरनल डेडलाइन 28 अप्रैल तय की गई है, लेकिन उससे पहले ही इसे चालू कर दिया जाएगा।  नया सर्वर बनाने के लिए आईआरसीटीसी पांच वर्षों में कुल 180 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी, जिनमें से करीब 100 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं। नए सर्वर की क्षमता प्रति मिनट 72,000 से लेकर 75,000 टिकट बनाने की होगी। अभी जिस सर्वर पर टिकट बुक करने का काम हो रहा है उसकी क्षमता महज 2000 टिकट प्रति मिनट ही है।
उन्होंने बताया कि नया सर्वर बनाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी जगत की लगभग 10 कंपनियां काम कर रही हैं। इसके लिए हार्डवेयर आईबीएम दे रही है। एचसीएल, विप्रो, सीएमसी, ओरेकल जैसी कंपनियां भी इस मुहिम में शामिल हैं। इसके तहत ब्रॉडबैंड सेवाओं के लिए एयरटेल और एमटीएनएल जैसी कंपनियों से करार किया गया है। हालांकि, नया सर्वर अपनी पूरी क्षमता के अनुरूप पहले दिन से ही काम नहीं करेगा। इसे चरणबद्ध ढंग से शुरू किया जाएगा। लेकिन यह तो तय है कि पहले दिन से ही ग्राहकों को परिवर्तन महसूस होने लगेगा। आईआरसीटीसी के एक अधिकारी का कहना है कि नए सर्वर से टिकट शत-प्रतिशत मिलने की गारंटी नहीं मिलेगी। सर्वर से तो सिर्फ बुकिंग की गति बढ़ जाएगी। टिकट मिलना या नहीं मिलना तो सीटों की मांग और आपूर्ति पर निर्भर करता है।यदि किसी गाड़ी की सीटों की मांग कम है तो उसके टिकट आसानी से मिलेंगे। यदि सीटों की मांग ज्यादा है तो टिकट नहीं मिलेंगे। देखा जाए तो इंटरनेट टिकटिंग का नया सर्वर पहले के मुकाबले तीन गुना बड़ा है, इसलिए स्पीड में कहीं भी समझौता नहीं होगा।

Wednesday, April 23, 2014

कोटा में दोगुना से भी अधिक हो गए करोड़पति

दिनेश  माहेश्वरी
कोटा।
  आयकर विभाग के कोटा चार्ज में शामिल पांचों जिलों में करोड़पतियों की संख्या इस साल बढ़कर 4351 हो गई है। पिछले साल से करोड़पतियों की संख्या में 2388 का इजाफा हुआ है। वर्ष 2012-13में संभाग में केवल 1963  करोड़पति थे। वहीं वर्ष 2011-12  में 10 लाख रुपए से ज्यादा टैक्स देने वाले करदाताओं की संख्या 2408 थी।
कोटा (चार्ज) के करदाताओं ने समाप्त हुए वित्त वर्ष 2013-14 में 602 करोड़ रुपए इनकम टैक्स दिया है, जो पिछले वित्त वर्ष 2012-13 से 28 करोड़ रुपए ज्यादा है। पिछले वित्त वर्ष में आयकर विभाग को 574 करोड़ रुपए का टैक्स प्राप्त हुआ था। आयकर आयुक्त प्रेमप्रकाश ने बताया कि कोटा चार्ज में इस बार टैक्स में ग्रोथ कम रहने की वजह दो मेजर इंडस्ट्रीज सीमेंट और फर्टिलाइजर्स में कम उत्पादन रहा है।
अत्यधिक बारिश के कारण दोनों इंडस्ट्रीज पर असर पड़ा है। कोटा चार्ज में कोटा, बारां, बूंदी, झालावाड़ एवं सवाईमाधोपुर जिले के 1.96 लाख करदाता शामिल हैं। पांच लाख से अधिक आय वाले करदाताओं ने पहली बार ऑनलाइन रिटर्न फाइल की है। इससे पहले 10 लाख रुपए से अधिक आय वाले करदाताओं के लिए ही ऑनलाइन रिटर्न फाइल करने का नियम था। वित्त वर्ष 2012-13 में करदाताओं ने 574 करोड़ रुपए का टैक्स दिया था। इसमें से रिफंड देने के बाद  जो वर्ष 2011-12 से 109 करोड़ रुपए अधिक था। पिछले वित्त वर्ष की तुलना में समाप्त हुए वित्त वर्ष 2013-14 में मात्र 28 करोड़ रुपए ही टैक्स बढ़ा है, जो कुल बढ़ोतरी का मात्र 4.87 प्रतिशत ही है। इसके पहले 23 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी।
एक करोड़ से ज्यादा आयकर देने वाली 15 कंपनियां
आयुक्त ने बताया कि कोटा चार्ज में 50 लाख रुपए से अधिक टैक्स देने वालों की संख्या समाप्त हुए वित्त वर्ष के अंत तक बढ़कर 30 हो गई है। इससे पहले वित्त वर्ष 2012-13 में यह संख्या 23 थी। कार्पोरेट सेक्टर में 15 कंपनियां ऐसी हैं, जिन्होंने एक करोड़ रुपए से अधिक आयकर दिया है। इसमें शहर के पांच प्रमुख कोचिंग संस्थान भी शामिल हैं।
34 आयकर सर्वे किए 

