कोटा। चिलचिलाती धूप में गॉगल्स आंखों के लिए काफी सेफ होता है। गॉगल्स टशन के साथ-साथ अल्ट्रावॉयलेट रेज (यूवी रेज) से भी आंखों को बचाता है। लेकिन बाजार में बिकने वाले ज्यादातर गॉगल्स यूवी रेज को रोकने में नाकामयाब साबित हुए हैं। एम्स के आरपी सेंटर की ओर से किए गए सर्वे में यह खुलासा हुआ कि बाजार में बिकने वाले 75 पर्सेंट गॉगल्स अमेरिका के एफडीए (फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) की ओर से तय किए गए मानकों के अनुसार आंखों को सेफ रखने में फेल हैं। हार्ड रेसिन (सख्त प्लास्टिक) और क्राउन ग्लासेज दो तरह के चश्मों की की जांच लैब में की गई थी।
सन ग्लासेज के फायदे
आई स्पेशलिस्ट का कहना है कि कई स्टडीज में यह साबित हो चुका है कि यूवी रेज से आंखों में जलन होती है। अबनॉर्मल टिशू आंखों पर बनने लगते हैं, रेटिना डैमेज हो जाता है। कई बार आंखों की परेशानी इतनी बढ़ जाती है कि लोगों को सर्जरी करानी पड़ती है। लेकिन अच्छे गॉगल्स आंखों को इस परेशानी से बचाते हैं। डॉक्टर का कहना है कि दोपहर 11 से 3 बजे के दौरान धूप बेहद तेज होती है, इसलिए इस समय सन ग्लासेज जरूर पहनने चाहिए।
फाइबर ग्लासेज बेहतर
बच्चों के लिए तो यूवी किरणें और भी ज्यादा नुकसानदायक होती हैं। इनके इस्तेमाल से धूप ही नहीं धूल और प्रदूषण से भी आंखों का बचाव होता है। इसके अलावा सन ग्लासेज टीयर सेल को सूखने से बचाते हैं। साथ ही जिनकी आंखों में पावर वाले चश्मे लगे हैं, वे भी अपने पावर नंबर के मुताबिक फोटोक्रोमेटिक या ब्लैक धूप चश्मे लगा सकते हैं।
गॉगल्स खरीदने से पहले इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि वह सब स्टैंडर्ड न हो। ग्लासेज यूवी किरण को रोकने में सक्षम है या नहीं, इसका ख्याल रखें। गॉगल्स बनाने वाली कंपनी यूवी प्रोटेक्शन की बात लिखती हैं, इसे पढ़कर ही गॉगल्स खरीदें। साथ ही गॉगल्स का फ्रेम बड़ा हो और क्वॉलिटी अच्छी हो। जहां तक मटेरियल की बात है तो यह अनब्रेकेबल हो तो ज्यादा बेहतर है। फाइबर के ग्लासेज अच्छे होते हैं और यह टूटने पर आंख को डैमेज नहीं पहुंचाता। जब तक ग्लासेज में स्क्रैच या धुंधलापन न आए तब तक उसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
गॉगल्स के सही मानक
अमेरिकन नेशनल स्टैंडर्ड इंस्टीट्यूट की ओर से यूवी ए और यूवी बी कैटिगरी के चश्मों के लिए दो अलग-अलग मानक तय किए गए हैं। यूवी ए के लिए 380 एनएम से कम और यूवी बी के लिए 315 एनएम तय किया है। 280 एनएम को यूवी संरक्षण का सबसे सही मानक माना जाता है। एनएम अल्ट्रावायलेट रेडिएशन के माप को कहते हैं।
गर्मी से खतरे
-गर्मी से आंखों के रेटिना और पलकों को नुकसान होता है
- मोतियाबिंद होने का खतरा
: फोटो कैरेटोकंजेक्टिवाइटिस का खतरा
: कैरेटोपैथी और देखने में परेशानी होने का खतरा
ये भी जानिए
