Sunday, June 22, 2014

अब सूइसाइड की कोशिश पर भी मिलेगा इंश्योरेंस कवर

देश के बाहर पढ़ रहे स्टूडेंट्स अब तकरीबन हर चीज के लिए बीमा कवर पा सकेंगे। इसमें ड्रग और अल्कोहल रीहैब, कैंसर स्क्रीनिंग, अबॉर्शन, स्पोर्ट्स इंजरी के साथ सूइसाइड की कोशिश तक शामिल है। ऐसे पैरंट्स जिनके बच्चे विदेश में पढ़ रहे हैं, अक्सर इस चिंता में होते हैं कि उनके बच्चे का इंश्योरेंस कवर पर्याप्त नहीं है। बात जब विदेशी प्रोवाइडर से कोई पॉलिसी लेने की आती है तो उसकी लागत भी एक बड़ा मुद्दा बन जाती है। हालांकि, अब ऐसे पैरंट्स के लिए भारतीय बीमा कंपनियां कुछ और विकल्प पेश कर रही हैं।
बेल बॉन्ड्स, अबॉर्शन तक का कवर
आईसीआईसीआई लोंबार्ड, बजाज आलियांज जनरल और टाटा एआईजी जनरल इंश्योरेंस जैसी भारतीय बीमा कंपनियां ऐसे प्लान ऑफर कर रही हैं, जो विदेश में किसी स्टूडेंट के सामने आ सकने वाला लगभग हर तरह का खर्च कवर करते हैं। इनमें पुलिस के हत्थे चढ़ जाने पर बेल बॉन्ड्स भरने, ड्रग और अल्कोहल की लत छुड़वाने के लिए रिहैबिलिटेशन और अबॉर्शन के खर्च से लेकर सूइसाइड की कोशिश तक के मामलों में कवर है। अगर पैरंट्स अपने बीमार बच्चे की देखभाल के लिए इमर्जेंसी विजिट करें तो उसका कवर भी इन प्लांस में है।
बढ़ी इंडियन कंपनियों के इंश्योरेंस की मांग
इंडियन कंपनियों के लिए स्टूडेंट ट्रैवल इंश्योरेंस बड़ा कारोबार नहीं है, लेकिन अब इसमें तेजी आने लगी है और वे इसे छोड़ना नहीं चाहतीं। उन्होंने ऐसी पॉलिसीज लॉन्च की हैं, जो फॉरन इंस्टिट्यूट्स की ज्यादातर डिमांड्स पूरी करती हैं। पैरंट्स के लिए लागत विदेशी कंपनियों को चुकाए जाने वाले प्रीमियम के आधे तक है।
2011 से 2014 तक भारतीय कंपनियों से कवर लेने वालों की संख्या कुल स्टूडेंट्स के 30 पर्सेंट से बढ़कर 60 पर्सेंट हो गई। इंडस्ट्री एग्जेक्युटिव्स का कहना है कि इसमें एक्सपैंडेड प्लांस और कम लागत का बड़ा हाथ है। पहले भारतीय कंपनियों के प्लांस वे सभी चीजें कवर नहीं करते थे जिसकी मांग फॉरन यूनिवर्सिटीज करती थीं। ऐसे में उन्हें वहां की कंपनियों से हाई-प्रीमियम इंश्योरेंस लेना पड़ता था।
पैरंट्स को लुभा रही है कम लागत
अमेरिका में अपने 18 साल के बेटे को पढ़ा रहे मुंबई के हेमंत अशार चाहते हैं कि अमेरिकी इंश्योरर से लिया गया कवर किसी भारतीय कंपनी के पास ट्रांसफर हो जाए। उनका बेटा पिछले साल बीबीए डिग्री के लिए सदर्न कैलीफोर्निया के मार्शल स्कूल ऑफ बिजनस में गया था। शुरुआती पॉलिसी में स्टडी-इंटरप्शन कवर शामिल था। इस साल उन्होंने पाया कि वह ऐसा ही कवर काफी कम लागत में इंडियन इंश्योरर से पा सकते हैं।
आईसीआईसीआई लोंबार्ड के अंडरराइटिंग और क्लेम्स मामलों के चीफ संजय दत्ता ने कहा कि 2012 से जब यूनिवर्सिटीज की ओर से व्यापक कवरेज की डिमांड आने लगी तो इंडियन इंश्योरर्स को भी कदम बढ़ाने पड़े।
इंडियन जनरल इंश्योरर्स अब जो स्टूडेंट ट्रैवल पॉलिसीज पेश करते हैं, उनमें कैंसर की जांच, ऑर्गन ट्रांसप्लांट, स्पोर्ट्स इंजरीज, बच्चे के जन्म और फिजियोथेरेपी का खर्च भी शामिल होता है। 

स्टडी इंटरप्शन कवर भी पॉप्युलर हो रहा है, जिसमें अगर स्टूडेंट किसी ऐक्सिडेंट या बीमारी के कारण पढ़ाई पूरी नहीं कर पाता है तो उसकी रिपीट सेमेस्टर फीस बीमा कंपनी चुकाती है। बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस ने इस साल सूइसाइड कवर भी पेश किया है, जिसमें खुदकुशी की कोशिश के चलते हॉस्पिटलाइजेशन की लागत कवर होती है।

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