 आयकर विभाग ने इस बार पूरे वित्त वर्ष में 34 सर्वे कर 42.38 करोड़ रुपए की अघोषित संपत्ति का पता लगाया है। आयुक्त ने बताया कि इस बार छोटे कस्बों में भी सर्वे किए हैं। जिसमें हिंडौली, गंगापुर सिटी एवं बूंदी आदि शामिल हैं। इससे पूर्व वित्त वर्ष में मात्र 9 सर्वे हुए थे, जिसमें 11.50 करोड़ रुपए अघोषित आज उजागर हुई थी।
30 हजार नए करदाता जुड़े

आयुक्त ने बताया कि कोटा चार्ज में इस बार 30 हजार 664 नए करदाता जुड़े हैं। इससे पहले 1 लाख 66 हजार 722 करदाता थे। नए करदाताओं को मिलाकर अब 1 लाख 96 हजार 386 करदाता हो गए हैं। आयुक्त के मुताबिक समाप्त हुए वित्त वर्ष में 177 करोड़ रुपए के रिफंड दिए गए। इससे पिछले वित्त वर्ष में 150 करोड़ रुपए के रिफंड दिए गए थे। यानी इस बार 27 करोड़ रुपए के रिफंड अधिक दिए।

जून से देश में कहीं भी कंटेनर डिपो से माल भेज सकेंगे व्यापारी

दिनेश माहेश्वरी 
कोटा।  संभाग  के व्यापारियों और उद्यमियों  को जल्द ही अपना माल देश के दूर-दराज के हिस्सों में भेजने के लिए कंटेनर डिपो  के माध्यम से सुविधा मिलेगी। सड़कों के रास्ते भेजने पर माल खराब होने और ज्यादा आर्थिक बोझ से भी मुक्ति मिल जाएगी। मंडाना के पास रावठा रोड स्थित अंतरराष्ट्रीय कॉनकोर डिपो पर जून तक डॉमेस्टिक सेवा शुरू हो जाएगी। व्यापारियों को रोड ट्रांसपोर्ट की अपेक्षा करीब 40 प्रतिशत की बचत होगी। फिलहाल सुविधा केवल विदेश के लिए है।
 इस कंटेनर डिपो से फिलहाल निर्यात के लिए कोटा स्टोन, सेंड स्टोन और सोयाबीन की डीओसी ही भेजी जा रही है। डोमेस्टिक सेवा शुरू होने पर कोचीन, चेन्नई, कोलकत्ता, मुंबई एवं दिल्ली समेत किसी भी इंडस्ट्रियल टाउन पर व्यापारी एवं उद्यमी अपना माल भेज सकेंगे। कंटेनर डिपो के मैनेजर संतोष कुमार ने बताया कि डोमेस्टिक सेवा शुरू करने के लिए 26 हजार वर्गमीटर भूमि खरीदी जा चुकी है। इसको तैयार करने में १० करोड़ रुपए की लागत आएगी। कस्टम विभाग में परमिशन के लिए आवेदन किया जा चुका है। इसकी परमिशन आते ही सेवा शुरू कर दी जाएगी।
कोटा से गेहूं और धनिया भेजा जाता है दक्षिण भारत
व्यापारियों का कहना है कि वर्तमान में उन्हें ट्रकों से माल भेजना काफी महंगा पड़ता है। कोटा स्टोन तो सड़कें खराब होने से रास्ते में डैमेज हो जाता है। यदि डोमेस्टिक सेवा शुरू होती है, तो ट्रक की जगह वे कंटेनर से ही अपना माल भेजेंगे। कोटा से सबसे ज्यादा गेहूं और धनिया दक्षिण भारत में भेजा जाता है। खासतौर से केरल, कोट्टायम, कालिकट, कोयम्बटूर, पालघाट हुबली, रामालिंगम एवं बैंगलोर आदि स्थानों पर रेलवे के रैक भेजे जा सकते हैं।
समझें, कैसे सस्ता पड़ेगा कॉनकोर डिपो
व्यापारियों का कहना है कि रैक से भेजने में दो हजार रुपए प्रति टन और ट्रक से भेजने में तीन हजार रुपए प्रति टन भाड़ा लग जाता है। यानी एक हजार रुपए प्रति टन अधिक का खर्चा आता है। इसके बाद भी समय पर कई बार माल नहीं पहुंच पाता। व्यापारियों ने बताया कि इसी तरह धनिया आंध्रप्रदेश जाता है। ट्रक से भेजने में 4000 रुपए क्विंटल का भाड़ा लग जाता है। कंटेनर डिपो पर यदि रेलवे और ट्रकों की अपेक्षा सस्ता पड़ेगा तो उसी से भेजेंगे।
1200 कंटेनर हर माह होता है निर्यात
अंतरराष्ट्रीय कंटेनर डिपो पर हर माह 1200 से 1500 कंटेनर निर्यात के लिए भेजे जाते हैं। जिसमें 300 कंटेनर सोयाबीन की डीओसी और बाकी सेंड स्टोन एवं कोटा स्टोन के कंटेनर होते हैं।


