दिनेश माहेश्वरी
कोटा। आपने टैक्स बचाने के लिए हड़बड़ी में बीमा पॉलिसी खरीद ली या एजेंट के कहने पर यूलिप पॉलिसी ले ली। बाद में आपको लगता है कि ये आपके लिए सही नहीं हैं।
यह भी हो सकता है कि परिवार में बढ़ी हुई जिम्मेदारी, बीमारी, दुर्घटना, नौकरी छूटने जैसे किसी कारण से आप कई पॉलिसियों का प्रीमियम नहीं चुका पा रहे। ऐसे में आप कुछ पॉलिसियों को लौटाना यानी सरेंडर करना चाहते हैं। बीमा पॉलिसी को सरेंडर करना गलत नहीं है, लेकिन इसके पहले कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।
कौन सी पॉलिसी गैरजरूरी
सबसे पहले तय करें कि आपके पास मौजूद पॉलिसियों में से कौन से गैरजरूरी है। अगर आप टर्म प्लान को सरेंडर करना चाहते हैं, तो एक बार फिर सोचें। चूंकि जीवन बीमा लंबी अवधि का उत्पाद है, अत: आप आज यह तय नहीं कर सकते कि भविष्य में आपको अमुक पॉलिसी की जरूरत नहीं पड़ेगी। अगर आप यूलिप पॉलिसी को सरेंडर करना चाहते हैं, तो इसके लिए उन फंडों का रिकॉर्ड देखें, जिनमें पॉलिसी के जरिए आपका पैसा लगाया गया है। अगर फंडों का प्रदर्शन बेहतर नहीं है, तो पॉलिसी को सरेंडर किया जा सकता है। इससे मिलने वाले पैसे को बेहतर रिटर्न देने वाले दूसरे निवेश माध्यमों में लगाएं।
कितनी अवधि बाकी
जिस पॉलिसी को सरेंडर करना है, उसके पूरे होने में कितना समय बाकी है, यह जरूर देखें। अगर पॉलिसी का समय पूरा होने वाला है, तो इसे सरेंडर न करें। ऐसी पॉलिसी के लिए आप काफी प्रीमियम दे चुके होते हैं और सरेंडर करने से इस रकम का कुछ हिस्सा ही आपको वापस मिलेगा।
थोड़े से और समय तक प्रीमियम चुकाकर अगर आपको पॉलिसी के पूरे फायदे मिलते हैं, तो सरेंडर कर इन फायदों से हाथ न धोएं। अगर पॉलिसी की अवधि अच्छी-खासी बची है, तो भी बीमा नियमों की जानकारी लें।
जीवन बीमा कवर बना रहे
यह तय करें कि पॉलिसी सरेंडर करने के बाद आप जीवन बीमा कवर से पूरी तरह दूर नहीं हो जाएंगे। यानी आपके पास पहले से जीवन बीमा कवर देने वाली एक और पॉलिसी होनी चाहिए, जो आपका और परिवार का भविष्य सुरक्षित रखने के लिए जरूरी है।
सरेंडर वैल्यू कितनी
बीमा कंपनी या अपने एजेंट से बात कर यह पता करें कि आपकी पॉलिसी की सरेंडर वैल्यू कितनी है। यह वह रकम होती है, जो समय से पहले पॉलिसी लौटाने पर बीमा कंपनी की लागतों को काटकर आपको मिलती है। नियमानुसार बीमा पॉलिसी को लौटाने पर अलग-अलग सालों में अलग-अलग सरेंडर वैल्यू मिलती है। इसकी जानकारी लें।
पॉलिसी पर लोन भी है विकल्प
अगर आप किसी बड़े खर्चे को पूरा करने के लिए पॉलिसी लौटाना चाहते हैं, तो पहले बीमा कंपनी से बात करें। ज्यादातर बीमा कंपनियां पॉलिसी पर लोन देती हैं। इस लोन से आप अपनी जरूरत पूरी कर सकते हैं और बीमा कवर भी बना रहेगा।
प्रीमियम हॉलीडे
अगर आप किसी मजबूरी के चलते प्रीमियम नहीं चुका पा रहे हैं, तो प्रीमियम हॉलीडे भी एक विकल्प हो सकता है। हालांकि इससे बीमा धारक को ही नुकसान होता है। प्रीमियम हॉलीडे लेने पर बीमा कंपनी आपका बीमा कवरेज उतने फीसद कम कर देती है, जितने फीसद प्रीमियम आपने अभी तक चुकाया है। हालांकि फिर भी आपका बीमा कवर बना रहता है। इस कदम को सारे उपाय चुक जाने के बाद अंतिम अस्त्र के तौर पर ही इस्तेमाल करना चाहिए। याद रखें, जरूरत से कम जीवन बीमा लेना नुकसान देता है, लेकिन जरूरत से ज्यादा बीमा पॉलिसियां रखना भी सही नहीं है। हालांकि बिना सोचे-समझे पॉलिसी सरेंडर करने से आपकी फाइेंशियल प्लानिंग अस्त-व्यस्त भी हो सकती है। अत: यह काम काफी सोच-समझकर करना चाहिए।
