Wednesday, April 2, 2014

सुपर-रिच पर 35 फीसदी कर का प्रस्ताव


कोटा। दिनेश माहेश्वरी
 प्रत्यक्ष कर क्षेत्र में प्रत्यक्ष कर संहिता विधेयक (डीटीसी) के मसौदे में 2 लाख रुपये की आयकर छूट सीमा को यथावत रखने का प्रस्ताव है लेकिन 10 करोड़ रुपये से अधिक की सालाना आय वाले अति-धनाढ्यों की एक नई श्रेणी बनाई गई है जिसमें 35 प्रतिशत की दर से कर का प्रस्ताव किया गया है।
सुपर-रिच पर 35 फीसदी कर का प्रस्ताव
डीटीसी विधेयक का नया मसौदा मंगलवार को वित्त मंत्रालय की वेबसाइट पर डाला गया है। इसमें वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली कर छूट के लिये आयु सीमा 65 से घटाकर 60 वर्ष कर दी गई है। वित्त मंत्री पी चिदंबरम द्वारा तैयार विधेयक के इस मसौदे पर अंतिम निर्णय चुनाव बाद बनने वाली नई सरकार द्वारा लिया जाएगा। एक अन्य उल्लेखनीय कदम के तहत मसौदे में प्रस्ताव है कि विदेशी कंपनियां जिनकी भारत में 20 प्रतिशत से ज्यादा परिसंपत्तियां होंगी, उन पर भारतीय कर कानून लागू होंगे।
मंत्रालय ने संसद की वित्त मंत्रालय से जुड़ी स्थायी समिति के उस सुझाव को खारिज कर दिया जिसमें कर छूट सीमा बढ़ाकर 3 लाख रुपये किये जाने को कहा गया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली समिति ने कर के कुछ स्लैब समायोजित करने का भी सुझाव दिया था। मंत्रालय का कहना है कि इससे खजाने को सालाना 60,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा।
समिति ने अपने सुझावों में तीन लाख रुपये तक की सालाना आय को करमुक्त रखने। तीन से 10 लाख रुपये की सालाना आय पर 10 प्रतिशत, 10 से 20 लाख रुपये की आय पर 20 प्रतिशत और 20 लाख रुपये सालाना से अधिक आय पर 30 प्रतिशत की दर से आयकर लगाने का सुझाव दिया था। संशोधित प्रत्यक्ष कर संहिता विधेयक-2013 के मसौदे में कहा गया है, ये सिफारिशें स्वीकार्य नहीं हैं क्योंकि इससे राजस्व का काफी नुकसान होगा। व्यक्तिगत आयकर स्लैब में बदलाव और उपकर समाप्त करने के जो सुझाव दिये गये हैं उसे खजाने को करीब 60,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा।
आयकर के मौजूदा ढांचे के अनुसार दो लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं लगता है। दो से 5 लाख रुपये की सालाना आय पर 10 प्रतिशत, पांच से 10 लाख पर 20 प्रतिशत और 10 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत की दर से आयकर लिया जाता है। डीटीसी विधेयक के मसौदे पर हालांकि अगस्त 2013 में ही मंत्रिमंडल में विचार किया जाना था, लेकिन अति-धनाढ्य श्रेणी को लेकर मतभेद होने की वजह से मंत्रिमंडल में इस पर विचार नहीं किया जा सका। मसौदे में 10 करोड़ रुपये सालाना से अधिक कमाई करने वाले व्यक्तियों, हिन्दू अविभाजित परिवार और अन्य पर 35 प्रतिशत की दर से कर लगाने का प्रस्ताव किया गया है। प्रस्तावित डीटीसी विधेयक पुराने आयकर अधिनियम 1961 का स्थान लेगा। यह आयकर प्रणाली में सुधार लायेगा। प्रत्यक्ष कर संहिता वर्श 2009 से लंबित है। इस दौरान इसमें कई तरह के बदलाव किये गये।
प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) समाप्त करने की स्थाई समिति की सिफारिश को भी नये मसौदे में खारिज कर दिया गया। कहा गया है कि यह सिफारिश स्वीकार्य नहीं है क्योंकि एसटीटी दैनिक कारोबार के नियमन के लिये जरूरी है। मसौदे में एक करोड़ से अधिक के लाभांश पर 10 प्रतिशत की दर से कर लगाने और 50 करोड़ रुपये से अधिक की व्यक्तिगत, हिन्दू अविभाजित परिवारों और ट्रस्टों की संपत्तियों पर 0.25 प्रतिशत की दर से संपत्ति कर लगाने का प्रस्ताव है। वित्त मंख्त्रालय ने कहा है कि स्थायी समिति की 190 सिफारिशों में से 153 को पूरी तरह अथवा आंशिक तौर पर स्वीकार करने का प्रस्ताव है।

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