Thursday, April 17, 2014

कोचिंगों ने दिया इस बार 16.73 करोड़ ज्यादा टैक्स

दिनेश माहेश्वरी
कोटा।
  संभाग के सेवाप्रदाताओं ने समाप्त हुए वित्तीय वर्ष 2013-14 में 210.18 करोड़ रुपए का सर्विस टैक्स दिया है। जिसमें से 92.11 करोड़ रुपए कमर्शियल कोचिंग संस्थानों का योगदान है। पिछले वित्त वर्ष 2012-13 के मुकाबले में इस बार कोचिंग संस्थानों ने 16.73 करोड़ रुपए अधिक टैक्स दिया है।
एक्साइज, कस्टम एवं सर्विस टैक्स विभाग के डिप्टी कमिश्नर एके खन्ना ने बताया कि संभाग में सर्वाधिक टैक्स कोचिंग संस्थानों से प्राप्त होता है। कोचिंग से पिछले वित्त वर्ष 2012-13 में 75.39 करोड़ रुपए राजस्व प्राप्त हुआ था। जबकि इस बार 92.11 करोड़ रुपए सर्विस टैक्स मिला है। दूसरे नंबर पर सिक्यूरिटी एजेंसी है। इसके बाद जनरल इंश्योरेंस, मेंटीनेंस एवं रिपेयर्स, क्लियरिंग एवं फारवर्डिंग एजेंसी, कंसल्टिंग इंजीनियरिंग एवं कोरियर एजेंसीज आदि का नंबर आता है। जिन सेवाप्रदाताओं का सालाना टर्नओवर 10 लाख रुपए है, वे ही करदाता सर्विस टैक्स के दायरे में आते हैं।
एक्साइज ड्यूटी में पिछड़ा विभाग
डिप्टी कमिश्नर खन्ना ने बताया कि समाप्त हुए वित्त वर्ष 2013-14 में इंडस्ट्रियल ग्रोथ कम रही। जिससे विभाग को 156.14 करोड़ रुपए ही एक्साइज ड्यूटी के रूप में राजस्व प्राप्त हुआ है।  वित्त वर्ष 2012-13 में 159.13 करोड़ रुपए एक्साइज ड्यूटी प्राप्त हुई थी।
इस बार पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 2.71 करोड़ रुपए कम राजस्व प्राप्त हुआ है। उन्होंने बताया कि एक्साइज ड्यूटी में कमी का सबसे बड़ा कारण अत्यधिक बारिश रही है। जिससे सीमेंट फैक्ट्रियों और आयरन फैक्ट्रियों में उत्पादन कम होने से एक्साइज ड्यूटी कम प्राप्त हुई। क्योंकि बारिश के कारण लंबे समय तक कंस्ट्रक्शन कार्य शुरू नहीं हुए। उन्होंने बताया कि एक्साइज ड्यूटी में राजस्व का 70 प्रतिशत सीमेंट, स्टील एवं फर्टिलाइजर्स सेक्टर से आता है। बाकी 30 प्रतिशत में अन्य उत्पाद शामिल हैं।
सेमटेल की जमीन बेचकर वसूली जाएगी एक्साइज ड्यूटी
डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि सेमटेल कलर फैक्ट्री पर 1.10 करोड़ रुपए एक्साइज ड्यूटी बकाया चल रही है। ब्याज एवं पेनल्टी जोड़कर 60 लाख रुपए और जोड़कर 1.70 करोड़ रुपए की वसूली के लिए फैक्ट्री का सेमी फिनिश्ड गुड्स अटैच कर रखा है। जिसकी एक बार नीलामी कराने की कोशिश की गई थी, लेकिन नहीं हो पाई। इसलिए दुबारा नीलामी होगी। विभाग के पास जमीन की बिक्री का भी विकल्प है। जरूरत पडऩे पर सेमटेल की जमीन बेचकर एक्साइज ड्यूटी वसूली जाएगी।

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