Sunday, June 29, 2014

कोटा आकाशवाणी से 200 छोड़िए 60 किमी तक भी नहीं हो पा रहा है प्रसारण

दिनेश माहेश्वरी
कोटा। 
आकाशवाणी कोटा का करोड़ों का ट्रांसमीटर टावर बेसमेंट इंसुलेटर की मेन्टेनेंस नहीं होने से पिछले एक साल से बंद पड़ा है। सरकारी रिकॉर्ड में ट्रांसमीटर 20 किलोवाट का है, जिसकी प्रसारण क्षमता 150 से 200 किमी है। लेकिन, वर्तमान में एक किलोवाट के ट्रांसमीटर से ही प्रसारण किया जा रहा है। जिसकी वजह से दूरदराज के लोग यहां के कार्यक्रम सुनने से वंचित हैं। चूंकि प्रसारण 50 किमी से दूर नहीं जा पा रहा है।
हाड़ौती का सबसे पहला रेडियो स्टेशन वर्तमान में आकाशवाणी कोटा के चंबल केन्द्र के नाम से जाना जाता है। 1987 में इस केन्द्र की शुरुआत एक किलोवाट के ट्रांसमीटर से हुई थी। उस समय यहां न दूरदर्शन था और न एफएम रेडियो। सिर्फ श्रोता इसी पर निर्भर थे। लोकप्रियता के चलते श्रोताओं की मांग पर 2006 में इस केन्द्र की प्रसारण क्षमता 20 किलोवाट की गई। इसके लिए कैथून रोड पर उम्मेद गंज में 18.50 एकड़ जमीन पर एक बड़ा टावर लगाया गया था। जमीन, उपकरण और बिल्डिंग मिलाकर करीब 80 करोड़ की लागत से पूरा ट्रांसमिशन सिस्टम तैयार किया गया था, लेकिन जून 2013 में पहली बारिश में इस टावर का बेस इंसुलेटर गिर जाने से प्रसारण ठप हो गया।
 अब केवल एक किलोवाट का ट्रांसमीटर चल रहा है, जिससे सिर्फ 50 किलोमीटर (एयर डिस्टेंस) तक ही सुनाई देता है। इसकी वजह से हाड़ौती के दूरदराज के लोग कार्यक्रम नहीं सुन पा रहे हैं।
वहीं, अफसरों का कहना है कि टावर के बेसमेंट इंसुलेटर को फिर से खड़ा करने के लिए करीब 30 लाख रुपए की जरूरत है। यह मामला उच्च स्तरीय अधिकारियों की जानकारी में है। उन्होंने जल्दी ही इसका समाधान निकालने का आश्वासन दिया है।
विविध भारती और पुराने गानों का आज भी क्रेज
 श्रोताओं का कहना है कि भले ही एफएम आ गया हो, लेकिन दूरदराज के इलाकों में आकाशवाणी से प्रसारित पुराने गाने, हाड़ौती का लोकसंगीत, फरमाइशी फिल्मी गीत और विविध भारती के कार्यक्रमों का आज भी क्रेज है। हर तरह के संगीत और समाचार के साथ कई ज्ञानवर्धक बातें भी आकाशवाणी पर सुनने को मिलती हैं।
 एक और एफएम जल्दी ही
 आकाशवाणी कोटा का एफएम चैनल जल्दी ही शुरू होने वाला है। इसका एक किलोवाट का ट्रांसमीटर लग चुका है। इसकी टेस्टिंग भी हो चुकी है। इसके लिए प्रसार भारती के उच्च अधिकारियों की मंजूरी मिलना बाकी है।
 


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