Tuesday, April 1, 2014

7 साल बाद याद आई सर्विस टैक्स की वसूली


दिनेश माहेश्वरी कोटा. कृषि उपज मंडी समिति को सात साल बाद सर्विस टैक्स वसूली की याद आई। भामाशाह अनाज मंडी और थोक फल सब्जी मंडी दोनों के मिलाकर करीब 500 से अधिक व्यापारियों को मंडी समिति ने 72 लाख रुपए वसूली के नोटिस जारी किए हैं।

पिछले दिनों मंडी समिति केन्द्रीय उत्पाद शुल्क एवं सर्विस टैक्स विभाग के कमिश्नर के पास अपील में सर्विस टैक्स का केस हार गई। विभाग ने इससे पहले वर्ष 2007 से 70 लाख रुपए भामाशाह मंडी पर और 1.83 लाख रुपए थोक फल सब्जी मंडी के ऊपर सर्विस टैक्स की डिमांड निकाल दी। इस मामले में विभाग ने वर्ष 2011 में मंडी समिति को टैक्स की डिमांड का नोटिस दिया था। जब मंडी समिति का अपील खारिज हो गई तो दोनों मंडियों का मिलाकर करीब 72 लाख रुपए टैक्स जमा कराना पड़ा। इसकी वसूली के लिए मंडी समिति ने व्यापारियों को नोटिस थमा दिए।

मंडी समिति के लीगल एडवाइजर एवं सीए एमडी सोनी ने बताया कि मंडी समितियां व्यापारियों से दुकानों का किराया और बेची गई संपत्ति पर लीज वसूलती है। इस पर संबंधित विभाग सर्विस टैक्स वसूल रहा है। मंडी समितियां का यह मामला अब केन्द्रीय उत्पाद शुल्क एवं सेवा कर विभाग के नई दिल्ली स्थित ट्रिब्यूनल में विचाराधीन है।
कोटा ग्रेन एंड सीड्स मर्चेंट्स एसोसिएशन के महामंत्री अविनाश राठी का कहना है कि मंडी समिति को उन्होंने इस मामले में पत्र लिखा है कि जब तक ट्रिब्यूनल का फैसला नहीं आ जाता तब तक वह व्यापारियों से सर्विस टैक्स नहीं वसूले। क्योंकि एक बार वसूला गया टैक्स मंडी समिति लौटाएगी नहीं। इस मामले में उन्होंने कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी से भी अपील की है।

उन्होंने बताया कि राजस्थान की किसी भी मंडी में व्यापारियों से इस तरह सर्विस टैक्स नहीं लिया जा रहा है, तो फिर कोटा मंडी में ही वसूली की जल्दी क्यों ? थोक फ्रूट एंड वेजीटेबल मर्चेंट्स यूनियन के महासचिव संतोष मेहता ने भी चुकाई गई लीज पर सर्विस टैक्स की वसूली को गलत बताया है। व्यापारी एक साथ इतना टैक्स कहां से देंगे।
सात सात बाद वसूली क्यों
मंडी समितियों द्वारा दुकानों का किराया वसूलने और संपत्ति पर लीज वसूलने पर केन्द्रीय उत्पाद सेवाकर नियमों के तहत सर्विस टैक्स लगता है। केन्द्रीय उत्पाद शुल्क एवं सेवाकर विभाग ने वर्ष 2007 से डिमांड निकाली है तो उसकी वसूली भी अब की जा रही है।
कितना बनता है सर्विस टैक्स: कोई दुकानदार दुकान का किराया 2 हजार रुपए महीना दे रहा है। इस हिसाब से एक साल का 24 हजार रुपए हुआ। सात साल में 1 लाख 68 हजार रुपए हुआ। इस पर 12.36 की दर से सर्विस टैक्स 20 हजार 764 रुपए हुआ। इस तरह हर दुकान की लीज एवं किराया अलग-अलग होने से टैक्स भी अलग होगा।
केस जीते तो टैक्स रिफंड देंगे: केन्द्रीय उत्पाद शुल्क एवं सेवाकर ने वर्ष 2007 से सर्विस टैक्स की डिमांड निकाली है। इसकी राशि मंडी समितियां जमा करा चुकी है। इसलिए व्यापारियों को वसूली के नोटिस दिए हैं। यदि ट्रिब्यूनल में मंडी समिति केस जीत गई तो जैसे ही विभाग उन्हें रिफंड करेगा, वह भी व्यापारियों को रिफंड कर देंगे।
-एमएल जाटव, सचिव कृषि उपज मंडी समिति

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