Tuesday, April 22, 2014

अब 5 मीटर दूर से चार्ज हो जाएगा मोबाइल

कोटा।  ऊर्जा स्त्रोत से दूर बिना बिजली के तार के अपना स्मार्टफोन चार्ज करने या टेलीविजन चालू करने की कल्पना को शोधकर्ताओं ने संभव बना दिया है। शोधकर्ताओं ने बेतार ऊर्जा की दूरी में सुधार करते हुए इसकी रेंज को पांच मीटर तक बढ़ा दिया है।
द कोरिया एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर चुन टी रिम व उनके सहयोगियों ने डाइपोल कॉइल रिजोनंट सिस्टम (डीसीआरएस) का प्रोटोटाइप विकसित किया है

जो पांच मीटर की दूरी से एलईडी टेलीविजन को चालू कर सकेगा। रिम ने बताया कि डीसीआरएस की मदद से एक बड़े एलईडी टेलीविजन और 40 वाट के तीन पंखों को पांच मीटर की दूरी से संचालित किया जा सकेगा।
हमारी प्रौद्योगिकी ने "रिमोट पावर डिलीवरी मैकेनिज्म" की संभावना को साबित कर दिखाया है। इस तकनीक पर अभी तक किसी ने काम नहीं किया है। शोधकर्ताओं ने एक कुंडलीदार संरचना तैयार की है जिसमें दो ध्रुवों वाले चुंबक लगे हैं। पहले चुंबक का इस्तेमाल चुंबकीय क्षेत्र पैदा करने के लिए किया जाता है जबकि दूसरे का इस्तेमाल विद्युत ऊर्जा प्राप्त करने के लिए। रिम ने बताया, जिस तरह हम आज कहीं भी वाई फाई क्षेत्र बना लेते हैं वैसे ही हम वाई पावर क्षेत्र भी बना सकेंगे जो इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बिना बिजली के तार के विद्युत ऊर्जा उपलब्ध कराएगा।


कैडबरी ने नाम बदला, नया नाम मोंडेलेज फूड्स

कोटा। मोंडेलेज इंटरनेशनल की सहायक कंपनी कैडबरी इंडिया ने सोमवार को अपना नाम बदलकर मोंडेलेज इंडिया फूड्स लिमिटेड कर लिया, लेकिन उत्पादां की पहचान (ब्रांड) नहीं बदली जाएगी।
कंपनी की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि मोंडलेज इंटरनैशनल की सभी सहायह इकाइयों के नाम वैश्विक पैमाने पर बदलने की प्रक्रिया के तहत भारतीय इकाई का नाम बदला गया है। मोंडेलेज इंडिया के प्रबंध निदेशक मनु आनंद ने कहा कि कंपनी का नाम मोंडेलेज इंडिया फूड्स लिमिटेड किए जाने के साथ ही दो साल पहले शुरू हुई बदलाव की प्रक्रिया खत्म की जा रही है।कंपनी ने कहा कि नाम में बदलाव का उसके कैडबरी डेयरी  मिल्क, 5 स्टार, जेम्स, बोर्नविल, पर्क, सेलीब्रेशन, कॉक्लेयर्स, हाल्स, बोर्नवीटा, टैंग और ओरियो जैसे उत्पादों के नाम या इसकी पैकेजिंग पर कोई असर नहीं होगा। ये उत्पाद पहले की तरह मौजूदा ब्रांड के तहत बिकते रहेंगे।

Monday, April 21, 2014

जब पानी में गिर जाए अपना प्यारा मोबाइल

कोटा। कभी पानी के टब या वाशिंग मशीन में मोबाइल गिर जाए तो बिलकुल नहीं घबराएं।  ऐसी स्थिति से निपटने के लिए आईए आपको बता रहीं हैं  एक्सपर्ट  ज्योति  माहेश्वरी कुछ  जरूरी टिप्स
फोन को ऑफ करें
पानी में भीगा फोन ऑन करने की कोशिश न करें। अगर फोन पानी में जाने के बाद भी ऑन हो तो फोन ऑफ कर दें। सारे उपकरण जो आपसे खुलने लायक हों जैसे कवर और बैटरी इत्यादि को निकालकर अच्छी तरह सुखा लें। फोन को सुखाने के लिए किसी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का इस्तेमाल न करें। जैसे हेयर ड्रायर और हीटर वगैरह।
चावल में डाल दें
यदि फोन में थोड़ा बहुत पानी चला गया है फोन के तुरंत ऑफ कर दें और उसे कुछ देर के लिए चावल में डाल दें। पानी यदि फोन के अंदर तक नहीं गया है तो चावल उसे वहीं सोख लेगा। पानी को अंदर नहीं जाने देगा। हां किसी पाउडर में न डालें यह आपके फोन में भर जाएगा और स्पीकर को नुकसान पहुंचा सकता है।
वॉक्यूम क्लियर इस्तेमाल न करें
यदि स्पीकर ग्रील या स्लॉट में गंदगी हो तो उसे ब्रश से या फूंक मार कर साफ करने की कोशिश करें। या किसी ऐसी चीज से साफ करें जो तेज हवा फेंक रहा हो। वॉक्यूम क्लियर इत्यादि को प्रयोग न करें। फोन में छोटे सर्किट होते हैं ओर क्लिनर उन्हें नुकसान पंहुचा सकता है।
वारंटी का भी रखें ध्यान
फोन के पेंच खुद न खोलें इससे न सिर्फ फोन खराब होने का खतरा होगा बल्कि वारंटी भी जा सकती है। यदि पानी से बैटरी फूल गई हो जो उसका प्रयोग न करें तो ही अच्छा है।

