Sunday, April 6, 2014

पांच करोड़ पीएफ धारकों के साथ सरकार का धोखा

दिनेश माहेश्वरी
कोटा।
केंद्र सरकार ने नौकरीपेशा कर्मचारियों के साथ पूंजीपतियों के दबाव में बहुत बड़ा धोखा किया है। केंद्र सरकार ने पूरे वेतन में से 12 फीसद प्रॉविडेंट फंड (पीएफ) काटने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है, जबकि इसे लेकर कई नोटिफिकेशन जारी किये गए थे। यह फैसला देश के 5 करोड़ और कोटा सम्भाग के चार लाख से ज्यादा पीएफ खाता धारकों को निराश करने वाला है।
फिक्‍की-एसौचेम जैसे संस्थानों ने थी सिफारिश
टीओआई की खबर के अनुसार श्रम मंत्रालय को भेजे गए प्रस्ताव में कहा गया था कि पीएफ के लिए न केवल कर्मचारियों की बेसिक सैलरी, बल्कि उन्हें मिलने वाले भत्तों में से भी 12 फीसद की कटौती की जाए। साथ ही, प्रस्ताव में कहा गया था कि कर्मचारी के पीएफ खाते में कंपनी की ओर से भी इतना ही योगदान दिया जाए। गौरतबल है कि फिक्‍की और एसौचेम जैसे औद्योगिक संगठनों ने सरकार के इस निर्णय को वापस लेने को लेकर काफी लांबिंग की थी।
श्रम मंत्रालय की समिति भी थी अधिसूचना के पक्ष में
सूत्रों के मुताबिक सरकार ने कानून मंत्रालय की सलाह को मान कर यह प्रस्ताव खारिज करने का फैसला किया है।गौरतलब है कि ज्यादातर कंपनियां बेसिक सैलरी और डीए (महंगाई भत्ता) के तहत मिल रही राशि में से पीएफ कटौती (कर्मचारी और कंपनी, दोनों की तरफ से 12 फीसद) करतीं हैं, लेकिन नवंबर 2012 के एक सर्कुलर में इसे बदलने का इरादा जताया गया था ताकि नौकरीपेशा लोगों को हो रहे नुकसान को रोका जा सके। श्रम मंत्रालय की तरफ से गठित की गई अंतरिम समिति इस अधिसूचना के पक्ष में थे, क्योंकि उनके मुताबिक यह कर्मचारियों के अनुकूल है।

0 comments:

Post a Comment