Tuesday, June 3, 2014

ईपीएफ खाते में धोखाधड़ी होने पर ऐसे करें रिकवरी

कोटा।  कहीं आप वैसे लोगों में शामिल तो नही हैं जिन्होंने नौकरी बदलते समय अपने भविष्य निधि (पीएफ) अकाउंट से रकम नहीं निकाली है या बैलेंस ट्रांसफर नहीं कराया?
यह सवाल इसलिए अहम है क्योंकि अक्सर खबरें आती हैं कि धोखेबाजों ने फर्जी दावों के जरिए करोड़ों रुपए दूसरों के पीएफ अकाउंट्‍स से निकाल लिए। इनमें से ज्यादातर अकाउंट्‍स में काफी कम बैलेंस पाया गया। ऐसी घटनाअों में मुख्य रूप से ऐसे अकाउंट्‍स को निशाना बनाया गया जो बेकार या निष्क्रिय पड़े हैं। यदि आप ऐसे खाताधारक हैं तो जल्द-से-जल्द रिकवरी प्रक्रिया शुरू कर दीजिए।
रकम कब और कैसे निकालें
सबसे पहले इस बात पर गौर करें कि रकम कब और कैसे निकाली जाए। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के पास निकासी के रिकॉर्ड होने चाहिए। निकासी स्लिप पर हस्ताक्षर की जांच करें। यदि यह आपके हस्ताक्षर से मेल नहीं खाता हो तो ईपीएफओ को सूचित करें और अपनी रकम के लिए दावा करें। ऐसा करने से काफी सहूलियत होगी।
आरटीआई भी मददगार
यदि ईपीएफओ आपको अपने रिकॉर्ड जांचने की अनुमति नहीं देता है तो आप सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत जानकारी हासिल कर सकते हैं, हालांकि इन सब की प्रक्रिया लंबी होगी। यदि ईपीएफओ आपकी मदद नहीं करता है तो आप प्रोवीडेंट फंड कमिश्नर या श्रम मंत्रालय से संपर्क करके उन्हें स्थिति से अवगत करा सकते हैं और अपनी रकम का भुगतान कराए जाने के लिए कह सकते हैं। हालांकि ये तरीके अपनाने के लिए काफी धैर्य बनाए रखने की दरकार होगी।
कानूनी प्रक्रिया की बारीकियां
ईपीएफओ या किसी अन्य प्राधिकरण से संपर्क करने के सात दिन के भीतर मामला दायर कराया जा सकता है। जहां तक कानूनी माध्यम का सवाल है, रकम की रिकवरी के तीन संभावित तरीके हैं:
ईपीएफओ के खिलाफ लिखित याचिका दायर कराना: अदालत जांच करने के लिए कह सकती है। यदि फैसला आपके पक्ष में जाता है तो न्यायालय ईपीएफओ से संबद्ध विवरण मांग सकता है और अंतिम फैसला दे सकता है। रकम की वापसी के लिए दीवानी मामला भी दायर किया जा सकता है।
ओम्बड्‍समैन (यदि वहां हो) से संपर्क किया जा सकता है।
यह भी पता लगाया जा सकता है कि क्या आपका मामला कंज्यूमर प्रोटेक्शन ऐक्ट के तहत स्वीकार किए जाने के काबिल है और फिर उसी के अनुसार रिकवरी का मुकदमा दायर कराया जा सकता है।
बेहतर यही है कि ऐसी घटनाओं से बचने के लिए पूरी सतर्कता बरती जाए। नियोक्ता आपको खाते में जमा कुल पीएफ की सालाना पर्ची देते हैं। यदि आपका नियोक्ता यह पर्ची नहीं देता है तो आप बाकायदा इसकी मांग कर सकते हैं। मौजूदा समय में पीएफ खाते का बैलेंस चेक करना आसान हो गया है, क्योंकि आप खाता संख्या के जरिए ऑनलाइन पर यह काम कर सकते हैं। सबसे ज्यादा अहम बात यह है कि जब कभी आप नौकरी बदलें तो पीएफ खाते से रकम को स्थानांतरित करना या रकम निकालना न भूलें।

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