: पोलोराइज्ड लेंस हॉरिजेंटल रेज को ब्लॉक करता है
: जिन गॉग्लस पर यूवी कोटिंग होती है, वही यूवी किरण रोक पाता है
: डार्क ग्रे कोटिंग सबसे बेहतर होती है
: जिन्हें कलर ब्लाइंडनेस की बामारी है, उन्हें ग्रीन लेंस से बचना चाहिए
: गॉगल्स हमेशा नाक पर सेट होना चाहिए
सन ग्लासेज के फायदे
आई स्पेशलिस्ट का कहना है कि कई स्टडीज में यह साबित हो चुका है कि यूवी रेज से आंखों में जलन होती है। अबनॉर्मल टिशू आंखों पर बनने लगते हैं, रेटिना डैमेज हो जाता है। कई बार आंखों की परेशानी इतनी बढ़ जाती है कि लोगों को सर्जरी करानी पड़ती है। लेकिन अच्छे गॉगल्स आंखों को इस परेशानी से बचाते हैं। डॉक्टर का कहना है कि दोपहर 11 से 3 बजे के दौरान धूप बेहद तेज होती है, इसलिए इस समय सन ग्लासेज जरूर पहनने चाहिए।
फाइबर ग्लासेज बेहतर
बच्चों के लिए तो यूवी किरणें और भी ज्यादा नुकसानदायक होती हैं। इनके इस्तेमाल से धूप ही नहीं धूल और प्रदूषण से भी आंखों का बचाव होता है। इसके अलावा सन ग्लासेज टीयर सेल को सूखने से बचाते हैं। साथ ही जिनकी आंखों में पावर वाले चश्मे लगे हैं, वे भी अपने पावर नंबर के मुताबिक फोटोक्रोमेटिक या ब्लैक धूप चश्मे लगा सकते हैं।
गॉगल्स खरीदने से पहले इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि वह सब स्टैंडर्ड न हो। ग्लासेज यूवी किरण को रोकने में सक्षम है या नहीं, इसका ख्याल रखें। गॉगल्स बनाने वाली कंपनी यूवी प्रोटेक्शन की बात लिखती हैं, इसे पढ़कर ही गॉगल्स खरीदें। साथ ही गॉगल्स का फ्रेम बड़ा हो और क्वॉलिटी अच्छी हो। जहां तक मटेरियल की बात है तो यह अनब्रेकेबल हो तो ज्यादा बेहतर है। फाइबर के ग्लासेज अच्छे होते हैं और यह टूटने पर आंख को डैमेज नहीं पहुंचाता। जब तक ग्लासेज में स्क्रैच या धुंधलापन न आए तब तक उसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
गॉगल्स के सही मानक
अमेरिकन नेशनल स्टैंडर्ड इंस्टीट्यूट की ओर से यूवी ए और यूवी बी कैटिगरी के चश्मों के लिए दो अलग-अलग मानक तय किए गए हैं। यूवी ए के लिए 380 एनएम से कम और यूवी बी के लिए 315 एनएम तय किया है। 280 एनएम को यूवी संरक्षण का सबसे सही मानक माना जाता है। एनएम अल्ट्रावायलेट रेडिएशन के माप को कहते हैं।
गर्मी से खतरे
-गर्मी से आंखों के रेटिना और पलकों को नुकसान होता है
- मोतियाबिंद होने का खतरा
: फोटो कैरेटोकंजेक्टिवाइटिस का खतरा
: कैरेटोपैथी और देखने में परेशानी होने का खतरा
ये भी जानिए
: पोलोराइज्ड लेंस हॉरिजेंटल रेज को ब्लॉक करता है
: जिन गॉग्लस पर यूवी कोटिंग होती है, वही यूवी किरण रोक पाता है
: डार्क ग्रे कोटिंग सबसे बेहतर होती है
: जिन्हें कलर ब्लाइंडनेस की बामारी है, उन्हें ग्रीन लेंस से बचना चाहिए
: गॉगल्स हमेशा नाक पर सेट होना चाहिए
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