स्थाई पीएफ खाता नंबर 15 अक्टूबर से होंगे जारी

दिनेश माहेश्वरी
कोटा।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) अपने सभी सक्रिय खाताधारकों को 15 अक्टूबर से स्थायी खाता नंबर जारी करेगा। यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (यूएएन) नाम से जारी होने वाला यह खाता नंबर कोर बैंकिंग सेवाओं की तरह सुविधा उपलब्ध कराएगा। यह नंबर मिलने पर कर्मचारियों को नौकरी बदलने पर अपना पीएफ खाता ट्रांसफर करवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
ईपीएफओ की चालू वित्त वर्ष के लिए निर्धारित की गई कार्ययोजना में कहा गया कि मौजूदा सदस्यों को 15 अक्टूबर 2014 से यूएएन जारी किए जाएंगे। इसके बाद अन्य सदस्यों को यह नंबर उपलब्ध कराए जाएंगे। यूएएन जारी होने के बाद सदस्यों को कंपनी बदलने पर नए पीएफ अकाउंट नंबर जारी नहीं किए जाएंगे। इससे असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। इस क्षेत्र में खासकर निर्माण क्षेत्र में कर्मचारियों को जल्दी-जल्दी नौकरी बदलनी पड़ती है।
यूएएन जारी होने पर कर्मचारियों के पास विभिन्न कंपनियों में काम करने के बावजूद अपने पूरे सेवाकाल के लिए एक खाता नंबर बना रहेगा। ईपीएफओ द्वारा संचालित की जाने वाली सभी योजनाओं के लाभ इसी खाता नंबर के जरिये दिए जाएंगे। संगठन ने सदस्यों को यूएएन जारी करने की योजना का रोडमैप तैयार करने का काम सी-डैक को सौंपा था। सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सी-डैक) संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत काम करने वाला प्रमुख शोध एवं विकास संगठन है।
ईपीएफओ अधिकारियों के मुताबिक यूएएन जारी होने पर संगठन पर काम का बोझ कम होगा। संगठन को हर साल सदस्यों के 12 लाख से ज्यादा पीएफ खातों को ट्रांसफर करना पड़ता है। बीते साल संगठन ने पीएफ भुगतान और ट्रांसफर सहित कुल 1.21 करोड़ दावों का निपटारा किया है। अधिकारियों के मुताबिक ज्यादातर कर्मचारी नौकरी बदलने पर अपने खाते को बंद करवाकर नया खाता खुलवाते हैं। इस प्रक्रिया में काफी समय लगता है।

सितंबर से ऑनलाइन होंगे ईपीएफओ के तमाम भुगतान

नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने लाभार्थियों को भविष्य निधि दावों समेत सभी तरह के भुगतान ऑनलाइन करने का फैसला किया है।
ईपीएफओ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ईपीएफओ ने 31 अगस्त 2014 तक 100 प्रतिशत लाभ का भुगतान ई-मोड के जरिए करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि फिलहाल लगभग 93 प्रतिशत भुगतान इलेक्ट्रॉनिक तरीके से किया जाता

है।इस सुविधा के तहत पीएफ निकासी सहित अन्य भुगतान लाभान्वितों के खाते में डाल दिया जाता है। इसके लिए कोई चैक या बैंक ड्राफ्ट जारी नहीं किया जाता। ईपीएफओ फिलहाल हर वित्त वर्ष में एक करोड़ से अधिक दावों का निपटान करता है। वित्त वर्ष 2013-14 में संगठन ने 1.21 करोड़ दावे निपटाए, जिसमें निकासी और पीएफ स्थानांतरण शामिल है। बहरहाल, अधिकारी ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक तरीके से भुगतान से जहां ईपीएफओ की दक्षता सुधरेगी वहीं लाभान्वितों को चैक आदि जारी करने के कागजी काम भी कम हो जाएंगे।

सबसे छोटा 3डी पेन लिक्स

कोटा।  जल्द ही बाजार में ऐसा 3डी पेन आने वाला है, जिसे दुनिया का सबसे छोटा 3डी पेन कहा जा रहा है। वेबसाइट किकस्टार्टर के अनुसार 'लिक्स' नामक इस 3डी पेन की लंबाई सिर्फ 6.5 इंच (16.5 सेमी) है। इसमें एबीएस व पीएलए प्लास्टिक फिलामेंट्स दिए गए हैं, जिनकी मदद से सिर्फ एक बटन दबाने से 3डी स्कैच बनाना संभव हो सकेगा। 
इस पेन को यूएसबी के जरिए पावर आउटलेट से कनेक्ट कर चार्ज भी किया जा सकेगा। सिर्फ एक मिनट की चार्जिंग के बाद इसके फिलामेंट 3डी स्कैच बनाने के लिए अनुकूल तापमान पर पहुंच जाएंगे। यह पेन अपने आउटपुट पॉइंट से 395 डिग्री फैरनहाइट (202 डिग्री सेल्सियस) तापमान पैदा करेगा। ज्यादा बारीकी से काम करने के लिए इसकी डिजाइन इस तरह बनाई गई है, जो दो तरह के स्पीड कंट्रोल बटन से चलती है। इसमें इस्तेमाल किए गए फिलामेंट के अनुसार रंगों व ग्लॉस का चुनाव किया जा सकता है। वेबसाइट पर इसकी कीमत 139.95 डॉलर बताई गई है।


Saturday, April 19, 2014

जानें इन्वर्टर एसी के फायदे और नुकसान

दिनेश माहेश्वरी
कोटा।
मार्केट में एसी खरीदते वक्त कंफ्यूजन होना आम बात है लेकिन इस  इन्वर्टर एसी ने कंफ्यूजन और बढ़ा दिया है। क्या है इन्वर्टर एसी और क्या हैं इसके फायदे, आइये बताते हैं हम .....