कोटा। आपने टैक्स बचाने के लिए हड़बड़ी में बीमा पॉलिसी खरीद ली या एजेंट के कहने पर यूलिप पॉलिसी ले ली। बाद में आपको लगता है कि ये आपके लिए सही नहीं हैं।
यह भी हो सकता है कि परिवार में बढ़ी हुई जिम्मेदारी, बीमारी, दुर्घटना, नौकरी छूटने जैसे किसी कारण से आप कई पॉलिसियों का प्रीमियम नहीं चुका पा रहे। ऐसे में आप कुछ पॉलिसियों को लौटाना यानी सरेंडर करना चाहते हैं। बीमा पॉलिसी को सरेंडर करना गलत नहीं है, लेकिन इसके पहले कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।
कौन सी पॉलिसी गैरजरूरी
सबसे पहले तय करें कि आपके पास मौजूद पॉलिसियों में से कौन से गैरजरूरी है। अगर आप टर्म प्लान को सरेंडर करना चाहते हैं, तो एक बार फिर सोचें। चूंकि जीवन बीमा लंबी अवधि का उत्पाद है, अत: आप आज यह तय नहीं कर सकते कि भविष्य में आपको अमुक पॉलिसी की जरूरत नहीं पड़ेगी। अगर आप यूलिप पॉलिसी को सरेंडर करना चाहते हैं, तो इसके लिए उन फंडों का रिकॉर्ड देखें, जिनमें पॉलिसी के जरिए आपका पैसा लगाया गया है। अगर फंडों का प्रदर्शन बेहतर नहीं है, तो पॉलिसी को सरेंडर किया जा सकता है। इससे मिलने वाले पैसे को बेहतर रिटर्न देने वाले दूसरे निवेश माध्यमों में लगाएं।
कितनी अवधि बाकी
जिस पॉलिसी को सरेंडर करना है, उसके पूरे होने में कितना समय बाकी है, यह जरूर देखें। अगर पॉलिसी का समय पूरा होने वाला है, तो इसे सरेंडर न करें। ऐसी पॉलिसी के लिए आप काफी प्रीमियम दे चुके होते हैं और सरेंडर करने से इस रकम का कुछ हिस्सा ही आपको वापस मिलेगा।
थोड़े से और समय तक प्रीमियम चुकाकर अगर आपको पॉलिसी के पूरे फायदे मिलते हैं, तो सरेंडर कर इन फायदों से हाथ न धोएं। अगर पॉलिसी की अवधि अच्छी-खासी बची है, तो भी बीमा नियमों की जानकारी लें।
जीवन बीमा कवर बना रहे
यह तय करें कि पॉलिसी सरेंडर करने के बाद आप जीवन बीमा कवर से पूरी तरह दूर नहीं हो जाएंगे। यानी आपके पास पहले से जीवन बीमा कवर देने वाली एक और पॉलिसी होनी चाहिए, जो आपका और परिवार का भविष्य सुरक्षित रखने के लिए जरूरी है।
सरेंडर वैल्यू कितनी
बीमा कंपनी या अपने एजेंट से बात कर यह पता करें कि आपकी पॉलिसी की सरेंडर वैल्यू कितनी है। यह वह रकम होती है, जो समय से पहले पॉलिसी लौटाने पर बीमा कंपनी की लागतों को काटकर आपको मिलती है। नियमानुसार बीमा पॉलिसी को लौटाने पर अलग-अलग सालों में अलग-अलग सरेंडर वैल्यू मिलती है। इसकी जानकारी लें।
पॉलिसी पर लोन भी है विकल्प
अगर आप किसी बड़े खर्चे को पूरा करने के लिए पॉलिसी लौटाना चाहते हैं, तो पहले बीमा कंपनी से बात करें। ज्यादातर बीमा कंपनियां पॉलिसी पर लोन देती हैं। इस लोन से आप अपनी जरूरत पूरी कर सकते हैं और बीमा कवर भी बना रहेगा।
प्रीमियम हॉलीडे
अगर आप किसी मजबूरी के चलते प्रीमियम नहीं चुका पा रहे हैं, तो प्रीमियम हॉलीडे भी एक विकल्प हो सकता है। हालांकि इससे बीमा धारक को ही नुकसान होता है। प्रीमियम हॉलीडे लेने पर बीमा कंपनी आपका बीमा कवरेज उतने फीसद कम कर देती है, जितने फीसद प्रीमियम आपने अभी तक चुकाया है। हालांकि फिर भी आपका बीमा कवर बना रहता है। इस कदम को सारे उपाय चुक जाने के बाद अंतिम अस्त्र के तौर पर ही इस्तेमाल करना चाहिए। याद रखें, जरूरत से कम जीवन बीमा लेना नुकसान देता है, लेकिन जरूरत से ज्यादा बीमा पॉलिसियां रखना भी सही नहीं है। हालांकि बिना सोचे-समझे पॉलिसी सरेंडर करने से आपकी फाइेंशियल प्लानिंग अस्त-व्यस्त भी हो सकती है। अत: यह काम काफी सोच-समझकर करना चाहिए।
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