किसी को विश्वास नहीं होगा कि विशाखापट्टनम के छोटे से गांव रेदा गड्डी में होटल में चाय पिलाने और कप-प्लेट धोने वाले सुधाकर आज केंद्र सरकार के पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) में एडीशनल डायरेक्टर जनरल हैं। 53 साल की उम्र में 119 डिग्री डिप्लोमा हासिल कर लिए हैं।
इसमें उन्होंने 5 सब्जेक्ट में ग्रेजुएशन, 30 सब्जेक्ट में पीजी, 11 सब्जेक्ट में पीएचडी, 4 में डाक्टरेट, 36 में पीजी डिप्लोमा और 10 सब्जेक्ट व्यवसाय में कोर्स कर चुके हैं। यहीं नहीं हिन्दी, तेलुगु और अंग्रेजी में भी विभिन्न डिग्रियां हासिल की हैं।
कोटा कार्यालय के निरीक्षण के दौरान पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने अपने संघर्ष की कहानी बताई। उन्होंने बताया कि उनका टारगेट शेष तीन साल में 200 कोर्स करने का है। उन्होंने पढ़ाई का मंत्र बताया कि हर दिन वो सुबह दो से तीन घंटे रेगुलर पढ़ाई करते हैं। प्रो. सुधाकर ने बताया कि शुरुआती दौर में मजदूरी की है। माता-पिता अनपढ़ थे, लेकिन मन में दृढ़ निश्चय था कि खूब पढऩा है। उनका दावा है कि नागपुर महाराष्ट्र के श्रीकांत जिचकर ने जीवन भर 25 डिग्रियां और बैंगलुरु कर्नाटक के यज्ञनेश्वरन ने 32 डिग्रियां हासिल की थी। दोनों अब इस दुनिया में नहीं है। अब वो देश में पहले व्यक्ति है जिनके पास ये डिग्री-डिप्लोमा है।
इसमें उन्होंने 5 सब्जेक्ट में ग्रेजुएशन, 30 सब्जेक्ट में पीजी, 11 सब्जेक्ट में पीएचडी, 4 में डाक्टरेट, 36 में पीजी डिप्लोमा और 10 सब्जेक्ट व्यवसाय में कोर्स कर चुके हैं। यहीं नहीं हिन्दी, तेलुगु और अंग्रेजी में भी विभिन्न डिग्रियां हासिल की हैं।
कोटा कार्यालय के निरीक्षण के दौरान पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने अपने संघर्ष की कहानी बताई। उन्होंने बताया कि उनका टारगेट शेष तीन साल में 200 कोर्स करने का है। उन्होंने पढ़ाई का मंत्र बताया कि हर दिन वो सुबह दो से तीन घंटे रेगुलर पढ़ाई करते हैं। प्रो. सुधाकर ने बताया कि शुरुआती दौर में मजदूरी की है। माता-पिता अनपढ़ थे, लेकिन मन में दृढ़ निश्चय था कि खूब पढऩा है। उनका दावा है कि नागपुर महाराष्ट्र के श्रीकांत जिचकर ने जीवन भर 25 डिग्रियां और बैंगलुरु कर्नाटक के यज्ञनेश्वरन ने 32 डिग्रियां हासिल की थी। दोनों अब इस दुनिया में नहीं है। अब वो देश में पहले व्यक्ति है जिनके पास ये डिग्री-डिप्लोमा है।
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