 क्या इन्वर्टर एसी
जब भी इन्वर्टर एसी का नाम आता है, तो जहन में सबसे पहले घर में बिजली की लगातार सप्लाई के लिए लगाया जाने वाला इन्वर्टर ही दिमाग में आता है। कुछ लोग इसे इन्वर्टर से चलने वाला एसी समझते हैं। एसी में इन्वर्टर शब्द के इस्तेमाल का बस इतना ही फसाना है कि जिस तरह आपके घर का इन्वर्टर बिजली की सप्लाई को लगातार बनाए रखता है, वैसे ही इन्वर्टर एसी भी कूलिंग को लगातार बेहतर तरीके से मेनटेन करता है। यह ऐसा एसी है जिसमें तापमान को कंट्रोल करने के लिए बेहतर तकनीक है।
कैसे बना इन्वर्टर एसी सुपर सेवर
इन्वर्टर एसी को सुपर सेवर का नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि इसमें बिजली की बचत होती है। साथ ही कंप्रेसर पर कम जोर पड़ने से एसी की लाइफ बढ़ती है। जहां आम एसी कूलिंग के लिए लगातार कंप्रेसर को चलाते हैं और जब कूलिंग सेट पॉइंट पर पहुंच जाती है तो कूलिंग को बंद करके फिर से तापमान के बढ़ने का इंतजार करते हैं और ऐसा होने पर दोबारा चालू हो जाते हैं। यह सारा कंट्रोल ऑटो कट मोड की तरह होता है। इससे अलग इन्वर्टर एसी में कंप्रेसर अपनी स्पीड को स्मार्ट तरीके से कम और ज्यादा कर सकता है। जैसे-जैसे एसी सेट पॉइंट पर पहुंचता है, इन्वर्टर एसी के कंप्रेसर की रफ्तार कम हो जाती है और फिक्स तापमान पर पहुंचते ही यह काफी धीमी हो जाती है। कंप्रेसर की रफ्तार का सीधा असर बिजली की खपत पर पड़ता है। इन्वर्टर एसी इस तरह स्टॉप-स्टार्ट साइकल को कम करते हैं और बचत करते हैं। इसकी यही खूबी इसे सुपर सेवर बनाती है। बिजली की बचत के साथ साथ यह एसी एक जैसा तापमान भी बरकरार रखता है। जब तक एसी को अधिकतम कूलिंग या हीटिंग पर न सेट कर दिया जाए, कंप्रेसर पर अधिकतम लोड नहीं पड़ता। इससे अलग नॉन इन्वर्टर एसी में लगातार कंप्रेसर पूरा जोर लगाता रहता है।
क्या है मार्केट का हाल
इन्वर्टर एसी तकनीक के लिहाज से भारतीय बाजारों के लिए नए हैं, फिर भी बिजली की बचत के चलते खासे पॉपुलर हो रहे हैं। अब तक मार्केट में हाई बीईई रेटिंग को लेकर काफी उत्साह देखा जाता था लेकिन इन्वर्टर एसी ने बिजली की बचत की लड़ाई को अगले लेवल पर पहुंचा दिया है। मार्केट का लगभग हर बड़ा ब्रैंड जैसे डाइकिन, एलजी, सैमसंग, हिताची, तोशीबा आदि इन्वर्टर एसी के ऑप्शन के साथ मौजूद हैं। इनकी शुरुआत 35 हजार रुपये के आसपास से होकर 1 लाख रुपये तक जाती है। अगर बेस प्राइस को लेकर चलें तो भी इन्वर्टर एसी आम 5 स्टार एसी से लगभग 5 हजार रुपये महंगा साबित होगा।
बचत का गणित
कंपनियां दावा करती हैं कि इन्वर्टर एसी साल में आपके बिजली के खर्च को 30 से 40 फीसदी तक कम कर सकते हैं। यह आंकड़ा 5 स्टार एसी को बेस बनाकर निकाला गया है। जब हमने इन्वर्टर एसी के यूजर से बात की तो उन्होंने इस बात को माना कि बिजली के बिल में कटौती तो हुई है लेकिन दी गई एक्सट्रा कीमत को वसूलने में कम से कम 5-6 साल का वक्त लगेगा।
3 स्टार एसी (1 टन ) : हर महीने खपत 1800 रुपये लगभग
5 स्टार एसी (1 टन ) : हर महीने खपत 1500 रुपये लगभग
इन्वर्टर एसी (1 टन ) : हर महीने खपत 1300 रुपये लगभग
(7 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से )
इस लिहाज से देखा जाए तो बचत तो हो रही है , लेकिन दावे से कम।
इन बातों का भी रखें ख्याल
- इन्वर्टर एसी का ऑप्शन केवल स्पिलट मॉडल में मौजूद है। मतलब विंडो एसी के यूजर्स के लिए अभी यह तकनीक नहीं है।
- जो लोग एसी का इस्तेमाल ज्यादा देर ( दिन में 10-12 घंटे या उससे ज्यादा ) तक करते हैं , इन्वर्टर एसी उनके लिए ही ज्यादा बचत करता है।
- 6 घंटे से कम इस्तेमाल करने वालों की बचत इतनी नहीं होती कि वह कीमत जल्दी वसूल सकें।
- नई और बेहतर तकनीक की वजह से मेंटेनेंस के लिहाज से यह कुछ महंगे साबित हो सकते हैं।
- इन्वर्टर एसी से बेहतर कूलिंग तभी संभव है जब इंसुलेशन बेहतर हो और कमरे के एरिया के हिसाब से एसी माकूल हो।

