Monday, June 9, 2014

फेरों के साथ ही शुरू करें फाइनैंशल प्लानिंग

नौकरी लगना, शादी होना, बच्चे होना, बच्चों का बड़ा होना और फिर रिटायरमेंट की ओर कदम बढ़ाना... जिंदगी की गाड़ी के ये अहम पड़ाव हैं। यह गाड़ी बिना झटकों के चलती रहे, इसके लिए हर पड़ाव पर स्मार्ट फाइनैंशल प्लानिंग की जरूरत होती है।
रवि 28 साल के हैं और साक्षी  25 की। दोनों हाल ही में शादी के बंधन में बंधे हैं। घर-गृहस्थी के तमाम दूसरे कामों के साथ-साथ दोनों ने पर्सनल फाइनैंस के मसले पर आपसी सहमति से कुछ जरूरी काम निबटा लिए, जो उनकी आगे की जिंदगी के लिए बेहद अहम हैं और उन्हें टेंशन फ्री रखने में भी मददगार होंगे। अगर आप भी रवि और साक्षी की एज ग्रुप में हैं, तो ये काम करना बेहतर होगा।

डॉक्युमेंट्स में बदलाव
- कुछ भारतीय परिवारों में बहू के सरनेम में बदलाव करवाने की परंपरा है। अगर ऐसा है, तो लड़की को शादी के फौरन बाद अपने सभी फाइनैंशल रेकॉर्ड्स में सरनेम बदलवा लेना चाहिए।
- शादी के बाद जिस नए पते पर दोनों सेटल हो रहे हैं, उस पते को भी सभी फाइनैंशल रेकॉर्ड्स में अपडेट करा लें।
- बैंक अकाउंट, इंश्योरेंस पॉलिसीज और तमाम दूसरे इन्वेस्टमेंट में अभी तक आपने अपने पैरंट्स में से किसी को नॉमिनी बनाया हुआ होगा। अगर आप अपने पार्टनर को नॉमिनी बनाना चाहते हैं तो सभी जगह नॉमिनी अपडेट करा लें।
जॉइंट अकाउंट
अगर दोनों वर्किंग हैं तो भी और अगर पत्नी नहीं कमाती तो भी, एक जॉइंट अकाउंट जरूर खुलवाएं। इस अकाउंट में पति और पत्नी दोनों अपनी अपनी कमाई से हर महीने कुछ पैसा जमा करें। तमाम यूटिलिटी बिल्स, इन्वेस्टमेंट, इंश्योरेंस, प्रॉपर्टी की खरीद जैसी फाइनैंशल प्लानिंग के लिए पैसे का बंदोबस्त इसी अकाउंट से करें। इस जॉइंट अकाउंट के अलावा आप दोनों का अलग-अलग अकाउंट भी होगा, जिससे आप अपनी मर्जी से चीजें कर सकते हैं। जॉइंट अकाउंट दोनों या सरवाइवर और फॉर्मर या सरवाइवर दो तरह का होता है। इसमें दोनों या सरवाइवर चुनें। इससे दोनों पार्टनर इस अकाउंट से लेन-देन कर सकते हैं।
इमर्जेंसी फंड
नौकरी चले जाने जैसी स्थिति के लिए हमें तैयार रहना चाहिए। नौकरी चले जाने से नए जोड़े को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन अगर पास में पर्याप्त पैसा हो तो दिक्कतों को कम किया जा सकता है। ऐसी स्थिति के लिए लोन के भुगतान सहित परिवार के कम से कम छह महीने के खर्च के लिए पैसा अलग रखना जरूरी है। अगर कपल में से दोनों नौकरी करने वाले हों तो 3 महीने का आकस्मिक फंड पर्याप्त होगा।
पीपीएफ
इंश्योरेंस के बाद अब बारी इन्वेस्टमेंट की। अगर आपको रिस्क नहीं लेना है तो लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट के लिहाज से पीपीएफ सबसे अच्छा जरिया है, इसलिए दोनों को एक-एक पीपीएफ अकाउंट जरूर खुलवाना चाहिए।

टर्म इंश्योरेंस
हो सकता है, अब तक आपने इंश्योरेंस करा लिया हो। अगर आपने नहीं कराया है, तो यह सही वक्त है इंश्योरेंस कराने का। अभी उम्र कम होने की वजह से आपको कम प्रीमियम पर ज्यादा रकम का इंश्योरेंस मिल जाएगा। याद रहे, इंश्योरेंस की आपकी जरूरतों को टर्म इंश्योरेंस ही पूरा करता है। अगर आप दोनों कमाते हैं तो आप दोनों को टर्म इंश्योरेंस लेना चाहिए। कितनी रकम का टर्म इंश्योरेंस लें, इसके लिए एक सामान्य नियम का पालन कर सकते हैं। अपनी मौजूदा ग्रॉस एनुअल इनकम की आठ से दस गुनी रकम का इंश्योरेंस कवर आपके पास होना ही चाहिए। आजकल सभी कंपनियों के टर्म इंश्योरेंस ऑनलाइन मिल रहे हैं।
 ऑनलाइन लेने पर पॉलिसी थोड़ी सस्ती पड़ती है। एक बार सही रकम का टर्म इंश्योरेंस ले लेने केबाद आपकी इंश्योरेंस जरूरतें पूरी हो जाती हैं। इसके बाद सिर्फ टैक्स बचाने के मकसद से साल के अंत में इंश्योरेंस की छोटी-मोटी स्कीमें लेने का आपके लिए कोई फायदा नहीं है। अपना पैसा डॉट कॉम के फाउंडर और सीईओ हर्ष रुंगटा कहते हैं कि ऑनलाइन टर्म प्लान के क्षेत्र में एलआईसी के आने से अब यह भ्रम खत्म हो गया है कि टर्म प्लान ऑनलाइन लेने पर बाद में क्लेम मिलने में दिक्कत आती है।

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