Thursday, April 24, 2014

चढ़ते बाजार में सोच समझ कर करें निवेश

दिनेश माहेश्वरी 
कोटा। शेयर मार्केट नई ऊंचाइयों को छू रहा है, लेकिन तेजी से चढ़ रहे शेयर बाजार को लेकर भी सावधानी बरतने की जरूरत है। जब बाजार कमजोर होता है तो कंपनियां अपनी वित्तीय हालत ठीक करने पर ध्यान देती हैं और इन्वेस्टर्स भी सोच-समझकर कोई फैसला लेते हैं, लेकिन बुल मार्केट में ऐसा नहीं होता। ऐसे में आम इन्वेस्टर्स अक्सर 6 गलतियां करते हैं, जिनसे बचने की जरूरत है। इसी बारे में सलाह दे रहे हैं बाजार विशेषज्ञ।
आईपीओ में न करें बड़ा निवेश
आईपीओ की वापसी होगी। 2008 से पहले मार्केट की तेजी के दौरान कई आईपीओ आए थे, जिन्हें मीडिया और मार्केटिंग हो-हल्ले के चलते अच्छा रिस्पॉन्स मिला था। आईपीओ छोटे इन्वेस्टर्स को अमीर नहीं बनाते, यह बात गांठ बांध लीजिए। अगर आप आईपीओ में पैसा लगाना ही चाहते हैं, तो कम रकम लगाइए। अच्छा तो यह होगा कि एक आईपीओ से बने पैसे को दूसरे आईपीओ में लगाया जाए। गुमनाम कंपनियों में पैसा लगाकर लॉन्ग टर्म में वेल्थ क्रिएशन नहीं हो सकता।
दिखावों पर न जाएं, अपनी अक्ल लगाएं
आपको मार्केट में तेजी जारी रहने की अलग-अलग थिअरी बताई जाएगी। मीडिया भी कुछ मिसाल के आधार पर इन्हें हवा देगा। हालांकि इन्वेस्टिंग के रूल्स बहुत पुराने हैं। ये नहीं बदलते और आपको इन्हें याद रखना चाहिए। कोई नई स्ट्रैटिजी या थिअरी आपको रातोरात अमीर नहीं बना सकती। अगर कोई कंपनी के पास अच्छे इन्वेस्टमेंट और अच्छा मैनेजमेंट है तो उसका परफॉर्मेंस भी बढ़िया होगा। शेयर की कीमत बढ़ने का मतलब नहीं कि उसके बिजनस में भी सुधार हो रहा है।

डेरिवेटिव ट्रेड में सोच-समझकर
चढ़ते बाजार में डेरिवेटिव ट्रेड को ब्रोकर्स फिर से अग्रेसिव तरीके से प्रमोट करेंगे। आपको लग सकता है कि डेरिवेटिव मार्केट से जल्द और ज्यादा पैसा बनाया जा सकता है। अगर आपको इस बाजार की समझ है, तो इसमें दांव लगाने में कोई हर्ज नहीं। हालांकि जो लोग इस बाजार के रिस्क को नहीं समझते हैं, उन्हें इससे दूर ही रहना चाहिए।

लोन लेकर न करें निवेश
शेयर बाजार रेकॉर्ड ऊंचाई पर है, इसलिए जल्द ही लोग लोन लेकर मार्केट में इन्वेस्टमेंट शुरू करेंगे। आपका ब्रोकर ट्रेड के लिए मार्जिन मनी का इस्तेमाल करने को कहेगा। बैंक भी आपके शेयर, फंड, बॉन्ड और डिपॉजिट के बदले लोन ऑफर करेगा। लोन लेकर रिस्की असेट्स पर दांव लगाना दोधारी तलवार पर चलने जैसा है।
जल्दबाजी न करें
अगर किसी इन्वेस्टमेंट के मौके के बारे में आपसे कहा जाता है कि तुरंत फैसला नहीं लेने पर यह हाथ से निकल जाएगा, तो इससे दूर ही रहें। लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के फैसले कभी जल्दबाजी में नहीं लिए जाते। जिन इन्वेस्टमेंट ऑपरट्यूनिटीज को खास बताया जा रहा है, उनसे बचिए। इस तरह की बातें सिर्फ प्रॉडक्ट बेचने के लिए की जाती हैं।
कंपनियों को परखिए
फाइनैंशल मार्केट के इंस्टिट्यूशनल स्ट्रक्चर में भारी गैप को पहचानिए। कई प्रमोटर्स की कई कंपनियों में क्रॉस होल्डिंग होती है। भारत में कॉर्पोरेट गवर्नेंस की हालत बहुत खराब है और बोर्ड में अक्सर प्रमोटर के दोस्त या रिश्तेदारों को रखा जाता है। ऑडिटेड अकाउंट्स से भी सचाई सामने नहीं आती। इन्वेस्टमेंट से पहले आपको इन बातों के बारे में सोचना होगा।

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