कोटा। कस्टमर्स को लुभाने के लिए बैंक प्राय: लच्छेदार जुमलों का इस्तेमाल करते हैं। हम यहां बता रहे हैं ऐसी ही कुछ कॉमन ट्रिक्स और उनसे बचने के तरीकों के बारे में
फ्लैट रेट ऑफ इंटरेस्ट
बैंक कहते हैं: 10% का फ्लैट रेट बेहद सस्ता है
परदे के पीछे का खेल
ईएमआई कैलकुलेट करने के लिए लोन पर कुल इंटरेस्ट को प्रिंसिपल अमाउंट में जोड़ा जाता है और फिर मिलने वाले आंकड़े को महीनों की संख्या से डिवाइड किया जाता है।
मसलन 5 साल के लिए 10 पर्सेंट की रेट से 5 लाख रुपये के लोन पर ईएमआई की गणना इस तरह होगी।टोटल इंटरेस्ट पेएबल: 50,000 x 5 साल = 2.5 लाख
ईएमआई: 7.5 लाख/60 महीने = 12,500 रुपये
कैसे लगती है चपत: आपने भले ही पहले महीने से लोन रीपेमेंट शुरू कर दिया हो, लेकिन आपसे इंटरेस्ट पूरे अमाउंट पर लिया जाता है। रिड्यूसिंग बैलेंस के अनुसार इफेक्टिव रेट 17.3 पर्सेंट तक बैठती है।
फिक्स्ड रेट ऑफ इंटरेस्ट
बैंक कहते हैं: इंटरेस्ट रेट और ईएमआई फिक्स्ड हैं
परदे के पीछे का खेल
बैंक फिक्स्ड रेट वाले लोन पर ज्यादा इंटरेस्ट वसूलते हैं। वे यह भी खुलासा नहीं करते हैं कि रेट कुछ ही वर्षों (आमतौर पर 3 से 5 साल) के लिए फिक्स्ड है। 15 साल के लिए 20 लाख रुपये के लोन का मामला:
फिक्स्ड रेट ऑफ इंटरेस्ट: 13 पर्सेंट
फ्लोटिंग रेट ऑफ इंटरेस्ट: 11 पर्सेंट
फिक्स्ड रेट कंज्यूमर की ओर से 4 साल में दी गई एक्स्ट्रा रकम: 1.60 लाख रुपये
कैसे लगती है चपत: पहले 3-4 वर्षों में ज्यादा रेट वसूले जाने के बाद आपका लोन फ्लोटिंग रेट वाले लोन में कन्वर्ट कर दिया जाएगा। आप शुरू से ही फ्लोटिंग रेट चुन सकते हैं और कम रेट का फायदा ले सकते हैं।
मिनिमम पेमेंट
बैंक कहते हैं: आप चाहें तो क्रेडिट कार्ड बिल का केवल 5 पर्सेंट ही पे करें।
परदे के पीछे का खेल
अगर आप बैलेंस को कैरी फॉरवर्ड करें तो आपको इस पर 2.5-3 पर्सेंट ब्याज देना पड़ेगा। क्रेडिट कार्ड बैलेंस उधार लेने का सबसे महंगा तरीका है। इस पर 30-36 पर्सेंट सालाना की दर से ब्याज लगता है।
क्रेडिट कार्ड रोल ओवर चार्ज: 3 पर्सेंट प्रति माह
अमाउंट रोल ओवर: 25,000 रुपये
इंटरेस्ट पेएबल: 750 रुपये और टैक्स
कैसे लगती है चपत
बैलेंस पर लगने वाली ऊंची ब्याज दर ही आपको झटका नहीं देती। अगले बिलिंग साइकल तक आप जो भी खरीदारी करेंगे, उस पर भी 2.5-3 पर्सेंट प्रति माह की दर से ब्याज लिया जाता है। लिहाजा तय तारीख तक पूरा अमाउंट चुकाने का प्रयास करें।
अडवांस ईएमआई
बैंक कहते हैं: 3-4 ईएमआई एडवांस में चुकाई जा सकती है।
परदे के पीछे का खेल
अडवांस में 3-4 ईएमआई लेकर बैंक दरअसल लोन अमाउंट कम करता है, लेकिन इंटरेस्ट पूरे अमाउंट पर लेता है। 30,000 रुपये का लोन 12 महीने के लिए 12% इंटरेस्ट रेट पर:
ईएमआई: 2,665 रुपये
3 अडवांस ईएमआई: 7,995 रुपये
इफेक्टिव लोन अमाउंट: 22,005 रुपये
कैसे लगती है चपत: अडवांस में दी गई तीन ईएमआई से लोन अमाउंट कम होता है, लेकिन आपसे पूरे अमाउंट पर ब्याज लिया जाता है। इस तरह इफेक्टिव इंटरेस्ट रेट 21 पर्सेंट तक चली जाती है।
फ्री एड-ऑन कार्ड
बैंक कहते हैं: क्रेडिट कॉर्ड पर कोई जॉइनिंग फी नहीं।
परदे के पीछे का खेल
केवल जॉइनिंग फी ही हटाई गई है। आपसे अडिशनल कार्ड पर ऐनुअल फी वसूली जाएगी।
जॉइनिंग फी: शून्य
ऐनुअल फी: 500-1,000 रुपये
कैसे लगती है चपत: हो सकता है कि आप ऐसे कार्ड के लिए फीस दें, जिसकी आपको जरूरत ही न हो। इससे भी बुरा यह कि अगर आपने चार्जेज पर विवाद किया और बकाया नहीं चुकाया तो आपका क्रेडिट स्कोर खतरे में पड़ सकता है।
ऐनुअल रेस्टिंग
बैंक कहते हैं: सामान्य किस्म के लोन की तुलना में इंटरेस्ट रेट कम है।
परदे के पीछे का खेल
इंटरेस्ट के फ्लैट रेट का यह वैरिएशन ऐनुअल रिड्यूसिंग कैलकुलेशन पर काम करता है। ईएमआई की गणना साल के अंत में होती है।
ऐनुअल रेस्टिंग: 10 पर्सेंट
मंथली रिड्यूसिंग: 10.47 पर्सेंट
कैसे लगती है चपत
प्रिंसिपल अमाउंट का भुगतान साल के अंत में होता है, लिहाजा ब्याज का बोझ बढ़ जाता है। मंथली रिड्यूसिंग स्ट्रक्चर वाले लोन का विकल्प चुनना बेहतर होता है।
इफेक्टिव यील्ड
बैंक कहते हैं: इन एफडी पर ज्यादा यील्ड हाथ लगता है।
कैसे लगती है चपत
बैंक फाइनल वैल्यू की गणना करते हैं और फायदे में वर्षों की संख्या से भाग देकर इंटरेस्ट की फ्लैट रेट निकालते हैं। इसे इफेक्टिव यील्ड बताया जाता है और यह कंपाउंडेड वैल्यू से ज्यादा होता है।
इनवेस्टेड अमाउंट: 5 साल के लिए 10,000 रुपये 9% ब्याज पर
मैच्योरिटी वैल्यू: 15,605 रुपये
हासिल ब्याज: 5,605 रुपये
इफेक्टिव यील्ड: 5,605/5 = 11.21%
कैसे लगती है चपत: क्वार्टर्ली कंपाउंडिंग के कारण यील्ड कुछ ऊपर चला जाता है, लेकिन यह प्रोजेक्टेड अमाउंट से कम होता है। क्वार्टर्ली कंपाउंडिंग के हिसाब से एनुअलाइज्ड यील्ड महज 9.31% होगा।
डिपॉजिट इंश्योरेंस
बैंक कहते हैं: आपकी रकम सुरक्षित है क्योंकि डिपॉजिट का इंश्योरेंस है।
परदे के पीछे का खेल: किसी भी बैंक में जमा आपके 1 लाख रुपये ही इंश्योर्ड होते हैं। लिहाजा अगर आपने किसी एक बैंक में 1 लाख रुपये से ज्यादा रकम जमा की हो तो रिस्क बढ़ता है।
मैक्सिमम डिपॉजिट इंश्योर्ड: 1 लाख रुपये प्रति बैंक प्रति व्यक्ति
कैसे लगती है चपत: बड़े शेड्यूल्ड बैंकों के मामले में नुकसान की आशंका कम होती है। हालांकि इनवेस्टर्स अगर कोऑपरेटिव बैंकों की ज्यादा ब्याज दरों के झांसे में आ जाएं तो वे जोखिम में पड़ सकते हैं।
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