बजट पेश होने से ठीक पहले टैक्सेशन ढांचे में बदलाव की पहल हो गई है। पार्थसारथी शोम की अध्यक्षता वाले कमीशन ने टैक्सेशन व्यवस्था के ढांचे में काफी अहम बदलावों की सिफारिश की है। यदि इस कमीशन की सिफारिश मान ली गई तो वेल्थ रिटर्न को इनकम टैक्स रिटर्न के भीतर ही शामिल किया जा सकता है। अगर वेल्थ रिटर्न को इनकम टैक्स रिटर्न में ही शामिल कर दिया गया, तो लोगों को दो के बजाय केवल एक ही रिटर्न फाइल करना होगा। कमीशन ने कहा है कि टैक्स रिफंड में देरी होने पर बाजार दर से टैक्सपेयर्स को ब्याज अदा किया जाए।
शोम कमीशन की अहम सिफारिशें
इसके अलावा इसने पर्मानेंट एकाउंट नंबर (पैन) को कॉमन बिजनेस आइडेंटिफिकेशन नंबर (सीबीआईएन) में बदलने की भी सिफारिश की है। इसका मतलब यह हुआ कि ईपीएफओ, डीजीएफटी, सर्विस टैक्स, सेंट्रल एक्साइज, कस्टम्स सभी इस एक नंबर को ही इस्तेमाल करेंगे।
समिति ने टैक्सपेयर्स से संबंधित जो सिफारिशें की हैं, वे इस प्रकार हैं-
*परमानेंट एकाउंट नंबर (पैन) को कॉमन बिजनेस आइडेंटिफिकेशन नंबर (सीबीआईएन) में बदल दिया जाए
*सभी टैक्स कलेक्शन एजेंसियां विभिन्न उद्देश्यों के लिए सीबीआईएन का इस्तेमाल करें
* एक बार सीबीआईएन प्रचलन में आ जाए, तो विभिन्न रजिस्ट्रेशन नंबर्स और पैन नंबर को कैंसिल, सरेंडर और डी-रजिस्टर करा दिया जाए
* वेल्थ रिटर्न को इनकम टैक्स रिटर्न के भीतर ही शामिल किया जाए
*एक तय समय अवधि के भीतर टैक्स रिफंड जारी किया जाए
* टैक्स रिफंड में देरी होने पर बाजार दर से टैक्सपेयर्स को ब्याज अदा किया जाए
*टीडीएस के लिए पासबुक स्कीम की व्यवस्था की जाए। जैसे ही किसी पेमेंट में से टीडीएस कटे, इसे तुरंत ही टैक्सपेयर के खाते में डाल दिया जाए। यह एक रनिंग बैलेंस वाले खाते की तरह काम कर सकता है
* टैक्सपेयर्स की दिक्कतों के हल के लिए जरूरी है कि लोकपाल के निर्णय टैक्स ऑफिसर्स पर बाध्यकारी हों
पिछले महीने दी थी रिपोर्ट
टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन के ढांचे में सुधार के बारे में सलाह देने के लिए पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम द्वारा पार्थसारथी शोम की अध्यक्षता में इस कमीशन का गठन किया गया था। कमीशन ने पिछले महीने के आखिर में अरुण जेटली को अपनी आरंभिक रिपोर्ट दे दी। कल इसकी रिपोर्ट को सार्वजनिक किया गया।
शोम कमीशन की अहम सिफारिशें
इसके अलावा इसने पर्मानेंट एकाउंट नंबर (पैन) को कॉमन बिजनेस आइडेंटिफिकेशन नंबर (सीबीआईएन) में बदलने की भी सिफारिश की है। इसका मतलब यह हुआ कि ईपीएफओ, डीजीएफटी, सर्विस टैक्स, सेंट्रल एक्साइज, कस्टम्स सभी इस एक नंबर को ही इस्तेमाल करेंगे।
समिति ने टैक्सपेयर्स से संबंधित जो सिफारिशें की हैं, वे इस प्रकार हैं-
*परमानेंट एकाउंट नंबर (पैन) को कॉमन बिजनेस आइडेंटिफिकेशन नंबर (सीबीआईएन) में बदल दिया जाए
*सभी टैक्स कलेक्शन एजेंसियां विभिन्न उद्देश्यों के लिए सीबीआईएन का इस्तेमाल करें
* एक बार सीबीआईएन प्रचलन में आ जाए, तो विभिन्न रजिस्ट्रेशन नंबर्स और पैन नंबर को कैंसिल, सरेंडर और डी-रजिस्टर करा दिया जाए
* वेल्थ रिटर्न को इनकम टैक्स रिटर्न के भीतर ही शामिल किया जाए
*एक तय समय अवधि के भीतर टैक्स रिफंड जारी किया जाए
* टैक्स रिफंड में देरी होने पर बाजार दर से टैक्सपेयर्स को ब्याज अदा किया जाए
*टीडीएस के लिए पासबुक स्कीम की व्यवस्था की जाए। जैसे ही किसी पेमेंट में से टीडीएस कटे, इसे तुरंत ही टैक्सपेयर के खाते में डाल दिया जाए। यह एक रनिंग बैलेंस वाले खाते की तरह काम कर सकता है
* टैक्सपेयर्स की दिक्कतों के हल के लिए जरूरी है कि लोकपाल के निर्णय टैक्स ऑफिसर्स पर बाध्यकारी हों
पिछले महीने दी थी रिपोर्ट
टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन के ढांचे में सुधार के बारे में सलाह देने के लिए पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम द्वारा पार्थसारथी शोम की अध्यक्षता में इस कमीशन का गठन किया गया था। कमीशन ने पिछले महीने के आखिर में अरुण जेटली को अपनी आरंभिक रिपोर्ट दे दी। कल इसकी रिपोर्ट को सार्वजनिक किया गया।
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