Friday, April 18, 2014

लॉकर रेंट पर लेने से पहले रखें ख्याल

दिनेश माहेश्वरी
कोटा।
कीमती चीजों और डॉक्युमेंट्स को सेफ रखने के लिए बैंक सेफ डिपॉजिट लॉकर अच्छा ऑप्शन है। हम आपको बताते हैं  कि लॉकर रेंट पर लेने से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए...

यह कैसे काम करता है?
लॉकर में आप जूलरी, कैश और इंपॉर्टेंट डॉक्युमेंट्स रख सकते हैं। बैंक 'फर्स्ट कम फर्स्ट सर्व' बेसिस पर लॉकर अलॉट करते हैं। अगर बैंक की किसी ब्रांच के पास खाली लॉकर नहीं है, तो वहां एक वेटिंग लिस्ट मेंटेन की जाती है और उस हिसाब से लॉकर दिया जाता है। हर लॉकर में चाबियों के दो सेट होते हैं। इनमें से एक कस्टमर के लिए और दूसरा बैंक के पास रहता है। दोनों चाबियों का एक साथ इस्तेमाल करने पर ही लॉकर को खोला जा सकता है। लॉकर के लिए जॉइंट होल्डर हों, तो अच्छा रहता है। इसके लिए एक या उससे अधिक नॉमिनी भी अप्वाइंट किए जा सकते हैं। इससे दोनों अकाउंट होल्डर्स के दुनिया में नहीं रहने पर लॉकर में रखे सामान आसानी से नॉमिनी को मिल जाते हैं। लॉकर रेंट पर लेने से पहले गाइडलाइंस ध्यान से पढ़ें।

. इसकी कॉस्ट कितनी है? 
ये अलग-अलग साइज में आते हैं और इनकी रेंट में फर्क होता है। एसबीआई छोटे लॉकर के लिए सालाना 1,019 रुपये की फीस लेता है। मीडियम के लिए 2,547 रुपये, बड़े लॉकर के लिए 3,056 रुपये और एक्सट्रा लार्ज लॉकर के लिए वह 5,093 रुपये लेता है। प्राइवेट बैंकों में लॉकर चार्जेज ज्यादा हैं। सिटी बैंक छोटे लॉकर के लिए 2,000 रुपये सालाना लेता है। वह बेस्ट लॉकर फैसिलिटी के लिए 40,000 रुपये सालाना फीस लेता है। लॉकर के लिए एक बार रजिस्ट्रेशन फीस भी देनी पड़ती है। एसबीआई की वनटाइम फीस 509 रुपये है। अलग-अलग बैंकों के लिए यह चार्ज अलग-अलग है। समय पर रेंट का भुगतान नहीं होने पर बैंक सालाना रेंट के 10-50 पर्सेंट तक की पेनाल्टी भी लगाते हैं। साल में आप कितनी बार लॉकर एक्सेस कर सकते हैं, इसके भी नियम हैं। मिसाल के लिए एसबीआई 12 फ्री विजिट की इजाजत देता है। उसके बाद हर एक्सट्रा विजिट के लिए वह 51 रुपये चार्ज करता है। हालांकि आपको समय-समय पर लॉकर जाकर जरूर देखना चाहिए। अगर आपसे लॉकर की चाबी गुम हो जाती है, तो बैंक को उसे तोड़ने और असल खर्च के अलावा 500 रुपये सर्विस चार्ज के तौर पर वसूलने की भी इजाजत है।
 क्या यह सेफ होता है?
आरबीआई का कहना है कि लॉकर में रखे गए सामान के लिए बैंक किसी तरह से जिम्मेदार नहीं हैं। इसलिए चोरी होने पर बैंक उसके लिए जवाबदेह नहीं होगा। हालांकि रिजर्व बैंक ने बैंकों को कस्टमर्स के हितों की रक्षा के लिए सबसे बेहतर सिक्यॉरिटी इंतजाम करने को भी कहा है। बैंक जिन लॉकर्स का इस्तेमाल करते हैं, उनकी क्वॉलिटी भी काफी अच्छी होती है।
. क्या आपको लॉकर के लिए बैंक अकाउंट खोलने की भी जरूरत है?
आरबीआई का कहना है कि बैंक उन लोगों को भी लॉकर फैसिलिटी देने से मना नहीं कर सकते, जिन्होंने उनके पास खाता नहीं खुलवाया है। हालांकि बैंक आपसे लॉकर के 3 साल के रेंट के बराबर पैसा डिपॉजिट करने के लिए कह सकते हैं। अगर लॉकर का सालाना रेंट 1,019 रुपये है तो बैंक आपसे 4,066 रुपये (1019 रुपये गुना 3 + 509 रुपये सर्विस चार्ज + 500 रुपये ब्रेकिंग चार्ज) का फिक्स्ड डिपॉजिट करने के लिए कह सकते हैं। हालांकि सच्चाई यह है कि बैंक केवाईसी के नाम पर सेविंग बैंक अकाउंट खोलने के लिए कहते हैं। एग्रेसिव बैंक तो लॉकर फैसिलिटी के लिए 1-5 लाख रुपये का एफडी करने को भी कहते हैं। हालांकि यह आरबीआई की गाइडलाइंस का उल्लंघन है।
 आपको कितना कंपनसेशन मिलेगा?
बैंक लॉकर में रखे गए सामान के लिए जिम्मेदार नहीं हैं। कुदरती आपदा (बाढ़ या भूकंप) और आतंकवादी हमले में अगर लॉकर में रखे सामान को नुकसान पहुंचता है या ये गुम हो जाते हैं, तो बैंक कस्टमर को मुआवजा देने से मुकर सकता है। चोरी या दीमक लगने पर भी बैंक यह दलील दे सकता है कि लॉकर में रखे गए सामान के बारे में उसे पता नहीं था, इसलिए वह आपको मुआवजा नहीं दे सकता। हालांकि अगर सिक्यॉरिटी या बेसिक मेंटेनेंस में बैंक की ओर चूक होती है, तो इसके लिए उसे जिम्मेदार ठहराया जाएगा। इस मामले में अदालत जाने पर आप बैंक से कुछ मुआवजा हासिल कर सकते हैं।

बदल सकते हैं नॉमिनी

कोटा।  अप्रूवल जरूरी नहीं नॉमिनी को मौजूदा या नए नॉमिनेशन या उसमें बदलाव के बारे में बताने की जरूरत नहीं है। अकाउंट होल्डर्स इस बारे में अपने हिसाब से फैसला कर सकते हैं। अगर आप किसी नए नॉमिनी को जोड़ते हैं, तो उस पर पुराना नॉमिनी सवाल नहीं खड़ा कर सकता।
इन बातों का ख्याल रखेंःपीएफ, पीपीएफ और बैंक अकाउंट्स में नॉमिनेशन में बदलाव अक्सर स्पाउज (पति या पत्नी) के फेवर में किया जाता है। हो सकता है कि जब ये अकाउंट खुले हों, तो फर्स्ट होल्डर की शादी न हुई हो और उसने माता-पिता को नॉमिनी बनाया हो। माइनर के लिए भी नॉमिनेशन में बदलाव किया जा सकता है, लेकिन इसमें गार्जियन की डिटेल देनी जरूरी होती है।


लाखों की कारों पर सफेद धूल


एटीएम पर अब हिंदी में भी पर्ची

कोटा । अब बैंकों व डाकघरों के एटीएम हिंदी में भी ट्रांजेक्शन की पर्ची देंगे। बैंकों को इसके लिए यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की तर्ज पर डाइबोल्ड के एटीएम लगाने होंगे। फिलहाल देश में तीन कंपनियों के एटीएम काम कर रहे हैं। इनमें केवल बहुराष्ट्रीय कंपनी डाइबोल्ड के एटीएम में हिंदी व अंग्रेजी में पर्ची देने की सुविधा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन राजभाषा विभाग की सचिव नीता चौधरी ने आरबीआइ के गवर्नर व राष्ट्रपति के विभिन्न आदेशों का हवाला देते हुए सभी बैंकों को यह पत्र भेजा है। पत्र में कहा गया है कि सभी केंद्रीय व राज्य सरकार के अधीन सरकारी, गैर सरकारी उपक्रम, बैंक व अन्य सभी कार्यालयों के कंप्यूटर में अब हिंदी फोंट होना अनिवार्य है। इसके अलावा इनकम टैक्स रिटर्न और ई-रिटर्न भी अंग्रेजी के साथ हिंदी में भी दाखिल हो सकेगा। आयकर विभाग को इसके लिए 30 जून तक व्यवस्था करनी होगी।

Thursday, April 17, 2014

कोचिंगों ने दिया इस बार 16.73 करोड़ ज्यादा टैक्स

दिनेश माहेश्वरी
कोटा।
  संभाग के सेवाप्रदाताओं ने समाप्त हुए वित्तीय वर्ष 2013-14 में 210.18 करोड़ रुपए का सर्विस टैक्स दिया है। जिसमें से 92.11 करोड़ रुपए कमर्शियल कोचिंग संस्थानों का योगदान है। पिछले वित्त वर्ष 2012-13 के मुकाबले में इस बार कोचिंग संस्थानों ने 16.73 करोड़ रुपए अधिक टैक्स दिया है।
एक्साइज, कस्टम एवं सर्विस टैक्स विभाग के डिप्टी कमिश्नर एके खन्ना ने बताया कि संभाग में सर्वाधिक टैक्स कोचिंग संस्थानों से प्राप्त होता है। कोचिंग से पिछले वित्त वर्ष 2012-13 में 75.39 करोड़ रुपए राजस्व प्राप्त हुआ था। जबकि इस बार 92.11 करोड़ रुपए सर्विस टैक्स मिला है। दूसरे नंबर पर सिक्यूरिटी एजेंसी है। इसके बाद जनरल इंश्योरेंस, मेंटीनेंस एवं रिपेयर्स, क्लियरिंग एवं फारवर्डिंग एजेंसी, कंसल्टिंग इंजीनियरिंग एवं कोरियर एजेंसीज आदि का नंबर आता है। जिन सेवाप्रदाताओं का सालाना टर्नओवर 10 लाख रुपए है, वे ही करदाता सर्विस टैक्स के दायरे में आते हैं।
एक्साइज ड्यूटी में पिछड़ा विभाग
डिप्टी कमिश्नर खन्ना ने बताया कि समाप्त हुए वित्त वर्ष 2013-14 में इंडस्ट्रियल ग्रोथ कम रही। जिससे विभाग को 156.14 करोड़ रुपए ही एक्साइज ड्यूटी के रूप में राजस्व प्राप्त हुआ है।  वित्त वर्ष 2012-13 में 159.13 करोड़ रुपए एक्साइज ड्यूटी प्राप्त हुई थी।
इस बार पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 2.71 करोड़ रुपए कम राजस्व प्राप्त हुआ है। उन्होंने बताया कि एक्साइज ड्यूटी में कमी का सबसे बड़ा कारण अत्यधिक बारिश रही है। जिससे सीमेंट फैक्ट्रियों और आयरन फैक्ट्रियों में उत्पादन कम होने से एक्साइज ड्यूटी कम प्राप्त हुई। क्योंकि बारिश के कारण लंबे समय तक कंस्ट्रक्शन कार्य शुरू नहीं हुए। उन्होंने बताया कि एक्साइज ड्यूटी में राजस्व का 70 प्रतिशत सीमेंट, स्टील एवं फर्टिलाइजर्स सेक्टर से आता है। बाकी 30 प्रतिशत में अन्य उत्पाद शामिल हैं।
सेमटेल की जमीन बेचकर वसूली जाएगी एक्साइज ड्यूटी
डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि सेमटेल कलर फैक्ट्री पर 1.10 करोड़ रुपए एक्साइज ड्यूटी बकाया चल रही है। ब्याज एवं पेनल्टी जोड़कर 60 लाख रुपए और जोड़कर 1.70 करोड़ रुपए की वसूली के लिए फैक्ट्री का सेमी फिनिश्ड गुड्स अटैच कर रखा है। जिसकी एक बार नीलामी कराने की कोशिश की गई थी, लेकिन नहीं हो पाई। इसलिए दुबारा नीलामी होगी। विभाग के पास जमीन की बिक्री का भी विकल्प है। जरूरत पडऩे पर सेमटेल की जमीन बेचकर एक्साइज ड्यूटी वसूली जाएगी।

Wednesday, April 16, 2014

बनेंगे लोन के नियम आसान

दिनेश माहेश्वरी
कोटा।
  होम लोन ट्रांसफर करवाने की इच्छा रखने वाले ग्राहकों को मौजूदा बैंक खुद मदद करेंगे। रिजर्व बैंक ने ऐसे लोगों की सहूलियत के लिए कई सुझाव दिए हैं। आरबीआई ने लोन देने और उस पर ब्याज लगाने की पूरी प्रक्रिया बदलने के नियम प्रस्तावित कि

ए हैं। इन नियमों के मुताबिक बैंकों को लोन के अनुबंध पर हस्ताक्षर करते समय ही ग्राहक को लोन से बाहर निकलने के विकल्प देने होंगे। यह बताना होगा कि साल में वे किन तारीखों को ब्याज दरों में बदलाव कर सकते हैं। आरबीआई की ड्राफ्ट रिपोर्ट के मुताबिक बैंक पुराने और नए ग्राहकों के बीच कोई भेदभाव नहीं करेंगे।
प्रीपेमेंट पर एक ईएमआई बचेगी
प्रस्तावित नियमों के अनुसार यदि कोई ग्राहक लोन की रकम निर्धारित समय से पहले लौटाएगा (प्रीपेमेंट) तो उसकी पूरी एक ईएमआई बच जाएगी। आरबीआई ने सुझाव दिया है कि बैंक जिस दिन प्रीपेमेंट होता है, उसी दिन से ब्याज दर घटा दें। ग्राहक की ईएमआई की तारीख का इंतजार न करें। फिलहाल बैंक ग्राहक की ईएमआई के दिन प्रीपेमेंट की रकम क्रेडिट करते हैं।
लोन लेने की समान प्रक्रिया
आरबीआई के मुताबिक लोन लेने की प्रक्रिया सभी बैंकों में एक सी होनी चाहिए। इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) को इसके नियम बनाने चाहिए। रिजर्व बैंक के मुताबिक यदि ग्राहक लोन ट्रांसफर करना चाहता है तो बैंक आपस में सीधे केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) दस्तावेज ले लें। जो बैंक लोन ट्रांसफर में ग्राहक की मदद नहीं करेंगे, उन पर पेनल्टी का भी प्रस्ताव है।
बेस रेट सिस्टम की पहल
आरबीआई ने आईबीए से इंडियन बैंक बेस रेट सिस्टम बनाने के लिए कहा है। यह लिबोर की तरह भारत में बेसरेट का बेंचमार्क होगा। शुरूआत में इसे होम लोन के लिए लागू किया जाएगा। केंद्रीय बैंक के मुताबिक ग्राहकों की शिकायत पर वरिष्ठ प्रबंधन को भी ध्यान देना चाहिए। फिलहाल आरबीआई ने इन सुझावों पर राय मांगी है। उम्मीद जताई जा रही है कि इन्हें जल्द लागू किया जाएगा।